पश्चिम बंगाल के 'जाइंट किलर' और नेता प्रतिपक्ष शुभेंदु अधिकारी (Suvendu Adhikari) ने विधानसभा चुनाव नतीजों के बाद से जारी हिंसा को लेकर राज्यपाल जगदीप धनखड़ से मुलाकात की. शुभेंदु अधिकारी ने 50 पार्टी विधायकों के साथ धनखड़ से मुलाकात की. बैठक में भाजपा (BJP) के 74 विधायकों में से सिर्फ 50 के ही पहुंचने के बाद चर्चाओं का दौर शुरू हो गया कि बाकी के 24 विधायक कहां 'गायब' हो गए हैं. इन कयासों को तृणमूल कांग्रेस (TMC) की ओर से भरपूर हवा दी जा रही है. दरअसल, मुकुल रॉय (Mukul Roy) की तृणमूल कांग्रेस में घर वापसी के बाद पार्टी के नेताओं की ओर से कहा गया था कि भाजपा के 30 से ज्यादा विधायक पार्टी के संपर्क में हैं.
भाजपा के लिए मुश्किल ये भी है कि विधानसभा चुनाव नतीजे आने के बाद से ही टीएमसी का दामन छोड़ भाजपा में शामिल हुए कई नेताओं ने मुख्यमंत्री ममता बनर्जी से 'घर वापसी' की गुहार लगानी शुरू कर दी है. राजीव बनर्जी जैसे नेता मुकुल रॉय के 'दीदी' की शरण में जाने के दूसरे ही दिन तृणमूल कांग्रेस के नेता से 'शिष्टाचार भेंट' करने पहुंच जाते हैं. मुकुल रॉय की टीएमसी में वापसी को 'ऑपरेशन ग्रास फ्लावर' की पहली सीढ़ी कहा जा रहा है. राज्यपाल के साथ हुई बैठक से भाजपा के 24 'गायब' विधायकों ने पार्टी के माथे पर बल डाल दिए हैं.
इन तमाम नेताओं में जगे 'ममता प्रेम' और मुकुल रॉय के टीएमसी में जाने पर भाजपा की ओर से 'ऑल इज वेल' की बात कही जा रही है. भाजपा नेता कहते नजर आ रहे हैं कि किसी के वापस जाने से भाजपा को फर्क नहीं पड़ेगा. लेकिन, पश्चिम बंगाल भाजपा में सब कुछ ठीक होता नजर नहीं आ रहा है. अगर ऐसा न होता, तो शायद...
पश्चिम बंगाल के 'जाइंट किलर' और नेता प्रतिपक्ष शुभेंदु अधिकारी (Suvendu Adhikari) ने विधानसभा चुनाव नतीजों के बाद से जारी हिंसा को लेकर राज्यपाल जगदीप धनखड़ से मुलाकात की. शुभेंदु अधिकारी ने 50 पार्टी विधायकों के साथ धनखड़ से मुलाकात की. बैठक में भाजपा (BJP) के 74 विधायकों में से सिर्फ 50 के ही पहुंचने के बाद चर्चाओं का दौर शुरू हो गया कि बाकी के 24 विधायक कहां 'गायब' हो गए हैं. इन कयासों को तृणमूल कांग्रेस (TMC) की ओर से भरपूर हवा दी जा रही है. दरअसल, मुकुल रॉय (Mukul Roy) की तृणमूल कांग्रेस में घर वापसी के बाद पार्टी के नेताओं की ओर से कहा गया था कि भाजपा के 30 से ज्यादा विधायक पार्टी के संपर्क में हैं.
भाजपा के लिए मुश्किल ये भी है कि विधानसभा चुनाव नतीजे आने के बाद से ही टीएमसी का दामन छोड़ भाजपा में शामिल हुए कई नेताओं ने मुख्यमंत्री ममता बनर्जी से 'घर वापसी' की गुहार लगानी शुरू कर दी है. राजीव बनर्जी जैसे नेता मुकुल रॉय के 'दीदी' की शरण में जाने के दूसरे ही दिन तृणमूल कांग्रेस के नेता से 'शिष्टाचार भेंट' करने पहुंच जाते हैं. मुकुल रॉय की टीएमसी में वापसी को 'ऑपरेशन ग्रास फ्लावर' की पहली सीढ़ी कहा जा रहा है. राज्यपाल के साथ हुई बैठक से भाजपा के 24 'गायब' विधायकों ने पार्टी के माथे पर बल डाल दिए हैं.
इन तमाम नेताओं में जगे 'ममता प्रेम' और मुकुल रॉय के टीएमसी में जाने पर भाजपा की ओर से 'ऑल इज वेल' की बात कही जा रही है. भाजपा नेता कहते नजर आ रहे हैं कि किसी के वापस जाने से भाजपा को फर्क नहीं पड़ेगा. लेकिन, पश्चिम बंगाल भाजपा में सब कुछ ठीक होता नजर नहीं आ रहा है. अगर ऐसा न होता, तो शायद शुभेंदु अधिकारी राज्यपाल धनखड़ से मुलाकात के दौरान पश्चिम बंगाल में दल-बदल विरोधी कानून को लेकर बात नहीं करते. इस स्थिति में सवाल उठना लाजिमी है कि क्या बंगाल में 'ऑपरेशन ग्रास फ्लावर' शुरू हो चुका है?
