Pakistan PM Imran Khan अपने एक खास फैसले को लेकर चर्चा का केंद्र बने हुए हैं. ये फैसला है army chief कमर जावेद बाजवा को एक्सटेंशन देने का. वजह बताई गई है Kashmir को लेकर तनाव. दरअसल, उनकी चर्चा इसलिए हो रही है क्योंकि इसे इमरान खान का यू-टर्न कहा जा रहा है. यहां ध्यान देने वाली बात ये है कि यही इमरान खान कभी आर्मी चीफ को एक्सटेंशन देने के खिलाफ थे. जब परवेश मुशर्रफ ने जनरल अशफाक परवेज कयानी को एक्सटेंशन दिया था तो विरोध करने वालों में सबसे बुलंद आवाज इमरान खान की ही थी. उन्होंने साफ-साफ कहा था कि देश का निजाम तभी चलता है, जब चीजें कानून के मुताबिक हों. अब सोचने वाली बात ये है कि जब उस समय आर्मी चीफ को एक्सटेंशन देना कानून के मुताबिक नहीं था, तो अब कैसे हो गया? अब कैसे इमरान खान को यही सही लगने लगा? वैसे अगर जरा सा गौर करें तो पता चलता है कि अब तक अपने कार्यकाल में इमरान खान ने वो तमाम काम किए हैं, जिनके खिलाफ कभी वह मोर्चेबंदी किया करते थे.
पाक सेना के खिलाफ बोलने वाले इमरान, अब उसकी तारीफें कर रहे हैं !
इमरान खान के कुछ पुराने बयान अगर सुनें तो पता चलता है कि वह सेना के काम से खुश नहीं थे. वह अक्सर कहते थे कि सेना अपने लोगों पर बम मार रही है. वह कहते थे कि सेना ने मानवाधिकार का उल्लंघन किया है. हां, ये बात अलग है कि सेना पर हमला बोलने के बहाने उनका असली निशाना तो सत्ताधारी सरकार होती थी. अब जब सत्ता उनके खुद के हाथ में है तो वह सेना की तारीफों के पुल बांधते नहीं थकते हैं. जबकि तब भी यही सेना थी, अब भी वही सेना है. तब सेना जिनके खिलाफ लड़ती थी, आज भी उनके खिलाफ ही लड़ रही है. बस बदला सिर्फ इतना ही कि कल तक सत्ता को दूर से ताकने वाले इमरान खान अब उस पर विराजमान...
Pakistan PM Imran Khan अपने एक खास फैसले को लेकर चर्चा का केंद्र बने हुए हैं. ये फैसला है army chief कमर जावेद बाजवा को एक्सटेंशन देने का. वजह बताई गई है Kashmir को लेकर तनाव. दरअसल, उनकी चर्चा इसलिए हो रही है क्योंकि इसे इमरान खान का यू-टर्न कहा जा रहा है. यहां ध्यान देने वाली बात ये है कि यही इमरान खान कभी आर्मी चीफ को एक्सटेंशन देने के खिलाफ थे. जब परवेश मुशर्रफ ने जनरल अशफाक परवेज कयानी को एक्सटेंशन दिया था तो विरोध करने वालों में सबसे बुलंद आवाज इमरान खान की ही थी. उन्होंने साफ-साफ कहा था कि देश का निजाम तभी चलता है, जब चीजें कानून के मुताबिक हों. अब सोचने वाली बात ये है कि जब उस समय आर्मी चीफ को एक्सटेंशन देना कानून के मुताबिक नहीं था, तो अब कैसे हो गया? अब कैसे इमरान खान को यही सही लगने लगा? वैसे अगर जरा सा गौर करें तो पता चलता है कि अब तक अपने कार्यकाल में इमरान खान ने वो तमाम काम किए हैं, जिनके खिलाफ कभी वह मोर्चेबंदी किया करते थे.
पाक सेना के खिलाफ बोलने वाले इमरान, अब उसकी तारीफें कर रहे हैं !
इमरान खान के कुछ पुराने बयान अगर सुनें तो पता चलता है कि वह सेना के काम से खुश नहीं थे. वह अक्सर कहते थे कि सेना अपने लोगों पर बम मार रही है. वह कहते थे कि सेना ने मानवाधिकार का उल्लंघन किया है. हां, ये बात अलग है कि सेना पर हमला बोलने के बहाने उनका असली निशाना तो सत्ताधारी सरकार होती थी. अब जब सत्ता उनके खुद के हाथ में है तो वह सेना की तारीफों के पुल बांधते नहीं थकते हैं. जबकि तब भी यही सेना थी, अब भी वही सेना है. तब सेना जिनके खिलाफ लड़ती थी, आज भी उनके खिलाफ ही लड़ रही है. बस बदला सिर्फ इतना ही कि कल तक सत्ता को दूर से ताकने वाले इमरान खान अब उस पर विराजमान हैं. वीडियो देखिए, खुद ही समझ जाएंगे इमरान खान के यूटर्न.
हाथ नहीं फैलाऊंगा, भीख नहीं मांगूंगा
सत्ता के लिए इंसान क्या नहीं करता. इसे ही पाने के लिए इमरान खान ने 2014 में तरह-तरह के वादे और दावे किए. वह कहते थे- 'हम कभी सऊदी अरब के सामने पाकिस्तान फैलाते हैं. हम कभी किसी के सामने हाथ नहीं फैलाएंगे. हमें शर्म आती है कि दूसरे मुल्कों से भीख मांगें, आईएमएफ हमें बताता है कि बिजली की कीमतें बढ़ा दो. मैं चाहता हूं ऐसा मुल्क बने पाकिस्तान जो दूसरों की मदद करेगा, हम हिंदुस्तान को कर्जा देंगे. मुझे बहुत बुरा लगेगा कि मैं बाहर जाकर पैसे मांगूंगा, मुझे शर्म आएगी, ऐसे तो पूरे मुल्क की इज्जत चली जाएगी, क्योंकि हम हाथ फैलाकर पैसे मांगते हैं.'
