प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी ने 19 जनवरी को मुंबई का दौरा किया. इस दौरान उन्होंने बीकेसी इलाके में एक रैली को संबोधित किया. खास बात यह है कि उनकी सभा उद्धव ठाकरे के घर मातोश्री के ठीक बगल में हुई. प्रधानमंत्री मोदी मुंबई में सीवेज ट्रीटमेंट प्लांट, मेट्रो समेत अन्य विकास कामों के उद्घाटन के सिलसिले में मुंबई दौरे पर आए. हालांकि, उनके इस दौरे को लेकर ठाकरे गुट की तरफ से निशाना भी साधा गया है. ठाकरे गुट के सांसद संजय राउत ने कहा कि यह पूरी तरह से राजनीतिक दौरा है और बीएमसी ( मुंबई महानगर पालिका ) चुनावों के मद्देनजर प्रधानमंत्री मोदी मुंबई आ रहे हैं. प्रधानमंत्री के दौरे को देखते हुए राज्य के मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे और उप मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस तैयारियों में जुटे रहे. इस बात के भी कयास लगाए गए कि प्रधानमंत्री मोदी के मुंबई आने के बाद बीएमसी चुनावों में आ रही अड़चनें भी दूर हो जाएंगी और चुनाव की घोषणा भी जल्द संभव है. महाराष्ट्र विधानसभा चुनावों के बाद पहली बार नरेंद्र मोदी मुंबई आए. मुंबई की बीएमसी को देश की अमीर सबसे अमीर महानगरपालिका कहा जाता है. ज्ञात हो कि बीएमसी 40,000 करोड़ रुपये के वार्षिक बजट के साथ देश का सबसे अमीर नागरिक निकाय है – कुछ राज्यों के बजट से बड़ा – और शहर की बढ़ती आबादी के लिए बुनियादी ढांचे को बनाए रखना सरकार के लिए एक बड़ी चुनौती है.
यूं तो मुंबई में सभी पार्टियों की मौजूदगी है. बावजूद इसके बीते तीन दशकों से बीएमसी की सत्ता पर ठाकरे परिवार की शिवसेना का कब्जा रहा है. यह कब्जा कुछ महीनों पहले तक यानी महानगर पालिका में प्रशासक के बैठाए जाने के पहले तक बरकरार था. हालांकि, अब शिवसेना के ही दो धड़ों में बंट जाने की वजह से उद्धव ठाकरे...
प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी ने 19 जनवरी को मुंबई का दौरा किया. इस दौरान उन्होंने बीकेसी इलाके में एक रैली को संबोधित किया. खास बात यह है कि उनकी सभा उद्धव ठाकरे के घर मातोश्री के ठीक बगल में हुई. प्रधानमंत्री मोदी मुंबई में सीवेज ट्रीटमेंट प्लांट, मेट्रो समेत अन्य विकास कामों के उद्घाटन के सिलसिले में मुंबई दौरे पर आए. हालांकि, उनके इस दौरे को लेकर ठाकरे गुट की तरफ से निशाना भी साधा गया है. ठाकरे गुट के सांसद संजय राउत ने कहा कि यह पूरी तरह से राजनीतिक दौरा है और बीएमसी ( मुंबई महानगर पालिका ) चुनावों के मद्देनजर प्रधानमंत्री मोदी मुंबई आ रहे हैं. प्रधानमंत्री के दौरे को देखते हुए राज्य के मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे और उप मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस तैयारियों में जुटे रहे. इस बात के भी कयास लगाए गए कि प्रधानमंत्री मोदी के मुंबई आने के बाद बीएमसी चुनावों में आ रही अड़चनें भी दूर हो जाएंगी और चुनाव की घोषणा भी जल्द संभव है. महाराष्ट्र विधानसभा चुनावों के बाद पहली बार नरेंद्र मोदी मुंबई आए. मुंबई की बीएमसी को देश की अमीर सबसे अमीर महानगरपालिका कहा जाता है. ज्ञात हो कि बीएमसी 40,000 करोड़ रुपये के वार्षिक बजट के साथ देश का सबसे अमीर नागरिक निकाय है – कुछ राज्यों के बजट से बड़ा – और शहर की बढ़ती आबादी के लिए बुनियादी ढांचे को बनाए रखना सरकार के लिए एक बड़ी चुनौती है.
