प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (Narendra Modi) ने बिहार की चुनावी रैलियों में जो कुछ भी समझाया उसका लब्बोलुआब कुछ ऐसा ही रहा - नीतीश को वोट इसलिए दें क्योंकि BJP वादे की पक्की है!
मतलब, नीतीश कुमार (Nitish Kumar) का सीएम बने रहना सिर्फ इसीलिए जरूरी है ताकि मोदी सरकार अपने वादे पूरे कर सके. मतलब, एनडीए ही बीजेपी है और बीजेपी ही एनडीए है. ऐसा लगता है जैसे प्रधानमंत्री मोदी ने बिहार के लोगों को तो सब कुछ समझा दिया, लेकिन मुख्यमंत्री नीतीश कुमार को कदम कदम पर उलझन में डाल दिया है - यहां तक कि चिराग पासवान (Chirag Paswan) के मामले में भी.
नीतीश कुमार एनडीए में कहां हैं?
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने पिछले बिहार दौरे में लोगों को समझाया था कि नीतीश कुमार का कार्यकाल 15 साल का लगता जरूर है, लेकिन हकीकत तो ये है कि नीतीश कुमार को कुल जमा साढ़े तीन साल ही काम करने का मौका मिला है - ये ही वो अवधि है जब बीजेपी के मनमाफिक बिहार में काम हुआ है. प्रधानमंत्री मोदी के मुताबिक, इसकी शुरुआत उस दिन से होती है जब महागठबंधन सरकार से इस्तीफा देकर नीतीश कुमार बीजेपी के सपोर्ट से मुख्यमंत्री बने थे.
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के दूसरे बिहार दौरे में पहले वाले से एक बड़ा फर्क देखने को मिला है. पिछली बार प्रधानमंत्री मोदी का सारा फोकस नीतीश कुमार पर ही रहा - और इस बार तो जैसे नीतीश फोकस से पूरी तरह बाहर ही हो गये हैं.
दरभंगा की रैली में नीतीश कुमार अपनी सरकार के साथ साथ केंद्र सरकार से मिली मदद का विस्तार से जिक्र कर चुके थे, लेकिन नीतीश कुमार का नाम लेने के अलावा प्रधानमंत्री ने जो भी बात की वो एनडीए के नाम पर बीजेपी और मोदी सरकार की सोच और उपब्धियों की ही.
प्रधानमंत्री मोदी ने समझाया कि चुनावी वादे पूरे करना...
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (Narendra Modi) ने बिहार की चुनावी रैलियों में जो कुछ भी समझाया उसका लब्बोलुआब कुछ ऐसा ही रहा - नीतीश को वोट इसलिए दें क्योंकि BJP वादे की पक्की है!
मतलब, नीतीश कुमार (Nitish Kumar) का सीएम बने रहना सिर्फ इसीलिए जरूरी है ताकि मोदी सरकार अपने वादे पूरे कर सके. मतलब, एनडीए ही बीजेपी है और बीजेपी ही एनडीए है. ऐसा लगता है जैसे प्रधानमंत्री मोदी ने बिहार के लोगों को तो सब कुछ समझा दिया, लेकिन मुख्यमंत्री नीतीश कुमार को कदम कदम पर उलझन में डाल दिया है - यहां तक कि चिराग पासवान (Chirag Paswan) के मामले में भी.
नीतीश कुमार एनडीए में कहां हैं?
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने पिछले बिहार दौरे में लोगों को समझाया था कि नीतीश कुमार का कार्यकाल 15 साल का लगता जरूर है, लेकिन हकीकत तो ये है कि नीतीश कुमार को कुल जमा साढ़े तीन साल ही काम करने का मौका मिला है - ये ही वो अवधि है जब बीजेपी के मनमाफिक बिहार में काम हुआ है. प्रधानमंत्री मोदी के मुताबिक, इसकी शुरुआत उस दिन से होती है जब महागठबंधन सरकार से इस्तीफा देकर नीतीश कुमार बीजेपी के सपोर्ट से मुख्यमंत्री बने थे.
