जब से इमरान खान पाकिस्तान के नए प्रधानमंत्री बने हैं, तब से वह कोई न कोई ऐसा कदम उठा रहे हैं, जिस पर उनकी आलोचना होती है. पहले तो वह हेलिकॉप्टर से घर जाने को लेकर विवादों में घिरे थे और अब पीएम हाउस की कारें और भैंसें बेचने पर उन्हें आड़े हाथों लिया जा रहा है. फिजूलखर्ची रोकने और सरकारी खजाने को बढ़ाने के मकसद से इमरान खान ने ये कदम उठाया है, लेकिन अगर गौर किया जाए तो यह सिर्फ उनका एक ढोंग भर है. ऐसा बिल्कुल नहीं लगता कि वह वाकई में पाकिस्तान को किसी कर्ज से उबारना चाहते हैं. अगर ऐसा होता तो कारें और भैंसें बेचकर चिल्लर नहीं जुटाते, बल्कि आतंकियों को पनाह देना बंद करते और विदेशी कंपनियों को पाकिस्तान में आकर बिजनेस करने और रोजगर पैदा करने का न्योता देते.
गले तक कर्ज में डूबा है पाकिस्तान
पाकिस्तान के ऊपर इस समय करीब 30 हजार अरब रुपए का कर्ज है. ये कर्ज पाकिस्तान की अर्थव्यवस्था का करीब 85 फीसदी है. इस कर्ज पर ही पाकिस्तान को रोजाना करीब 6 अरब रुपए का ब्याज देना पड़ता है. हालात इतने खराब हो गए हैं कि सरकार के पास दो महीने के आयात जितने ही पैसे बचे हैं. अमेरिका की तरफ से भी पाकिस्तान को 2100 करोड़ रुपए की मदद रोकी जा चुकी है. अमेरिका के विदेश मंत्री माइक पॉम्पियो ये कह भी चुके हैं कि अगर पाकिस्तान अमेरिका से कोई उम्मीद रखता है तो उसे आतंकवाद के खिलाफ कड़ी कार्रवाई करनी होगी. अब ये इमरान खान को तय करना है कि उन्हें हाफिज सईद जैसे आतंकियों को पनाह देकर कर्ज के दलदल में फंसे रहना है या अमेरिका जैसे सुपर पावर देश की मदद लेकर कर्ज से निपटना है.
नीलामी से 1 दिन का ब्याज भी नहीं चुकेगा
कर्ज को कम करने के मकसद से...
जब से इमरान खान पाकिस्तान के नए प्रधानमंत्री बने हैं, तब से वह कोई न कोई ऐसा कदम उठा रहे हैं, जिस पर उनकी आलोचना होती है. पहले तो वह हेलिकॉप्टर से घर जाने को लेकर विवादों में घिरे थे और अब पीएम हाउस की कारें और भैंसें बेचने पर उन्हें आड़े हाथों लिया जा रहा है. फिजूलखर्ची रोकने और सरकारी खजाने को बढ़ाने के मकसद से इमरान खान ने ये कदम उठाया है, लेकिन अगर गौर किया जाए तो यह सिर्फ उनका एक ढोंग भर है. ऐसा बिल्कुल नहीं लगता कि वह वाकई में पाकिस्तान को किसी कर्ज से उबारना चाहते हैं. अगर ऐसा होता तो कारें और भैंसें बेचकर चिल्लर नहीं जुटाते, बल्कि आतंकियों को पनाह देना बंद करते और विदेशी कंपनियों को पाकिस्तान में आकर बिजनेस करने और रोजगर पैदा करने का न्योता देते.
गले तक कर्ज में डूबा है पाकिस्तान
पाकिस्तान के ऊपर इस समय करीब 30 हजार अरब रुपए का कर्ज है. ये कर्ज पाकिस्तान की अर्थव्यवस्था का करीब 85 फीसदी है. इस कर्ज पर ही पाकिस्तान को रोजाना करीब 6 अरब रुपए का ब्याज देना पड़ता है. हालात इतने खराब हो गए हैं कि सरकार के पास दो महीने के आयात जितने ही पैसे बचे हैं. अमेरिका की तरफ से भी पाकिस्तान को 2100 करोड़ रुपए की मदद रोकी जा चुकी है. अमेरिका के विदेश मंत्री माइक पॉम्पियो ये कह भी चुके हैं कि अगर पाकिस्तान अमेरिका से कोई उम्मीद रखता है तो उसे आतंकवाद के खिलाफ कड़ी कार्रवाई करनी होगी. अब ये इमरान खान को तय करना है कि उन्हें हाफिज सईद जैसे आतंकियों को पनाह देकर कर्ज के दलदल में फंसे रहना है या अमेरिका जैसे सुपर पावर देश की मदद लेकर कर्ज से निपटना है.
