हमारे देश में एक कहावत कही जाती है कि जहां इज्जत न हो वहां नहीं जाना चाहिए. पाकिस्तान (Pakistan) को भी काश यह बात समझ आ जाती कि जो आपसे रिश्ता नहीं रखना चाहता है उसके साथ जबरन जुड़ने की कोशिश नहीं करनी चाहिए. मतलब बार-बार बेइज्जती करवाने से क्या आपका मन नहीं भरता जो बार-बार वही गलती दोहराते हो.
यह खबर सुनकर आपको यह भी लग सकता है कि इतने बड़े और खुद को शक्तिशाली कहने वाले देशों का ऐसा भी क्या घमंड जो किसी के द्वारा भेजे गए तोहफे का अपमान कर दिया. चलिए बताते हैं कि पूरा माजरा क्या है...
दरअसल, कोरोना महामारी की वजह से पूरी दुनिया इस वक्त परेशान है. वहीं पाकिस्तान ने फलों के राजा ‘आम’ को तोहफे के रूप में चीन, अमेरिका सहित 32 देशों में भेजे, लेकिन इमरान सरकार की यह ‘मैंगो डिप्लोमेसी’ किसी को रास नहीं आई. कई देशों ने पाकिस्तान के इस तोहफे को लौटा दिया तो कई ने इस तोहफे का कोई जवाब नहीं दिया.
जिसमें पाकिस्तान का करीबी माने जाने वाला देश चीन भी शामिल है. अब सोचिए तोहफा देने वाले को जब यह पता चला होगा तो कैसा महसूस हुआ होगा... हमारे देश में तो इसे घनघोर बेइज्जती मानी जाती है.
असल में यह पुरानी परंपरा है कि रिश्ते को सुधारना हो तो कोई तोहफा भेज दो, लेकिन पाकिस्तान को यह समझना चाहिए कि यह तरकीब गर्लफ्रैंड के मामले में काम आ सकती है वैश्विक स्तर पर नहीं.
जब तक आपकी नियत साफ नहीं होगी कोई देश आपसे रिश्ता कायम नहीं रखना चाहेगा. यहां आम आदमी को भी आपकी चाल समझ आती है वो तो अमेरिका और चीन जैसे देश हैं. हमारे देश में जब कोई किसी को तोहफा भेजता है तो बदले में उसे खाली हाथ नहीं लौटाया जाता है लेकिन यहां कई देशों ने तो...
हमारे देश में एक कहावत कही जाती है कि जहां इज्जत न हो वहां नहीं जाना चाहिए. पाकिस्तान (Pakistan) को भी काश यह बात समझ आ जाती कि जो आपसे रिश्ता नहीं रखना चाहता है उसके साथ जबरन जुड़ने की कोशिश नहीं करनी चाहिए. मतलब बार-बार बेइज्जती करवाने से क्या आपका मन नहीं भरता जो बार-बार वही गलती दोहराते हो.
यह खबर सुनकर आपको यह भी लग सकता है कि इतने बड़े और खुद को शक्तिशाली कहने वाले देशों का ऐसा भी क्या घमंड जो किसी के द्वारा भेजे गए तोहफे का अपमान कर दिया. चलिए बताते हैं कि पूरा माजरा क्या है...
दरअसल, कोरोना महामारी की वजह से पूरी दुनिया इस वक्त परेशान है. वहीं पाकिस्तान ने फलों के राजा ‘आम’ को तोहफे के रूप में चीन, अमेरिका सहित 32 देशों में भेजे, लेकिन इमरान सरकार की यह ‘मैंगो डिप्लोमेसी’ किसी को रास नहीं आई. कई देशों ने पाकिस्तान के इस तोहफे को लौटा दिया तो कई ने इस तोहफे का कोई जवाब नहीं दिया.
जिसमें पाकिस्तान का करीबी माने जाने वाला देश चीन भी शामिल है. अब सोचिए तोहफा देने वाले को जब यह पता चला होगा तो कैसा महसूस हुआ होगा... हमारे देश में तो इसे घनघोर बेइज्जती मानी जाती है.
असल में यह पुरानी परंपरा है कि रिश्ते को सुधारना हो तो कोई तोहफा भेज दो, लेकिन पाकिस्तान को यह समझना चाहिए कि यह तरकीब गर्लफ्रैंड के मामले में काम आ सकती है वैश्विक स्तर पर नहीं.
जब तक आपकी नियत साफ नहीं होगी कोई देश आपसे रिश्ता कायम नहीं रखना चाहेगा. यहां आम आदमी को भी आपकी चाल समझ आती है वो तो अमेरिका और चीन जैसे देश हैं. हमारे देश में जब कोई किसी को तोहफा भेजता है तो बदले में उसे खाली हाथ नहीं लौटाया जाता है लेकिन यहां कई देशों ने तो तोहफे का जवाब भी नहीं दिया.
