दुनिया अब तक चीन के उइगर मुसलमानों (yghur Muslim in China) की हालत पर चिंता जता रही थी, लेकिन अब वह दिन दूर नहीं जब वैसी ही चर्चा पाकिस्तानी मुसलमानों के बाद शुरू हो जाए. खबर तो थी कि चीन मुसलामानों को सही दीन बताने के लिए कुरान और शरिया (China rewriting Quran) तक को फिर से लिख रहा है. लेकिन उसने अपना एजेंडा पाकिस्तान में भी चलाना शुरू कर दिया है. पाकस्तान में मौजूद चीनी फैक्टरियों में नमाज पढ़ने पर पाबंदी लगाई जा रही है. नमाज की ज्यादा जिद करने वालों को नौकरी से निकाला जा रहा है.
पाकिस्तान एक इस्लामिक मुल्क है (Pakistan Islamic country). भारत के विभाजन के बाद वह बना तो यही कहकर था कि पाकिस्तान में मुस्लिम धर्म से जुड़े कर्मकांडों को करने की पूरी आजादी होगी. अब तक हम ऐसा ही सोचते थे. पाकिस्तान के सन्दर्भ में हमारे लिए ये सोचना भी दूर की कौड़ी है कि जो मुल्क बना ही इस्लामी निजाम के सवाल पर था. वहां इस्लाम धर्म को कोई आंच आ सकती है. लेकिन ऐसा ही है. पाकिस्तान में इस्लाम खतरे में है. और मौलवियों ने इस पर शोर मचाना शुरू कर दिया है.
बात निश्चित तौर से अचरज में डालने वाली है मगर सच यही है. पाकिस्तान के प्रधानमंत्री इमरान खान से चीन में उइगर मुसलमानों के साथ हो रही ज्यादती पर सवाल पूछा जाता था, तो वे खूबसूरती से टाल जाते थे. वे इसे कभी चीन का अंदरुनी मामला बताते, तो कभी इस मुद्दे से ही पूरी तरह अंजान बन जाते. लेकिन चीन ने पाकिस्तान के भीतर जो काम शुरू किया है, उससे वे कभी मुंह नहीं मोड़ सकेंगे.
CPEC के बहाने पाकिस्तान में घुसपैठ करने वाला चीन अब धीरे-धीरे इस मुल्क में अपने पैर पसार...
दुनिया अब तक चीन के उइगर मुसलमानों (yghur Muslim in China) की हालत पर चिंता जता रही थी, लेकिन अब वह दिन दूर नहीं जब वैसी ही चर्चा पाकिस्तानी मुसलमानों के बाद शुरू हो जाए. खबर तो थी कि चीन मुसलामानों को सही दीन बताने के लिए कुरान और शरिया (China rewriting Quran) तक को फिर से लिख रहा है. लेकिन उसने अपना एजेंडा पाकिस्तान में भी चलाना शुरू कर दिया है. पाकस्तान में मौजूद चीनी फैक्टरियों में नमाज पढ़ने पर पाबंदी लगाई जा रही है. नमाज की ज्यादा जिद करने वालों को नौकरी से निकाला जा रहा है.
पाकिस्तान एक इस्लामिक मुल्क है (Pakistan Islamic country). भारत के विभाजन के बाद वह बना तो यही कहकर था कि पाकिस्तान में मुस्लिम धर्म से जुड़े कर्मकांडों को करने की पूरी आजादी होगी. अब तक हम ऐसा ही सोचते थे. पाकिस्तान के सन्दर्भ में हमारे लिए ये सोचना भी दूर की कौड़ी है कि जो मुल्क बना ही इस्लामी निजाम के सवाल पर था. वहां इस्लाम धर्म को कोई आंच आ सकती है. लेकिन ऐसा ही है. पाकिस्तान में इस्लाम खतरे में है. और मौलवियों ने इस पर शोर मचाना शुरू कर दिया है.
बात निश्चित तौर से अचरज में डालने वाली है मगर सच यही है. पाकिस्तान के प्रधानमंत्री इमरान खान से चीन में उइगर मुसलमानों के साथ हो रही ज्यादती पर सवाल पूछा जाता था, तो वे खूबसूरती से टाल जाते थे. वे इसे कभी चीन का अंदरुनी मामला बताते, तो कभी इस मुद्दे से ही पूरी तरह अंजान बन जाते. लेकिन चीन ने पाकिस्तान के भीतर जो काम शुरू किया है, उससे वे कभी मुंह नहीं मोड़ सकेंगे.