यूं तो मुंबई में सभी पार्टियों की मौजूदगी है. बावजूद इसके बीते तीन दशकों से बीएमसी की सत्ता पर ठाकरे परिवार की शिवसेना का कब्जा रहा है. यह कब्जा कुछ महीनों पहले तक यानी महानगर पालिका में प्रशासक के बैठाए जाने के पहले तक बरकरार था. हालांकि, अब शिवसेना के ही दो धड़ों में बंट जाने की वजह से उद्धव ठाकरे गुट काफी अलग-थलग का पड़ता हुआ नजर आ रहा है. इतनी बड़ी टूट के बाद बीएमसी चुनाव का असली मुकाबला सिर्फ दो पार्टियों भाजपा और उद्धव ठाकरे गुट के बीच लड़ा जाना है. वैसे तो इस चुनाव में एकनाथ शिंदे गुट, कांग्रेस, एनसीपी, महाराष्ट्र नवनिर्माण सेना, समाजवादी पार्टी, वंचित बहुजन अघाड़ी समेत कई छोटे-छोटे दल शामिल होंगे.
बीएमसी की सत्ता के सिंहासन पर अब तक ठाकरे परिवार ने एकछत्र राज किया है लेकिन अब यह सिंहासन डोलने लगा है. अभी सिंहासन पर भारतीय जनता पार्टी यानी भाजपा की नजर पड़ गई है. ऐसे में इस बादशाहत को बरकरार रखने के लिए उद्धव ठाकरे अपनी बची खुची शिवसेना के साथ एड़ी चोटी का जोर लगा रहे हैं. मुंबई में शिवसेना के 6 विधायकों ने एकनाथ शिंदे गुट का दामन थाम लिया है. इन तमाम विपरीत परिस्थितियों के बाद भी उद्धव ठाकरे गुट बीएमसी चुनाव में भाजपा को पटखनी देने का दावा कर रहा है. जबकि मौजूदा सियासी समीकरण पूरी तरह से उद्धव ठाकरे के खिलाफ जा रहे हैं.
उद्धव ठाकरे यह चाहते हैं की महाविकास अघाड़ी के तीनों घटक दल, वंचित बहुजन अघाड़ी के साथ मिलकर आगामी बीएमसी चुनाव लड़ें. हालांकि इसमी सबसे बड़ी मुश्किल उनके लिए सहयोगी दल कांग्रेस की तरफ से पैदा की जा रही है. कांग्रेस पार्टी के मुंबई अध्यक्ष भाई जगताप ने यह कहा है की वह आगामी बीएमसी चुनाव खुद के दम पर लड़ना चाहते हैं. ऐसे में अगर महाविकास अघाड़ी से अलग होकर कांग्रेस अकेले बीएमसी चुनाव में उतर गई तो इसका भी नुकसान उद्धव ठाकरे को होगा. कई जगह पर उनके वोट कर सकते हैं.
दूसरी तरफ वंचित बहुजन अघाड़ी के साथ उद्धव ठाकरे गठबंधन करना चाहते हैं लेकिन उनके सहयोगी दल एनसीपी और कांग्रेस इस बात को लेकर रजामंद होते हुए नजर नहीं आ रहे हैं. ऐसे में अगर उद्धव ठाकरे गुट के साथ भीम शक्ति नहीं आती है. तो भी इसका खामियाजा उन्हें बीएमसी चुनावों में उठाना पड़ सकता है. कुल मिलाकर मौजूदा हालात में हम कह सकते हैं कि उद्धव ठाकरे गुट बीएमसी चुनाव में अलग-थलग पड़ता हुआ नजर आ रहा है.ऐसे में उन्हें अपने ही संगठन को मजबूत करते हुए इस चुनाव में दमखम दिखाना होगा. बीएमसी चुनाव में भाजपा के साथ उद्धव ठाकरे की टक्कर आसान नहीं है.
साल 2017 के चुनाव में भाजपा ने शिवसेना को कड़ी टक्कर दी थी और लगभग शिवसेना के बराबर ही सीटें उन्हें चुनाव में हासिल हुई थी. भाजपा के 'विकास' थीम के बैनर तले प्रधानमंत्री मोदी द्वारा नागरिक विकास परियोजनाओं की नींव इस बात से आगाह करती है कि भाजपा चुनाव के लिए कितनी महत्वपूर्ण तैयारी कर रही है. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की मुंबई की यात्रा को बृहन्मुंबई नगर निगम चुनाव जीतने के अपने प्रयासों को मजबूत करने के लिए भाजपा की रणनीति के रूप में ही देखा जा रहा है.
