पाकिस्तान के लिए 1 मई की तारीख बहुत खास है. हो भी क्यों न पाकिस्तान को इस तारीख में अंतरराष्ट्रीय कवरेज मिल ही जाता है. वो अंग्रेजी कहावत है न 'Any publicity is good publicity' (किसी भी तरह की शोहरत अच्छी होती है.) वही हाल कुछ-कुछ पाकिस्तान का है. 1 मई को पाकिस्तानी आतंक दुनिया के सामने आया. 2011 में ये ओसामा बिन लादेन के रूप में सामने आया था जब एबटाबाद में ओसाबा बिन लादेन को अमेरिकी फोर्स ने मार गिराया था और अब 2019 में ये मसूद अजहर के रूप में सामने आया है जब एक पाकिस्तानी नागरिक को पूरी दुनिया के सामने आतंकी घोषित कर दिया गया है.
किसी भी देश के नागरिक का आतंकी घोषित होना बेहद शर्मिंदगी की बात है, लेकिन हमारा पड़ोसी कुछ अलग ही है. वहां तो मसूद अजहर का आतंकी घोषित होना राजनयिक जीत माना जा रहा है.
पाकिस्तान के कई मंत्रियों ने इस मौके पर ट्विटर के जरिए पाकिस्तानी आवाम को ये संदेश देने की कोशिश की कि असल में यूएन में पाकिस्तानी राजनयिकों की जीत हुई है और उस मंच पर वो भारत को कश्मीर के मामले में घेरने में कामियाब रहे हैं.
ये पाकिस्तान के विज्ञान और तकनीकी विकास मंत्री हैं जिनका कहना है कि बालाकोट के बाद भारत की इज्जत अंतरराष्ट्रीय स्तर पर गिर गई है. ये स्टेटमेंट ही मसूद अजहर के ग्लोबल आतंकी घोषित होने के बाद कहा गया है.
अब एक सवाल जो पाकिस्तानी राजनयिकों से पूछना चाहिए वो ये कि, 'क्या किसी देश के नागरिक का खूंखार आतंकी घोषित होना उस देश की जीत है?'. अगर ऐसा कुछ किसी और देश के साथ हुआ होता तो शायद वहां दुख मनाया जाता, लेकिन अभी भी पाकिस्तान में खुशियां मनाई जा रही हैं कि कम से कम यूएन में कश्मीर की बात तो हुई. मतलब खुद भले ही किसी भी हालत में हों, खुद के देश में कितनी भी अशांति हो, लेकिन अंतरराष्ट्रीय मंच पर बात सिर्फ कश्मीर की ही उठाई जाएगी.
ये पाकिस्तान की...
पाकिस्तान के लिए 1 मई की तारीख बहुत खास है. हो भी क्यों न पाकिस्तान को इस तारीख में अंतरराष्ट्रीय कवरेज मिल ही जाता है. वो अंग्रेजी कहावत है न 'Any publicity is good publicity' (किसी भी तरह की शोहरत अच्छी होती है.) वही हाल कुछ-कुछ पाकिस्तान का है. 1 मई को पाकिस्तानी आतंक दुनिया के सामने आया. 2011 में ये ओसामा बिन लादेन के रूप में सामने आया था जब एबटाबाद में ओसाबा बिन लादेन को अमेरिकी फोर्स ने मार गिराया था और अब 2019 में ये मसूद अजहर के रूप में सामने आया है जब एक पाकिस्तानी नागरिक को पूरी दुनिया के सामने आतंकी घोषित कर दिया गया है.
किसी भी देश के नागरिक का आतंकी घोषित होना बेहद शर्मिंदगी की बात है, लेकिन हमारा पड़ोसी कुछ अलग ही है. वहां तो मसूद अजहर का आतंकी घोषित होना राजनयिक जीत माना जा रहा है.
पाकिस्तान के कई मंत्रियों ने इस मौके पर ट्विटर के जरिए पाकिस्तानी आवाम को ये संदेश देने की कोशिश की कि असल में यूएन में पाकिस्तानी राजनयिकों की जीत हुई है और उस मंच पर वो भारत को कश्मीर के मामले में घेरने में कामियाब रहे हैं.
