प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी गुरुवार से दो दिन के गुजरात दौरे पर हैं. दिलचस्प बात तो ये है कि पिछले 5 महीनों में प्रधानमंत्री का ये 9वां दौरा है. दरअसल इसी साल के अंत तक गुजरात में चुनाव होने हैं ऐसे में प्रधानमंत्री के दौरे उनके गृहराज्य में लगातार बढ़ रहे हैं.
प्रधानमंत्री के इस बार के गुजरात दौरे के मायने काफी अलग हैं. क्योंकि प्रधानमंत्री का ये दौरा सौराष्ट्र में बीजेपी की ढ़ीली हुई पकड़ को और भी मजबूत करने के प्रयास के तौर पर देखा जा रहा है. दरअसल सूरत के बाद प्रधानमंत्री राजकोट में रोड शो कर रहे हैं. राजकोट सौराष्ट्र का दिल है और राजकोट के साथ प्रधानमंत्री का नाता इसलिये भी पुराना है क्योंकि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने 2001 में उपचुनाव यहीं राजकोट से ही लड़ा था, और फिर गुजरात के मुख्यमंत्री बने थे.
हालांकि आज के वक्त में पाटीदार और दलित आंदोलन के बाद जिस तरह बीजेपी सौराष्ट्र में बैकफुट पर आ गई है, उसी को मजबूत करने के प्रयास के तौर पर प्रधानमंत्री के राजकोट दौरे और रोड शो को देखा जा रहा है. गुजरात से दिल्ली जाने के बाद नरेंद्र मोदी, आनंदीबेन पटेल के मुख्यमंत्री रहते सिर्फ एक बार आए, लेकिन 10 महीनों में जिस तरह के राजनैतिक हालात पैदा हुए उसके चलते 5 महीनों में ये उनका 9वां दौरा है.
राजनैतिक जानकारों की मानें तो गुजरात में पाटीदारों का दिल यानी सौराष्ट्र, और गुजरात के तख़्त पर क़ाबिज़ होना है तो सौराष्ट्र के लोगों को और पाटीदारों को मनाना बेहद जरूरी है. पाटीदारों की बात की जाए तो सौराष्ट्र में पाटीदार 30 से ज़्यादा सीटों पर असर डालते हैं. ऐसे में सूरत के रोड शो के जरिए जिस तरह दक्षिण गुजरात में पाटीदारों को मनाने का प्रयास किया गया था, ठीक वैसे ही राजकोट में रोड शो के जरिये...
प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी गुरुवार से दो दिन के गुजरात दौरे पर हैं. दिलचस्प बात तो ये है कि पिछले 5 महीनों में प्रधानमंत्री का ये 9वां दौरा है. दरअसल इसी साल के अंत तक गुजरात में चुनाव होने हैं ऐसे में प्रधानमंत्री के दौरे उनके गृहराज्य में लगातार बढ़ रहे हैं.
प्रधानमंत्री के इस बार के गुजरात दौरे के मायने काफी अलग हैं. क्योंकि प्रधानमंत्री का ये दौरा सौराष्ट्र में बीजेपी की ढ़ीली हुई पकड़ को और भी मजबूत करने के प्रयास के तौर पर देखा जा रहा है. दरअसल सूरत के बाद प्रधानमंत्री राजकोट में रोड शो कर रहे हैं. राजकोट सौराष्ट्र का दिल है और राजकोट के साथ प्रधानमंत्री का नाता इसलिये भी पुराना है क्योंकि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने 2001 में उपचुनाव यहीं राजकोट से ही लड़ा था, और फिर गुजरात के मुख्यमंत्री बने थे.
हालांकि आज के वक्त में पाटीदार और दलित आंदोलन के बाद जिस तरह बीजेपी सौराष्ट्र में बैकफुट पर आ गई है, उसी को मजबूत करने के प्रयास के तौर पर प्रधानमंत्री के राजकोट दौरे और रोड शो को देखा जा रहा है. गुजरात से दिल्ली जाने के बाद नरेंद्र मोदी, आनंदीबेन पटेल के मुख्यमंत्री रहते सिर्फ एक बार आए, लेकिन 10 महीनों में जिस तरह के राजनैतिक हालात पैदा हुए उसके चलते 5 महीनों में ये उनका 9वां दौरा है.
राजनैतिक जानकारों की मानें तो गुजरात में पाटीदारों का दिल यानी सौराष्ट्र, और गुजरात के तख़्त पर क़ाबिज़ होना है तो सौराष्ट्र के लोगों को और पाटीदारों को मनाना बेहद जरूरी है. पाटीदारों की बात की जाए तो सौराष्ट्र में पाटीदार 30 से ज़्यादा सीटों पर असर डालते हैं. ऐसे में सूरत के रोड शो के जरिए जिस तरह दक्षिण गुजरात में पाटीदारों को मनाने का प्रयास किया गया था, ठीक वैसे ही राजकोट में रोड शो के जरिये पाटीदारों को मनाने का प्रयास माना जा रहा है.
जबकि सौराष्ट्र के लोगों के लिये नर्मदा का पानी आजी डेम में डाले जाने की योजना के जरिये भी पाटीदारों को मनाने का प्रयास किया जा रहा है. दरअसल सौराष्ट्र में पानी की बेहद परेशानी है, इतने सालों के बावजूद लोगों को पानी की किल्लत से जूझना पड़ रहा है. ऐसे में अगर नर्मदा का पानी आजी डेम में डाला जाता है तो राजकोट शहर और आसपास के दूसरे शहरों में पानी की समस्या काफी हद तक हल हो जाएगी. और अगर ऐसा होता है तो गुजरात में बीजेपी की सरकार के लिये ये बड़ी कामयाबी मानी जाएगी.
जानकार मानते हैं कि बीजेपी को जहां-जहां लगता है कि बीजेपी पाटीदार आंदोलन के बाद काफी कमजोर हुए हैं, वहीं प्रधानमंत्री रोड शो करते दिख रहे हैं. पहले सूरत में, जो कि पाटीदारों का गढ़ है और अब राजकोट में, क्योंकि ये भी पाटीदारों का ही गढ़ है. राजकोट इसलिये भी महत्वपूर्ण है क्योंकि गुजरात के मुख्यमंत्री विजय रुपानी खुद राजकोट से ही हैं, और राजकोट में पाटीदार आंदोलन, दलित आंदोलन जैसे मुद्दों पर बीजेपी काफी कमजोर हुई है. अगर यहां बीजेपी चुनाव हारती है तो खुद मुख्यमंत्री पर भी सवाल खड़े होते हैं.
जानकार मानते हैं कि पाटीदार और दलित आंदोलन के बाद सौराष्ट्र में कांग्रेस ने धीरे-धीरे अपने हालात को सुधारा है. ऐसे में चुनाव से पहले प्रधानमंत्री का ये दौरा कांग्रेस के लिए भी एक जवाब होगा. साफ है कि चुनाव को अब बस कुछ ही महीने रह गए हैं. ऐसे में प्रधानमंत्री अपने गृहराज्य को बचाने के लिये हर पर्याप्त प्रयास करने में लगे हैं.
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