कल तक जो इमरान खान किसी के भी सामने हाथ नहीं फैलाने की बात करते थे, भीख नहीं मांगने की बात करते थे, आज वह जहां-तहां पैसे मांगते फिर रहे हैं. यहां तक कि 2014 में वह आईएमएफ को कोसते थे और अब 2018 आते-आते वह आईएमएफ की शर्तों पर उससे पैसा लेने को तैयार हो गए. तब सत्ताधारी पार्टी आर्थिक मदद लेती थी तो वह भीख मांगना कहलाता था, मुल्क की इज्जत का सवाल हो जाता था, तो अब इमरान खान जो हर जगह से पैसे मांग रहे हैं, उसे भीख क्यों ना कहें? क्या अब मुल्क की इज्जत खराब नहीं हो रही है? या वो सारी बातें सिर्फ सत्ता के लोभ के लिए थीं?
सत्ता-विपक्ष के रिश्ते की सारे हदें पार कर दीं
करीब 5 साल पहले की इस्लामाबाद की वो तस्वीर तो सभी को याद होगी, जिसमें इस्लामाबाद में एंट्री की हर सड़क को बड़े-बड़े शिपिंग कंटेनर्स से बंद कर दिया गया था. ऐसा इसलिए किया था क्योंकि दो विपक्षी पार्टियां एक बड़े लेवल पर प्रदर्शन करने के लिए इस्लामाबाद का रुख कर रही थीं. विपक्ष की ओर से इमरान खान और ताहिर उल कादरी ने एक बड़ा आंदोलन करने की योजना बनाई थी. इसके लिए पाकिस्तान का स्वतंत्रता दिवस यानी 14 अगस्त को चुना गया था. वह प्रदर्शन के जरिए तत्कालीन पीएम नवाज शरीफ से दोबारा चुनाव की मांग करने आ रहे थे. रास्तों को कंटेनर से बंद किए जाने पर इमरान खान ने विरोध जताया था कि सत्ताधारी पार्टी विपक्ष को कुचल रही है. आज वही काम इमरान खान खुद कर रहे हैं, नवाज शरीफ जेल की सलाखों के पीछे हैं.
अभी कश्मीर से article 370 हटाए जाने के बाद इमरान खान ने नरेंद्र मोदी को तानाशाह की उपाधि दे डाली. संसद में वह पीएम मोदी की बात करते हुए बोले कि उन्हें विपक्ष को दीवार से लगा दिया है. इस पर विपक्षी पार्टी के शाहबाज शरीफ बोले कि मोदी ने तो दीवार से लगाया है, आपने तो विपक्ष को दीवार में चुनवा दिया है. उनका इशारा नवाज शरीफ को जेल में डलवा देने को लेकर ही था.
उइगर मुस्लिमों को तो जानते ही नहीं इमरान खान
चीन में उइगर मुस्लिमों की क्या हालत है, ये पूरी दुनिया जानती है. हर कोई देख रहा है कि वहां पर चीन कैसे तानाशाही रवैये से उइगर मुस्लिमों पर जुल्म कर रहा है. लेकिन अगर आप चीन के जिगरी यार पाकिस्तान से या फिर उसके पीएम इमरान खान से पूछें तो उन्हें पता ही नहीं है कि चीन में उइगर मुस्लिमों के साथ क्या हो रहा है? वो भी क्या करें, किसी टीवी पर उनके बारे में दिखाते नहीं, पेपरों में वहां की हालत बताते नहीं, बेचारे इमरान खान को पता कैसे चलेगा वहां क्या चल रहा है. वैसे भी, चीन के कर्ज तले दब चुका पाकिस्तान अगर उसके खिलाफ एक लफ्ज भी बोल गया, तो कंगाली के कगार पर खड़े पाकिस्तान के सिर से चीन का हाथ हट जाएगा और फिर भगवान जाने पाकिस्तान की क्या हालत होगी.
ये वही इमरान खान हैं, जिन्हें कश्मीरियों के आंसू दिख रहे हैं, जो बह भी नहीं रहे. इन्हें सारी कश्मीरी सेना के प्रताड़ित किए हुए दिखते हैं, जबकि कश्मीर के अधिकतर लोग सेना के साथ हैं. ये पाकिस्तान पूरी दुनिया में अपनी कॉम के लोगों के भले ही बातें करने का दावा करता है, लेकिन इन्हीं इमरान खान को चीन के उइगर मुस्लिम नहीं दिखते. इन्हें कश्मीर के मुस्लिम तो दिखते हैं, लेकिन बलोचिस्तान और पश्तो में जो कुछ हो रहा है वो नहीं दिखता. दरअसल, पाकिस्तान के प्रधानमंत्री इमरान खान सिर्फ खोखले वादे और फालतू के दावे करते हैं. अब बाजवा को एक्सटेंशन देने पर जो लोग सवाल उठा रहे थे, उन्हें बेशक जवाब मिल गया होगा कि ये ही इमरान खान की फितरत है. वह आज जिस काम को करने से चीख-चीख कर मना करेंगे, कल खुद वही करते नजर आएंगे.
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