आने वाले महीनों में चुनाव होने की उम्मीद है. इतने महीनों में यह प्रधानमंत्री की दूसरी महाराष्ट्र यात्रा होगी. प्रधानमंत्री के इस दौरे को बृहन्मुंबई नगर निगम चुनाव की आहट के रूप में ही देखा जाना इसलिए भी बनता है कि उनके कार्यक्रमों के 4- 4 पेज के विज्ञापन छपे है. आस – पास के इलाके से लोगों की सुविधा के लिए उन्हें बसों में भी भर कर सभा स्थल तक ले जाया जा रहा है . गौरतलब है कि प्रधानमंत्री की यात्रा की घोषणा उस दिन हुई जब मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे और उपमुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने बीएमसी चुनावों पर चर्चा करने के लिए मुंबई से बालासाहेबंची शिवसेना और भाजपा के अपने दलों के विधायकों के साथ एक संयुक्त बैठक की.
भाजपा के एक नेता ने कहा, ‘जब प्रधानमंत्री किसी सीवेज ट्रीटमेंट प्लांट का शिलान्यास करते हैं या मेट्रो लाइन का उद्घाटन करते हैं, तो पूरे देश का ध्यान इस पर होता है. इसका महत्व कई गुना है. भाजपा के अंदरूनी सूत्रों के अनुसार, प्रधानमंत्री की यात्रा पार्टी को मुंबई विरोधी और महाराष्ट्र विरोधी के रूप में चित्रित करने के विपक्ष के प्रयासों का मुकाबला करने में मदद करेगी.'
महा विकास अघाड़ी (एमवीए) ने निवेशकों से मिलने के लिए उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की मुंबई यात्रा के बाद पिछले हफ्ते सत्ताधारी गठबंधन के खिलाफ आवाज उठाई. विपक्ष ने हाल ही में अन्य राज्यों में परियोजनाओं के पलायन का हवाला दिया है, जो कि महाराष्ट्र को एक प्रमुख निवेश गंतव्य के रूप में अपनी स्थिति बनाए रखने में मदद करने के लिए सरकार की कथित अयोग्यता का एक उदाहरण है.
यह, एमवीए ने आरोप लगाया है, मुंबई और महाराष्ट्र को कमजोर करने के लिए भाजपा के एक बड़े डिजाइन का हिस्सा हो सकता है. विपक्ष के कुछ लोग भी आदित्यनाथ की अपने राज्य में एक फिल्म सिटी बनाने की योजना को संदेह की दृष्टि से देखते हैं, यह अनुमान लगाते हुए कि यह मुंबई में हिंदी फिल्म उद्योग को कमजोर कर सकता है. भाजपा को लगता है कि बुनियादी ढांचे पर ध्यान देने से आने वाले चुनावों में उसकी संभावना बढ़ जाएगी और उसे एक नगर निकाय जीतने में मदद मिलेगी जो लगभग तीन दशकों से उद्धव ठाकरे के नेतृत्व वाली शिवसेना के नियंत्रण में है.
उन्होंने कहा, ‘जब तक लोग मोदी के नेतृत्व में भरोसा जताते हैं, हमें डरने की कोई बात नहीं है. इसलिए, बीएमसी चुनाव की तारीखों की घोषणा से पहले परियोजनाओं का अनावरण करने के लिए मोदी की यात्रा पार्टी के लिए मायने रखती है, ”भाजपा के एक अंदरूनी सूत्र ने कहा.भाजपा के वरिष्ठ विधायक अतुल भातखलकर ने कहा, 'हमें लोगों पर भरोसा है. वे जानते हैं कि सुशासन कौन दे सकता है. उन्होंने ब्लिंकर नहीं पहने हैं.
2014 में फडणवीस के मुख्यमंत्री बनने के बाद सभी मेगा प्रोजेक्ट जो पूरा होने के विभिन्न चरणों में हैं, भाजपा द्वारा शुरू किए गए थे. 2017 में, भाजपा और शिवसेना ने नगर निकाय चुनाव लड़ा था, यह पहला संकेत था कि दो दशक से अधिक समय से चले आ रहे गठबंधन में सब कुछ ठीक नहीं था. 227 वार्डों में से 84 पर जीत हासिल करने वाली शिवसेना के ठीक पीछे भाजपा ने 82 सीटें जीतीं. इस बार, भाजपा को लगता है कि शिवसेना के शिंदे धड़े के साथ वह आखिरकार एक बेहतर प्रदर्शन कर सकती है और पहली बार नगर निकाय जीत सकती है.तो यह आसानी से कहा जा सकता है कि प्रधानमंत्री मोदी जी कि मुंबई यात्रा बीएमसी चुनाव की आहट हैं .
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