सनतान संस्था धर्म की एक ऐसी स्वघोषित संस्था जो खुद को भगवान मान चुकी है. संस्था अपने साधकों को योद्धा बोलती है. उन्हें बार बार एक ऐसे युद्ध के लिए प्ररित करती है, जो युद्ध 2023 तक हिन्दुस्तान को संपूर्ण हिन्दू राष्ट्र बनाने के लिए लड़ा जा रहा है. ये योद्धा सरकार मिलिट्री, पुलिस के साथ लड़ने के अलावा उन तमाम लोगों से लड़ने की बात करते हैं जो उनकी इस विचारधारा से इत्तेफाक नहीं रखते. सनातन संस्था के इस साम्राज्य में ऐसे लोगों को दुर्जन कहा जाता है. सनातन संस्था इस तरह के अपने विचार सामाज में फैलाने के लिए सनातन प्रभात नाम से अखबार और वेब पोर्टल भी चलाती है. जिसके लेखों में दुर्जन को मारना अधर्म नहीं माना जाता, दुर्जन के खिलाफ हिंसा को संस्था धर्म बताती है.
2017 में पत्रकार गौरी लंकेश, 2015 में लेखक एम एम कलबुर्गी, गोविंद पंसारे और 2013 में अंधविश्वास और काला जादू के खिलाफ लड़ने वाले लेखक नरेंद्र दाभोलकर की गोली मारकर हत्या कर दी जाती है. महाराष्ट्र के ठाणे, पनवेल, और वाशी के थिएटर में जहां मराठी नाटक का मंचन हो रहा था वहां 2008 में बम धमाके कर के आतंक फैलानी की कोशिश की जाती है. चारों लोगों की हत्या और थिएटर में बम धमाके पूरी प्लानिंग और सोची समझी साजिश के तहत किये जाते हैं.
इन सब पर सनातन संस्था का नजरिया था कि ये सब हिन्दू धर्म को हानि पहुंचाने का काम कर रहे हैं और माराठी नाटक 'आमही पचपुते' में हिन्दू देवी-देवताओं की गलत छवि पेश की जा रही थी. अलग अलग एजेंसियां इन सभी वारदात की जांच करती हैं और इन सबमें सनातन संस्था के साधकों का नाम आता है. हालांकि संस्था बार बार अपने आपको इससे अलग रखती है.
धर्म की आड़ में चल रहे इस खूनी खेल पर से पर्दा हटाने और सच देश के...
सनतान संस्था धर्म की एक ऐसी स्वघोषित संस्था जो खुद को भगवान मान चुकी है. संस्था अपने साधकों को योद्धा बोलती है. उन्हें बार बार एक ऐसे युद्ध के लिए प्ररित करती है, जो युद्ध 2023 तक हिन्दुस्तान को संपूर्ण हिन्दू राष्ट्र बनाने के लिए लड़ा जा रहा है. ये योद्धा सरकार मिलिट्री, पुलिस के साथ लड़ने के अलावा उन तमाम लोगों से लड़ने की बात करते हैं जो उनकी इस विचारधारा से इत्तेफाक नहीं रखते. सनातन संस्था के इस साम्राज्य में ऐसे लोगों को दुर्जन कहा जाता है. सनातन संस्था इस तरह के अपने विचार सामाज में फैलाने के लिए सनातन प्रभात नाम से अखबार और वेब पोर्टल भी चलाती है. जिसके लेखों में दुर्जन को मारना अधर्म नहीं माना जाता, दुर्जन के खिलाफ हिंसा को संस्था धर्म बताती है.
2017 में पत्रकार गौरी लंकेश, 2015 में लेखक एम एम कलबुर्गी, गोविंद पंसारे और 2013 में अंधविश्वास और काला जादू के खिलाफ लड़ने वाले लेखक नरेंद्र दाभोलकर की गोली मारकर हत्या कर दी जाती है. महाराष्ट्र के ठाणे, पनवेल, और वाशी के थिएटर में जहां मराठी नाटक का मंचन हो रहा था वहां 2008 में बम धमाके कर के आतंक फैलानी की कोशिश की जाती है. चारों लोगों की हत्या और थिएटर में बम धमाके पूरी प्लानिंग और सोची समझी साजिश के तहत किये जाते हैं.
