बिहार में एक कहावत है- बंदर के हाथ में उस्तरा. आज के सोशल मीडिया युग में यही हाल जनता का हो गया है. और फोटोशॉप सॉफ्टवेयर बंदर रूपी हम जनता के हाथ में वही उस्तरा साबित हो रहा है. पिछले कुछ सालों से फोटोशॉप के जरिए लोग पलभर में तिल का ताड़ बना देते हैं. सोशल मीडिया पर उठने वाले धुंओं के लिए किसी आग की जरुरत नहीं होती. और इसी फर्जी धुंए का सबसे ज्यादा शिकार सेलिब्रिटी और हमारे नेता बन रहे हैं.
किसी भी स्टार को बदनाम करना है तो फोटोशॉप का इस्तेमाल उसकी फर्जी फोटो लगा दी. किसी को ट्रोल करना है तो उसके फोटो को तोड़-मरोड़कर पेश कर दिया. हालांकि इसके कारण लोगों की रचनात्मकता भी सामने आती है जिसे देखकर हर कोई मुस्कुराए बिना नहीं रहता. लेकिन ज्यादातर केस में वो हानिकारक ही सिद्ध हो रहे हैं.
अब चुनावी मौसम है तो नेता कैसे इससे बचेंगे. यही हुआ गृहमंत्री राजनाथ सिंह के साथ. जब किसी फिल्म के एक सीन को फोटोशॉप कर लोगों ने उनके चेहरे के साथ दिखा दिया. हैरानी तो इस बात की है कि कांग्रेस वालों ने इस फर्जी फोटो को हाथों-हाथ ले भी लिया और ट्वीट करने लग गए.
देखिए दोनों फोटो-
कहा जा रहा है कि कांग्रेस समर्थक महिला @faridapatel ने फिल्म की फोटो को राजनीतिक हथियार बनाया और राजनाथ सिंह के चेहरे के साथ ट्वीट कर दिया. उन्होंने फिल्म में मंत्री का रोल कर रहे अभिनेता के चेहर पर राजनाथ सिंह का चेहरा लगा दिया था...
बिहार में एक कहावत है- बंदर के हाथ में उस्तरा. आज के सोशल मीडिया युग में यही हाल जनता का हो गया है. और फोटोशॉप सॉफ्टवेयर बंदर रूपी हम जनता के हाथ में वही उस्तरा साबित हो रहा है. पिछले कुछ सालों से फोटोशॉप के जरिए लोग पलभर में तिल का ताड़ बना देते हैं. सोशल मीडिया पर उठने वाले धुंओं के लिए किसी आग की जरुरत नहीं होती. और इसी फर्जी धुंए का सबसे ज्यादा शिकार सेलिब्रिटी और हमारे नेता बन रहे हैं.
किसी भी स्टार को बदनाम करना है तो फोटोशॉप का इस्तेमाल उसकी फर्जी फोटो लगा दी. किसी को ट्रोल करना है तो उसके फोटो को तोड़-मरोड़कर पेश कर दिया. हालांकि इसके कारण लोगों की रचनात्मकता भी सामने आती है जिसे देखकर हर कोई मुस्कुराए बिना नहीं रहता. लेकिन ज्यादातर केस में वो हानिकारक ही सिद्ध हो रहे हैं.
अब चुनावी मौसम है तो नेता कैसे इससे बचेंगे. यही हुआ गृहमंत्री राजनाथ सिंह के साथ. जब किसी फिल्म के एक सीन को फोटोशॉप कर लोगों ने उनके चेहरे के साथ दिखा दिया. हैरानी तो इस बात की है कि कांग्रेस वालों ने इस फर्जी फोटो को हाथों-हाथ ले भी लिया और ट्वीट करने लग गए.
