5 अगस्त को जम्मू-कश्मीर में अनुच्छेद 370 को हटाने से पहले एहतियातन पूरे राज्य में सुरक्षा की दृष्टि से कई कदम उठाए गए. जिसके तहत वहां इंटरनेट सेवा भी बंद कर दी गयी. ताकि इंटरनेट के माध्यम से कोई अफवाह नहीं फैल सके और अलगाववादी या आतंकवादी इसका फायदा नहीं उठा सकें. इस घटना के बाद पाकिस्तान में बवाल मच गया. पाकिस्तान के नेता और वहां की मीडिया भारत पर जम्मू-कश्मीर में मानवाधिकार के हनन का आरोप लगा रहे हैं. इस दौरान पाकिस्तान जिस चीज को सबसे बड़ा मुद्दा बना रहा है वो है राज्य में इंटरनेट सेवा का बंद होना. पाकिस्तान संयुक्त राष्ट्र समेत पूरी दुनिया में ये साबित करने की कोशिश कर रहा है कि भारत कश्मीर में संचार व्यवस्था को ठप कर वहां के लोगों की आवाज को दबा रहा है. कश्मीर में अभिव्यक्ति की आजादी को कुचला जा रहा है. वहां के लोगों पर तरह-तरह से अत्याचार किए जा रहे हैं. जबकि पाकिस्तान ये आरोप लगाने से पहले अगर खुद अपनी गिरेबां में झांक लेता तो शायद उसे एक बार शर्म तो जरूर आती. अब भले अपने किए के प्रति वो अपनी आंखें बंद कर ले पर हम उसे उसके कड़वी सच्चाई से रूबरू जरूर कराएंगे.
वो मौके जब पाकिस्तान में ठप कर दी गईं इंटरनेट सेवाएं
* 2017-18 में यूनेस्को की इंटरनेशनल फेडरेशन ऑफ जर्नलिस्ट्स की तरफ से जारी एक रिपोर्ट के मुताबिक इस एक साल के दौरान पाकिस्तान में जानबूझकर 12 बार इंटरनेट सेवा को बंद किया गया. और वो भी मामूली बात को लेकर. इनमें से वो तीन मौके जान लीजिए जब पाकिस्तान में इंटरनेट पर रोक लगाई गई. सबसे पहले 28 अक्टूबर 2018 को पाकिस्तान के खैबर पख्तूनख्वा में इंटरनेट को सिर्फ इसलिए शटडाउन कर दिया गया क्योंकि वहां बन्नू शहर में...
5 अगस्त को जम्मू-कश्मीर में अनुच्छेद 370 को हटाने से पहले एहतियातन पूरे राज्य में सुरक्षा की दृष्टि से कई कदम उठाए गए. जिसके तहत वहां इंटरनेट सेवा भी बंद कर दी गयी. ताकि इंटरनेट के माध्यम से कोई अफवाह नहीं फैल सके और अलगाववादी या आतंकवादी इसका फायदा नहीं उठा सकें. इस घटना के बाद पाकिस्तान में बवाल मच गया. पाकिस्तान के नेता और वहां की मीडिया भारत पर जम्मू-कश्मीर में मानवाधिकार के हनन का आरोप लगा रहे हैं. इस दौरान पाकिस्तान जिस चीज को सबसे बड़ा मुद्दा बना रहा है वो है राज्य में इंटरनेट सेवा का बंद होना. पाकिस्तान संयुक्त राष्ट्र समेत पूरी दुनिया में ये साबित करने की कोशिश कर रहा है कि भारत कश्मीर में संचार व्यवस्था को ठप कर वहां के लोगों की आवाज को दबा रहा है. कश्मीर में अभिव्यक्ति की आजादी को कुचला जा रहा है. वहां के लोगों पर तरह-तरह से अत्याचार किए जा रहे हैं. जबकि पाकिस्तान ये आरोप लगाने से पहले अगर खुद अपनी गिरेबां में झांक लेता तो शायद उसे एक बार शर्म तो जरूर आती. अब भले अपने किए के प्रति वो अपनी आंखें बंद कर ले पर हम उसे उसके कड़वी सच्चाई से रूबरू जरूर कराएंगे.