इन सब पर सनातन संस्था का नजरिया था कि ये सब हिन्दू धर्म को हानि पहुंचाने का काम कर रहे हैं और माराठी नाटक 'आमही पचपुते' में हिन्दू देवी-देवताओं की गलत छवि पेश की जा रही थी. अलग अलग एजेंसियां इन सभी वारदात की जांच करती हैं और इन सबमें सनातन संस्था के साधकों का नाम आता है. हालांकि संस्था बार बार अपने आपको इससे अलग रखती है.
धर्म की आड़ में चल रहे इस खूनी खेल पर से पर्दा हटाने और सच देश के सामने रखने के लिए इंडिया टुडे की स्पेशल इंवेस्टिगेटिव टीम करीब तीन महीने तक महाराष्ट्र, कर्नाटक और गोवा में सबूत जुटाने और इस खौफनाक आतंकी खेल की पोल खोलने में जुट जाती है. सनातन संस्था को 2008 में महाराष्ट्र में थिएटर्स और सिनेमाहालों के बाहर बम धमाकों के आरोप में महाराष्ट्र ATSने चार्जशीट में नामजद किया.
आरोप था कि सनातन संस्था ने कुछ फिल्मों और नाटकों में जिस तरह से हिन्दुत्व की छवि पेश की जा रही थी, उसे आपत्तिजनक मानते हुए कथित तौर पर ये धमाके किए. एटीएस की चार्जशीट के मुताबिक छह संदिग्धों ने जनवरी 2008 से जून 2008 के बीच बम हमलों के जरिए आतंक फैलाने की साजिश रची थी. इन संदिग्धों में रमेश हनुमंत गडकरी, मंगेश दिनकर निकम, विक्रम विनय भावे, संतोष सीताराम आंगरे, हरिभाऊ कृष्ण दिवेकर और हेंमत तुकाराम चालके को नामजद किया गया.
सात साल पहले मंगेश दिनकर निकम को ट्रायल कोर्ट ने ठाणे, पनवेल, और वाशी में 2008 में हुए बम धमाकों से जुड़े केस में बरी कर दिया था, लेकिन निकम ने इंडिया टुडे की खुफिया टीम के कैमरे पर कबूल किया है कि उसने वाशी थिएटर में विस्फोटक प्लांट किए थे. इतना ही नहीं उसने ये भी माना कि ये सब धर्म की हानि का बदला लेने के लिए किया था. निकम ने ये भी कबूल किया कि हमले के प्लान पर अमल महाराष्ट्र के पनवेल में संस्था के दफ्तर पर हुआ था.
58 वर्षीय हरिभाऊ कृष्णा दिवेकर भी सनातन संस्था का अनुयाई है जिसने कबूल किया कि 2008 के बम धमाकों में उसकी ज्यादा बड़ी भूमिका थी जिसके लिए अभियोजन उसे दोषी ठहराने में नाकाम रहा. रायगढ़ में अपने घर में इंडिया टुडे SIT के कवर रिपोर्टर के सामने दिवेकर ने माना कि उसने अपने पास विस्फोटक रखे हुए थे. जिसकी बरामदी के बावजूद ATS ने अपनी चार्जशीट में उसे दर्ज ही नहीं किया.
सनातन संस्था, गोवा में होने वाले नरकासुर फेस्टिवल का भी विरोध करती थी, उसे ऐसा लगता था कि नरकासुर का पुतला बड़ा होता है और कृष्ण को एक छोटे बच्चे के तौर पर दिखाते हैं. संस्था लगातार कृष्ण के सामने नरकासुर के महिमागान का विरोध करती रही. इसी दौरान साल 2009 में दिवाली से एक रात पहले गोवा के मडगांव में नरकासुर के समारोह में बम फटता है. समारोह में उस समय के मुख्यमंत्री दिगंबर कामत भी मौजूद थे और हजारों की संख्या में बच्चे थे.
समारोह स्थल से मात्र 100 मीटर की दूरी पर बम को स्कूटर से निकालते समय बम फट जाता है, और जो दो लोग बम प्लांट करने आए थे उनकी मौत हो जाती है. दोनों सनातन संस्था के साधक, और धर्म प्रचारक निकलते हैं. उस समय वहां मौजूद मडगांव एसएचओ संतोष देसाई इंडिया टुडे के खुफिया कैमरे पर मानते हैं कि इस ब्लास्ट में सनातन संस्था का हाथ था. उन्होंने मौके से दो जिंदा बम, इत्र, मुस्लिम टोपी और उर्दू में लिखा एक पर्चा भी बरामद किया. मतलब ये ब्लास्ट करके इसके लिए किसी और समुदाय को दोषी ठहरा कर सांप्रदायिक माहौल बिगाड़ने की कोशिश की जा रही थी. संतोष देसाई ने ये भी माना कि नरकासुर के समारोह में वास्को समेत एक जगह बम प्लांट किये गए थे जो नाकाम रहे.