CPEC के बहाने पाकिस्तान में घुसपैठ करने वाला चीन अब धीरे-धीरे इस मुल्क में अपने पैर पसार रहा है. और अपने एजेंडे को भी लागू कर रहा है. आर्थिक रूप से कंगाल पाकिस्तान को चीन के अलावा किसी से मदद की उम्मीद नहीं है, इसलिए वह उसकी हर शर्तें मानता जा रहा है. लेकिन चीन ने पाकिस्तान में अब जो सिलसिला शुरू किया है, वह इस्लाम में दखल है. पाकिस्तान के युवाओं को रोजगार देने के नाम पर उसने वहां तमाम फैक्ट्रियां लगाई हैं. अब जब चीन पाकिस्तान के लोगों को रोजगार दे रहा है तो जाहिर सी बात है उसकी कुछ शर्तें भी होंगी. इन फैक्ट्रियों में नमाज के लिए छुट्टी नहीं दी जाती. नमाज की जिद करने वालों को उनकी नौकरी तक से निकाला गया है. एक मुस्लिम मुल्क में मुस्लिमों के साथ एक मददगार के रूप में चीन का ऐसा बर्ताव. विरोध का उठाना और आवाजों का बुलंद होना स्वाभाविक था. चीन के इस रवैये से खफा पाकिस्तान के लोग सड़कों पर है. मांग की जा रही है कि चीन पाकिस्तान के मुसलमाओं को नमाज पढ़ ने की इस्लामिक रीति रिवाज फॉलो करने की आजादी दे.
चीन की इस हरकत पर पाकिस्तान में बाकायदा कार्यक्रम आयोजित किये जा रहे हैं और इस समस्या के लिए बाकायदा मुल्लों, मौलानाओं और मुफ्तियों की मदद ली जा रही है.
इंटरनेट पर पाकिस्तान के मौलाना तारिक मसूद की क्लिपिंग वायरल होना शुरू हो गई है. यदि इस किल्पिंग का जिक्र किया जाए तो इसमें पाकिस्तान की इस ताज़ी समस्या को उठाया गया है और बताया गया है कि कैसे पाकिस्तान जैसे मुल्क तक में आम मुस्लिम चीन के हाथों ज्यादतियों का सामना कर रहे हैं. वायरल हुई इस क्लिपिंग में मुफ़्ती तारिक मसूद इस बात को कहते नजर आ रहे हैं कि इसके खिलाफ पाकिस्तान के लोगों को आवाज उठानी चाहिए इसका विरोध दर्ज करना चाहिए.
अपनी तक़रीर में मुफ़्ती तारिक इस बात को कह रहे हैं कि लोग चीन के अधिकारियों अ ये कहें कि फैक्ट्री के मालिकों को समझाएं और ये बात हायर मैनेजमेंट तक ले जाएं यदि चीन के लोग नहीं मानते हैं कि ये मुल्क उनका नहीं बल्कि पाकिस्तानियों का है जहां वो जो करेंगे अपनी मर्जी से करेंगे और किसी की मर्जी को अपने ऊपर नहीं थोपने देंगे.
पाकिस्तान और वहां की आवाम चीन के नियमों का कितना भी विरोध क्यों न कर ले मगर ये अपने आप में दिलचस्प है कि जैसा रवैया चीन ने मुसलमानों के प्रति अपने देश में रखा है उसका वैसा ही रुख पाकिस्तान में भी है. अपने नियमों के प्रति चीन उतना ही सख्त पाकिस्तान में है जितना सख्त में हमें उइगर मुस्लिमों के प्रति चीन में दिखता है. उसकी नीति में कोई लाघ लपेट नहीं है.
बाकी बात उइगरों के लिए हो तो कश्मीर पर बोलने बल्कि लगातार बोलने वाले इमरान का उइगर मामले में चुप्पी साध लेना या फिर पूछे जाने पर बस इतना भर कह देना कि उइगर बेहद संवेदनशील हैं और पाकिस्तान उनसे व्यक्तिगत बात करता है खुद ब खुद पाकिस्तान की नीयत और चाल चरित्र चेहरा हमें दर्शा देता है.
बहरहाल, अब जबकि पाकिस्तान ने चीन से दोस्ती की है और चीन का अपने को सुपर पावर मानते हुए शासन करने की नीयत से पाकिस्तान के धार्मिक कर्मकांडों पर हमला करना ये स्वयं स्पष्ट कर देता है कि वोदिन दूर नहीं है जब पाकिस्तान और वहां की आवाम चीन से दीन बचाने के लिए एक नए पाकिस्तान की मांग करेंगे और हम उन लम्हों को भी देखेंगे.
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