प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के पंजाब दौरे के दौरान हुई सुरक्षा चूक के मामले में बुधवार को सुप्रीम कोर्ट ने पांच सदस्यीय जांच समिति बनाने का निर्देश दे दिया है. ये जांच समिति जस्टिस इंदु मल्होत्रा के अगुवाई में काम करेगी. लेकिन, इस जांच समिति की रिपोर्ट आने से पहले इंडिया टुडे-आजतक के एक स्टिंग ऑपरेशन ने मामले में दूध का दूध और पानी का पानी कर दिया है. मौके पर मौजूद खुफिया अधिकारियों ने जो मिनट दर मिनट की जानकारी पंजाब सरकार और पंजाब पुलिस के नेतृत्व के पास भेजी, वो दबा दी गई. खुफिया कैमरे के सामने जिम्मेदार पुलिस अधिकारियों, इलाके के सरपंच ने आंखें खोल देने वाले खुलासे किए. ये खुलासे पंजाब सरकार और पंजाब पुलिस के नेतृत्व को 'गुनाहगार' साबित करने वाले हैं.
अब सवाल यही उठता है कि प्रधानमंत्री की सुरक्षा में जो चूक हुई वो राजनीतिक लालच में हुई महज आपराधिक अनदेखी थी या कोई गहरी साजिश? आइए, जानते हैं इस स्टिंग ऑपरेशन से उभरी महत्वपूर्ण बातों को-
1. फिरोजपुर में तैनात DSP, CID सुखदेव सिंह की बातों पर गौर किया जाए तो उन्होंने पंजाब में प्रधानमंत्री के दौरा कार्यक्रम से तीन दिन पहले ही गड़बड़ी की आशंका विस्तृत ब्योरा पुलिस आलाकमान को भेज दिया था. ऐसे अलर्ट 5 जनवरी को आखिरी मौके तक कई बार भेजे गए. उनके अलर्ट पर गौर न करके पंजाब सरकार और पुलिस नेतृत्व ने प्रधानमंत्री की सुरक्षा से आपराधिक खिलवाड़ किया.
2. सुखदेव सिंह ने समय रहते ही बता दिया था कि प्रधानमंत्री का रास्ता रोका जाएगा, लेकिन पुलिस नेतृत्व और सरकार ने मौके पर मौजूद SHO और अन्य पुलिस अधिकारियों को कोई कार्रवाई का निर्देश नहीं...
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के पंजाब दौरे के दौरान हुई सुरक्षा चूक के मामले में बुधवार को सुप्रीम कोर्ट ने पांच सदस्यीय जांच समिति बनाने का निर्देश दे दिया है. ये जांच समिति जस्टिस इंदु मल्होत्रा के अगुवाई में काम करेगी. लेकिन, इस जांच समिति की रिपोर्ट आने से पहले इंडिया टुडे-आजतक के एक स्टिंग ऑपरेशन ने मामले में दूध का दूध और पानी का पानी कर दिया है. मौके पर मौजूद खुफिया अधिकारियों ने जो मिनट दर मिनट की जानकारी पंजाब सरकार और पंजाब पुलिस के नेतृत्व के पास भेजी, वो दबा दी गई. खुफिया कैमरे के सामने जिम्मेदार पुलिस अधिकारियों, इलाके के सरपंच ने आंखें खोल देने वाले खुलासे किए. ये खुलासे पंजाब सरकार और पंजाब पुलिस के नेतृत्व को 'गुनाहगार' साबित करने वाले हैं.
अब सवाल यही उठता है कि प्रधानमंत्री की सुरक्षा में जो चूक हुई वो राजनीतिक लालच में हुई महज आपराधिक अनदेखी थी या कोई गहरी साजिश? आइए, जानते हैं इस स्टिंग ऑपरेशन से उभरी महत्वपूर्ण बातों को-
1. फिरोजपुर में तैनात DSP, CID सुखदेव सिंह की बातों पर गौर किया जाए तो उन्होंने पंजाब में प्रधानमंत्री के दौरा कार्यक्रम से तीन दिन पहले ही गड़बड़ी की आशंका विस्तृत ब्योरा पुलिस आलाकमान को भेज दिया था. ऐसे अलर्ट 5 जनवरी को आखिरी मौके तक कई बार भेजे गए. उनके अलर्ट पर गौर न करके पंजाब सरकार और पुलिस नेतृत्व ने प्रधानमंत्री की सुरक्षा से आपराधिक खिलवाड़ किया.
2. सुखदेव सिंह ने समय रहते ही बता दिया था कि प्रधानमंत्री का रास्ता रोका जाएगा, लेकिन पुलिस नेतृत्व और सरकार ने मौके पर मौजूद SHO और अन्य पुलिस अधिकारियों को कोई कार्रवाई का निर्देश नहीं दिया.
3. वे बताते हैं कि प्रदर्शनकारियों के वीडियो वायरल हो रहे थे, जिसमें वे प्रधानमंत्री को रोकने का प्लान बना रहे थे. ये वीडियो फिरोजपुर SSP को भेज दिए गए थे. लेकिन, SSP और पंजाब पुलिस के बाकी नेतृत्व ने इसे गंभीर नहीं माना.
