पाकिस्तान के पूर्व विदेश मंत्री शाह मेहमूद कुरैशी फिर से देश के विदेश मंत्री बन गए हैं. वे 2008 से 2011 के दौरान आसिफ अली ज़रदारी की पाकिस्तान पीपुल्स पार्टी में थे, अब इमरान खान की पीटीआई में हैं.
सोमवार को कुरैशी ने अपना पद संभालने के बाद जो प्रेस कॉन्फ्रेंस की, उसमें भारी गलती कर डाली. इसके बाद इस गलती को छुपाने के लिए एक और गलती पाकिस्तान सरकार की ओर से की गई.
हुआ यूं कि भारतीय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने इमरान खान को एक बधाई पत्र लिखा था. जिसमें उन्होंने पाकिस्तान से बेहतर रिश्ते की आशा की थी. लेकिन पाकिस्तान के विदेश मंत्री को पता नहीं क्या लगा, उन्होंने तुरंत क्लेम कर दिया की नरेंद्र मोदी ने इमरान खान को पत्र लिखकर पाकिस्तान के साथ बातचीत शुरू करने की इच्छा जताई है. कुरैशी इतना ही नहीं रुके, वे अपनी बात रखते हुए कश्मीर का मुद्दा दोहराते हुए पाकिस्तान के परमाणु शक्ति होने की धौंस भी दे गए.
कुरैशी ने मोदी के पत्र का जिक्र करते हुए उर्दू का शब्द इस्तेमाल किया- 'गुफ्तोशुनीद'. जिसका सीधा मतलब होता है 'बातचीत'. यानी वो कह रहे हैं कि प्रधानमंत्री ने बातचीत के रास्ते पर चलने का पैगाम दिया है.
जब भारत सरकार को पाकिस्तानी विदेश मंत्री के बयान का पता चला तो एतराज जताया गया कि प्रधानमंत्री मोदी ने अपने बधाई पत्र में किसी तरह का कोई प्रस्ताव नहीं दिया है. नतीजा ये हुआ कि कुछ घंटे बीतने पर ही पाकिस्तान सरकार का स्पष्टीकरण देना पड़ा कि मोदी साहब ने बातचीत के बारे में कोई बात नहीं की थी. ये तो उनका मत था जो उन्हें नरेंद्र मोदी की बातों से लगा. हालांकि, कुरैशी का वीडियो देखने से साफ पता चलता है कि वे आशय नहीं, बल्कि पत्र का कंटेंट पढ़ रहे हैं.
कुरैशी ने अपनी सुविधा से इस बात का जिक्र नहीं किया कि, प्रधानमंत्री नरेंद्र...
पाकिस्तान के पूर्व विदेश मंत्री शाह मेहमूद कुरैशी फिर से देश के विदेश मंत्री बन गए हैं. वे 2008 से 2011 के दौरान आसिफ अली ज़रदारी की पाकिस्तान पीपुल्स पार्टी में थे, अब इमरान खान की पीटीआई में हैं.
सोमवार को कुरैशी ने अपना पद संभालने के बाद जो प्रेस कॉन्फ्रेंस की, उसमें भारी गलती कर डाली. इसके बाद इस गलती को छुपाने के लिए एक और गलती पाकिस्तान सरकार की ओर से की गई.
हुआ यूं कि भारतीय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने इमरान खान को एक बधाई पत्र लिखा था. जिसमें उन्होंने पाकिस्तान से बेहतर रिश्ते की आशा की थी. लेकिन पाकिस्तान के विदेश मंत्री को पता नहीं क्या लगा, उन्होंने तुरंत क्लेम कर दिया की नरेंद्र मोदी ने इमरान खान को पत्र लिखकर पाकिस्तान के साथ बातचीत शुरू करने की इच्छा जताई है. कुरैशी इतना ही नहीं रुके, वे अपनी बात रखते हुए कश्मीर का मुद्दा दोहराते हुए पाकिस्तान के परमाणु शक्ति होने की धौंस भी दे गए.
कुरैशी ने मोदी के पत्र का जिक्र करते हुए उर्दू का शब्द इस्तेमाल किया- 'गुफ्तोशुनीद'. जिसका सीधा मतलब होता है 'बातचीत'. यानी वो कह रहे हैं कि प्रधानमंत्री ने बातचीत के रास्ते पर चलने का पैगाम दिया है.
जब भारत सरकार को पाकिस्तानी विदेश मंत्री के बयान का पता चला तो एतराज जताया गया कि प्रधानमंत्री मोदी ने अपने बधाई पत्र में किसी तरह का कोई प्रस्ताव नहीं दिया है. नतीजा ये हुआ कि कुछ घंटे बीतने पर ही पाकिस्तान सरकार का स्पष्टीकरण देना पड़ा कि मोदी साहब ने बातचीत के बारे में कोई बात नहीं की थी. ये तो उनका मत था जो उन्हें नरेंद्र मोदी की बातों से लगा. हालांकि, कुरैशी का वीडियो देखने से साफ पता चलता है कि वे आशय नहीं, बल्कि पत्र का कंटेंट पढ़ रहे हैं.
कुरैशी ने अपनी सुविधा से इस बात का जिक्र नहीं किया कि, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने पत्र में दक्षिण एशिया को आतंक मुक्त बनाने की बात भी लिखी है. अब सबको पता है कि दक्षिण एशिया अगर आतंकवाद से ग्रस्त है तो पाकिस्तान ही उसके पीछे है. पाकिस्तान को टेरर-हैवन ऐसे ही नहीं कहा जाता है.
शाह मेहमूद कुरैशी ने जो गलती की वो गलतियां पाकिस्तान की सेना और उसके राजनीतिज्ञों से भारत को लेकर होती ही रही हैं. फिर चाहे जंगों में हार को जीत में बदलना हो. भारत में आतंक को बढ़ावा देना हो. कश्मीर में अलगावाद को भड़काना और भारत पर गलत आरोप लगाना हो. उनके प्रधानमंत्री इमरान खान भी भारत को कश्मीर मुद्दे पर धौंस देते रहते हैं.
दरअसल इसी रवैये के कारण आजतक भारत और पाकिस्तान पड़ोस में होते हुए भी बहुत दूर हैं. आखिर विदेश मंत्री कुरैशी ये किसको बताना चाह रहे थे कि रिश्तों को सुधारने की पहल भारत ने की है. पाकिस्तानी सेना और जनरल बाजवा आपके झूठे बयान से खुश हो सकते हैं लेकिन भारत सरकार और यहां की जनता आपके इस रवैये की हकीकत को दशकों से जानते हैं.
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