रूस-यूक्रेन युद्ध (Russia kraine war) के दौरान भारतीय छात्र की मौत (Indian student death) के बाद लोगों में प्रधानंत्री नरेंद्र मोदी (Pm Modi) को लेकर बेहद नाराजगी है. लोगों का कहना है कि मोदी एक कमजोर प्रधानमंत्री हैं. समय रहते हुए उन्होंने सही फैसले नहीं लिए. जिसका नजीता यह रहा कि एक मासूम छात्र को अपनी जान गवानी पड़ी.
लोगों ने पीएम मोदी पर कई तरह के गंभीर आरोप लगाए हैं. तभी तो ट्वीटर पर #IndiaHasWeakPM ट्रेंड कर रहा है. आइए बताते हैं कि रूस-यूक्रेन युद्ध को लेकर मोदी सरकार पर क्या-क्या आरोप लग रहे हैं.
केंद्र सरकार ने भारतीय छात्रों को अपने वतन लाने में देरी कर दी
भारतीय छात्र की मौत के लिए पीएम मोदी जिम्मेदार
यूक्रेन में मिसाइल हमले में मारे गए एमबीबीएस छात्र नवीन शेखरप्पा ज्ञानगौदर (Karnataka) शायद कई लोगों के लिए एक संख्या मात्र हो सकता है लेकिन जिसके घर का चिराग बुझा है, उसकी पीढियां इस गम से शायद उबर पाएं. इस वक्त भले ही ढांढस बंधाने वालों की भीड़ होगी लेकिन उस बच्चे के माता-पिता और परिवार की तकलीफ अंदाजा हम और आप नहीं लगा सकते. लोगों का आरोप है कि एक अदूरदर्शी नेतृत्व की लापरवाही ने किसी के घर का चिराग बुझा दिया है. 21 साल के उस बेटे की ख्वाहिश थी कि वह सर्जन बनकर भारत लौटे, लेकिन उसका यह सपना पूरा न हो सका. वह यूक्रेन के खारकीव शहर में खाने-पीने का सामान खरीदने के लिए बाहर निकला था तभी मिसाइल हमले के बाद हुई गोलीबारी में उसकी मौत हो गई. संभव है इसे भी जुमलों में भूला दिया जाएगा, जिस तरह कोरोना लहर के समय ऑक्सीजन के अभाव में एक-एक सांस के लिए तड़पते लोगों की थमती सांसों को हम भूला चुके हैं.
भारतीय छात्रों को वतन लाने में मोदी सरकार ने देरी कर दी
लोगों को सबसे ज्यादा शिकायत इसी बात से है कि केंद्र सरकार ने भारतीय छात्रों को वतन लाने में देरी कर दी. इसी बहाने लोगों को अपना पुराना गुबार निकालने का मौका मिल गया है. लोगों का कहना है कि बिना योजना के लॉकडाउन से मजदूर मरे, कोविड में लापरवाही की वजह से हजारों लोग मरे, किसानों के खिलाफ तीन कानून लाने से सैकड़ों किसान मरे और अब यूक्रेन में भारतीय छात्र मरा क्योंकि समय पर उसे भारत नहीं लाया गया. 97 प्रतिशत नंबर लाने के बाद भी छात्रों को उनके स्टेट में मेडिकल सीट नहीं मिली.
लोग पूछ रहे हैं कि क्या मोदी सरकार को भारतीय नागरिकों को यूक्रेन से निकालने का काम काफी पहले शुरू कर देना चाहिए था? जबकि यूक्रेन में कई हफ्तों पहले से संकट के हालात बने हुए थे. विपक्षी दलों का मानना है कि सरकार ने इस काम में देरी की. कई लोग इसके लिए पूर्व पीएम मनमोहन सिंह को याद कर रहे हैं. वहीं जॉर्जिया और आर्मेनिया में भारत के राजदूत रहे अचल कुमार मल्होत्रा का कहना है कि, कुछ देर जरूर हुई, लेकिन अनिश्चितता के हालात बने हुए थे, जिसके चलते कोई ठोस कदम उठाना मुश्किल था." हो सकता है कि यह काम 6-8 दिन पहले शुरू हो सकता था, लेकिन मैंने सुना है कि परीक्षा के चलते बहुत से छात्र यूक्रेन छोड़ कर भारत वापस नहीं आना चाहते थे."
