नरेंद्र मोदी के दूसरी बार प्रधानमंत्री पद की शपथ लेते समय राष्ट्रपति भवन में अद्भुत नजारा था. वहां लगभग सभी मंत्रियों के परिवार मौजूद थे. सिवाय नरेंद्र मोदी के. उनके परिवार के किसी भी सदस्य को इस कार्यक्रम के लिए न्यौता नहीं भेजा गया था. प्रधानमंत्री मोदी की मां हीराबेन मोदी ने अपने बेटे की शपथ को टीवी के जरिए ही देखा. कई लोगों को यह अनूठा और अजीब लग सकता है, लेकिन जब उनसे दिल्ली न जाने को लेकर सवाल किए गए, तो जवाब प्रधानमंत्री मोदी की बहन ने दिया. और इस जवाब ने परिवारवाद के चेहरे पर तमाचा जड़ दिया.
2014 से 2019 तक, पीएम मोदी ने जितनी भी रैलियां आयोजित की. जितने भी भाषण दिए. यदि उनका अवलोकन किया जाए तो मिलता है कि उन तमाम भाषणों में उन्होंने कांग्रेस पर कई तीखे हमले किये हैं. बात अगर इन भाषणों में प्रमुख हथियार की हो तो 'परिवारवाद' हमेशा से ही पीएम मोदी का पसंदीदा हथियार रहा है. ऐसे तमाम मौके आए हैं जब पीएम ने देश की जनता के सामने सवाल किया कि आखिर ऐसी क्या वजह रही है जिसके चलते एक ही परिवार ने लम्बे समय तक देश पर शासन किया. परिवारवाद पर खुद पीएम मोदी क्या रुख रखते हैं? इसे हम उनके शपथ ग्रहण समारोह से समझ सकते हैं. प्रधानमंत्री मोदी के शपथ ग्रहण समारोह में देश-दुनिया के तकरीबन 6,000 दिग्गजों को आमंत्रित किया गया. मगर बात जब उनके खुद के परिवार की आई तो उसे इस इवेंट से दूर ही रखा गया. बताया जा रहा है कि न ही प्रधानमंत्री कार्यालय ने और न ही भाजपा की तरफ से उनके परिवार को कोई इनविटेशन भेजा गया.
सवाल होगा कि ये जानकारी कहां से आई ? तो जवाब बस इतना है कि ये अहम जानकारी खुद प्रधानमंत्री की बहन वसंतीबेन ने दी. प्रधानमंत्री की बहन...
नरेंद्र मोदी के दूसरी बार प्रधानमंत्री पद की शपथ लेते समय राष्ट्रपति भवन में अद्भुत नजारा था. वहां लगभग सभी मंत्रियों के परिवार मौजूद थे. सिवाय नरेंद्र मोदी के. उनके परिवार के किसी भी सदस्य को इस कार्यक्रम के लिए न्यौता नहीं भेजा गया था. प्रधानमंत्री मोदी की मां हीराबेन मोदी ने अपने बेटे की शपथ को टीवी के जरिए ही देखा. कई लोगों को यह अनूठा और अजीब लग सकता है, लेकिन जब उनसे दिल्ली न जाने को लेकर सवाल किए गए, तो जवाब प्रधानमंत्री मोदी की बहन ने दिया. और इस जवाब ने परिवारवाद के चेहरे पर तमाचा जड़ दिया.
2014 से 2019 तक, पीएम मोदी ने जितनी भी रैलियां आयोजित की. जितने भी भाषण दिए. यदि उनका अवलोकन किया जाए तो मिलता है कि उन तमाम भाषणों में उन्होंने कांग्रेस पर कई तीखे हमले किये हैं. बात अगर इन भाषणों में प्रमुख हथियार की हो तो 'परिवारवाद' हमेशा से ही पीएम मोदी का पसंदीदा हथियार रहा है. ऐसे तमाम मौके आए हैं जब पीएम ने देश की जनता के सामने सवाल किया कि आखिर ऐसी क्या वजह रही है जिसके चलते एक ही परिवार ने लम्बे समय तक देश पर शासन किया. परिवारवाद पर खुद पीएम मोदी क्या रुख रखते हैं? इसे हम उनके शपथ ग्रहण समारोह से समझ सकते हैं. प्रधानमंत्री मोदी के शपथ ग्रहण समारोह में देश-दुनिया के तकरीबन 6,000 दिग्गजों को आमंत्रित किया गया. मगर बात जब उनके खुद के परिवार की आई तो उसे इस इवेंट से दूर ही रखा गया. बताया जा रहा है कि न ही प्रधानमंत्री कार्यालय ने और न ही भाजपा की तरफ से उनके परिवार को कोई इनविटेशन भेजा गया.