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के दूसरे बिहार दौरे में पहले वाले से एक बड़ा फर्क देखने को मिला है. पिछली बार प्रधानमंत्री मोदी का सारा फोकस नीतीश कुमार पर ही रहा - और इस बार तो जैसे नीतीश फोकस से पूरी तरह बाहर ही हो गये हैं.
दरभंगा की रैली में नीतीश कुमार अपनी सरकार के साथ साथ केंद्र सरकार से मिली मदद का विस्तार से जिक्र कर चुके थे, लेकिन नीतीश कुमार का नाम लेने के अलावा प्रधानमंत्री ने जो भी बात की वो एनडीए के नाम पर बीजेपी और मोदी सरकार की सोच और उपब्धियों की ही.
प्रधानमंत्री मोदी ने समझाया कि चुनावी वादे पूरे करना बीजेपी सरकार की फितरत रही है. प्रधानमंत्री मोदी का इशारा तो धारा 370 और CAA की तरफ भी धा लेकिन जिक्र सिर्फ अयोध्या के राम मंदिर निर्माण का ही किया. वैसे भी मिथिलांचल में सीता और उनके राम की चर्चा के बगैर तो हर बात अधूरी ही होती, लिहाजा मोदी ने आम चुनाव में होल्ड किया हुआ राम मंदिर मुद्दा भी लोगों बड़ी संजीदगी से याद दिला दिया.
प्रधानमंत्री मोदी बोले, 'आज मां सीता अपने नैहर को तो प्रेम से निहार ही रही होंगी... अयोध्या पर भी आज यहां की नजर होगी. सदियों की तपस्या के बाद आखिरकार अयोध्या में श्रीराम मंदिर का निर्माण शुरू हो गया है - वे सियासी लोग जो बार-बार हमें तारीख पूछते थे, मजबूरी में अब वो भी तालियां बजा रहे हैं.' सबसे बड़ी बात जो नीतीश कुमार को निश्चित तौर पर कचोट रही होगी, वो थी उनके 7-निश्चय को लेकर. प्रधानमंत्री मोदी ने आत्मनिर्भर भारत की तर्ज पर आत्मनिर्भर बिहार और आत्मनिर्भर मिथिलांचल तक की बात की, लेकिन लेकिन नीतीश कुमार के सियासी धरोहर 7 निश्चिय की तरफ झांक कर भी नहीं देखने की कोशिश की.
7 निश्चय नीतीश कुमार का ड्रीम प्रोजेक्ट ही नहीं, बल्कि किसी जादुई छड़ी जैसा है जिसे कहीं भी घुमाकर वो चुनाव जीत लेने में यकीन रखते हैं. अब नीतीश कुमार ने 7 निश्चय पार्ट 2 का भी ऐलान कर दिया है और बता दिया है कि उसके तहत कितना कुछ करने का उनका इरादा है.
ध्यान देने वाली बात ये है कि नीतीश कुमार के 7 निश्चय कार्यक्रम पर चिराग पासवान और तेजस्वी यादव दोनों की निगाह लगी हुई है - और दोनों ही का इल्जाम 7 निश्चय में भ्रष्टाचार को लेकर है. चिराग पासवान ने तो भ्रष्टाचार का आरोप लगाते हुए सत्ता में आने पर नीतीश कुमार को जेल भेजने की बात ही बोल डाली है.
क्या 7 निश्चय को लेकर भ्रष्टाचार के आरोपों की वजह से ही प्रधानमंत्री मोदी ने दूरी बना ली है? या ये बीजेपी और जेडीयू के बीच बढ़ती खाई का कोई मजबूत संकेत भी है?