दूसरी तरफ विदेश सचिव हर्षवर्धन श्रृंगला का कहना है कि भारतीय दूतावास ने कई दिन पहले ही कई एडवाइजरी जारी की थी और लोगों से यूक्रेन छोड़कर जाने की सलाह दी थी. वहीं सरकार पक्ष में कई लोगों का कहना है कि यूक्रेन और रूस के बीच हफ्तों से तनाव और संकट चला आ रहा था, लेकिन रूस हमला कर ही देगा, यह उम्मीद नहीं थी. हालांकि बाकी देशों ने अपने छात्रों को जनवरी में ही वहां से निकाल लिया था. असल में एयर इंडिया का ड्रीमलाइनर बी-787 विमान 200 से अधिक भारतीय नागरिकों को भारत लेकर आया लेकिन अगले विमान को यूक्रेन पहुंचने से पहले ही वापस लौटना पड़ा, क्योंकि तब तक रूस का आक्रमण शुरू हो चुका था. अब 'ऑपरेशन गंगा' के तहत छात्रों को भारत लाया जा रहा है.
छात्रों ने वतन वापसी के बाद तीन गुना पैसे मांगने का लगाया आरोप
यूक्रेन में फंसे छात्रों के परिजनों ने भारत सरकार पर सवाल उठाया है. उनका कहना है यूक्रेन से आने वाली फ्लाइट के दाम तीन गुना कर दिए गए हैं. भारत सरकार का ध्यान छात्रों पर नहीं है. कई छात्रों ने यह भी कहा कि उन्हें बॉर्डर पार करने के लिए कमीशन देना पड़ा. उनके पास पैसों की कमी है और खाने का सामान नहीं है. कई छात्र अभी भी बंकरों में रहने को मजबूर है. वहां के जो हालात है उसे देखकर परिजनों का दिल बैठा जा रहा है. परिजनों का कहना था कि सरकार रेस्क्यू कर रही है तो यूक्रेन से आने वाली हवाई यात्राओं का तीन गुना किराया क्यों वसूला जा रहा था? एयर कंपनियां आपदा में अवसर खोज रही हैं.
दूसरी तरफ ऐसे लोग भी हैं जिन्हें भारत सरकार अपने खर्चे पर यूक्रेन से मुंबई लेकर लौटी. फिर भी उन्होंने मुंबई से उनके घर का किराया न देने पर सरकार को घेरा...ऐसे लोगों के बारे में क्या ही कहा जाए. ऋषिकेश में रहने वाली आयुषी राय यूक्रेन से सकुशल अपने घर लौट आईं. वे इस बात के लिए सरकार को थैंक यू कहने की बजाय यह शिकायत कर रही हैं. वे इस बात पर निराश हैं कि उन्हें मुंबई से देहरादून आने के लिए सरकार की तरफ से मदद नहीं मिली. उन्हें अपने खर्च पर हवाई सेवा के जरिए देहरादून पहुंचना पड़ा. मतलब सरकार विदेश से ले आए और फिर सुरक्षित भारत में भी ट्रेवल का खर्चा दे, क्यों?
मंत्रियों को सिर्फ वाह-वाही लूटने के लिए यूक्रेन के पड़ोसी देशों में भेज दिया
प्रधानमंत्री मोदी ने यूक्रेन से भारतीय नागरिकों को निकालकर लाए जाने में प्रगति की समीक्षा के लिए एक उच्चस्तरीय बैठक की थी. इसके बाद यूक्रेन में फंसे भारतीय छात्रों को निकालने के लिए केंद्रीय मंत्री हरदीप पुरी, ज्योतिरादित्य सिंधिया, किरेन रिजिजू और वीके सिंह यूक्रेन के पड़ोसी देशों में भेजने का फैसला लिया गया. ये मंत्री भारत के ‘विशेष दूत’ के तौर पर वहां गए हैं. जिसके अनुसार, सिंधिया रोमानिया और मोल्दोवा गए हैं. वहीं किरेन रिजिजू स्लोवाकिया, हरदीप सिंह पुरी हंगरी और वीके सिंह पोलैंड गए हैं. इस पर लोगों ने कहा है कि ये वहां जाकर क्या करेंगे? समय पर छात्रों को वहां से निकाला नहीं और अब इन्हें वहां अपनी वाहवाही लूटने के लिए भेज दिया है. केंद्र सरकार ऐसे समय में भी काम करने की बजाय अवसर की तलाश में हैं.
