पुलवामा में सीआरपीएफ जवानों के काफिले पर हमले की पूरी दुनिया भर्त्सना कर रही है. जैश-ए-मोहम्मद के खिलाफ बालाकोट एयरस्ट्राइक को लेकर भी अंतर्राष्ट्रीय समुदाय भारत के साथ है - लेकिन पाकिस्तान ने नये सिरे से बड़ी गलती कर दी है.
पुलवामा अटैक को लेकर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने हमलावरों के लिए कहा था कि बहुत बड़ी गलती कर दी है. सर्जिकल स्ट्राइक 2 उसी बड़ी गलती की माकूल सजा है, जिसे अमेरिका ने भी काउंटर टेररिज्म एक्शन माना है.
पुलवामा के बाद पाकिस्तान के पास संभलने का बड़ा मौका था. भूल सुधार का एक बेहतरीन मौका था, मगर पाकिस्तान चूक गया. पाकिस्तानी अवाम के सामने हो रही फजीहत के चलते हड़बड़ी में पाकिस्तानी फौज ने गलत टारगेट चुन लिया - भारत के सैन्य प्रतिष्ठान को निशाना बनाकर पाकिस्तान ने पुलवामा हमले के बाद एक बहुत बड़ी गलती कर डाली है.
ये तो सैन्य प्रतिष्ठान पर आक्रमण है
बालाकोट एयरस्ट्राइक को लेकर खुद पाकिस्तान ने भी माना है कि वहां कोई बस्ती नहीं थी. पाकिस्तानी प्रवक्ता के ही बयान से ये भी साबित होता है कि वो पाकिस्तान का फौजी ठिकाना भी नहीं था.
भारत की तरफ से भी शुरू से ही साफ तौर पर कहा जा रहा है कि हवाई हमले सिर्फ उस जगह किये गये हैं जहां से और आतंकवादी हमलों की साजिश रची जा रही थी - और बालाकोट की वो जगह न तो पाकिस्तानी लोगों का रिहाइशी इलाका है, न ही कोई फौजी अड्डा.
जवाबी कार्रवाई के नाम पर पाकिस्तान ने राजौरी और नौशेरा के जिन जगहों को टारगेट किया वो भारतीय सैन्य ठिकाने हैं. भारत ने पाकिस्तान के डिप्टी हाई कमिश्नर सैयद हैदर शाह को विदेश मंत्रालय में तलब कर अपनी आपत्ति जतायी है. पुलवामा हमले के बाद भी भारत ने पाकिस्तान के उच्चायुक्त को तलब कर कहा गया था कि पाकिस्तान को जैश-ए-मोहम्मद के खिलाफ फौरी एक्शन लेना होगा जो वास्तव में दिखायी भी दे और आतंकवादियों को अपनी जमीन का इस्तेमाल करना रोकना होगा. मगर अफसोस, ऐसा हो पाता फिर सर्जिकल स्ट्राइक 2 की जरूरत ही क्यों पड़ती.
विदेश मंत्रालय के...
पुलवामा में सीआरपीएफ जवानों के काफिले पर हमले की पूरी दुनिया भर्त्सना कर रही है. जैश-ए-मोहम्मद के खिलाफ बालाकोट एयरस्ट्राइक को लेकर भी अंतर्राष्ट्रीय समुदाय भारत के साथ है - लेकिन पाकिस्तान ने नये सिरे से बड़ी गलती कर दी है.
पुलवामा अटैक को लेकर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने हमलावरों के लिए कहा था कि बहुत बड़ी गलती कर दी है. सर्जिकल स्ट्राइक 2 उसी बड़ी गलती की माकूल सजा है, जिसे अमेरिका ने भी काउंटर टेररिज्म एक्शन माना है.
पुलवामा के बाद पाकिस्तान के पास संभलने का बड़ा मौका था. भूल सुधार का एक बेहतरीन मौका था, मगर पाकिस्तान चूक गया. पाकिस्तानी अवाम के सामने हो रही फजीहत के चलते हड़बड़ी में पाकिस्तानी फौज ने गलत टारगेट चुन लिया - भारत के सैन्य प्रतिष्ठान को निशाना बनाकर पाकिस्तान ने पुलवामा हमले के बाद एक बहुत बड़ी गलती कर डाली है.
