'शहीद' बुरहान वानी.... ये सुनकर शायद बहुत से लोगों को अजीब लगे. हिजबुल मजाहिद्दीन का कमांडर जो आतंकी था उसे इस तरह की उपाधि देना बेहद बचकाना लगता है. लेकिन ये भी सच है कि पाकिस्तान के प्रोपगैंडा के बाद बुरहान वानी को वहां और कश्मीर में शहीद का दर्जा दे दिया गया था. पाकिस्तान किस तरह से आतंकियों का समर्थन कर कश्मीर में अशांति फैलाने का काम करता है ये जगजाहिर है. एक तरफ पाकिस्तान मसूद अजहर, हाफिज सईद जैसे आतंकियों को पनाह देता है और फिर अंतरराष्ट्रीय दबाव पड़ने पर उनके खिलाफ कार्यवाई का ढोंग करता है. लेकिन फिर जैसे ही मौका मिलता है वो बुरहान वानी जैसे आतंकी पर फिल्म बनाकर अपना असली चेहरा भी दिखा देता है.
पाकिस्तान की तहरीक-ए-इंसाफ पार्टी से जुड़े नेता और टीवी होस्ट आमिल लियाकत अब कश्मीरी आतंकी बुरहान वानी पर फिल्म बनाने जा रहे हैं. उनके हिसाब से 'स्वतंत्रता सैनानी' बुरहान वानी एक हीरो थे और उनकी कहानी बताना जरूरी है. बुहरान वानी की मौत पर पाकिस्तान की आज़ादी एक्सप्रेस ट्रेन पर पहले भी वानी के पोस्टर और स्वतंत्रता के किस्से छपवाए गए हैं. अब बाकायदा उस आतंकी पर फिल्म बनने जा रही है.
ये बायोपिक अयूब खोसो द्वारा डायरेक्ट की जा रही है. और इस फिल्म के बारे में डायरेक्टर साहब का कहना है कि ये बेहद साफ फिल्म होगी और इसमें सिर्फ कश्मीर से आधारित बातें ही की जाएंगी.
8 जुलाई 2016 को हिजबुल मुजाहिदीन के कमांडर बुरहान वानी को सेना के साथ हुई एक मुठभेड़ के दौरान मार गिराया गया था. बुरहान की मौत के बाद कश्मीर घाटी में हिंसक प्रदर्शनों की शुरूआत हो गई थी जो कि 4 महीनें से ज्यादा वक्त तक जारी रहे थे और इसमें करीब 94 लोगों की मौत हो गई थी. बुरहान को पाकिस्तान ने शहीद का दर्जा दिया था, जिस पर काफी विवाद हुआ था. भारत ने इस पर कड़ा एतराज भी जताया था. पर अब तो ऐसा लग रहा है कि पाकिस्तान आतंकियों का महिमा मंडन करने से भी बाज़ नहीं आ रहा है.
'कश्मीर के हीरो' के रूप में खुद को दिखाने वाले आमिर लियाकत शायद ये नहीं जानते कि बुरहान वानी असल में स्वतंत्रता संग्राम नहीं बल्कि आतंक का चेहरा था. हालांकि, जिस तरह से पाकिस्तान में बुरहान वानी को लेकर फिल्म बनाने की शुरुआत हुई है खुद कश्मीरी और पाकिस्तानी ही इससे खफा है.
क्यों बुरहान वानी बायोपिक से नाराज़ हैं कश्मीरी और पाकिस्तानी?
देखिए इस बात को बार-बार कहने से कोई फायदा नहीं कि पाकिस्तानियों और कश्मीरियों को बुरहान वानी को स्वतंत्रता सैनानी नहीं मानना चाहिए. पाकिस्तान की करतूत जिसने कश्मीर को सालों से अशांत कर रखा है वो इस बात को नहीं मानेगा, लेकिन बुरहान वानी को 'शहीद' बताने वाले पाकिस्तान में ही एक तरह से बुरहान वानी का मजाक उड़ाया जा रहा है. सबसे पहले तो ये फिल्म 3D एनिमेशन में बनाई जाएगी या फिर ये आम एक्टिंग वाली फिल्म होगी इसके बारे में ही ठीक से जानकारी नहीं है. यूट्यूब का ट्रेलर और इंटरनेट पर मौजूद जानकारी कहती है कि ये 3D एनिमेशन फिल्म होगी और दूसरी ओर एक नेता दावा कर रहा है कि वो खुद बुरहान वानी का किरदार निभाएगा.
बुरहान का एनकाउंटर जब किया गया था तब वो 20-22 साल का था और उसका रोल करने वाला एक्टर कम नेता 47 साल का है. इतना ही नहीं कश्मीर और पाकिस्तान के कई लोगों को लगता है कि बुरहान वानी पर फिल्म बनाने वाले लोग उसका मजाक ही उड़ा रहे हैं.
कश्मीर की राय में पाकिस्तानी बुरहान वानी का मजाक ही उड़ा रहे हैं.
बुरहान वानी की मौत को लेकर कश्मीरियों की और पाकिस्तानियों की राय भले ही एक जैसी हो या न हो, लेकिन बुरहान वानी की बायोपिक को लेकर एक ही राय है कि ये फिल्म नहीं बननी चाहिए.
जो लोग बुरहान वानी के आतंकी संगठन से जुड़े होने की बात स्वीकारते भी हैं उन्हें भी लगता है कि ये फिल्म उस आतंकी की भी बेइज्जती कर रही है. अब ये तो पता नहीं कि फिल्म कैसी बनेगी, लेकिन जिस तरह का रिएक्शन दिख रहा है उससे तो लगता है कि फिल्म में शहीदी कम और कॉमेडी ज्यादा होगी.
जिस इंसान ने बुरहान वानी बनने का सोचा है उसे खुद पाकिस्तानी एक कॉमेडियन की तरह देखते हैं. हालांकि, वो कॉमेडियन है नहीं, लेकिन फिर भी वहां के लोगों का जो रिएक्शन आया है उससे तो यही लग रहा है.
जिस आतंकी की वजह से कश्मीर में इतना कोहराम मचा, जिसे पाकिस्तान के झंडे में लपेटकर कश्मीर में दफनाया गया. जिसके भाई को भी ऐसे ही आतंकी एनकाउंटर में मारा गया था और जिसके पिता को कश्मीर के अलगाववादी नेताओं ने कश्मीर के आंदोलन का नया चेहरा बना दिया था, जिसका पिता अपनी बेटी को भी इसी रास्ते पर चलने की सलाह दे रहा था वो बुरहान वानी किसी भी हालत में शहीद नहीं कहलाया जाना चाहिए, लेकिन पाकिस्तान को कौन समझाए.
ये कहने वाले बहुत हैं कि कश्मीर में मुसलमानों पर अत्याचार होता है और इसलिए वो बंदूक उठा रहे हैं, पर शायद लोग ये भूल जाते हैं कि कश्मीर से ही हिंदुओं को भगाया गया था और उनपर बहुत अत्याचार हुआ था, लेकिन उनमें से कोई आतंकी बनकर एके-47 लिए नहीं घूम रहा.
बुरहान वानी जैसे लोगों की अगर बायोपिक बनेगी तो ये मामला और बिगड़ेगा ही. कश्मीर के आतंकियों को शहीद का दर्जा देने वाला पाकिस्तान अब हद से आगे बढ़ता जा रहा है. अगर इस तरह आतंकियों का महिमा मंडन किया जाएगा तो क्या ये कश्मीर के अन्य युवाओं को हथियार उठाने की सलाह नहीं देगा?
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