हालिया सालों में 2019 को आंदोलन का साल कहना कहीं से भी गलत नहीं है. सरकार नागरिकता संशोधन कानून (Citizenship Amendment Act) लेकर आई थी इसलिए तमाम चीजें थीं जिन्होंने सुर्खियां बटोरीं. मगर वो जिसने ट्विटर की फिजाओं को गर्म किया वो थी अलीगढ़ मुस्लिम यूनिवर्सिटी (AM). कानून को कैंपस के छात्रों ने काला कानून बताया था और इसके लिए पीएम मोदी (PM Modi) और केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह (Amit Shah) की तीखी आलोचना की थी. चूंकि जिन्ना पोट्रेट विवाद में अलीगढ़ मुस्लिम यूनिवर्सिटी पहले ही खूब किरकिरी करा चुकी थी इसलिए आम जनता को CAA के जरिये विश्वविधालय की आलोचना का मौका मिला और उन्होंने सरकार और पक्ष लेते हुए कैंपस के छात्रों की खूब लानत मलामत की. बात यूनिवर्सिटी की हो तो CAA प्रोटेस्ट के दौरान छात्रों ने पीएम मोदी और केंद्र सरकार के खिलाफ अपशब्दों का प्रयोग कर खूब जमकर हंगामा किया. स्थिति अनियंत्रित थी इसलिए पुलिस ने बल का प्रयोग कर अराजक छात्रों को बताया कि देश में क़ानून से बढ़कर कुछ नहीं है. समय का चक्र घूमा है घटना के ठीक एक साल बाद AM और पीएम मोदी दोनों ही सुर्खियों में हैं. खबर है कि पीएम मोदी अलीगढ़ मुस्लिम यूनिवर्सिटी के दीक्षांत समारोह में भाग लेंगे. इस खबर के बाद कि पीएम मोदी एएमयू के कार्यक्रम में हिस्सा लेंगे सोशल मीडिया पर कट्टरपंथियों के बीच एक नई बहस की शुरुआत हो गई है.
पीएम मोदी एएमयू के दीक्षांत समारोह में आएंगे इस खबर ने लोगों को हैरत में डाल दिया है
बता दें कि आने वाली 22 दिसंबर को AM अपने दीक्षांत समारोह का अयोजन कर रहा है जिसमें बतौर मुख्य अतिथि पीएम मोदी को भी न्योता भेजा गया है. प्रोग्राम में पीएम मोदी के अलावा केंद्रीय शिक्षा मंत्री रमेश पोखरियाल निशंक भी अपनी उपस्थिति दर्ज कराएंगे.
कार्यक्रम भले ही कोरोना वायरस महामारी के कारण वर्चुअल रखा गया हो लेकिन यूनिवर्सिटी कैंपस में एक बिल्कुल नई बहस को आयाम मिल गए हैं. वहीं यूनिवर्सिटी भी प्रोग्राम को लेकर बहुत सजग है. यूनिवर्सिटी के वाइस चांसलर तारिक मंसूर ने सभी संबंधितों से शताब्दी कार्यक्रम को राजनीति से ऊपर रखने की अपील की है.
बात आगे बढ़ाने से पहले ये बताना जरूरी है कि हालिया सालों में यूनिवर्सिटी और बीजेपी का छत्तीस का आंकड़ा रहा है. तमाम मौके आए हैं जहां दोनों ही पक्षों ने एक दूसरे पर जमकर कटाक्ष किये हैं और हिंदूवादी संगठनों ने तो AM का नाम बदलने तक की बात की है. बात एएमयू के विरोधियों की हुई है तो हम अलीगढ़ के भाजपा विधायक सतीश गौतम को कैसे भूल सकते हैं. एएमयू को लेकर मौका कोई भी आए सतीश गौतम यूनिवर्सिटी कैंपस और छात्रों को नीचा दिखाने से पीछे नहीं हटते.
चूंकि कैंपस के दीक्षांत समारोह में खुद देश के प्रधानमंत्री बतौर मुख्य अतिथि आ रहे हैं तो ये मुद्दा क्यों इतना बड़ा है इसके दो कारण हैं पहला कैम्पस के छात्रों का प्रधानमंत्री मोदी को 'एन्टी मुस्लिम मानते हैं दूसरा पीएम मोदी एक ऐसे दल से आते हैं जिसकी कैम्पस से दुश्मनी वैसी ही है जैसी सांप और नेवले के बीच होती है.
गौरतलब है कि यूनिवर्सिटी के वाइस चांसलर तारिक मंसूर के इस फैसले के बाद वो लोग जरूर ठगा हुआ महसूस कर रहे हैं जो अलग अलग मोर्चों पर प्रायः सेक्युलर या लिबरल की तख्ती लेकर घूमते थे.
मामला चर्चा में है जिसे लेकर ट्विटर ने अपने को दो धड़ों में बांट लिया है आइए नज़र डालें ट्विटर पर और देखें कि कैसे पीएम मोदी के अलीगढ़ मुस्लिम आगमन ने 'कुछ विशेष लोगों' को बेचैन कर उनका दिन का चैन और रात की नींद हराम कर दी है.
पीएम मोदी के अलीगढ़ जाने से सरकार के समर्थक खूब खुश हैं.
पीएम मोदी के कैम्पस आगमन पर यूनिवर्सिटी के छात्र संघ को भी ऐतराज है. यूनिवर्सिटी के छात्र संघ से जुड़े सरजील उस्मानी को वीसी के इस फैसले ने हैरत में डाल दिया है.
सरकार और पीएम के समर्थक ये तक कह रहे हैं कि देखना दिलचस्प रहेगा कि पीएम के अलीगढ़ जाने के बाद लोगों का क्या रिएक्शन होगा.
यूनिवर्सिटी से जुड़े लोग ये भी कह रहे हैं कि यदि ये खबर सही है तो वो वक़्त आ गया है जब कैंपस में प्रधानमंत्री के आने का विरोध करना चाहिए.
साफ़ है कि जैसा मामले के मद्देनजर ट्विटर का रुख है वहां विरोधी और समर्थकों दोनों ही लोगों के ट्वीट हैं जिसके बाद इतना तो साफ़ है कि न सिर्फ एक नयी बहस को पंख मिले हैं बल्कि लोगों में बेचैनियां बढ़ी हैं. पीएम का AM आना यूनिवर्सिटी के लिए कितना फायदेमंद होगा इसका फैसला समय करेगा लेकिन इतना यक़ीनन कहा जा सकता है कि इससे भाजपा को बड़ा फायदा मिलेगा.
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