बिहार में बीजेपी और नीतीश कुमार की सरकार को बने ठीक 80 दिनों बाद प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी बिहार आ रहे हैं. प्रधानमंत्री पटना विश्वविद्यालय के शताब्दी वर्ष में हिस्सा लेने के साथ-साथ मोकामा में गंगा पर बनने वाले 6 लेन के पुल का शिलान्यास के साथ साथ कई और परियोजानाओं का भी शिलान्यास करेंगे. प्रधानमंत्री की यह यात्रा बिहार के लिए काफी महत्वपूर्ण है. क्योंकि इस यात्रा के परिणामों से पता चलेगा कि नीतीश कुमार का बीजेपी के साथ सरकार बनाने का फैसला कितना सफल रहा है. इसलिए बिहार के साथ साथ मुख्यमंत्री नीतीश कुमार भी प्रधानमंत्री की इस यात्रा को लेकर उत्साहित हैं. नीतीश कुमार ने महागठबंधन छोड़कर बीजेपी के साथ सरकार बनाने का फैसला किया तो इसके पीछे एक बहुत बडा कारण है बिहार का विकास. चाहे जैसे भी हो.
14 अक्टूबर को प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी साढ़े पांच घंटे के बिहार प्रवास से बिहार की आशाएं लगी है. इस बार बिहार को विशेष राज्य के दर्जे की मांग नहीं की जाएगी. लेकिन बिहार के विकास की व्यवस्था तो प्रधानमंत्री को करनी पड़ेगी. नीतीश कुमार का भी कहना है कि 'विशेष राज्य के दर्जे की मांग के पीछे दो ही कारण हैं. एक- बिहार के लिए जितना भी औद्योगिक प्रोत्साहन नीति बनाते हैं निवेश फिर भी कम होता है. केंद्र सरकार के तरफ से भी राहत मिलेगी तो निवेश की संभावना बढ़ सकती है. और दूसरा अगर विशेष राज्य का दर्जा मिलता है तो केंद्र प्रायोजित योजनाओं में स्टेट शेयर 10% रहता है. सेंट्रल शेयर 90 पर्सेंट होता है. आज 40% से 60% का शेयर है.
बिहार के विकास को गति देने के लिए प्रधानमंत्री को कुछ और घोषणाएं करनी पड़ेगी. क्योंकि जिस रफ्तार से बिहार का विकास हो रहा है उससे उसे राष्ट्रीय औसत तक पहुंचने में 25 वर्षों का समय लग सकता है. ऐसे में बिहार को विशेष ध्यान देने की जरूरत है. भले ही इस बार नीतीश कुमार, बिहार के विशेष दर्जे की मांग नही कर रहें हैं. लेकिन उनके मन में बिहार के विकास को लेकर अलग से विशेष व्यवस्था करने की मांग जरूर होगी.
बिहार को पीएम से बहार की आस है
बिहार इस साल बाढ़ से बुरी तरह प्रभावित रहा है. राज्य के 20 जिलों की दो करोड़ आबादी इस बार नेपाल से आई बाढ़ से जबरदस्त रूप से प्रभावित हुई है. प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने 25 अगस्त को पूर्णिया में मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के साथ बाढ़ग्रस्त इलाकों का हवाई सर्वेक्षण किया था. उस समय तत्काल रूप से केन्द्र ने बिहार सरकार को 500 करोड़ की आकस्मिक मदद दी थी. लेकिन उसके बाद केन्द्र की टीम ने बिहार के बाढ़ग्रस्त इलाकों का बहुत बारीकी से दौरा किया था और इन्फ्रास्ट्रक्चर, सड़कों को हुए नुकसान की बारीकी से जांच की. इन सभी को दुरूस्त करने के लिए काफी पैसों की जरूरत है. बिहार सरकार को प्रधानमंत्री के इस बिहार यात्रा से अच्छी-खासी सहायता राशि मिलने की उम्मीद है. हांलांकि अबतक केवल 500 करोड़ की मदद मिली है. विपक्षी दल खासकर आरजेडी अध्यक्ष लालू प्रसाद यादव ने इसका मजाक भी उड़ाया था. क्योंकि 2008 में आई कोसी की बाढ़ इससे कम क्षेत्रों में आई थी लेकिन फिर भी तब के प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने 1000 करोड़ की तत्काल मदद दी थी.
बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने केंद्र सरकार से पेट्रोल और डीजल का बेस प्राइस घटाने को कहा है. उनका मानना है कि बेस प्राइस घटने से वैट अपने आप घट जाएगा. केन्द्र सरकार ने पेट्रोल और डीजल के मूल्यों में कमी लाने के लिए राज्य सरकारों को वैट में कमी करने को कहा था. इस सिलसिले में वित्त मंत्री अरूण जेटली ने सभी मुख्यमंत्रियों को पत्र लिखकर वैट कम करने के लिए कहा. लेकिन मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने वैट कम करने के बजाए केन्द्र सरकार से पेट्रोल के बेस प्राईस को कम करने की मांग कर दी. उन्होंने उदाहरण देते हुए कहा कि 'झारखंड में बेस प्राईस 51 रूपये है. जबकि बिहार का बेस प्राईस 55 रूपया है. उनका मानना है कि बेस प्राईस घटेगा तो बैट अपने आप कम हो जायेगा.' उन्होंने कहा कि- 'बिहार में वैट दो राज्यों को छोडकर सबसे कम है. ऐसे में अब केन्द्र सरकार को सोचना होगा कि बेस प्राइस कैसे कम करना है.'
हाल ही में मुख्यमंत्री ने पेट्रोलियम मंत्री धर्मेंद्र प्रधान से मुलाकात की. मुलाकात के बाद नीतीश कुमार ने कहा- 'हमलोगों ने मंत्री जी से मांग की है कि पाइप लाइन के जरिये जो एलपीजी दिया जाएगा. उसकी ज्यादा से ज्यादा बड़े शहरों में जाए. बरौनी रिफाइनरी के एक्सपेंशन की योजना भारत सरकार ने स्वीकृत की है. गैस बेस्ड फर्टिलाइजर का प्लांट लगाए जाएगा.'
केंद्र सरकार को बहुत सारे मामले में राज्य सरकार के सहयोग की जरूरत थी. इसके लिए नीतीश कुमार ने एक अधिकारी को नियुक्त कर दिया है. अधिकारी केन्द्र और राज्य के बीच समन्वय का काम करेगा ताकि योजनाओं में तेजी आ सके. भारत सरकार की योजना के तहत गांव के गरीबों को एलपीजी की सप्लाई दी जा रही है. नीतीश कुमार इस योजना को बिहार में पूरी तरह लागू करना चाहते हैं. इसके पीछे की वजह ये है कि इससे किरासन तेल की उपयोगिता कम होगी.
राज्य सरकार किरासन तेल के आवंटन में कटौती करेगी. ताकि इसके एवज में केन्द्र से उसे अतिरिक्त सहायता मिले. नीतीश कुमार का मानना है कि हर घर में बिजली पहुंचने से किरासन तेल की उपयोगिता घटती जा रही है.
नीतीश कुमार को केन्द्र सरकार से बड़ी आशाएं हैं. क्योंकि उनको पता है कि समय कम है और काम का वायदा बहुत ज्यादा. ये सब केन्द्र के सहयोग के बिना सम्भव नहीं है. ऐसे में बिहार सरकार और नीतीश कुमार दोनों के लिए प्रधानमंत्री की यह यात्रा काफी मायने रखती है.
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