ये तो सैन्य प्रतिष्ठान पर आक्रमण है
बालाकोट एयरस्ट्राइक को लेकर खुद पाकिस्तान ने भी माना है कि वहां कोई बस्ती नहीं थी. पाकिस्तानी प्रवक्ता के ही बयान से ये भी साबित होता है कि वो पाकिस्तान का फौजी ठिकाना भी नहीं था.
भारत की तरफ से भी शुरू से ही साफ तौर पर कहा जा रहा है कि हवाई हमले सिर्फ उस जगह किये गये हैं जहां से और आतंकवादी हमलों की साजिश रची जा रही थी - और बालाकोट की वो जगह न तो पाकिस्तानी लोगों का रिहाइशी इलाका है, न ही कोई फौजी अड्डा.
जवाबी कार्रवाई के नाम पर पाकिस्तान ने राजौरी और नौशेरा के जिन जगहों को टारगेट किया वो भारतीय सैन्य ठिकाने हैं. भारत ने पाकिस्तान के डिप्टी हाई कमिश्नर सैयद हैदर शाह को विदेश मंत्रालय में तलब कर अपनी आपत्ति जतायी है. पुलवामा हमले के बाद भी भारत ने पाकिस्तान के उच्चायुक्त को तलब कर कहा गया था कि पाकिस्तान को जैश-ए-मोहम्मद के खिलाफ फौरी एक्शन लेना होगा जो वास्तव में दिखायी भी दे और आतंकवादियों को अपनी जमीन का इस्तेमाल करना रोकना होगा. मगर अफसोस, ऐसा हो पाता फिर सर्जिकल स्ट्राइक 2 की जरूरत ही क्यों पड़ती.
विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता रवीश कुमार ने प्रेस कॉन्फ्रेंस कर इसी बारे में बताया, 'हमने सबूतों के आधार पर पाकिस्तान में जैश के ठिकानों पर हमला किया था. हमें जैश के भारत में आतंकी हमले करने के इरादे की जानकारी मिली थी जिसके खिलाफ भारत ने वायुसेना का इस्तेमाल किया था.' विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता ने बताया कि पाकिस्तान ने भारत के सैन्य प्रतिष्ठानों को निशाना बनाने की कोशिश की है. इस हमले को नाकाम करते हुए पाकिस्तान के एक विमान को मार गिराया गया है.
रवीश कुमार ने कहा, 'भारतीय वायुसेना ने पाकिस्तानी एयरफोर्स के विमान को देखने के बाद तुरंत जवाबी कार्रवाई की. हमारे जवानों ने पाक एयरफोर्स के विमान को पाकिस्तान की जमीन पर गिरते देखा. इसमें दुर्भाग्य से हमारा भी एक मिग 21 विमान नष्ट हो गया.' पुलवामा हमले के बाद अमेरिकी NSA ने राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार से बात कर कहा था कि भारत को अपनी आत्मरक्षा का पूरा हक है और भारत ने ऐसा किया भी.
पुलवामा हमला बड़ी गलती थी जिसे पाकिस्तानी फौज और खुफिया एजेंसी आईएसआई का शह हासिल रहा - और अब तो पाक फौज ने खुल कर हमले की कोशिश की है. भारत के सैन्य प्रतिष्ठान को निशाना बनाया है. ऐसे में भारत को ये हक भी हासिल होता है वो अपने मुल्क की हिफाजत के लिए हर संभव उपाय करे - जाहिर विश्व जनमत आगे भी भारत के साथ खड़ा रहेगा.
पायलट को कोई नुकसान न पहुंचायी जाये
विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता के मुताबिक पाकिस्तानी हमले की कोशिश के दौरान जवाबी कार्रवाई में एक मिग विमान नष्ट हो गया. इसके साथ ही एक पायलट भी लापता है.
प्रेस कांफ्रेंस में ही रवीश कुमार ने बताया, 'हमारा एक मिग 21 का एक पायलट लापता है. पाकिस्तान का कहना है कि पायलट उनके कब्जे में है. हम तथ्यों की पड़ताल कर रहे हैं.'