मुकुल रॉय का भाजपा में शामिल टीएमसी के पूर्व नेताओं को फोन
बीते सप्ताह मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने संकेत दिए थे कि भाजपा में शामिल हो चुके कई नेता पार्टी में वापस आ सकते हैं. हालांकि, ये साफ कर दिया गया था कि ममता बनर्जी के खिलाफ आक्रामक होकर जबान चलाने वाले नेताओं की पार्टी में वापसी मुश्किल है. खैर, मुकल रॉय ने भाजपा में शामिल होने के बाद सीधे तौर पर ममता बनर्जी पर कई बार निशाना साधा था. इसके बाद भी टीएमसी ने उन्हें क्लीनचिट दे दी थी. पश्चिम बंगाल के सियासी गलियारों में चर्चा है कि मुकुल रॉय ने टीएमसी में वापसी के साथ ही भाजपा के एक सांसद और 10 विधायकों को फोन कर घर वापसी के लिए बातचीत की. इसके कुछ ही दिनों बाद पश्चिम बंगाल विधानसभा चुनाव से पहले भाजपा में शामिल हुए टीएमसी के लोकसभा सांसद सुनील मंडल को नई पार्टी में 'असहज' महसूस होना शुरू हो गया है. सुनील मंडल ने अपने बयान में भाजपा को 'बाहरी' पार्टी भी बताने में कोई कोताही नहीं बरती. मंडल ने कहा कि भाजपा में नए लोगों पर भरोसा नहीं किया जा रहा है.
नाराजगी का कारण शुभेंदु अधिकारी या भाजपा?
कहा जा रहा है कि भाजपा के कई विधायक पार्टी में शुभेंदु अधिकारी के बढ़ते कद से खफा हैं. इन विधायकों में से कई मुकुल रॉय के करीबी कहे जा रहे हैं, जो विधानसभा चुनाव के बाद मुकुल को नेता प्रतिपक्ष नहीं बनाए जाने से नाराज हैं. वहीं, कई नेताओं की नाराजगी का सबसे बड़ा कारण भाजपा में उनकी स्वीकार्यता के रूप में सामने आ रहा है. भाजपा के वरिष्ठ नेता तथागत रॉय टीएमसी छोड़कर भाजपा में शामिल हुए नेताओं को 'कूड़े' की संज्ञा दे चुके हैं. भाजपा की बंगाल इकाई में भी इन नेताओं को कोई खास तवज्जो नहीं मिल रही है. त्रिपुरा के पूर्व राज्यपाल तथागत रॉय ने मुकुल रॉय को 'ट्रोजन हॉर्स' करार देते हुए घुसपैठिया तक करार दे दिया था. माना जा रहा है कि इस तरह के बयानों से मुकुल रॉय के करीबी रहे भाजपा विधायकों में नाराजगी का स्तर बढ़ा है. वहीं, ऐसे बयानों पर भाजपा की ओर से कोई खास प्रतिक्रिया भी सामने नहीं आ रही है. बंगाल भाजपा के अध्यक्ष दिलीप घोष कह रहे हैं कि लोगों के जाने से भाजपा को कोई फर्क नहीं पड़ेगा. माना जा रहा है कि इस तरह की बयानबाजी से असंतोष लगातार बढ़ा रहा है.
भाजपा जितनी कमजोर, 'दीदी' का उतना फायदा
ममता बनर्जी ने विधानसभा चुनाव के दौरान ही 'एक पैर से बंगाल और दो पैरों से दिल्ली' जीतने की घोषणा कर दी थी. चुनावी रणनीतिकार प्रशांत किशोर की कंपनी आईपैक से तृणमूल कांग्रेस का करार 2026 तक के लिए बढ़ाए जाने की खबरें भी सामने आ चुकी हैं. चुनावी नतीजों के बाद कई मौकों पर 'दीदी' ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के खिलाफ मोर्चा खोल चुकी हैं. इससे एक बात तो साफ कही जा सकती है कि 2024 के लोकसभा चुनाव से पहले ममता बनर्जी विपक्ष का एक मजबूत चेहरा बनने में कोई कोर-कसर नहीं छोड़ेंगी. कयास लगाए जा रहे हैं कि मुकुल रॉय को राज्यसभा भेजकर अभी से दिल्ली की राजनीति के समीकरणों को साधने की कोशिशें तेज कर दी जाएंगी. 'एसी रूम पॉलिटिक्स' के लिए मशहूर मुकुल रॉय ने भाजपा में शामिल होने के बाद पश्चिम बंगाल के पंचायत, लोकसभा और विधानसभा चुनाव में इसे साबित भी किया है.
मुकुल रॉय अपने दम पर और ममता प्रेम से भाजपा के जितने नेताओं और विधायकों की तृणमूल कांग्रेस में वापसी होगी, भगवा दल को उतना ही नुकसान होगा. विधानसभा चुनाव से पहले 200 सीटें जीतने का दावा करने वाली भाजपा पश्चिम बंगाल में प्रशांत किशोर के 100 से कम सीटों पर सिमटने के दावे पर खरी उतरी है. इस स्थिति में अगर भाजपा के कुछ विधायक भी पार्टी छोड़कर तृणमूल कांग्रेस में शामिल हो जाते हैं, तो ममता बनर्जी की ओर से राष्ट्रीय स्तर पर एक बड़ा मैसेज भेजा जा सकता है कि भाजपा के खिलाफ विकल्प केवल टीएमसी ही हो सकती है. वहीं, तृणमूल कांग्रेस चुनाव से पहले भाजपा में शामिल हुए सांसदों शिशिर अधिकारी और सुनील मंडल को अयोग्य ठहराने के लिए भी कमर कस चुकी है. सांसद शिशिर अधिकारी नेता विपक्ष शुभेंदु अधिकारी के पिता हैं. कहना गलत नहीं होगा कि पश्चिम बंगाल में भाजपा के लिए मुश्किलों का दौर अभी थमा नहीं है. भविष्य में ऑपरेशन ग्रास फ्लावर का खतरा भाजपा के सिर पर लटकी तलवार की तरह ही रहेगा.
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