पाकिस्तान मुल्क जो आतंकवाद की पनाहगाह है. जहां कट्टरपंथ का साया है. चाहे वो महंगाई हो या फिर बेरोजगारी पाकिस्तान में जनता विशेषकर युवा सरकार को पानी पी पीकर कोस रहे हैं. लेकिन प्रधानमंत्री इमरान खान को इन बातों से कोई मतलब नहीं है. काम के मुद्दे इमरान के एजेंडे में हैं ही नहीं. सवाल होगा कि जब इमरान को अपने मुल्क के बदतर हालात और विश्व पटल पर होती बदनामी की कोई फिक्र नहीं है तो फिर एक प्रधानमंत्री के रूप में उनकी प्राथमिकता क्या है? जवाब है भारत, भारत में कश्मीर, कश्मीर में मुसलमान और भारतीय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी. असल में तमाम बड़े छोटे मौकों पर अपने बड़बोलेपन के लिए अक्सर ही हंसी का पात्र बनने वाले पाकिस्तान के प्रधानमंत्री इमरान खान भारतीय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के साथ 'बहस' करना चाहते हैं.
इमरान की इस बेतुकी फरमाइश पर भाजपा कोई प्रतिक्रिया देती या कोई टिप्पणी करती. आश्चर्यजनक रूप से मोर्चा कांग्रेस और कांग्रेस में भी शशि थरूर और मनीष तिवारी ने मोर्चा संभाला है. पीएम मोदी से बहस को आतुर इमरान खान को जो जवाब थरूर ने दिया है अगर वो उसे समझें तो उन्हें महसूस होगा कि थरूर ने एक साथ कई मुद्दों पर करारा व्यंग्य किया है.
दरअसल हुआ कुछ यूं है कि पाकिस्तान के प्रधानमंत्री इमरान खान अपने रूस के दौरे पर हैं. दौरे से पहले ही इमरान ने एक रूसी टीवी चैनल को इंटरव्यू दिया है. इंटरव्यू में इमरान खान से तरह तरह के सवाल हुए हैं जहां एक सवाल का जवाब देते हुए उन्होंने कहा कि, 'नरेंद्र मोदी से टीवी पर डिबेट करना मुझे अच्छा लगेगा.'
पाकिस्तानी पीएम का ये सपना एक सपना ही रहता है या भविष्य में ये आकार ले सकता है? सवाल का जवाब वक़्त की गर्त में छिपा है....
पाकिस्तान मुल्क जो आतंकवाद की पनाहगाह है. जहां कट्टरपंथ का साया है. चाहे वो महंगाई हो या फिर बेरोजगारी पाकिस्तान में जनता विशेषकर युवा सरकार को पानी पी पीकर कोस रहे हैं. लेकिन प्रधानमंत्री इमरान खान को इन बातों से कोई मतलब नहीं है. काम के मुद्दे इमरान के एजेंडे में हैं ही नहीं. सवाल होगा कि जब इमरान को अपने मुल्क के बदतर हालात और विश्व पटल पर होती बदनामी की कोई फिक्र नहीं है तो फिर एक प्रधानमंत्री के रूप में उनकी प्राथमिकता क्या है? जवाब है भारत, भारत में कश्मीर, कश्मीर में मुसलमान और भारतीय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी. असल में तमाम बड़े छोटे मौकों पर अपने बड़बोलेपन के लिए अक्सर ही हंसी का पात्र बनने वाले पाकिस्तान के प्रधानमंत्री इमरान खान भारतीय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के साथ 'बहस' करना चाहते हैं.
इमरान की इस बेतुकी फरमाइश पर भाजपा कोई प्रतिक्रिया देती या कोई टिप्पणी करती. आश्चर्यजनक रूप से मोर्चा कांग्रेस और कांग्रेस में भी शशि थरूर और मनीष तिवारी ने मोर्चा संभाला है. पीएम मोदी से बहस को आतुर इमरान खान को जो जवाब थरूर ने दिया है अगर वो उसे समझें तो उन्हें महसूस होगा कि थरूर ने एक साथ कई मुद्दों पर करारा व्यंग्य किया है.
दरअसल हुआ कुछ यूं है कि पाकिस्तान के प्रधानमंत्री इमरान खान अपने रूस के दौरे पर हैं. दौरे से पहले ही इमरान ने एक रूसी टीवी चैनल को इंटरव्यू दिया है. इंटरव्यू में इमरान खान से तरह तरह के सवाल हुए हैं जहां एक सवाल का जवाब देते हुए उन्होंने कहा कि, 'नरेंद्र मोदी से टीवी पर डिबेट करना मुझे अच्छा लगेगा.'