हाल ही में बीजेपी की तरफ से बिहार के अखबारों में विज्ञापन दिये गये थे - बहुत ही छोटे सही, विज्ञापन में एनडीए के सभी दलों के नाम और चुनाव निशान भी थे, लेकिन तस्वीर सिर्फ प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की ही लगी थी. नीतीश कुमार की तस्वीर से परहेज करने की क्या वजह रही होगी - ये सवाल बना हुआ है और उसे लेकर शंकाएं बढ़ती ही जा रही हैं.
चिराग पासवान पर कन्फ्यूजन बरकरार है
विपक्ष पर हमला तो प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने दरभंगा रैली से ही शुरू कर दी थी. मुजफ्फरपुर पहुंचते पहुंचते तेजस्वी यादव को जंगलराज का युवराज भी बता डाला, लेकिन आखिर तक ये नहीं बताया कि बीजेपी चिराग पासवान के खिलाफ है या नहीं है? हालिया माहौल में नीतीश कुमार के लिए इससे बुरी बात कुछ हो भी तो नहीं सकती.
प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि पहले के शासन का स्लोगन था - 'पैसा हजम, परियोजना खतम'. मान कर चलना चाहिये मोदी का इशारा मुख्यतौर पर तो आरजेडी नेतृत्व और लालू यादव परिवार पर ही रहा, लेकिन लगे हाथ महागठबंधन में साथी होने के नाते कांग्रेस नेतृत्व और राहुल गांधी को भी लपेट ही लिया. प्रधानमंत्री बोले कि उनको कमीशन से इतना प्रेम था कि कनेक्टिविटी पर कभी ध्यान ही नहीं दिया.
फिर समझाये कि बीजेपी जो कहती है वो करती भी है - और उसके साथ ही केंद्र की बीजेपी सरकार की तमाम उपलब्धियां बता डालीं. नीतीश कुमार के लिए दिक्कत वाली बात ये रही कि उनकी सरकार के काम पर मोदी की मुहर लगी ही नहीं.
दरभंगा रैली में प्रधानमंत्री मोदी ने लोगों को सलाह दी कि वे जंगलराज वालों के ट्रैक रिकॉर्ड को भूलें नहीं - ये वे लोग हैं जो किसान कर्जमाफी की बात करके कर्जमाफी के पैसे में भी घोटाला कर जाते हैं.
फिर सवालिया लहजे में बोले, 'आप कल्पना कर सकते हैं कि सत्ता में आने पर कोरोना के लिए दिये गये पैसे का क्या होगा... बिहार के लोग जंगल राज के युवराज के पिछले रिकॉर्ड को देखते हुए और उम्मीद भी क्या कर सकते हैं - आप उनको मुझसे बेहतर जानते हैं.'
प्रधानमंत्री मोदी का कहना रहा कि किडनैपिंग इंडस्ट्री का कॉपीराइट तो उन लोगों के ही पास है.
चिराग पासवान को लेकर निश्चित तौर पर नीतीश कुमार को इस बार कुछ न कुछ सुनने की उम्मीद तो रही ही होगी, लेकिन जो कुछ प्रधानमंत्री मोदी ने कहा उसकी तो कतई उम्मीद नहीं रही होगी.
प्रधानमंत्री मोदी ने ये जरूर बताया कि एनडीए में कौन कौन है - बीजेपी, जेडीयू, जीतनराम मांझी की पार्टी हम और मुकेश साहनी की पार्टी वीआईपी. मगर, पूरी भाषण में न तो लोक जनशक्ति पार्टी का नाम लिया और न ही चिराग पासवान का. पिछली बार मोदी ने रामविलास पासवान का नाम लेकर रघुवंश प्रसाद सिंह के साथ श्रद्धांजलि जरूर दी थी, लेकिन इस बार तो जैसे जिक्र ही नहीं करना चाहते हों, ऐसा लगा.
प्रधानमंत्री मोदी ने ये तो संकेत दे दिया कि चिराग पासवान बिहार एनडीए में नहीं हैं, लेकिन नीतीश कुमार कहां है ये नहीं बताया और ऐसा करके सब कुछ उलझा दिया है - विशेष रूप से नीतीश कुमार की पोजीशन.
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