जांच एनआईए ने अपने हाथ में ली और मालगोंडा पाटिल और योगेश नाइक जिसकी बम प्लांट करते समय मौत हो गई, उनके अलावा 4 और लोगों को सनातन के साधक के तौर पर नामजद किया. पांच लोगों को एनआईए ने फरार दिखाया. लेकिन अदालत से ये सब लोग बरी हो गए. कर्नाटक एसआईटी गौरी लंकेश के मामले में जब अमित देगवेकर को पकड़ती है तो वो मालगोंडा पाटिल का रूममेट निकलता है. ये दोनों सनातन संस्था के गोवा के फोंडा में स्थित मुख्यालय में रहते थे. इंडिया tटुडे की खुफिया टीम के कैमरे पर एसएचओ सीएल पाटिल नें खुलासा किया कि ये दोनों सनातन संस्था में उसी रूम में रहते थे जिसके साथ वाले कमरे में सनातन संस्था के फांउडर और मुखिया जयंत बालाजी अठावले रहते थे.
इंडिया टुडे के पास अमित अठावले के वोटर आईडी कार्ड की कॉपी और बैंक के दस्तावेज भी मिले जिस पर घर के पते के तौर पर सनातन संस्था के मुख्यालय का पता लिखा हुआ है. जो उस समय उस फोंडा पुलिस थाने के एसएचओ थे, जहां सनातन संस्था का मुख्यालय है. सीएल पाटिल उस समय फोंडा के एसएचओ थे और सनातन की आंतकी गतिविधियों को भांप गए थे इसलिए गोवा ब्लास्ट के बाद साल 2010 में उन्होंने सनातन संस्था को बैन करने की फाइल आलाअधिकारियों को भेज दी. लेकिन पाटिल के मुताबिक गोवा के एक पावरफुल राजनेता जो कांग्रेस और बीजेपी की सरकार में लगातार 15 साल से मंत्री पद पर तैनात हैं उसकी वजह से संस्था के बुरे कर्म छिपाते रहे.
मंत्री की पत्नी, मंत्री का भाई और उसकी पत्नी भी संस्था से जुड़े हुए हैं. यानी कि राजनीतिक दबाव कि वजह से सनातन के खिलाफ एक्शन लेने से पुलिस घबराती रही, और संस्था को बैन करने की फाइल दबा दी गई. एसएचओ सीएल पाटिल का दावा है कि उस समय अगर संस्था के खिलाफ निष्पक्ष जांच हो गई होती, तो गौरी लंकेश, एम एम कलबुर्गी, गोविंद पंसारे और नरेंद्र दाभोलकर की हत्या नहीं होती, क्योंकि ब्लास्ट में फरार लोगों के नाम आज इन हत्याकांड से जुड़ रहे हैं.
इंडिया टुडे की एसआईटी जब अंडर कवर होके साधक बनने के लिए संस्था के मुख्यालय पहुंची तो तीन मंजिला इमारत के चप्पे चप्पे पर सीसीटीवी कैमरे और वॉइस रिकार्डर लगा हुआ था. संस्था के मुख्यालय में 100 से ज्यादा कमरे है जहां साधक रहते हैं और बाहरी दुनिया से बिल्कुल कटे हुए हैं, न उनके पास मोबाइल फोन है और न ही टीवी. करीब 1 घंटा संस्था के गेट पर हमें खड़ा रखा गया. सीसीटीवी कैमरे से हम पर नजर रखी गई, गेट पर खड़े साधक के पास मोबाइल फोन था, वो हमारे बार-बार आग्रह करने पर अंदर किसी से बात कर रहा था.