बाद में मालूम हुआ एयरफोर्स के पायलट विंग कमांडर अभिनंदन वर्धमान पाकिस्तान के कब्जे में हैं. भारतीय विदेश मंत्रालय ने पाकिस्तानी राजनयिक के जरिये पाकिस्तान से कहा कि ये सुनिश्चित हो कि पायलट को कोई नुकसान नहीं पहुंचना चाहिये. भारत ने पाकिस्तान द्वारा पायलट की जख्मी हालत में तस्वीरें दिखाये जाने पर भी कड़ी आपत्ति जतायी है.
भारतीय पायलट को लेकर विदेश मंत्रालय ने पाकिस्तान को जेनेवा संधि के तहत युद्धबंदियों के साथ किये जाने वाले सलूक की याद दिलायी है.
पाकिस्तानी प्रधानमंत्री इमरान खान ने भी अपने संबोधन में भारतीय पायलट के पाकिस्तान की कस्टडी में होने का दावा किया. इमरान खान ने पाकिस्तानी वायुसेना के हमले का भी जिक्र किया है और साथ ही साथ बातचीत की भी पेशकश की है.
एक बेबस हुक्मरान से बातचीत का क्या मतलब
अब तक इमरान खान पुलवामा हमले को लेकर सबूत मांग रहे थे और अब आतंकवाद पर बातचीत की अपील कर रहे हैं. इमरान खान के बयान में धमकी भी है और मन में दहशत के भी संकेत हैं.
बातचीत की पेशकश के दरम्यान इमरान खान ने पहले युद्ध से लेकर अब तक के हाल का जिक्र किया है. इमरान खान ने हिटलर का भी हवाला दिया है और रूस-अमेरिका के साथ वियतनाम और अफगानिस्तान युद्ध का भी. इमरान खान का कहना है कि जंग में हम एक दूसरे का आकलन नहीं कर पाते.
इमरान खान गलत कह रहे हैं और मिसाल भी गलत दे रहे हैं. इमरान खान ने पहले विश्व युद्ध से लेकर अफगानिस्तान तक का नाम ले डाला है - लेकिन 1965 और 1971 की जंग कैसे भूल जा रहे हैं. क्या इमरान खान भूल चुके हैं कि दोनों युद्धों का नतीजा क्या रहा?
इमरान खान ने एक और गलत बात कही है. इमरान जता रहे हैं कि जो हथियार दोनों मुल्कों के पास हैं उनका आकलन न करने की गलती हो रही है. उनका कहना है कि जंग शुरू होती है तो किधर जाएगी मालूम नहीं होता - हो सकता है ये इमरान खान के मन की बात हो. इमरान खान ऐसा बयान देकर अमेरिका, रूस और चीन सहित उन मुल्कों को गुमराह करने की कोशिश कर रहे हों जिन्होंने संयम बरतने की सलाह दी है.
इमरान खान अपने लिए भले जो भी कहें, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के बारे में तो ये कतई न सोचें कि स्थिति उनके काबू में नहीं रहने वाली. इमरान खान जिस न्यूक्लियर बम के नाम पर धमकाना चाहते हैं, कहना मुश्किल है उसे छू पाने की भी उन्हें इजाजत शायद ही हो. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के पास पूरे भारत का मैंडेट है और न्यूक्लियर बटन दबाने का भी.
ऐसा इमरान खान के साथ ही हो सकता है कि कुछ भी उनके काबू में नहीं है. वो आगे की बात क्यों कह रहे हैं सबको मालूम है कि अभी ही इमरान खान के हाथ में कुछ नहीं है. इमरान खान तो पाकिस्तानी फौज की वो कठपुतली हैं जिन्हें तकनीकि तौर पर प्रधानमंत्री नाम का पद दे दिया गया है.
क्या ऐसे बेबस हुक्मरान की ओर से आई बातचीत की पेशकश का कोई मतलब रह गया है? इमरान खान को मालूम होना चाहिये कि ऐसे झांसे में अब न भारत आने वाला है और न ही दुनिया का कोई नेता.
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