4. प्रधानमंत्री की बठिंडा से सड़क यात्रा शुरू होने से पहले ही प्रदर्शनकारी सड़क पर आ गए थे, लेकिन फिर भी SPG को रास्ता साफ होने की जानकारी भेज दी गई. चूंकि, मौके पर मौजूद पुलिस को कोई कार्रवाई करने की इजाजत नहीं थी तो वो प्रदर्शनकारियों के साथ चाय पीती रही.
5. पंजाब सरकार और पुलिस को थी 'सिख फॉर जस्टिस' जैसे खालिस्तानी संगठनों के इरादों की जानकारी, लेकिन उन्होंने हाथ पर हाथ धरे रखना तय किया.
6. पंजाब सरकार और पुलिस को ये भी बात पहले से पता थी कि प्रदर्शनकारी फिरोजपुर रैली में शामिल होने के लिए जाने वाले लोगों को रोकेंगे, रैली में बाधा डालेंगे. लेकिन सरकार और पुलिस नेतृत्व ने इसे रोकने के कोई इंतजाम नहीं किए. कांग्रेस सरकार ये भूल गई कि जिन प्रदर्शनकारियों को वह भाजपा की रैली में जा रहे लोगों को रोकने के लिए निरंकुश छोड़ रही है, उसमें खालिस्तान समर्थक भी शामिल हैं. जो प्रधानमंत्री के लिए खतरा बन सकते हैं.
7. प्रदर्शनकारियों की आड़ में खालिस्तानियों के होने की तस्दीक फिरोजपुर के कुलगढ़ी पुलिस स्टेशन के SHO बीरबल सिंह खुद कर रहे हैं. उन्होंने पंजाब सरकार और पुलिस नेतृत्व के रवैये पर भी बड़ा खुलासा किया है. वे खुले रूप में स्वीकार कर रहे हैं कि किसानों की आड़ में पंजाब के चरमपंथी सक्रिय हैं. 5 अप्रैल को ये चरमपंथी भी सड़कों पर थे, लेकिन उन्हें किसी तरह की कार्रवाई करने का आदेश नहीं दिया गया था. इंडिया टुडे के स्टिंग ऑपरेशन में बलबीर सिंह सौ बात की एक बात कह जाते हैं कि भला चुनाव के मौसम में ऐसी कार्रवाई की हिम्मत कोई क्यों दिखाएगा?
8. SHO बीरबल सिंह का सबसे बड़ा खुलासा यही रहा कि प्रदर्शनकारियों के सड़क जाम करने की खुफिया जानकारी उन तक नहीं पहुंचाई गई थी. अब ये सवाल पंजाब सरकार और पुलिस नेतृत्व की तरफ रह जाता है, कि उन्होंने ऐसा क्यों किया?
9. जिस फ्लायओवर पर प्रधानमंत्री का काफिला अटक गया था, उसी के नीचे अवैध शराब की दुकान खुली रही. यानी जिस सड़क को सेंसेटाइज्ड करने की बात पंजाब पुलिस ने एसपीजी से कही थी, उस पर हालात जस के तस थे. खालिस्तानियों की धमकी के बावजूद वहां कोई सुरक्षाव्यवस्था नहीं थी. शराब की दुकान चलाने वाला शख्स स्टिंग ऑपरेशन में खुद कह रहा था कि उनके पास कोई कोई पुलिसवाला नहीं आया.
10. निछत्तर सिंह सरपंच हैं प्यारे गांव के. जहां के रहने वाले कुछ लोग सड़क जाम करने पहुंचे थे. निछत्तर बताते हैं कि प्रधानमंत्री के आने की खबर सुनकर कुछ लोग गुरुद्वारे से एलान करते सुने गए कि 'जल्दी चलो, सड़क जाम करना है'. जैसे ही पता चला कि प्रधानमंत्री फ्लाईओवर पर पहुंच गए हैं, तो यहां से कुछ युवक डंडे लेकर दौड़े. उनके इरादों के बारे में तो निछत्तर नहीं बताते हैं, लेकिन वे सब उसी योजना का हिस्सा थे, जो सड़क जाम करने के लिए बनाई गई थी.
प्रधानमंत्री की सुरक्षा में लापरवाही होना तो साबित है, क्या कोई मकसद भी था?
इंडिया टुडे-आजतक के स्टिंग ऑपरेशन ने यह तो साबित कर दिया कि प्रधानमंत्री की सुरक्षा को लेकर गंभीर चूक हुई है. और इसकी जिम्मेदार पंजाब सरकार और पुलिस नेतृत्व है. लेकिन, उन्होंने ऐसा क्यों किया? उनके मन में क्या था? ये उगलवाने की जिम्मेदारी सुप्रीम कोर्ट की कमेटी की है. फिलहाल तो अंदाजा ही लगाया जा सकता है कि...
- क्या ये महज सरकार और पुलिस नेतृत्व की नाकामी/लापरवाही का नतीजा है?
- खुफिया सूचनाओं का सही तरीके से फ्लो न हो पाना है?
- पंजाब की कांग्रेस सरकार की चुनावी पैंतरेबाजी का मिसफायर हो जाना है?
- प्रदर्शनकारियों और चरमपंथियों की योजना को कम आंकने की आपराधिक चूक है?
आधे घंटे का ये स्टिंग ऑपरेशन दूध का दूध, पानी का पानी कर देता है-
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