लोकल पुलिस और एंजेंसियों से हमें ये जानकारी मिल गई थी कि इस संस्था के अंदर घुसना पुलिस के बूते की भी बात नहीं है. इसके बाद हमे अंदर रिसेप्शन तक ले जाने के लिए दो साधक आए. रिसेप्शन के गेट पर लोहे का एक बहुत बड़ा दरवाजा और बड़ा अलार्म लगा हुआ था, अंदर कृष्ण की सुदर्शन चक्र धारण किए एक ऐसी फोटो थी जिनकी आंखों में एक अलग सम्मोहन था. जयंत अठावले को आम लोगों से अलग बताते हुए भगवान साबित करने वाले लेख दिवारों पर लिखे हुए थे.
हमसे बात करने वाले साधक अंदर से मानों कांप रहे हों. एक अलग डर उनके चेहरे पर था, उन्होंने हमें बोला कि आप दिल्ली से हैं तो हमारे साधक दिल्ली में ही आपसे संपर्क करेंगे. हमे न तो आश्रम घुमाया गया और न ही वहां ज्यादा समय ठहरने दिया गया. धर्म संस्थान में इतनी सख्ती और प्रतिबंध हमें बार बार सोचने पर मजबूर कर रहा था. वहां जो लोग हमे दिखे वो मानों इस दुनिया से अलग हो गए हों, उनके दिमाग में धर्म धर्म इतना भर दिया गया हो, कि उसके अलावा उन्हें कुछ और नजर ही नहीं आ रहा हो. हिप्नो थेरपिस्ट जयंत अठावले पर लोगों को सम्मोहित करके ब्रेऩ वॉश करने का आरोप हमेशा से लगता रहा है. अब ऐसे में धर्म की आड़ में भ्रम का एक जाल हमें वहां महसूस हुआ. धर्म के खिलाफ युद्ध की बात हमें बताई गई. सनातन प्रभात अखबार की एक कॉपी भी हमें दी गई.
सनातन संस्था के मुख्याल से निकलने के बाद हम संस्था पर चल रहे मामलों की जांच कर रही एजेंसी के लोगों से मिले, सबके चेहरे पर एक खामोशी थी. सनातन के अखबार किताबों में कई आपत्तिजनक लेख के दस्तावेज हमने हासिल किए. जिसमें लिखा था इस धर्मयुद्ध में अगर तुम्हारी जान जाती है तो तुम्हे स्वर्ग मिलेगा और जीतते हो तो पृथ्वी पर राज्य मिलेगा
आइये नजर डालें क्या लिखा था उस अखबार में
-कोई भी पार्टी चुन कर आ जाए हमे हिन्दू राष्ट्र की स्थापना के लिए उन से युद्ध करना होगा. हिन्दू राष्ट्र की स्थापना के लिए हमें कभी न कभी क्रांतिकारी संघर्ष करना ही पड़ेगा, ये हिन्दू निष्ठावादी ध्यान रखें. हिन्दू राष्ट्र की स्थापना के विरोध में
- ज्यादा से ज्यादा राजकीय पार्टी होने के कारण सभी पार्टी हमारी दु्श्मन हैं उनसे हमे लड़ना होगा.
- पुलिस राजनेताओं के हाथ की कठपुतली है, सीबीआई बोलता तोता है. ऐसे में हिन्दू राष्ट्र के लिए पुलिस और सरकार की आहुति देनी होगी. पुलिस और मिलिट्री को हराए बगैर हिन्दू राष्ट्र की स्थापना नहीं हो सकती है.
- ईश्वरीय योजना के अनुसार हिन्दू राष्ट्र की स्थापना होना तय है. और उसके लिए प्रयत्न करना हमारा धर्म कर्तव्य है.
- हिन्दू राष्ट्र की स्थापना में जो सबसे बड़ी रुकावट है, वोट मांगने वाले राजनेताओं के द्वारा उकसाए गए अल्पसंख्यक लोग खासकर क्रिशचन और मुस्लिम.
- पृथ्वी पर आध्यात्मिक युद्ध संत और साधक लड़ेगे. जबकि धरती पर शारीरिक तौर पर युद्ध हमें लड़ना है. मतलब इस धर्म क्रांति के लिए आने वाले 4 साल में 4 लाख धर्म योद्धाओं की फौज तैयार करनी होगी.
- सिर्फ इतना ही नहीं हिंदू राष्ट्र के रास्ते में आने वाले लोगों को दुर्जन बताने बाले डॉ अठावले के विचार भी लगातार इन अख़बारों में सुर्खियों में होते हैं.
