आतंकवाद के पनाहगार पाकिस्तान को अलग-थलग करने के लिए भारत कई अहम कदम उठा चुका है. लेकिन अब ऐसा लग रहा है कि पाकिस्तान खुद ही अपने आप को अलग-थलग करने वाला है. 1 मार्च को आबू धाबी में ओआईसी यानी ऑर्गनाइजेशन ऑफ इस्लामिक कोऑपरेशन की एक बैठक होने वाली है, जिसमें सुषमा स्वराज को आमंत्रित किया गया है. बता दें कि इस संगठन में दुनियाभर के 57 इस्लामिक देश हैं, जिसमें इस बार भारत को न्योता मिला है.
जहां एक ओर पहली बार भारत को इस संगठन से न्योता मिला है, वहीं दूसरी ओर पाकिस्तान ने विरोधी सुर छेड़ दिया है. पाकिस्तान में हुई सर्जिकल स्ट्राइक के बाद पाकिस्तान ने ये साफ कर दिया है कि अगर ओआईसी के आयोजन में भारत को बुलाया गया तो वह खुद नहीं आएगा. भारत को इस आयोजन में पहुंचने से रोके जाने के लिए पाकिस्तान हर संभव कोशिश कर रहा है. यहां तक कि वह रिजर्वेशन का हवाला भी दे रहा है. इसके लिए सऊदी अरब और यूएई के क्राउन प्रिंस से बात तक की गई है.
तो क्या पाकिस्तान नहीं होगा शामिल?
हाल ही में सऊदी अरब के प्रिंस मोहम्मद बिन सलमान भारत का दौरा कर के गए हैं. अगर वह पाकिस्तान के दबाव में आकर भारत को दिया न्योता रद्द करते हैं तो भारत के साथ संबंध खराब हो सकते हैं. इतना ही नहीं, पूरी दुनिया में ओआईसी की आलोचना भी होगी. यानी मुमकिन है कि भारत का न्योता रद्द ना हो और पाकिस्तान इस आयोजन में ना आए. एक इस्लामिक देश होने के बावजूद अगर वह इस संगठन के आयोजन में नहीं जाता है तो कूटनीतिक तौर पर भी ये भारत की बड़ी जीत होगी. खैर, पाकिस्तान ओआईसी का एक संस्थापक सदस्य देश है और उम्मीद है कि ओआईसी कोई बीच का रास्ता तलाशने कोशिक करेगा.
'गेस्ट ऑफ ऑनर' मिल रहा है...
आतंकवाद के पनाहगार पाकिस्तान को अलग-थलग करने के लिए भारत कई अहम कदम उठा चुका है. लेकिन अब ऐसा लग रहा है कि पाकिस्तान खुद ही अपने आप को अलग-थलग करने वाला है. 1 मार्च को आबू धाबी में ओआईसी यानी ऑर्गनाइजेशन ऑफ इस्लामिक कोऑपरेशन की एक बैठक होने वाली है, जिसमें सुषमा स्वराज को आमंत्रित किया गया है. बता दें कि इस संगठन में दुनियाभर के 57 इस्लामिक देश हैं, जिसमें इस बार भारत को न्योता मिला है.
जहां एक ओर पहली बार भारत को इस संगठन से न्योता मिला है, वहीं दूसरी ओर पाकिस्तान ने विरोधी सुर छेड़ दिया है. पाकिस्तान में हुई सर्जिकल स्ट्राइक के बाद पाकिस्तान ने ये साफ कर दिया है कि अगर ओआईसी के आयोजन में भारत को बुलाया गया तो वह खुद नहीं आएगा. भारत को इस आयोजन में पहुंचने से रोके जाने के लिए पाकिस्तान हर संभव कोशिश कर रहा है. यहां तक कि वह रिजर्वेशन का हवाला भी दे रहा है. इसके लिए सऊदी अरब और यूएई के क्राउन प्रिंस से बात तक की गई है.
तो क्या पाकिस्तान नहीं होगा शामिल?
