कुछ दिन पहले ही 10 सितंबर को पाकिस्तान ने कश्मीर के हाजीपुर सेक्टर में सीजफायर तोड़ा था. वैसे तो पाकिस्तान आए दिन ऐसा करता है, लेकिन 10-11 सितंबर को भारत की ओर से जो जवाबी कार्रवाई की गई थी, उसमें पाकिस्तानी सेना के दो जवान मारे गए. पाकिस्तानी सेना ने भारतीय सेना से अपील की थी कि उन्हें अपने सैनिकों के शव ले जाने कि इजाजत दी जाए. भारतीय सेना ने भी तुरंत इजाजत दे दी और फिर पाकिस्तानी सेना के जवान हाथों में सफेद झंडा लेकर आए और अपने दोनों ही सैनिकों के शव लेकर वापस चले गए. आपको बता दें कि सफेद झंडा आत्मसमर्पण और शांति का प्रतीक होता है. सफेद झंडा दिखाने का मतलब होता है कि उस दौरान कोई भी फायरिंग नहीं करेगा, यही युद्ध का नियम है.
पाकिस्तानी सेना की ओर से अपने जवानों के शव ले जाने से पाकिस्तान का वो दोहरा चरित्र दुनिया के सामने आ गया है, जिसे वह सबसे छुपाने की कोशिश तो करता है, लेकिन छुपा नहीं पाता. दरअसल, पाकिस्तान सेना के जिन जवानों के शव लेकर गया, वह पंजाबी मुस्लिम थे. इसकी बात इसलिए की जा रही है क्योंकि पाकिस्तानी सेना के उन जवानों के शव पाकिस्तान कभी वापस नहीं ले जाता जो पीओके या फिर पाकिस्तान के किसी और हिस्से के होते हैं. पहले देखिए पाकिस्तान द्वारा अपने जवानों के शव वापस ले जाने का वीडियो, फिर आपके सामने करते हैं एक खुलासा.
पीओके के पाकिस्तानी जवानों के शव लावारिस !
जहां एक ओर पाकिस्तान के पंजाबी मुस्लिम जवानों के शव ले जाने के लिए पाकिस्तानी सेना खुद भारत से अपील करते हुए सफेद झंडा लेकर आई, वहीं दूसरी ओर पीओके के जवानों के शव भारत द्वारा कहे जाने के बाद भी पाकिस्तान नहीं ले गया. इसे क्या कहें? ये भेदभाव ही तो है. हाजीपुर सेक्टर से तो अपने...
कुछ दिन पहले ही 10 सितंबर को पाकिस्तान ने कश्मीर के हाजीपुर सेक्टर में सीजफायर तोड़ा था. वैसे तो पाकिस्तान आए दिन ऐसा करता है, लेकिन 10-11 सितंबर को भारत की ओर से जो जवाबी कार्रवाई की गई थी, उसमें पाकिस्तानी सेना के दो जवान मारे गए. पाकिस्तानी सेना ने भारतीय सेना से अपील की थी कि उन्हें अपने सैनिकों के शव ले जाने कि इजाजत दी जाए. भारतीय सेना ने भी तुरंत इजाजत दे दी और फिर पाकिस्तानी सेना के जवान हाथों में सफेद झंडा लेकर आए और अपने दोनों ही सैनिकों के शव लेकर वापस चले गए. आपको बता दें कि सफेद झंडा आत्मसमर्पण और शांति का प्रतीक होता है. सफेद झंडा दिखाने का मतलब होता है कि उस दौरान कोई भी फायरिंग नहीं करेगा, यही युद्ध का नियम है.
पाकिस्तानी सेना की ओर से अपने जवानों के शव ले जाने से पाकिस्तान का वो दोहरा चरित्र दुनिया के सामने आ गया है, जिसे वह सबसे छुपाने की कोशिश तो करता है, लेकिन छुपा नहीं पाता. दरअसल, पाकिस्तान सेना के जिन जवानों के शव लेकर गया, वह पंजाबी मुस्लिम थे. इसकी बात इसलिए की जा रही है क्योंकि पाकिस्तानी सेना के उन जवानों के शव पाकिस्तान कभी वापस नहीं ले जाता जो पीओके या फिर पाकिस्तान के किसी और हिस्से के होते हैं. पहले देखिए पाकिस्तान द्वारा अपने जवानों के शव वापस ले जाने का वीडियो, फिर आपके सामने करते हैं एक खुलासा.