क्या हैं डॉ अठावले के विचार
डा. अठावले : एक मच्छर मारने पर ही आपकों जीतने जैसा लगता है तो एक दुर्जन को मारने पर कैसा लगेगा. (सनातन प्रभात- 27 जुलाई 2007)
डा. अठावले : हिन्दुओं , नक्सलवादी और दहशतवादी का अनुकरण करने में कोई बुराई नही है. (सनातन प्रभात 9 मार्च 2008)
डा. अठावले : धर्मक्रांति के लिए प्रदर्शन और राष्ट्र सम्पति को हानि के बजाय राजनैतिक पार्टियों के राष्ट्रद्रोही नेताओं और उनके समर्थको को नष्ट किया जाएगा.- (2 मार्च 2008)
बस गाड़ियों को नुकसान कर जनता की मुश्किले बढ़ाने के बजाए मगरूरपुलिस को नक्सलवादियों की तरह जवाब दो. (29 फरवरी 2008)
हिन्दू जनजागृति समीति की किताब हिन्दुराष्ट्र खंड-1 आगामी हिन्दू राष्ट्र में मुसलमानों से ही नहीं सभी पंथियों से वैसा ही व्यवहार किया जाएगा जैसा शिवराज्य में किया गया था.
क्षात्रधर्म साधना किताब - हिन्दुओं पर अत्याचार करने वाली पुलिस की लिस्ट बनाएं. तुम अपने कार्यालय में दुर्जनों की लिस्ट बना सकते हो, दुर्जनों का नाश करते समय उस लिस्ट का इस्तेमाल आप कर सकते हो.
आंतक की यहीं पाठशाला है जो लगातार साधकों का ब्रैन वॉस कर उन्हें हिंसक गतिविधियों से जोड़ रही है. और यहीं वजह थी कि बार बार बम ब्लास्ट, दंगे भड़काने और हत्य़ाओं में सनातन के साधको का नाम सामने आ रहा था.
इंडिया टुडे ने धर्म के नाम पर चल रहे इस खून खराबे के खेल की पोल खोल दी. खबर चली तो सनातन संस्था ने इंडिया टुडे पर दबाव बनाने और इस स्टिंग ऑपरेशन में लगे पत्रकारों पर दबाव बनाने के लिए उनमें से दो पत्रकारों की फोटों अपने अलग अलग बेव पोर्टल पर पब्लिश कर दी. उस पर लिखा हुआ था कि इन दोनों से सावधान रहें ये संदिग्ध आंतकवादी हो सकते हैं. हिन्दुओं के वेश में आए हुए ये पाकिस्तानी नागरिक अथवा आतंकवादी भी हो सकते हैं. ये हिन्दू लड़को को बहला-फुसलाकर आतंकवाद का प्रचार प्रसार करवाना चाहते हों. इनको देखते ही इनकी सूचना तुरंत पुलिस को दें.
इंडिया टुडे पर इस तरह के दबाव बनाने के बावजूद भी जब इंडिया टुडे, खबर दिखाता रहा तो सनातन संस्था की तरफ से ये आरोप लगाया गया कि ये दोनों पत्रकार 2 करोड़ रुपए की मांग कर रहे थे. अब सोचिए जो संस्था इस तरीके से खुलाआम झूठ बोल रही है वो किस तरह से धर्म और अध्यात्म की राह पर लोगों और साधकों को बढ़ा रही होगी.
आप सोचिए. आप पूजा करते होंगे और कहते होंगे कि भगवान हमारी रक्षा करो. लेकिन ये लोग आज खुद को इतना बड़ा मान चुके हैं कि ये भगवान की रक्षा करने और ईश्वरीय राज्य बनाने का दम भरते हैं. हिन्दू धर्म की बात करते हैं और हिन्दूओं के समारोह में ही बम फोड़ते है. धर्म के नाम पर लोगों को मारना, हिंसा करना और गलत तरीके से किसी खास समुदाय को टार्गेट कर दंगे भड़काना कितना सही है आप खुद फैसला करिए.
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इस लेख में लेखक ने अपने निजी विचार व्यक्त किए हैं. ये जरूरी नहीं कि आईचौक.इन या इंडिया टुडे ग्रुप उनसे सहमत हो. इस लेख से जुड़े सभी दावे या आपत्ति के लिए सिर्फ लेखक ही जिम्मेदार है.