वो मौके जब पाकिस्तान में ठप कर दी गईं इंटरनेट सेवाएं
* 2017-18 में यूनेस्को की इंटरनेशनल फेडरेशन ऑफ जर्नलिस्ट्स की तरफ से जारी एक रिपोर्ट के मुताबिक इस एक साल के दौरान पाकिस्तान में जानबूझकर 12 बार इंटरनेट सेवा को बंद किया गया. और वो भी मामूली बात को लेकर. इनमें से वो तीन मौके जान लीजिए जब पाकिस्तान में इंटरनेट पर रोक लगाई गई. सबसे पहले 28 अक्टूबर 2018 को पाकिस्तान के खैबर पख्तूनख्वा में इंटरनेट को सिर्फ इसलिए शटडाउन कर दिया गया क्योंकि वहां बन्नू शहर में पश्तून लोग लॉन्ग मार्च निकाल रहे थे. ताकि मार्च में ज्यादा प्रदर्शनकारी शामिल नहीं हो सकें और उनका संदेश लोगों तक नहीं पहुंच सके.
दरअसल नॉर्थ वजीरिस्तान और खैबर पख्तूनख्वा में पाकिस्तान आर्मी ऑपरेशन जर्ब ए अज्ब के जरिए पश्तूनों पर अत्याचार कर रही है. वहां आतंकवाद का आरोप लगाकर हजारों युवकों को गायब कर दिया. बड़े पैमाने पर लोगों की हत्या की जा रही है. उनके महिलाओं बच्चों को भी नहीं बख्शा जा रहा है, जिसके खिलाफ वहां के लोग अक्सर शांतिपूर्ण पैदल मार्च निकालते हैं. लेकिन पाकिस्तान की सरकार और वहां की सेना को ये भी नागवार गुजरता है. जबकि कश्मीर में उसके द्वारा प्रायोजित आतंकी वारदात पर भी जब इंटरनेट पर रोक लगाई जाती है तो पाकिस्तान उसे लोगों की आवाज को कुचलना करार देता है.
* दूसरी घटना 30-31 अक्टूबर 2018 को हुई. जब शिया समुदाय के मुहर्रम के मौके पर धार्मिक जुलूस के दौरान पूरे पाकिस्तान में इंटरनेट सेवा बंद कर दी गयी. क्योंकि पाकिस्तान को जुलूस के दौरान किसी आतंकी घटना की आशंका थी. क्योंकि पाकिस्तान के तमाम शहरों में अक्सर शिया समुदाय को निशाना बनाकर आतंकी हमले किए जाते हैं. जिसमें सैकड़ों लोगों की जान जा चुकी है. दूसरी तरफ इसी तरह की आशंका के आधार पर जब कश्मीर में ये कदम उठाए जाते हैं तो वो इसे कश्मीरियों पर अत्याचार बताता है.
* तीसरी घटना पहली नवंबर 2018 को हुई. इस बार शटडाउन विरोध प्रदर्शन को शांत करने और लोगों को उनके साथ शामिल होने से रोकने के लिए किया गया. पाकिस्तान में ईशनिंदा के आरोपी ईसाई महिला आसिया बीबी को वहां के सुप्रीम कोर्ट ने रिहा कर दिया, जिसके विरोध में इस्लामाबाद, लाहौर, कराची समेत तमाम शहरों में लोग सड़कों पर उतर आए और उग्र प्रदर्शन करने लगे जिसके बाद वहां तमाम शहरों में इंटरनेट पर रोक लगा दी गयी. जबकि कश्मीर में भी अनुच्छेद 370 को लेकर बड़ा फैसला हुआ था, उसके बावजूद पाकिस्तान इंटरनेट को मुद्दा बनाकर कश्मीरियों पर अत्याचार का आरोप लगा रहा है. वहीं पाकिस्तान ने महज एक सप्ताह में तीन बार इंटरनेट शटडाउन के मामलों में शांति व्यवस्था बनाए रखने और लॉ एन ऑर्डर का हवाला दिया.