पाकिस्तानी पीएम का ये सपना एक सपना ही रहता है या भविष्य में ये आकार ले सकता है? सवाल का जवाब वक़्त की गर्त में छिपा है. लेकिन इमरान के मन की इन बात पर जो बात कांग्रेस नेता शशि थरूर ने कही है वो अपने आप में काफी मजेदार है.
इमरान से चुटकी लेते हुए थरूर ने करारा व्यंग्य किया और कहा कि, बहस करना लड़ाई करने से ज्यादा अच्छा है लेकिन भारत के टीवी चैनलों पर तो इससे कोई नतीजा निकलता नहीं है। केवल विवाद बढ़ता है.
चूंकि पीएम मोदी से बहस मामले में कांग्रेस की तरफ से शशि थरूर ने इमरान खान को पहले ही धाराशाही कर दिया था ट्विटर पर अपनी बात रखने का मौका मनीष तिवारी को भी मिला. कांग्रेस पार्टी के वरिष्ठ नेताओं में शुमार मनीष तिवारी ने ट्वीट करते हुए लिखा कि, 'एक टीवी डिबेट के माध्यम से पाकिस्तान में पल रहे आतंकवाद से कैसे निपटा जा सकता है. आप गंभीर तो हैं?'
सिर्फ थरूर और मनीष तिवारी ने ही नहीं बल्कि कांग्रेस नेता अभिषेक मनु सिंघवी ने भी इस मुद्दे पर अपनी राय रखी है. अभिषेक मनु सिंघवी ने कहा, मेरे राजनीतिक मतभेद होते हुए भी मैं नहीं चाहता कि हमारे प्रधानमंत्री पाकिस्तान के प्रधानमंत्री से टीवी डिबेट करें. इससे आतंकवाद का व्यापार करने वाले पाकिस्तान को नैतिक धरातल मिल जाएगा. वह पहले की ही तरह झूठ बोलेगा.
जैसा कि पहले ही तमाम मौकों पर अपनी बात को वजन देने के लिए इमरान खान झूठ का सहारा ले चुके हैं. उनका वही एटीट्यूड रूसी टीवी चैनल को दिये गए इंटरव्यू में भी देखने को मिला. इमरान ने भारत और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पर झूठ बोलते हुए कहा कि उनकी पहल के बावजूद भारत की तरफ से बातचीत की कोशिश नहीं की गई.
इमरान के मुताबिक, 'जब मेरी पार्टी सत्ता में आई तभी मैंने भारत की तरफ हाथ बढ़ाया. मैंने कहा कि बातचीत करके मसले का हल निकालते हैं. मैंने भारत के साथ 10 साल क्रिकेट खेला लेकिन जब दोस्ती का हाथ बढ़ाया तो लगा कि अब वह भारत नहीं है. वहां एक उग्र विचारधारा का कब्जा हो चुका है.
एक राजनेता के रूप में इमरान कितने शातिर, कितने मौकापरस्त हैं इसका अंदाजा इससे भी लगाया जा सकता है कि जब इमरान से यूक्रेन को लेकर सवाल हुआ तो बड़ी ही सफाई के साथ उन्होंने बीच का रास्ता निकाला और कहा कि इस मुद्दे से हमारा (पाकिस्तान) का कोई सरोकार नहीं है. सवाल ये है कि सरोकार तो इमरान का कश्मीर मुद्दे पर भी नहीं है लेकिन भारत का आंतरिक मामला होने के बावजूद वो उसपर दखल दे ही देते हैं और मुंह की खाते हैं.
बहरहाल इमरान को नरेंद्र मोदी से बहस करनी है और भाजपा की तरफ से इसपर कोई बड़ी प्रतिक्रिया नहीं आई है. लेकिन जिस तरह इस मुद्दे पर कांग्रेस एकजुट हुई है और उसने पाकिस्तान और प्रधानमंत्री इमरान खान की टांग खींची है. कहीं कांग्रेस जनता तक पहुंचने के लिए तो नहीं ऐसा कर रही ? विषय बहुत सीधा है अपनी इस पहल से कांग्रेस वो जनाधार वापस हासिल करना चाहती जो उसने 2014 लोक सभा चुनावों के बाद से खो दिया है.
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