पेट्रोल और डीजल की आसमान छूती कीमतें इनदिनों सभी को खून के आंसू रुला रही हैं. लगातार बढ़ती कीमतों से लोग हताश हो चुके हैं और सरकार की ओर आस लगाए बैठे हुए हैं कि सरकार जल्द ही पेट्रोल और डीजल पर लगने वाले टैक्सों में ढ़िलाई बरते ताकि कुछ हद तक पेट्रोल और डीजल की कीमतों में गिरावट दर्ज हो सके. एक ओर देश का हर वर्ग सरकार से इस तरह की आस लगाए बैठा है तो दूसरी ओर सरकार की कोई और ही मंशा दिखाई दे रही है. दरअसल केन्द्रीय मंत्री नितिन गडकरी के बयान के बाद से ही साफ हो गया है कि मोदी सरकार पेट्रोल और डीजल का वैक्लपिक हल चाह रही है. नितिन गडकरी पिछले कई महीनों से ही कह रहे हैं कि देश में बिजली ज़रूरत से ज़्यादा पैदा हो रही है. ऐसे में बिजली को पेट्रोल और डीजल के वैकल्पिक ईंधन के रूप में इस्तेमाल किया जा सकता है. नितिन गडकरी का कहना है कि उनकी सरकार इलेक्ट्रिसिटी को तरजीह देने का काम कर रही है और इसीलिए देश में इलेक्ट्रिक गाड़ियों को न सिर्फ बड़े पैमाने पर आयात हो रहा है बल्कि इन गाड़ियों पर विशेष तरह के छूट भी दिए जा रहे हैं ताकि लोग इलेक्ट्रिक गाड़ियों की ओर अधिक से अधिक संख्या में मूव कर सकें.
भारत में लगभग 81 फीसदी लीथियम-आयन बैटरी का निर्माण होता है. परिवहन मंत्रालय में इसका इस्तेमाल भी शुरू हो चुका है. सरकार की कोशिश है कि देश में हाइड्रोजन फ्यूल सेल्स भी विकसित हो जाए ताकि इलेक्ट्रिक वाहनों का इस्तेमाल और सस्ता हो जाए. अगर सरकार इस कोशिश में कामयाब हो जाती है तो यह बेहद किफायती साबित होगा और बेहद सस्ता होगा. सरकार चाहती है कि इलेक्ट्रिक वाहनों का इस्तेमाल इतना सस्ता हो कि लोग खुद बखुद इलेक्ट्रिक वाहनों की ओर आकर्षित हो जाएं.
इलेक्ट्रिक वाहनों का निर्माण करने वाली...
पेट्रोल और डीजल की आसमान छूती कीमतें इनदिनों सभी को खून के आंसू रुला रही हैं. लगातार बढ़ती कीमतों से लोग हताश हो चुके हैं और सरकार की ओर आस लगाए बैठे हुए हैं कि सरकार जल्द ही पेट्रोल और डीजल पर लगने वाले टैक्सों में ढ़िलाई बरते ताकि कुछ हद तक पेट्रोल और डीजल की कीमतों में गिरावट दर्ज हो सके. एक ओर देश का हर वर्ग सरकार से इस तरह की आस लगाए बैठा है तो दूसरी ओर सरकार की कोई और ही मंशा दिखाई दे रही है. दरअसल केन्द्रीय मंत्री नितिन गडकरी के बयान के बाद से ही साफ हो गया है कि मोदी सरकार पेट्रोल और डीजल का वैक्लपिक हल चाह रही है. नितिन गडकरी पिछले कई महीनों से ही कह रहे हैं कि देश में बिजली ज़रूरत से ज़्यादा पैदा हो रही है. ऐसे में बिजली को पेट्रोल और डीजल के वैकल्पिक ईंधन के रूप में इस्तेमाल किया जा सकता है. नितिन गडकरी का कहना है कि उनकी सरकार इलेक्ट्रिसिटी को तरजीह देने का काम कर रही है और इसीलिए देश में इलेक्ट्रिक गाड़ियों को न सिर्फ बड़े पैमाने पर आयात हो रहा है बल्कि इन गाड़ियों पर विशेष तरह के छूट भी दिए जा रहे हैं ताकि लोग इलेक्ट्रिक गाड़ियों की ओर अधिक से अधिक संख्या में मूव कर सकें.
