पुलवामा हमले के बाद जब भारत ने पाकिस्तान में घुसकर आतंकी ठिकानों को तबाह किया, तो पाकिस्तान ने इस एक चैलेंज की तरह ले लिया. पाकिस्तान को लगा कि भारत ने सिर्फ अपनी ताकत दिखाने के लिए ये सब किया. अपनी गलती मानते हुए पाकिस्तानी जमीन पर पल रहे आतंकवाद को खत्म करने के बजाय पाकिस्तान उल्टा भारत पर हमला करने चला आया. दुर्भाग्य की बात ये रही कि हमले का जवाब देने में भारतीय वायुसेना का विमान हमले का शिकार हो गया और विंग कमांडर अभिनंदन वर्धमान पाकिस्तानी सेना की गिरफ्त में पहुंच गए.
भारत-पाकिस्तान के बीच तनाव के चलते दोनों देशों के मीडिया पर आपको कई तरह के लोग बातें करते हुए मिल जाएंगे. बातें तो यहां तक हो रही हैं कि अब पाकिस्तान के साथ कोई क्रिकेट मैच नहीं खेला जाए. पाकिस्तान शायद यह नहीं समझ पा रहा है कि उरी हमले के जवाब में 29 सितंबर 2016 को हुई सर्जिकल स्ट्राइक और पुलवामा हमले के बाद जैश-ए-मोहम्मद के आतंकी ठिकानों पर हुई एयर स्ट्राइक के बाद सब कुछ बदल गया है. और इन सबके लिए जिम्मेदार सिर्फ वो आतंकी नहीं जो पाकिस्तानी जमीन के जरिए आतंकवाद फैला रहे हैं, बल्कि वह पाकिस्तान सरकार की नीतियां भी जिम्मेदार हैं, जिसकी वजह से आतंकवाद उन्हीं की नाक के नीचे फल-फूल रहा है.
हमेशा से पाकिस्तानी जमीन पर फल-फूल रहा आतंकवाद
इस बार भारत ने पाकिस्तान के बालाकोट में स्थिति आतंकी लॉन्च पैड पर एयर स्ट्राइक की थी. ये लॉन्च पैड आतंकी ओसामा बिन लादेन के ऐबटाबाद वाले ठिकाने से अधिक दूर नहीं है. ये हमले पाकिस्तानी सेना को सबसे अधिक शर्मिंदा करना वाले थे. जब अमेरिका ने लादेन को मारने के लिए पाकिस्तान में घुसकर सर्जिकल स्ट्राइक की थी, उसके बाद ही पाकिस्तान को समझ जाना चाहिए था आतंक से...
पुलवामा हमले के बाद जब भारत ने पाकिस्तान में घुसकर आतंकी ठिकानों को तबाह किया, तो पाकिस्तान ने इस एक चैलेंज की तरह ले लिया. पाकिस्तान को लगा कि भारत ने सिर्फ अपनी ताकत दिखाने के लिए ये सब किया. अपनी गलती मानते हुए पाकिस्तानी जमीन पर पल रहे आतंकवाद को खत्म करने के बजाय पाकिस्तान उल्टा भारत पर हमला करने चला आया. दुर्भाग्य की बात ये रही कि हमले का जवाब देने में भारतीय वायुसेना का विमान हमले का शिकार हो गया और विंग कमांडर अभिनंदन वर्धमान पाकिस्तानी सेना की गिरफ्त में पहुंच गए.
भारत-पाकिस्तान के बीच तनाव के चलते दोनों देशों के मीडिया पर आपको कई तरह के लोग बातें करते हुए मिल जाएंगे. बातें तो यहां तक हो रही हैं कि अब पाकिस्तान के साथ कोई क्रिकेट मैच नहीं खेला जाए. पाकिस्तान शायद यह नहीं समझ पा रहा है कि उरी हमले के जवाब में 29 सितंबर 2016 को हुई सर्जिकल स्ट्राइक और पुलवामा हमले के बाद जैश-ए-मोहम्मद के आतंकी ठिकानों पर हुई एयर स्ट्राइक के बाद सब कुछ बदल गया है. और इन सबके लिए जिम्मेदार सिर्फ वो आतंकी नहीं जो पाकिस्तानी जमीन के जरिए आतंकवाद फैला रहे हैं, बल्कि वह पाकिस्तान सरकार की नीतियां भी जिम्मेदार हैं, जिसकी वजह से आतंकवाद उन्हीं की नाक के नीचे फल-फूल रहा है.
हमेशा से पाकिस्तानी जमीन पर फल-फूल रहा आतंकवाद
इस बार भारत ने पाकिस्तान के बालाकोट में स्थिति आतंकी लॉन्च पैड पर एयर स्ट्राइक की थी. ये लॉन्च पैड आतंकी ओसामा बिन लादेन के ऐबटाबाद वाले ठिकाने से अधिक दूर नहीं है. ये हमले पाकिस्तानी सेना को सबसे अधिक शर्मिंदा करना वाले थे. जब अमेरिका ने लादेन को मारने के लिए पाकिस्तान में घुसकर सर्जिकल स्ट्राइक की थी, उसके बाद ही पाकिस्तान को समझ जाना चाहिए था आतंक से कोई हल नहीं निकल सकता. बावजूद इसके पाकिस्तानी जमीन पर मसूद अजहर और हाफिज सईद जैसे आतंकी खुलेआम घूम रहे हैं और सैन्य बेस के आस-पास ही आतंकी अपना डेरा जमाए बैठे हैं.