पीओके के पाकिस्तानी जवानों के शव लावारिस !
जहां एक ओर पाकिस्तान के पंजाबी मुस्लिम जवानों के शव ले जाने के लिए पाकिस्तानी सेना खुद भारत से अपील करते हुए सफेद झंडा लेकर आई, वहीं दूसरी ओर पीओके के जवानों के शव भारत द्वारा कहे जाने के बाद भी पाकिस्तान नहीं ले गया. इसे क्या कहें? ये भेदभाव ही तो है. हाजीपुर सेक्टर से तो अपने सैनिकों के शव सेना ले गई, लेकिन 30-31 जुलाई को केरल सेक्टर में हुई कार्रवाई में मारे गए पाकिस्तानी सेना के जवानों के शव लावारिस पड़े रहे.
दरअसल, 30-31 जुलाई को केरन सेक्टर में पाकिस्तान की बॉर्डर एक्शन टीम यानी BAT भारतीय सीमा में घुसपैठ की कोशिश कर रहे थे. नतीजा ये हुआ कि भारतीय सेना के जवानों ने उन्हें मार गिराया. इस कार्रवाई में करीब 5-7 सैनिक मारे गए थे, लेकिन पाकिस्तानी सेना उनके शव लेने नहीं आई. यहां तक की जब भारत ने अपील की तो उसे भी पाकिस्तान ने ठुकरा दिया.
यही है पाकिस्तान की फितरत
ये पहली बार नहीं है जब पाकिस्तान ने अपने ही जवानों को अपनाने से मना कर दिया हो. करगिल युद्ध के दौरान भी पीओके के मुस्लिम जवानों के शवों को पाकिस्तान ने वापस लेने से मना कर दिया था. वहीं दूसरी ओर भारतीय सेना है, जिसने पाकिस्तान द्वारा शवों को वापस लेने से मना करने पर खुद ही सबका अंतिम संस्कार किया. इसके लिए मौलवी की भो वहां बुलाया गया और उसके बाद पाकिस्तानी झंडे से ढके सेना के जवानों के शवों को दफनाया. बहुत से जवानों ने घुटनों पर बैठकर सम्मान भी दिया. यहां तक कि पाकिस्तान के झंडे को पूरे सम्मान के साथ तह लगाकर सेना के जवानों के बाकी सामान के साथ रखा.
भारत ने दुश्मन देश के जवान को भी पूरा सम्मान दिया, लेकिन पाकिस्तान ने अपने ही जवानों को अपनाने से इनकार कर दिया. पाकिस्तान की इसी फितरत की वजह से बलोचिस्तान, पीओके और पश्तून तक में पाकिस्तानी सेना के खिलाफ विरोध के स्वर बुलंद रहते हैं. वैसे भी, जो अपनों पर ही अत्याचार करे, वो अपना किस बात का. ऐसे अपने से तो पराए अच्छे. पाकिस्तानी सेना की ये हरकत पाकिस्तान के इरादे साफ करती है. वैसे भी, जो सिर्फ आतंकवाद को पनाह देने, घुसपैठ करने और लोगों को भड़काने से मतलब रखता है, वह क्या जाने सैनिक किसी देश के लिए क्या होते हैं.
पंजाब प्रांत VS बाकी पाकिस्तान
ये तो सभी जानते हैं कि पाकिस्तान की राजनीति पर पंजाब प्रांत का ही दबदबा है. यूं लगता है मानो पाकिस्तान का मतलब सिर्फ पंजाब प्रांत ही है. तभी तो राजनीति से लेकर सेना तक पंजाब प्रांत के कब्जे में है. बलोचिस्तान, पश्तून और सिंध प्रांत के लोगों को तो राजनीति में अपने पैर जमाने के लिए खासी मशक्कत करनी पड़ती है. यही वजह है कि समय-समय पर बाकी जगहों पर सरकार और सेना के खिलाफ आवाजें भी उठती हैं, लेकिन जिस पाकिस्तान ने पूरी दुनिया में आतंक फैलाया हुआ है, उसके लिए अपने ही देश के कुछ हिस्सों में रह रहे लोगों को चुप कराना कौन सी बड़ी बात है. पाकिस्तान की राजनीति में पंजाब प्रांत के लोगों का दबदबा कम ना हो, इसके लिए पहले की पाकिस्तानी सरकारों ने तमाम कोशिशें की हैं, भले ही वह सही हों, या गलत.
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