भारत में लगभग 81 फीसदी लीथियम-आयन बैटरी का निर्माण होता है. परिवहन मंत्रालय में इसका इस्तेमाल भी शुरू हो चुका है. सरकार की कोशिश है कि देश में हाइड्रोजन फ्यूल सेल्स भी विकसित हो जाए ताकि इलेक्ट्रिक वाहनों का इस्तेमाल और सस्ता हो जाए. अगर सरकार इस कोशिश में कामयाब हो जाती है तो यह बेहद किफायती साबित होगा और बेहद सस्ता होगा. सरकार चाहती है कि इलेक्ट्रिक वाहनों का इस्तेमाल इतना सस्ता हो कि लोग खुद बखुद इलेक्ट्रिक वाहनों की ओर आकर्षित हो जाएं.
इलेक्ट्रिक वाहनों का निर्माण करने वाली कंपनियां भी भारत में पधारने को बेताब नज़र आ रही है. दुनिया की टॅाप कंपनियां भारत में इलेक्ट्रिक वाहनों का सप्लाई करना चाह रही है. भारतीय कंपनियां भी इलेक्ट्रिक वाहनों के बाजार को एक बड़े बाजार के रूप में देख रही हैं. इलेक्ट्रिक कारों में पेट्रोल और डीजल की मार से पूरी तरह से बचा जा सकता है. एक बार फुल चार्ज कर लेने पर यह कारें 300-400 किलोमीटर तक का सफर खूब आराम से तय कर सकती हैं वह भी अपनी गति के साथ.
मोटा मोटा आंकड़ा अगर जोड़ा जाए तो बिजली के खर्च को जोड़कर इसकी प्रति किलोमीटर कुल लागत 3-6 रूपये के बीच पड़ने वाली है वहीं पेट्रोल और डीजल के मोटे आंकड़े अगर जोड़े जाएं तो उसकी लागत प्रतिकिलोमीटर 9-12 रूपये के आसपास ठहरती है. जबकि सीएनजी की कीमत 7-9 रूपये के आसपास होती है. यानी अगर देखा जाए तो इलेक्ट्रिक कारों की ओर लोग आसानी के साथ आकार्षित हो सकते हैं और पेट्रोल और डीजल की मार से हमेशा के लिए निजात पा सकते हैं.
नितिन गडकरी इस कोशिश में कितने कामयाब हो पाएंगे यह तो वक्त बताएगा लेकिन नितिन गडकरी एक ऐसे राजनेता हैं जो अपने प्लान को अंजाम तक पहुंचा कर ही दम लेते हैं. देश के सभी नेशनल हाईवे का चौड़ीकरण करके वह इस बात पर मुहर भी लगा चुके हैं कि वह जिस भी प्लान पर काम करते हैं तो उसको नतीजे तक पहुंचा कर ही मानते हैं. पेट्रोल और डीजल के मामले में भारत को आत्मनिर्भर बनाने की बात कह रहे नितिन गडकरी के पास इसका पूरा फार्मूला भी तैयार है.
वह हर कीमत पर देश में पेट्रोल और डीजल का आयात कम करना चाहते हैं. जिस तरह से चीन ने इस दिशा में काम किया है और आत्मनिर्भर बन गया है उसी तरह भारत भी अब इस ओर तेज़ी के साथ कदम आगे बढ़ा रहा है. पेट्रोल और डीजल के बजाए इलेक्ट्रिक के इस्तेमाल से चलने वाले वाहनों से न सिर्फ तेल की खपत में कमी आएगी बल्कि पर्यावरण को भी कुछ नुकसान से बचाया जा सकेगा.
मेट्रो सिटी यानी की दिल्ली, मुंबई, कोलकाता जैसे शहरों में इस तरह के वाहनों के उपयोग से शहर को फायदा हासिल होगा. केंद्र की मोदी सरकार अगर इस प्रोजेक्ट पर सफल हो गई तो यह उसके लिए एक बड़ी जीत होगी. फिलहाल पेट्रोल और डीजल पर मचे हाहाकार ने मोदी सरकार पर बैकफुट पर धकेल रखा है जिसके बाद उम्मीद जताई जा रही है कि जल्द ही सरकार इस ओर ध्यान दे सकती है.
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