देखिए दोनों फोटो-
कहा जा रहा है कि कांग्रेस समर्थक महिला @faridapatel ने फिल्म की फोटो को राजनीतिक हथियार बनाया और राजनाथ सिंह के चेहरे के साथ ट्वीट कर दिया. उन्होंने फिल्म में मंत्री का रोल कर रहे अभिनेता के चेहर पर राजनाथ सिंह का चेहरा लगा दिया था और कैप्शन लिखा- "केंद्रीय गृहमंत्रालय में वरिष्ठ पुलिस अफसर के साथ होता है ये सुलूक".
हालांकि फरीदा ने ये ट्वीट डिलीट कर दिया लेकिन उसका स्क्रीनशॉट हम आपको दिखाते हैं-
फिर क्या था इस फोटो को वायरल होने में देर नहीं लगी और लोग इसे सच मानकर हैरानी भी व्यक्त कर रहे हैं. इस फोटो पर आलमगिर रिजवी नाम के युवक की प्रतिक्रिया भी देखें. ये महाशय तो फरीदा से एक कदम आगे बढ़ गए. इनके ट्विटर प्रोफाइल पर राहुल गांधी की फोटो लगी है, इसलिए उनका कांग्रेसी मोह समझा जा सकता है. लेकिन आलमगीर ने इस मोह में अंधे होकर लिख किया कि 'जिस तरह गुजरात के डीजीपी दिखाई दे रहे हैं इससे तो राज्य में स्वतंत्र चुनाव की उम्मीद नहीं रह जाती. सुप्रीम कोर्ट भी कान में तेल डालकर बैठा है'.
अब ये झांसे ही सही, लेकिन कांग्रेस के प्रवक्ता संजय झा को भी इसमें फायदा नजर आ गया. शातिराना ढंग से उन्होंने यह तस्वीर शेयर की और लिखा- 'यदि यह तस्वीर सच है कि हद हो गई. मैं भौंचक रह गया हूं'. जब उनके ट्वीट को जमकर शेयर कर लिया गया तो उन्होंने इस अपनी टाइमलाइन से हटा लिया.
हालांकि कुछ ऐसे भी लोग निकले जिन्होंने फोटो की सच्चाई जानने में दिलचस्पी दिखाई. @zurohit नामक युवक ने ट्वीट किया कि ये फोटो असली है या नहीं.
SMHoaxSlayer ने उन्हें जवाब दिया कि ये गलत फोटो है.
देखिए वो फिल्म जिसमें की फोटो पिछले कई सालों से वायरल होती रही है.
एक पूर्व आईपीएस ऑफिसर योगेश प्रताप सिंह ने 30 दिसम्बर 2011 को रिलीज हुई अपनी फिल्म 'क्या यही सच है' में पुलिस और राजनीति के रिश्ते को दिखाने के लिए ये सीन फिल्माया था. तभी से इस सीन को लोग अपने हिसाब इस्तेमाल करते आए हैं. और कई लोगों ने तो इसे सच भी मान लिया.
तो हिसाब से इतना तो सभी को समझना चाहिए कि जीवन में कुछ हो जाए हमेशा अक्ल ही बड़ी होगी. भैंस नहीं. इस वर्चुअल जमाने में किसी भी बात पर भरोसा करने से पहले थोड़ी देर ठहरकर खबर की सच्चाई जानने में भी मेहनत कर लेनी चाहिए.
ये भी पढ़ें-
बीजेपी के लिए सौराष्ट्र में चुनावी फतह काफी मुश्किल
गुजरात में लौह पुरुष के लिए सियासी दौड़
सेकुलरिज्म पर चुप्पी साधकर पहली बार 'हिन्दू' हो गई कांग्रेस !
इस लेख में लेखक ने अपने निजी विचार व्यक्त किए हैं. ये जरूरी नहीं कि आईचौक.इन या इंडिया टुडे ग्रुप उनसे सहमत हो. इस लेख से जुड़े सभी दावे या आपत्ति के लिए सिर्फ लेखक ही जिम्मेदार है.