देश कोरोना वायरस (Coronavirus) के साथ साथ आर्थिक तंगी से भी जूझ रहा है. सारे कारोबार ठप पड़े हैं. रेलवे, हवाई और लोकल परिवहन के पहिए भी जाम हैं. आयात निर्यात के कार्य भी सिर्फ ज़रूरी सेवा के लिए हो रही है. चुनौतियां बहुत ही कठिन नज़र आ रही हैं. बड़े बड़े शहरों में कार्य करने वाले मजदूर अपने अपने घरों के पलायन को मजबूर हैं. संकट का समय है. सरकार के पास भी दोहरी चुनौती है पहला कोरोना वायरस के साथ युध्द लड़ना है जिसमें संसाधनों की भी भारी कमी है. दूसरा देश की अर्थव्यवस्था (Economy) को भी संभाल कर रखना है. देश की छोटी-बड़ी सभी कंपनियों पर संकट के बादल मंडरा रहे हैं. कारोबारी परेशान हैं कि उनके कारखानों का क्या हाल होगा लॅाकडाउन (Lockdown) के बाद, घर पहुंच चुके मजदूरों की वापसी कैसे होगी और कारोबार पहले की तरह पटरी पर कब आएगा.
पिछले 50 से अधिक दिनों से सबकुछ ठप पड़ा हुआ है, कोरोना वायरस की संख्या थमने के बजाए बढ़ती जा रही है. लॅाकडाउन की भी सीमा बढ़ाई जा रही है और धीरे धीरे ही सही मगर अर्थव्यवस्था को गति देने की कोशिश की जा रही है. हर तबके के लोग चिंतित हैं उन्हें एकमात्र सहारा भारत सरकार से है कि वह इस संकट के समय उनको राहत देने का कार्य करे.
देश के प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी भी इस बात से बेखबर नहीं हैं इसीलिए वह लगातार हर राज्य के मुख्यमंत्रियों से वार्ता करके आर्थिक गतिविधियां शुरु करने का हल तलाश रहे हैं. 50 दिनों से अधिक लॅाकडाउन के गुज़र जाने के बाद अब निम्न तबके के साथ साथ मध्यम वर्ग और उच्च वर्ग के लोगों को भी कठिनाइयों का सामना करना पड़ रहा है.
प्रधानमंत्री ने इसी को ध्यान रखते हुए एक...
देश कोरोना वायरस (Coronavirus) के साथ साथ आर्थिक तंगी से भी जूझ रहा है. सारे कारोबार ठप पड़े हैं. रेलवे, हवाई और लोकल परिवहन के पहिए भी जाम हैं. आयात निर्यात के कार्य भी सिर्फ ज़रूरी सेवा के लिए हो रही है. चुनौतियां बहुत ही कठिन नज़र आ रही हैं. बड़े बड़े शहरों में कार्य करने वाले मजदूर अपने अपने घरों के पलायन को मजबूर हैं. संकट का समय है. सरकार के पास भी दोहरी चुनौती है पहला कोरोना वायरस के साथ युध्द लड़ना है जिसमें संसाधनों की भी भारी कमी है. दूसरा देश की अर्थव्यवस्था (Economy) को भी संभाल कर रखना है. देश की छोटी-बड़ी सभी कंपनियों पर संकट के बादल मंडरा रहे हैं. कारोबारी परेशान हैं कि उनके कारखानों का क्या हाल होगा लॅाकडाउन (Lockdown) के बाद, घर पहुंच चुके मजदूरों की वापसी कैसे होगी और कारोबार पहले की तरह पटरी पर कब आएगा.
पिछले 50 से अधिक दिनों से सबकुछ ठप पड़ा हुआ है, कोरोना वायरस की संख्या थमने के बजाए बढ़ती जा रही है. लॅाकडाउन की भी सीमा बढ़ाई जा रही है और धीरे धीरे ही सही मगर अर्थव्यवस्था को गति देने की कोशिश की जा रही है. हर तबके के लोग चिंतित हैं उन्हें एकमात्र सहारा भारत सरकार से है कि वह इस संकट के समय उनको राहत देने का कार्य करे.
देश के प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी भी इस बात से बेखबर नहीं हैं इसीलिए वह लगातार हर राज्य के मुख्यमंत्रियों से वार्ता करके आर्थिक गतिविधियां शुरु करने का हल तलाश रहे हैं. 50 दिनों से अधिक लॅाकडाउन के गुज़र जाने के बाद अब निम्न तबके के साथ साथ मध्यम वर्ग और उच्च वर्ग के लोगों को भी कठिनाइयों का सामना करना पड़ रहा है.
प्रधानमंत्री ने इसी को ध्यान रखते हुए एक बहुत बड़े पैकेज का ऐलान भी किया है हालांकि प्रधानमंत्री ने इस पूरे पैकेज को देश की वित्तमंत्री निर्मला सितारमण के हाथों सौंप दिया है जो इसका बंटवारा करेंगी. प्रधानमंत्री ने दावा किया है कि इस पैकेज में हर वर्ग का ख्याल रखा गया है. वित्त मंत्री ने पहले दिन छोटे उधोग वालों को राहत देने का ऐलान किया है जिसपर लोगों की मिली-जुली प्रतिक्रिया नज़र आई.
किसी का कहना था इससे डूबते उधोगों को सहारा मिलेगा और किसी का कहना था कि सरकार ने लोन चुकाने के लिए भी लोन की ही व्यवस्था कर दी है. वित्तमंत्री ने कहा है कि पैकेज बहुत बड़ा है इसलिए वह अगले कई दिनों तक राहत पैकेजों के बंटवारे का ऐलान करेंगी.
अब सबकी निगाहें वित्तमंत्री पर टिकी हुयी हैं कि आखिर उनके पिटारे से हमारे लिए क्या निकलता है. लॅाकडाउन का तीसरा चरण खत्म होने को है और इस वक्त हर वर्ग के लोगों को राहत की चाह है. सभी की आस प्रधानमंत्री के ऐलान के बाद वित्तमंत्री से ही है जिसका बेसब्री से इंतजार किया जा रहा है और उम्मीद जताई जा रही है कि वित्तमंत्री निम्न, मध्यम और उच्च तीनों वर्गों का खास ख्याल रखेंगी.
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