जम्मू कश्मीर में जब तीन पार्टियां - पीडीपी, नेशनल कॉन्फ्रेंस और कांग्रेस ने पहली बार सरकार बनाने के लिए एक साथ आना चाहा तो वहां के राज्यपाल ने विधानसभा भंग कर दी. हालांकि ये पार्टियां तो सरकार बनाने में सफल नहीं हो पाईं लेकिन 2019 के लोकसभा चुनावों से पहले भाजपा और नरेंद्र मोदी के खिलाफ विपक्षी पार्टियों की एकता की कोशिशों में तेजी लाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकती हैं. इस तरह एक और राज्य भाजपा के खिलाफ महागठबंधन के कड़ी में जुट सकता है और भाजपा के लिए यह जम्मू कश्मीर के अलावा देश में भी बड़ी चुनौती साबित हो सकता है.
भाजपा के खिलाफ विपक्षी एकता की शुरुआत उत्तर प्रदेश के उप-चुनावों से हुई जहां इन्हें सफलता का स्वाद चखने को मिला. इसके बाद भाजपा को कर्नाटक के विधानसभा चुनावों में सबसे ज़्यादा सीटों पर जीत के बावजूद विपक्षी एकता ने सत्ता से दूर रखा. वहां जेडीएस और कांग्रेस मिलकर सत्ता सुख भोग रहे हैं. इसके बाद हाल ही में सम्पन्न हुए कर्नाटक उप- चुनावों में भी 5 में से 4 सीटों पर कांग्रेस-जेडीएस गठबंधन की जीत हुई और भाजपा को मात्र एक सीट से ही संतोष करना पड़ा. और तब से ही विभिन्न राज्यों में भाजपा के खिलाफ महागठबंधन की कोशिशें जारी हैं जो आने वाले लोकसभा चुनावों में भी जलवा दिखाने को तत्पर हैं.
अब बात उन राज्यों की जहां विपक्षी पार्टियां अपनी विचारधाराओं को ताक पर रखकर भाजपा के खिलाफ एकजुट हो रहे हैं.
तेलंगाना और आंध्र प्रदेश:
तेलंगाना में कांग्रेस और तेलगु देशम पार्टी (टीडीपी) एक साथ विधानसभा चुनाव लड़ रहे हैं. वहीं भाजपा अकेले ही चुनाव मैदान में अपना भाग्य आजमा रही है. तेलंगाना राष्ट्र समिति (टीआरएस) भी आनेवाले...
जम्मू कश्मीर में जब तीन पार्टियां - पीडीपी, नेशनल कॉन्फ्रेंस और कांग्रेस ने पहली बार सरकार बनाने के लिए एक साथ आना चाहा तो वहां के राज्यपाल ने विधानसभा भंग कर दी. हालांकि ये पार्टियां तो सरकार बनाने में सफल नहीं हो पाईं लेकिन 2019 के लोकसभा चुनावों से पहले भाजपा और नरेंद्र मोदी के खिलाफ विपक्षी पार्टियों की एकता की कोशिशों में तेजी लाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकती हैं. इस तरह एक और राज्य भाजपा के खिलाफ महागठबंधन के कड़ी में जुट सकता है और भाजपा के लिए यह जम्मू कश्मीर के अलावा देश में भी बड़ी चुनौती साबित हो सकता है.
भाजपा के खिलाफ विपक्षी एकता की शुरुआत उत्तर प्रदेश के उप-चुनावों से हुई जहां इन्हें सफलता का स्वाद चखने को मिला. इसके बाद भाजपा को कर्नाटक के विधानसभा चुनावों में सबसे ज़्यादा सीटों पर जीत के बावजूद विपक्षी एकता ने सत्ता से दूर रखा. वहां जेडीएस और कांग्रेस मिलकर सत्ता सुख भोग रहे हैं. इसके बाद हाल ही में सम्पन्न हुए कर्नाटक उप- चुनावों में भी 5 में से 4 सीटों पर कांग्रेस-जेडीएस गठबंधन की जीत हुई और भाजपा को मात्र एक सीट से ही संतोष करना पड़ा. और तब से ही विभिन्न राज्यों में भाजपा के खिलाफ महागठबंधन की कोशिशें जारी हैं जो आने वाले लोकसभा चुनावों में भी जलवा दिखाने को तत्पर हैं.
अब बात उन राज्यों की जहां विपक्षी पार्टियां अपनी विचारधाराओं को ताक पर रखकर भाजपा के खिलाफ एकजुट हो रहे हैं.
तेलंगाना और आंध्र प्रदेश:
तेलंगाना में कांग्रेस और तेलगु देशम पार्टी (टीडीपी) एक साथ विधानसभा चुनाव लड़ रहे हैं. वहीं भाजपा अकेले ही चुनाव मैदान में अपना भाग्य आजमा रही है. तेलंगाना राष्ट्र समिति (टीआरएस) भी आनेवाले समय में कांग्रेस के साथ जा सकती है. आंध्र प्रदेश के विधानसभा और लोकसभा चुनाव में भी दोनों का एक साथ मिलकर चुनाव लड़ना लगभग तय है.
महाराष्ट्र:
महाराष्ट्र में भी कांग्रेस और राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (एनसीपी) विधानसभा और लोकसभा चुनाव साथ मिलकर लड़ेंगी. इसके लिए दोनों पार्टियों के बीच सीट बंटवारे को लेकर बातचीत भी जारी है. महाराष्ट्र कांग्रेस के अध्यक्ष अशोक चव्हाण कह चुके हैं कि वो एनसीपी के साथ ही चुनाव लड़ेंगे और उनका एकमात्र उद्देश्य भाजपा को हराना है.
कर्नाटक:
कर्नाटक में कांग्रेस और जेडीएस गठबंधन पहले से ही है और ये दोनों पार्टियां लोकसभा चुनाव भी साथ लड़ेंगी. इससे पहले यहां तीन लोकसभा और दो विधानसभा सीटों पर उपचुनाव में कांग्रेस-जेडीएस गठबंधन ने शानदार प्रदर्शन करते हुए कुल पांच में से चार सीटें अपने नाम कर ली थी.
तमिलनाडु:
अगर बात तमिलनाडु की हो तो यहां भी डीएमके, कांग्रेस और मक्क्ल निधि मय्यम एक साथ भाजपा के खिलाफ गठबंधन बनाने के करीब हैं. यहां डीएमके का पलड़ा भारी है क्योंकि एआईडीएमके की हालत जयललिता की मृत्यु के बाद काफी खराब हो चली है.
उत्तर प्रदेश:
उत्तर प्रदेश में भी वहां की दो प्रमुख पार्टियां समाजवादी पार्टी और मायावती की बसपा पहले से ही गठबंधन में है और कांग्रेस को भी साथ लाने की कवायद जारी है.
अगर ये सारी विपक्षी पार्टियां, जो आपस में विरोधी विचारधारा रखती हैं, भाजपा को सत्ता से दूर रखने के लिए गठबंधन बना लेती हैं और 2019 के लोकसभा चुनावों में एक साथ चुनाव लड़ती हैं तो नि:संदेह भाजपा को एक कड़ी चुनौती पेश कर सकती हैं.
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