* इसके अलावे सेंटर ऑफ टेक्नोलॉजी इनोवेशन, ब्रुकिंग्स द्वारा प्रकाशित एक अध्ययन के मुताबिक 1 जुलाई, 2015 से 30 जून, 2016 के बीच पाकिस्तान में हुए छह इंटरनेट शटडाउन में देश की अर्थव्यवस्था को करीब 70 मिलियन डॉलर का नुकसान हुआ. और ये इंटरनेट शटडाउन किसी तकनीकी खराबी के कारण नहीं हुआ था, बल्कि वहां सुरक्षा के नाम पर जानबूझकर बंद किया गया था. वो भी किस तरह की सुरक्षा व्यवस्था के लिए जरा ये भी जान लीजिए. बात 23 मार्च 2015 की है, जब पाकिस्तान दिवस के दौरान इस्लामाबाद में परेड स्थल के 5 किलोमीटर के इर्द-गिर्द इंटरनेट सेवा रोक दी गयी, जिससे वहां एयरपोर्ट, अस्पताल, व्यवसाय समेत तमाम व्यवस्थाएं ठप हो गई थीं. जबकि भारत में इस तरह के समारोह के दौरान कभी भी इंटरनेट सेवा को ठप नहीं किया जाता है.
इसलिए बौखलाया हुआ है पाकिस्तान
कश्मीर में अनुच्छेद 370 को हटाने के बाद वहां हिंसक वारदात और उग्र प्रदर्शन होने की आशंका थी इसलिए एहतियातन इंटरनेट सेवा रोकी गयी. जबकि पाकिस्तान की बौखलाहट की वजह भी यही है. दरअसल घाटी में इंटरनेट सेवा बहाल नहीं होने के कारण उसका एजेंडा सफल नहीं हो पा रहा है. आतंकियों, अलगावादियों समेत वो अपने तमाम गुर्गों से संपर्क नहीं कर पा रहा है. और ना ही उसके द्वारा फैलाई जा रही अफवाह घाटी के लोगों तक पहुंच पा रही है. जबकि पाकिस्तान के राष्ट्रपति, प्रधानमंत्री, मंत्री और मीडिया समेत तमाम लोग सोशल मीडिया के जरिए फर्जी वीडियो और खबरें शेयर कर घाटी में माहौल खराब करने की पूरी कोशिश कर रहे हैं. इसी तरह के फर्जी खबर के कारण पाकिस्तान के राष्ट्रपति आरिफ़ अल्वी को ट्विटर ने नोटिस तक जारी किया. जबकि भारत से नफरत में अंधे पूर्व उच्चायुक्त ने तो फर्जीवाड़े की सारी हदें पार करते हुए पोर्न स्टार तक की तस्वीर को पीड़ित कश्मीरी युवक की तस्वीर बताकर शेयर कर दी. इससे साफ समझा जा सकता है कि जिस देश के प्रथम नागरिक से लेकर अंतिम पायदान के लोग तक दिन रात एक खास मिशन और अभियान में जुटे हों वहां अगर कुछ ठोस एहतियाती कदम नहीं उठाए जाते तो माहौल बिगड़ने की पूरी संभावना बन सकती थी. इसीलिए पाकिस्तान बार-बार इंटरनेट को मुद्दा बनाकर एक तरह से भारत को ये चुनौती दे रहा है कि आप इंटरनेट से बैन हटाकर देखिए फिर ये देखिए कि हम क्या करते हैं. लेकिन पाकिस्तान का कोई भी मंशा इस बार सफल नहीं होने वाला है.
सफल नहीं हो रही पाकिस्तान की कोई भी मंशा
दरअसल पाकिस्तान की मंशा थी कि घाटी में कुछ हिंसक वारदातें करवाकर वो दुनिया को ये बताना चाहता था कि अनुच्छेद 370 पर भारत के फैसले के बाद वहां परिस्थितियां नियंत्रण से बाहर है. इसलिए विश्व समुदाय को वहां हस्तक्षेप करना चाहिए. लेकिन हो ठीक उल्टा रहा है. कश्मीर में परिस्थिति पूरी तरह नियंत्रण में है. और भारत विश्व समुदाय को ये बताने और दिखाने में सफल रहा है कि कश्मीर को लेकर पाकिस्तान जो प्रोपेगेंडा फैला रहा है वो बकवास है. वहां जो भी एहतियातन कदम उठाए गए हैं वो कश्मीर के लोगों की सुरक्षा व्यवस्था के लिए उठाए गए हैं. जो जल्द ही बहाल भी कर दी जाएगी. और कुछ मुश्किलों के बाद वहां जो अमन और शांति का जो बयार बहेगा उसे पाकिस्तान समेत पूरी दुनिया देखेगी.
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