नीलामी से 1 दिन का ब्याज भी नहीं चुकेगा
कर्ज को कम करने के मकसद से इमरान खान ने पीएम हाउस की लग्जरी कारों को नीलाम करने का फैसला किया. इसमें बीएमडब्ल्यू, मर्सिडीज, लैंड क्रूजर और एसयूवी समेत 102 कारें हैं. इन कारों में 8 बीएमडब्ल्यू, 28 मर्सिडीज, 40 टोयोटा कारें, 2 लैंड क्रूजर, 5 मित्सुबिशी और 2 जीप शामिल हैं. कई तो बुलेटप्रूफ भी हैं. पीएम हाउस की 8 भैंसों को भी नीलाम किया जा रहा है. इस नीलामी से करीब 2 अरब रुपए जमा होने की उम्मीद है. लेकिन जरा सोचिए, 2 अरब रुपए तो ऊंट के मुंह में जीरा जैसा होगा. इमरान खान के अनुसार पाकिस्तान के 30 हजार अरब के कर्ज पर रोजाना 6 अरब रुपए को तो ब्याज ही लगता है. हालांकि, आधिकारिक डेटा के अनुसार करीब 4.5 अरब रुपए का ब्याज दिया जाता है. यानी दोनों ही सूरतों में नीलामी से मिली रकम का इस्तेमाल कर के एक दिन का पूरा ब्याज भी नहीं चुकाया जा सकेगा.
हेलिकॉप्टर को लेकर भी हुआ था विवाद
पाकिस्तान का प्रधानमंत्री बनते ही इमरान खान ने फिजूलखर्ची रोकने के तमाम कदम उठाए. नेताओं की सरकारी निधि अपने मन से खर्च करने और प्रथम श्रेणी में यात्रा करने पर भी प्रतिबंध लगा दिया गया. उन्होंने पीएम आवास में भी रहने से मना कर दिया, जहां 524 स्टाफकर्मी और 80 वाहनों का बेड़ा था. वह अपने सैन्य सचिव के तीन कमरे वाले घर में अपने दो नौकरों के साथ रहते हैं. इन सबको देखते हुए उनकी खूब तारीफ तो हुई, लेकिन एक गलती ने उन्हें आलोचनाओं का भागी बना दिया. इमरान खान पीएम आवास से अपने घर की 15 किलोमीटर की दूर तय करने के लिए हेलिकॉप्टर का इस्तेमाल करने लगे. जब आलोचना हुई तो उनके सूचना मंत्री फवाद चौधरी ने कहा कि हेलिकॉप्टर से घर जाने में सिर्फ 55 रुपए प्रति किलोमीटर का खर्च आता है.
इससे पहले कि बहुत देर हो जाए और पाकिस्तान को कर्ज चुकाने के लिए अपना देश ही बेचना पड़े, पाकिस्तान को संभल जाना जरूरी है. इमरान खान को ये समझना होगा कि कारें और भैंसें बेचकर 30 हजार अरब का कर्ज नहीं चुकाया जा सकता है. इसके लिए पाकिस्तान में उद्योग लगाने होंगे और रोजगार के मौके पैदा करने होंगे. ऐसा माहौल बनाना होगा कि विदेशी कंपनियां देश में आकर अपने प्लांट लगाएं और रोजगार के मौके पैदा करें. तब जाकर पाकिस्तान कर्ज से मुक्ति के बारे में सोच सकता है. लेकिन ऐसा माहौल बनाना इमरान खान के लिए आसान नहीं है. सबसे पहले तो उन्हें पाकिस्तान से आतंकवाद को खत्म करना होगा और आतंकियों को पनाह देना बंद करना होगा. खैर, ये काम बेहद मुश्किल है. जिस देश में आतंकी हाफिज सईद की पार्टी चुनाव में खड़ी थी, वहां से हाफिज को निकालना आसान नहीं है. साथ ही, इमरान खान को सेना के इशारों पर काम करना बंद करना होगा, जो लगभग नामुमकिन सी बात है. तो सौ बात की एक बात ये है कि इमरान खान कितने कारें बेच दें, या भैंस बेच दें, लेकिन उनका ये ढोंग पाकिस्तान को कर्ज से मुक्ति नहीं दिला सकता है.
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