हाल ही में सऊदी अरब के प्रिंस मोहम्मद बिन सलमान भारत का दौरा कर के गए हैं. अगर वह पाकिस्तान के दबाव में आकर भारत को दिया न्योता रद्द करते हैं तो भारत के साथ संबंध खराब हो सकते हैं. इतना ही नहीं, पूरी दुनिया में ओआईसी की आलोचना भी होगी. यानी मुमकिन है कि भारत का न्योता रद्द ना हो और पाकिस्तान इस आयोजन में ना आए. एक इस्लामिक देश होने के बावजूद अगर वह इस संगठन के आयोजन में नहीं जाता है तो कूटनीतिक तौर पर भी ये भारत की बड़ी जीत होगी. खैर, पाकिस्तान ओआईसी का एक संस्थापक सदस्य देश है और उम्मीद है कि ओआईसी कोई बीच का रास्ता तलाशने कोशिक करेगा.
'गेस्ट ऑफ ऑनर' मिल रहा है सुषमा स्वराज को
1 मार्च को होने वाले इस आयोजन में सुषमा स्वराज 'गेस्ट ऑफ ऑनर' के रूप में आमंत्रित की गई हैं. कांग्रेस और एआईएमआईएम तो सुषमा स्वराज के इस आयोजन में शामिल होने का विरोध कर रहे हैं, लेकिन भाजपा इसे एक बड़ी राजनयिक जीत बता रही है. इसकी एक बड़ी वजह ये है कि भारत को 50 सालों में पहली बार ओआईसी ने 'गेस्ट ऑफ ऑनर' की तरह आमंत्रित किया है.
ओआईसी ने सर्जिकल स्ट्राइक की निंदा की!
जब भारत ने पाकिस्तानी सीमा में घुसकर सर्जिकल स्ट्राइक की तो ओआईसी की एक बैठक में इस हमले की निंदा की गई. साथ ही ये कहा गया कि दोनों देशों को शांति बनाए रखने की जरूरत है. इस बैठक में पाकिस्तान के विदेश सचिव तेहमिना जंजुआ भी शामिल थे और आजाद जम्मू और कश्मीर के राष्ट्रपति मसूद खान भी थे. इस बैठक में भारत की निंदा तो की गई, लेकिन रवैया बिल्कुल पाकिस्तानी था. यहां तक कि इस बैठक की प्रेस रिलीज में भी पाकिस्तानी जुबान दिख रही थी. निंदा में न सिर्फ सर्जिकल स्ट्राइक की बात कहते हुए भारत पर निशाना साधा गया, बल्कि ये भी कहा गया कि भारतीय सेना कश्मीर में बेकसूरों की हत्या कर रही है. मासूम बच्चियों से रेप का आरोप भी भारत के मत्थे मढ़ दिया गया. ये सारे वही आरोप हैं जो पाकिस्तान की तरफ से भारत पर लगाए जाते रहे हैं. वैसे भी, जब बैठक में पाकिस्तानी ही भरे हों तो वो पाकिस्तान की जुबान ही तो बोलेंगे.
सुषमा स्वराज का इस आयोजन में जाना भारत के लिए इस लिहाज से भी फायदेमंद है कि ये संगठन संयुक्त राष्ट्र के बाद दुनिया का दूसरा सबसे बड़ा अंतरराष्ट्रीय संगठन है. इस संगठन में कुल 57 सदस्य देश हैं. इसे मुस्लिम देशों की सामूहिक आवाज तक कहा जाता है. यही वजह है कि पाकिस्तान बार-बार ये कह रहा है कि ओआईसी के एक संस्थापक सदस्य देश (पाकिस्तान) के प्रति आक्रामक रवैया अपनाया गया है. अब ओआईसी के इस कार्यक्रम में सुषमा स्वराज पहुंचती हैं या पाकिस्तान, इसका पता 1 मार्च को चलेगा. और अगर दोनों पहुंचे तो इनका आमना-सामना देखना दिलचस्प होगा.
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