जब इमरान खान पाकिस्तान के प्रधानमंत्री बने थे तो कई उम्मीदें की गई थीं, जैसे वो देश को बुरी स्थिति से बाहर ले आएंगे. दुनिया में देश की इज़्ज़त संभालेंगे और बढाएंगें और भारत के साथ नया हिसाब किताब ले आएंगे. लेकिन अगर देखें तो उनकी पाकिस्तान में ही नहीं चल रही है तो दुनिया का क्या कहें.
एक तरफ तो पाकिस्तान की हर सिविलियन सत्ता उसकी सेना के इशारे पर चलती है और इमरान खान पहले दिन से वही रस्म निभा रहे हैं. और दूसरी तरफ, पाकिस्तान के न्यायिक तंत्र का वहां की सत्ता पर बढ़ता प्रभाव. अभी पिछले प्रधानमंत्री नवाज़ शरीफ को कोर्ट ने ही जेल भेजा था. उसके पहले युसूफ रज़ा गिलानी की सरकार को भी कोर्ट ने ही सत्ता से बेदखल किया था.
कहने को हम कह सकते हैं कि इफ्तिखार मुहम्मद चौधरी के समय से पाकिस्तान में सुप्रीम कोर्ट काफी स्ट्रांग हो गया है और हम ये जोड़ सकते हैं कि वह भी सेना के मुताबिक़ ही काम करता है ताकि सिविलयन गवर्नमेंट पर और ज्यादा कंट्रोल रखा जा सके.
अब हाल ही की घटना ले लीजिये. इस्लामाबाद के आईजीपी जान मुहम्मद का तबादला इमरान खान के मौखिक आदेश पर हुआ. मुहम्मद पर आरोप था के उन्होंने एक मंत्री के बेटे की शिकायत पर कार्यवाई नहीं की. मंत्री के बेटे ने एफआईआर कराई थी कि उसके फार्महाउस में कुछ लोगों ने अपने जानवर छोड़ दिए थे. जब उसके आदमियों ने विरोध किया तो उन्हें पीटा गया और उनके हथियार छीन लिए गए.
अब हम ये कह सकते हैं कि जान मुहम्मद ने आरोप की जांच की होगी और जांच करने लायक नहीं पाया होगा. पाकिस्तान के सुप्रीम कोर्ट के रवैये से तो ये हम कह ही सकते हैं जिसने इस मुद्दे पर स्वतः ही संज्ञान लेने का निश्चय किया और इमरान खान के आदेश को रोकते हुए जान मुहम्मद को इस्लामाबाद में रहने देने...
जब इमरान खान पाकिस्तान के प्रधानमंत्री बने थे तो कई उम्मीदें की गई थीं, जैसे वो देश को बुरी स्थिति से बाहर ले आएंगे. दुनिया में देश की इज़्ज़त संभालेंगे और बढाएंगें और भारत के साथ नया हिसाब किताब ले आएंगे. लेकिन अगर देखें तो उनकी पाकिस्तान में ही नहीं चल रही है तो दुनिया का क्या कहें.
एक तरफ तो पाकिस्तान की हर सिविलियन सत्ता उसकी सेना के इशारे पर चलती है और इमरान खान पहले दिन से वही रस्म निभा रहे हैं. और दूसरी तरफ, पाकिस्तान के न्यायिक तंत्र का वहां की सत्ता पर बढ़ता प्रभाव. अभी पिछले प्रधानमंत्री नवाज़ शरीफ को कोर्ट ने ही जेल भेजा था. उसके पहले युसूफ रज़ा गिलानी की सरकार को भी कोर्ट ने ही सत्ता से बेदखल किया था.
कहने को हम कह सकते हैं कि इफ्तिखार मुहम्मद चौधरी के समय से पाकिस्तान में सुप्रीम कोर्ट काफी स्ट्रांग हो गया है और हम ये जोड़ सकते हैं कि वह भी सेना के मुताबिक़ ही काम करता है ताकि सिविलयन गवर्नमेंट पर और ज्यादा कंट्रोल रखा जा सके.
अब हाल ही की घटना ले लीजिये. इस्लामाबाद के आईजीपी जान मुहम्मद का तबादला इमरान खान के मौखिक आदेश पर हुआ. मुहम्मद पर आरोप था के उन्होंने एक मंत्री के बेटे की शिकायत पर कार्यवाई नहीं की. मंत्री के बेटे ने एफआईआर कराई थी कि उसके फार्महाउस में कुछ लोगों ने अपने जानवर छोड़ दिए थे. जब उसके आदमियों ने विरोध किया तो उन्हें पीटा गया और उनके हथियार छीन लिए गए.
अब हम ये कह सकते हैं कि जान मुहम्मद ने आरोप की जांच की होगी और जांच करने लायक नहीं पाया होगा. पाकिस्तान के सुप्रीम कोर्ट के रवैये से तो ये हम कह ही सकते हैं जिसने इस मुद्दे पर स्वतः ही संज्ञान लेने का निश्चय किया और इमरान खान के आदेश को रोकते हुए जान मुहम्मद को इस्लामाबाद में रहने देने का निर्णय लिया.
पाकिस्तान के मुख्य न्यायाधीश मियां साकिब निसार ने कहा कि कैसे एक मंत्री का आर्डर ना मानने से जान मुहम्मद का तबादला हो सकता है और कहा कि देश किसी के इशारे पर नहीं बल्कि कानून के अनुसार चलता है. उन्होंने कहा कि हम देश के संस्थानों को बुरी स्थिति में नहीं जाने देंगे और पुलिस के मामलों में राजनीतिक दखल ख़त्म होना चाहिए.
अब इमरान खान की पार्टी ने सुप्रीम कोर्ट का निर्णय स्वीकार तो कर लिया है लेकिन उसकी भौहें टेढ़ी हैं. पाकिस्तान के सूचना मंत्री फवाद चौधरी का कहना है कि अगर प्रधानमंत्री और मुख्यमंत्री अगर एक पुलिस चीफ को ससपेंड नहीं कर सकते हैं तो देश में चुनाव करवाने का मतलब है. उन्होंने कहा के इस्लामाबाद के स्कूलों में ड्रग बेचे जा रहे हैं और पुलिस अभी तक उस पर कार्यवाही करने इन असफल रही है और इसके अलावा भी जान मुहम्मद के खिलाफ और शिकायतें थीं. उन्होंने कहा की देश की नौकरशाही में कई समस्याएं हैं और इमरान खान की गवर्नमेंट उसमें सुधार करने जा रही है.
अब वो क्या कर पाएंगे ये तो वक़्त ही बताएगा और उनका वक़्त फिलहाल अच्छा नहीं चल रहा है लगता है, ना देश में जैसा हमने अभी देखा और ना दुनिया में. अमेरिका ने उन्हें भाव देने से इंकार कर दिया और कहा है पहले आतंकवाद पर लगाम लगाओ. भारत ने उनके कश्मीर राग को देखते हुए बात करने से इंकार कर दिया है और आतकंवाद से बाज आने को कहा है. पाकिस्तान बुरी आर्थिक स्थिति में है और इमरान खान ने चीन और सऊदी अरब से गुहार लगाई है. और पता नहीं उन्हें अभी क्या क्या करना है.
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