मुमकिन है कि भारत की सुरक्षा और खुफिया एजेंसियों ने इस तरह की जवाबी कार्रवाई की योजना उरी हमले से भी पहले से ही बनानी शुरू कर दी हो. इसके अलावा कुछ और योजनाएं भी जरूर बनी होंगी. हालांकि, भारतीय एयर स्ट्राइक के बाद पाकिस्तान की तरफ से जम्मू-कश्मीर में एयरफोर्स का हमला सभी को हैरान करने वाला था. इस हमले ने साफ कर दिया कि पाकिस्तान ये मानने को तैयार नहीं है कि उसकी जमीन पर आतंकी फल-फूल रहे हैं, जबकि पुलवामा हमले की जिम्मेदारी खुद जैश-ए-मोहम्मद ने ली, जिसका ठिकाना मुख्यालय के बहावलपुर में एक सैन्य बेस से चंद किलोमीटर दूर है.
पुलवामा हमले के बाद यूरोपियन यूनियन और अमेरिका भी पाकिस्तान से कह चुका है कि वह आतंक का समर्थन करने वाले संगठनों के खिलाफ कार्रवाई करे. साथ ही ईयू ने ये भी कहा है कि वह संयुक्त राष्ट्र द्वारा प्रतिबंधित संगठनों पर भी कार्रवाई करे. पाकिस्तान का दोहरा चरित्र अब पूरी दुनिया के सामने है. भारत ने तो पाकिस्तान के खिलाफ एक अभियान भी छेड़ रखा है, जिसके तहत दुनिया को ये बताया जा रहा है कि पाकिस्तान अपनी नीति के तहत आतंकवाद का इस्तेमाल कर रहा है. पाकिस्तानी नीति कभी आतंकवाद को खत्म करने की रही ही नहीं, वह कश्मीर का मुद्दा आतंकवाद से हल करना चाहता है ना कि बातचीत से.
अंतरराष्ट्रीय दबाव के चलते हाल ही में पाकिस्तान ने कई संगठनों पर बैन लगाया है. लेकिन इस बैन से पाकिस्तान की साफ नीयत तो बिल्कुल नहीं झलकी है, क्योंकि जो लिस्ट पाकिस्तान ने जारी की है, उनमें 70 नाम हैं. इन पर बैन पिछले दो दशकों से लगता आ रहा है. ध्यान देने की बात ये है कि इन संगठनों के नाम धार्मिक रखे गए और आतंक फैलाया गया. यानी ये संगठन तो धर्म के लिहाज से भी दोषी हैं. बैन संगठनों की लंबी लिस्ट देखकर ये साफ होता है कि पाकिस्तान की नीति इनके खिलाफ कार्रवाई करने की रही ही नहीं. यूं लग रहा है मानो एक संगठन पर बैन लगाया गया तो उसे ही चलाने वालों ने दूसरा संगठन शुरू कर दिया और आतंकवाद को अपना समर्थन जारी रखा. ये रही लिस्ट-
अब सिर्फ सख्ती ही है विकल्प
दोनों देशों के बीच तनाव इतना अधिक बढ़ चुका है कि अब भारत के सामने सिर्फ सख्त कदम उठाने के ही विकल्प बचे हैं. भले ही पूरी दुनिया पाकिस्तान को अलग-थलग ना करे, लेकिन कम से कम अब भरत की ओर से पाकिस्तान के साथ अच्छे संबंध नहीं रखे जा सकते हैं. मोस्ट फेवर्ड नेशन का दर्जा वापस लेना और कई तरह की चीजों का आयात-निर्यात बंद करना तो बस शुरुआत भर है. अगर कश्मीर के लोगों को देखकर पाकिस्तान का दिल जलता है तो बलोच, पुस्तां और सिंधी इलाकों को देखकर हमें भी दुख होता है.
भारत-पाकिस्तान के बीच बढ़े तनाव के चलते पाकिस्तान पर अब अंतरराष्ट्रीय दबाव बढ़ा है, जिसकी वजह से पाकिस्तान ने बहुत सारे संगठनों पर बैन लगाया है. करीब 53 संगठनों पर आरोप है कि वह पाकिस्तान के पंजाब में आतंकियों की मदद कर रहे थे. अब इमरान खान और विदेश मंत्री महमूद कुरैशी चीख-चीख कर कह रहे हैं कि वह पाकिस्तान की धरती को आतंकवाद के लिए इस्तेमाल नहीं होने देंगे. वहीं दूसरी ओर मसूद अजहर और हाफिज सईद जैसे आतंकियों को पाकिस्तान सर-आंखों पर बिठाए हुए हैं. अब इसे दिखावा नहीं तो और क्या कहें. अगर नीतियां सही होतीं और समय रहते आतंकियों और आतंक का समर्थन करने वालों के खिलाफ कार्रवाई की होती तो आज न तो पुलवामा होता, ना ही 40 सीआरपीएफ के जवान शहीद होते, ना ही भारत पाकिस्तान के बीच हवाई हमलों के चलते स्थिति इतनी खराब होती.
ये भी पढ़ें-
मसूद अजहर - हाफिज सईद मिल भी जाएं तो क्या है?
बालाकोट सर्जिकल स्ट्राइक के चश्मदीदों से पाकिस्तान के झूठ बेनकाब
क्या फिर कभी फाइटर विमान उड़ा पाएंगे विंग कमांडर अभिनंदन? जवाब यहां है...
इस लेख में लेखक ने अपने निजी विचार व्यक्त किए हैं. ये जरूरी नहीं कि आईचौक.इन या इंडिया टुडे ग्रुप उनसे सहमत हो. इस लेख से जुड़े सभी दावे या आपत्ति के लिए सिर्फ लेखक ही जिम्मेदार है.