असल बात तो यह है कि जिस मेडिकल की पढ़ाई के लिए भारत में करोड़ों देने पड़ते हैं वही पढ़ाई विदेश में 25 लाख में हो जाती है. वहीं संयुक्त राष्ट्र में भारत के स्थायी प्रतिनिधि टीएस तिरुमूर्ति ने न्यूज एजेंसी एएनआई से पिछले हफ्ते कहा था कि, "20,000 से अधिक भारतीय छात्र और नागरिक यूक्रेन के विभिन्न हिस्सों में रहकर पढ़ाई करते हैं. उनकी मदद करना हमारी प्राथमिकता है."
युद्ध में अपने मित्र रूस का समर्थन कर रहा केंद्र सरकार
कई लोग इस समय युद्ध के विशेषज्ञ बने हुए हैं. कई लोगों का मानना है कि इस समय भारत को यूक्रेन की मदद करनी चाहिए. पीएम मोदी को रूस से बात करना चाहिए. दरअसल, संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद (NSC) के प्रस्ताव पर हुए मतदान में भारत ने हिस्सा नहीं लिया जिसके बाद विपक्ष और कई लोगों ने केंद्र सरकार को घेर लिया. विपक्षा का कहना है कि ‘‘ऐसे समय आते हैं जब राष्ट्रों को खड़े होने और बिल्कुल अलग खड़े नहीं होने की जरूरत होती है. काश भारत ने सुरक्षा परिषद में यूक्रेन की उस जनता साथ एकजुट प्रकट करते हुए मतदान किया होता जो अप्रत्याशित और अनुचित आक्रमण का सामना कर रही है. ‘मित्र’ जब गलत हों तो उन्हें यह बताने की जरूरत है कि वो गलत हैं.’’ पूर्व केंद्रीय मंत्री तिवारी ने कहा कि, ‘‘दुनिया के ऊपर से आवरण हट गया है. भारत को पक्षों को चुनना होगा.’’ वहीं पूर्व विदेश राज्य मंत्री और कांग्रेस नेता शशि थरूर ने एक लेख में कहा, ‘‘आक्रमण तो आक्रमण है. हमें अपने मित्र रूस को यह बताना चाहिए…अगर मित्र एक दूसरे से ईमानदारी से बात नहीं कर सकते तो फिर मित्रता का क्या मतलब रह जाता है.’’
असल में यूक्रेन पर रूस के हमले को लेकर भारत पर दबाव बढ़ता जा रहा है. पूरे मामले में भारत का रुख अब तक रूस के खिलाफ नहीं रहा है. हालांकि भारत ने युद्ध समाप्ति की बात कही है. इसके साथ ही यूक्रेन में राहत सामाग्री भी भेजी है.
ऐसे माहौल में पीएम पर चुनाव प्रचार करने का आरोप
बहुत से लोग ऐसे हैं जो पीएम नरेंद्र मोदी पर इन हालातों में यूपी चुनाव के लिए प्रचार करने का आरोप लगा रहे हैं. उनका कहना है कि एक तरफ भारतीय छात्र यूक्रेन में फंसे हुए हैं. एक की मौत भी हो चुकी है दूसरी तरफ पीएम मोदी को चुनाव प्रचार कर रहे हैं. मोदी को छात्रों की जान से ज्यादा अपने चुनाव की फिक्र है..डॉ. मनमोहन सिंह को इतिहास हमेशा के लिए याद रखेगा. वह कम बोलते थे लेकिन काम अधिक करते थे. बीजेपी इस आपदा को फेक प्रमोशन और फेक इवेंट्स की तरह चला रही है. शिक्षा नैतिक अधिकार है वह तो मोदी के पास है नहीं. कोई भी संकट हो मोदी ने खुद को डिजास्टर साबित किया है. यूक्रेन में युद्ध शुरू होने से पहले अमेरिका और ब्रिटेन अपने नागरिकों को क्यों और कैसे निकालने में सक्षम थे? जबकि भारत की ओर से भारतीयों को यूक्रेन छोड़ने के लिए एडवाइजरी ही जारी करता रहा. पीएम मोदी को सिर्फ दिखावा ही आता है...
वहीं कई खलिहर लोग ट्वीटर पर रूस का समर्थन कर रहे हैं...
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