तोहफा लौटाने वाला चीन अकेला देश नहीं है. इसके साथ ही अमेरिका, कनाडा, नेपाल, मिस्र और श्रीलंका ने भी पाकिस्तान की ओर से तोहफे में भेजे गए आमों को लेने से मना कर दिया है. हालांकि इसके पीछे की वजह कोरोना को रोकने के लिए लागू क्वारेंटाइन नियम को बताया जा रहा है. जिस पर किसी को विश्वास नहीं हो रहा है.
अब लोग यह जानना चाह रहे हैं कि आखिर चीन ने ऐसा क्यों किया है. क्या ऐसा करके देश, पाकिस्तान के प्रति अपनी नाराजगी जाहिर करना चाहते हैं? या फिर उनका पाकिस्तान का यह तोहफा पंसद ही नहीं आया. अब तोहफा लौटाने के पीछे कारण तो यही हो सकते हैं.
असल में पाकिस्तान इस बार दुनियाभर के देशों को तोहफे में ‘चौसा आम’ भेज रहा है. जबकि रिपोर्ट में यह दावा किया गया कि पाक द्वारा भेजे जाने वाले आमों की किस्मों में पहले ‘अनवर रत्तोल’ और ‘सिंधारी’ किस्में भी खेप का हिस्सा थीं. जिन्हें इस बार हटा दिया गया. वो भी ये आम पाकिस्तान के राष्ट्रपति डॉ. आरिफ अल्वी की ओर इन देशों के राष्ट्राध्यक्षों के लिए भेजे गए थे. जिनका जवाब पाकिस्तान को इनसल्ट के रूप में मिला है.
अब अगर यही घटना किसी मोहल्ले में हो जाए तो तोहफा भेजने वाला पड़ोसी दोबारा तोहफा लौटाने वाले की तरफ देखे भी ना. क्या दूसरे सामानों का आयात-निर्यात नहीं हो रहा है तो फिर आम से इतनी नाराजगी क्यों.
उपर से तोहफा भेजने वाला पड़ोसी 10 लोगों को और बताकर गाना गाने लगे, लेकिन यह पाकिस्तान है. सुना है, यहा देश दोबारा मुड़कर देखता जरूर है चाहे जंग हो या कोई मतलब. भइया बात चाहें कोई भी हो, लेकिन फलों का राजा आम जो है वह लोगों का पसंदीदा फल है, कम से कम चीन यही समझकर इज्जत रख लेता, लेकिन उसने जो किया पाकिस्तान के लिए एक सबक जरूर है.
अमेरिका का तोहफा लौटाना तो समझ आता है क्योंकि वह नहीं चाहता है कि चीन विश्व शक्ति बने. वह खुद को सबसे मजबूत समझता है. ऐसे में क्या पता अमेरिका को पाकिस्तान की कोई बात खराब लग गई हो, क्योंकि चमचागिरी में इंसान कई बार ऐसा कुछ बोल जाता है जिसपर बाद में पछताना पड़ता है, लेकिन दोस्त कहे जाने वाले चीन ने ऐसा क्यों किया.
असल में इसका एक कारण जी-7 समूह भी हो सकता है. चीन जी-7 समूह को अपने खिलाफ गुटबाजी समझ रहा है. इस मामले में चीन ने धमकी भरे अंदाज में कहा भी था कि वह दौर काफी पहले खत्म हो चुका है, जब कुछ देशों के 'छोटे समूह' दुनिया की तकदीर का फैसला करते थे. दोस्त का मतलब दोस्ती होता है पीठ मे छूरा नहीं.
चीन शायद पाकिस्तान को कोई संदश देना चाहता है. कहीं ना कहीं इन देशों को पाकिस्तान की रणनीति समझ आ गई होगी. अब जानबूझकर कोई देश अपना घाटा क्यों करना चाहेगा. पता नहीं इन 'आम' को देकर पाकिस्तान किस बात की उम्मीद लिए बैठा हो. वैसे भी तोहफा देते वक्त दिल साफ होना चाहिए. भले तोहफे की कीमत नहीं देखी जाती, लेकिन देने वाले की नियत जरूर देखी जाती है.
इस लेख में लेखक ने अपने निजी विचार व्यक्त किए हैं. ये जरूरी नहीं कि आईचौक.इन या इंडिया टुडे ग्रुप उनसे सहमत हो. इस लेख से जुड़े सभी दावे या आपत्ति के लिए सिर्फ लेखक ही जिम्मेदार है.