ये पाकिस्तान के विज्ञान और तकनीकी विकास मंत्री हैं जिनका कहना है कि बालाकोट के बाद भारत की इज्जत अंतरराष्ट्रीय स्तर पर गिर गई है. ये स्टेटमेंट ही मसूद अजहर के ग्लोबल आतंकी घोषित होने के बाद कहा गया है.
अब एक सवाल जो पाकिस्तानी राजनयिकों से पूछना चाहिए वो ये कि, 'क्या किसी देश के नागरिक का खूंखार आतंकी घोषित होना उस देश की जीत है?'. अगर ऐसा कुछ किसी और देश के साथ हुआ होता तो शायद वहां दुख मनाया जाता, लेकिन अभी भी पाकिस्तान में खुशियां मनाई जा रही हैं कि कम से कम यूएन में कश्मीर की बात तो हुई. मतलब खुद भले ही किसी भी हालत में हों, खुद के देश में कितनी भी अशांति हो, लेकिन अंतरराष्ट्रीय मंच पर बात सिर्फ कश्मीर की ही उठाई जाएगी.
ये पाकिस्तान की पुरानी आदत है, अपनी धरती से हो रहे आतंक को भूल जाते हैं और सिर्फ भारत को घेरने में लगे रहते हैं. कसाब, हाफिज सईद, मसूद अजहर, ओसामा बिन लादेन सभी के पाकिस्तानी कनेक्शन जगजाहिर हैं, लेकिन फिर भी पाकिस्तान को फक्र है कि कम से कम यूएन में कश्मीर की बात तो की गई.
भले ही पाकिस्तानी सरकार और डिप्लोमैट कुछ भी कहें, लेकिन पाकिस्तान में कुछ लोग इसके खिलाफ जरूर बोलने लगे हैं.
पाकिस्तान के सीनियर जर्नलिस्ट समी इब्राहिम ने मसूद अजहर के आतंकी घोषित होने को लेकर एक टीवी शो में कहा कि ये पाकिस्तानी सरकार द्वारा सरेंडर ही था और पाकिस्तान की जनता साथ रहेगी, लेकिन इस तरह का लॉलीपॉप न दें, खुद मानें कि क्या हुआ है, आगे की पॉलिसी बताएं.
ये हाल है पाकिस्तान का. जहां भले ही कितने भी ढोल पीटे जा रहे हों, लेकिन असलियत तो वही है कि पाकिस्तानी राजनयिकों और इतने समय से चल रही चीन की कोशिशों की हार हुई है.
एक दो नहीं पूरे 71 संगठन बैन हैं पाकिस्तान में-
पाकिस्तानी राजनयिक भले ही कुछ भी कहें, लेकिन पाकिस्तान में एक के बाद एक बैन होने वाले संगठनों और आतंकियों की लिस्ट बढ़ती ही चली जा रही है. आज 2 मई की खबर है द डॉन की जहां ये बताया गया है कि PAK Turk संगठन को बैन कर दिया गया है. ये पढ़ाई के लिए बनाया गया संगठन था. अब पाकिस्तान में बैन हुए संगठनों की संख्या 71 हो गई है. जब से रिटायर्ड ब्रिगेडियर एजाज अहमद शाह के गृहमंत्री बनने के बाद से ही ये पांचवा संगठन है जिसे बैन किया गया है.
ये संगठन मौजूदा समय में पाकिस्तान में बैन हैं और ये खुद पाकिस्तानी ही मानते हैं कि इनकी वजह से देश और दुनिया में अशांति फैलती है. अब ये सोचने वाली बात है कि जिस देश में इतने आतंकी संगठन हो वो अंतराष्ट्रीय मंच पर आखिर पड़ोसी देश की नीतियों पर सवाल कैसे उठा सकता है?
हाफिज़ सईद को पहले ही ग्लोबल आतंकी घोषित किया जा चुका है. मसूद अजहर को कई बार आतंकी हमलों से जोड़ा जा चुका है और अब तो ग्लोबल आतंकी भी बना दिया गया है फिर भी पाकिस्तान में ऐसे लोग खुले घूम रहे हैं तो आखिर पाकिस्तान किस बिनाह पर ये कह रहा है कि ये उसकी राजनयिक जीत है? समझ नहीं आता इसे हमारे पड़ोसी देश की नासमझी कहा जाए या फिर उसका धोखा, लेकिन इसे जीत तो नहीं कहा जाएगा.
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