सवाल होगा कि ये जानकारी कहां से आई ? तो जवाब बस इतना है कि ये अहम जानकारी खुद प्रधानमंत्री की बहन वसंतीबेन ने दी. प्रधानमंत्री की बहन से जब पीएम मोदी के दोबारा प्रधानमंत्री बनने और शपथ लेने पर बात हुई तो उन्होंने कह कि प्रधानमंत्री मोदी की ओर से शपथ ग्रहण समारोह में परिवार के किसी भी व्यक्ति को आमंत्रित नहीं किया गया. ध्यान रहे कि इससे पहले भी जब 2014 में नरेंद्र मोदी ने देश के प्रधानमंत्री की शपथ ली थी जब भी उस कार्यक्रम में उनके परिवार का कोई भी सदस्य नहीं आया था.
प्रधानमंत्री और उनके स्वाभाव के बारे में बात करते हुए वसंती बेन ने कहा कि 'भाई-बहन की भावनाएं होती हैं. बहन, भाई को राखी भेजती है, उसके मन में हमेशा यही भावना रहती है कि भाई आगे बढ़े. एक गरीब का बेटा आगे बढ़ा है, जनता ने उसका साथ दिया है, दिल खोलकर वोट दिया है, मैं जनता का आभार व्यक्ति करती हूं.' साथ ही उन्होंने ये भी बताया कि 'जब नरेंद्र मोदी वडनगर आए थे तब उनसे मुलाकात हुई थी तब मैंने राखी बांधी थी हमें शपथ ग्रहण का कोई आमंत्रण नहीं दिया गया. परिवार के किसी भी सदस्य को आमंत्रित नहीं किया गया है. उनका यह जीवन देश के लिए समर्पित है.'
वहीं जब पीएम मोदी के भाई प्रह्लाद मोदी से इस विषय पर सवाल हुआ तो उन्होंने अपना तर्क पेश करते हुए कहा कि, लोगों ने जो नरेंद्र भाई पर विश्वास रखा है और इतनी बड़ी जीत हासिल करवाई है, इससे उनकी जिम्मेदारी बढ़ जाती है. ज्ञात हो कि प्रधानमंत्री मोदी ने बहुत ही कम उम्र में अपना घर और परिवार छोड़ दिया था ऐसे में हमारे लिए ये जानना बेहद जरूरी है कि उनके परिवार में कौन लोग हैं और वो क्या करते हैं.
सोमभाई मोदी
सोमभाई मोदी प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के सबसे बड़े भाई हैं जो अपने पैतृक शहर वडऩगर में वृद्धाश्रम चलाते हैं. एक बार जब उनसे पीएम मोदी को लेक्र सवाल हुआ था तो उन्होंने कहा था कि, ''मेरे और प्रधानमंत्री मोदी के बीच एक परदा है. मैं उसे देख सकता हूं पर आप नहीं देख सकते. मैं नरेंद्र मोदी का भाई हूं, प्रधानमंत्री का नहीं. प्रधानमंत्री मोदी के लिए तो मैं 123 करोड़ देशवासियों में से ही एक हूं, जो सभी उनके भाई-बहन हैं.
पंकज मोदी
नरेंद्र मोदी के छोटे भाई पंकज गुजरात सूचना विभाग में अफसर हैं जो मां हीराबेन के साथ अपने तीन कमरे के मकान में रहते हैं. बात अगर पंकज के स्वाभाव की हो तो बता दें कि वो पब्लिक प्लेस में पीएम मोदी को लेकर कम ही बात करते हैं.
अमृतभाई मोदी
प्रधानमंत्री के एक और बड़े भाई 72 वर्षीय अमृतभाई एक प्राइवेट कंपनी में फिटर के पद से रिटायर हुए हैं. 2005 में उनकी तनख्वाह महज 10,000 रु. थी. वे अब अहमदाबाद के घाटलोदिया इलाके में चार कमरे के मध्यवर्गीय आवास में रिटायरमेंट के बाद वाला जीवन जी रहे हैं.
प्रह्लाद मोदी
सबसे छोटे भाई प्रह्लाद, मोदी से दूरी बनाए रखते हैं. वे सस्ते गल्ले की एक दुकान चलाते हैं और गुजरात राज्य सस्ता गल्ला दुकान मालिक संगठन के अध्यक्ष हैं. वे सार्वजनिक वितरण प्रणाली में पारदर्शिता लाने के मामले में तत्कालीन मुख्यमंत्री मोदी की पहल से नाराज थे और दुकान मालिकों पर छापा डालने के खिलाफ प्रदर्शन कर चुके हैं.
यानी इन बातों से साफ हो गया है कि प्रधानमंत्री का परिवार बहुत साधारण जीवन जी रहा है और कहीं न कहीं अपनी ज़िन्दगी में खुश भी है. यदि हम पीएम मोदी की शपथ को लेकर उनकी बहन की बातों का अवलोकन करें तो मिलता है कि भले ही उनके दिल में मोदी के परिवार छोड़ने को लेकर टीस हो. मगर उससे ज्यादा उन्हें इस बात का गर्व है कि मोदी उनके भाई बाद में हैं लेकिन उससे पहले देश के सवा सौ करोड़ लोगों के प्रधानमंत्री हैं.
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