जब एक बड़ा और लोकप्रिय नेता, जिसे जेड प्लस की सुरक्षा मिली हो, वो गायब होता है, तो सियासी गलियारे में एक हलचल सी पैदा हो जाती है. ऐसा ही हुआ वीएचपी के कार्यकारी अंतरराष्ट्रीय अध्यक्ष प्रवीण तोगड़िया के गायब होने की खबर के बाद. मकर संक्रांति को रहस्यमयी तरीके से गायब होने के बाद तोगड़िया अहमदाबाद के चंद्रमणि अस्पताल में मिले हैं. गायब होने के बाद से ही तरह-तरह से कयास लगाए जाने शुरू हो गए थे. उनके समर्थकों ने तो इधर-उधर प्रदर्शन भी करना शुरू कर दिया था. यह भी कहा जा रहा था कि पुलिस ही उन्हें उठा ले गई है. लेकिन अब प्रवीण तोगड़िया ने खुद ही अपने गायब होने के रहस्य से पर्दा उठा दिया है. प्रवीण तोगड़िया ने एक प्रेंस कॉन्फ्रेंस कर के वो बातें कहीं, जिनसे यह साफ जाहिर होता है कि भारतीय जनता पार्टी के शीर्ष नेतृत्व और तोगड़िया के बीच रिश्तों में खटास आ चुकी है.
तोगड़िया का एनकाउंटर करने की थी योजना?
तोगड़िया ने प्रेस कॉन्फ्रेंस में कहा कि उन्हें एक व्यक्ति ने बताया था कि उनका एंनकाउंटर करने की योजना बनाई जा रही है. वह बोले- अगर मैं पुलिस के हाथ आ जाता तो वह मुझे जेल से जेल घुमाते रहते. मेरे खिलाफ साजिश की जा रही है, जिसके तहत 20-20 साल पुराने केस निकाले जा रहे हैं. तोगड़िया गुजरात सरकार के खासा नाराज हैं और बोले कि उनकी आवाज को दबाने की कोशिश की जा रही है. उन्होंने कहा कि राम मंदिर, गौरक्षा और किसानों के लिए अगर अकेले भी लड़ना पड़ा लड़ूंगा, मैं हिंदुओं के लिए काम कर रहा हूं.
यूं गायब हुए थे तोगड़िया
प्रवीण तोगड़िया 14 जनवरी को उस समय गायब हो गए थे, जब राजस्थान पुलिस एक 12 साल पुराने मामले (धारा 188) के तहत उन्हें गिरफ्तार करने पहुंची थी. आपको बता दें कि इस मामले में तोगड़िया ने प्रशासन की अनुमति न होने के बावजूद लोगों को...
जब एक बड़ा और लोकप्रिय नेता, जिसे जेड प्लस की सुरक्षा मिली हो, वो गायब होता है, तो सियासी गलियारे में एक हलचल सी पैदा हो जाती है. ऐसा ही हुआ वीएचपी के कार्यकारी अंतरराष्ट्रीय अध्यक्ष प्रवीण तोगड़िया के गायब होने की खबर के बाद. मकर संक्रांति को रहस्यमयी तरीके से गायब होने के बाद तोगड़िया अहमदाबाद के चंद्रमणि अस्पताल में मिले हैं. गायब होने के बाद से ही तरह-तरह से कयास लगाए जाने शुरू हो गए थे. उनके समर्थकों ने तो इधर-उधर प्रदर्शन भी करना शुरू कर दिया था. यह भी कहा जा रहा था कि पुलिस ही उन्हें उठा ले गई है. लेकिन अब प्रवीण तोगड़िया ने खुद ही अपने गायब होने के रहस्य से पर्दा उठा दिया है. प्रवीण तोगड़िया ने एक प्रेंस कॉन्फ्रेंस कर के वो बातें कहीं, जिनसे यह साफ जाहिर होता है कि भारतीय जनता पार्टी के शीर्ष नेतृत्व और तोगड़िया के बीच रिश्तों में खटास आ चुकी है.
तोगड़िया का एनकाउंटर करने की थी योजना?
तोगड़िया ने प्रेस कॉन्फ्रेंस में कहा कि उन्हें एक व्यक्ति ने बताया था कि उनका एंनकाउंटर करने की योजना बनाई जा रही है. वह बोले- अगर मैं पुलिस के हाथ आ जाता तो वह मुझे जेल से जेल घुमाते रहते. मेरे खिलाफ साजिश की जा रही है, जिसके तहत 20-20 साल पुराने केस निकाले जा रहे हैं. तोगड़िया गुजरात सरकार के खासा नाराज हैं और बोले कि उनकी आवाज को दबाने की कोशिश की जा रही है. उन्होंने कहा कि राम मंदिर, गौरक्षा और किसानों के लिए अगर अकेले भी लड़ना पड़ा लड़ूंगा, मैं हिंदुओं के लिए काम कर रहा हूं.
यूं गायब हुए थे तोगड़िया
प्रवीण तोगड़िया 14 जनवरी को उस समय गायब हो गए थे, जब राजस्थान पुलिस एक 12 साल पुराने मामले (धारा 188) के तहत उन्हें गिरफ्तार करने पहुंची थी. आपको बता दें कि इस मामले में तोगड़िया ने प्रशासन की अनुमति न होने के बावजूद लोगों को संबोधित किया था. तोगड़िया ने बताया कि जैसे ही पुलिस उन्हें गिरफ्तार करने आई तो उन्होंने उनके हाथ न आने का फैसला किया और अकेले ही राजस्थान के उदयपुर कोर्ट में पहुंचने की योजना बनाई. पुलिस से बचने के लिए वह घर से ऑटो में बैठकर उदयपुर जाने के इरादे से एयरपोर्ट के लिए निकले ही थे कि रास्ते में उनकी तबीयत खराब होने लगी और उन्होंने वापस लौटने का फैसला किया. इसके बाद 'प्रवीण जी' नाम के एक शख्स ने 108 एंबुलेंस को फोन किया और बताया कि कोई व्यक्ति बेहोश पड़ा है, जिसके बाद उन्हें अस्पताल पहुंचाया गया. दरअसल, उनका शुगर लेवल काफी कम हो गया था, जिसकी वजह से वह बेहोश हो गए थे.
कभी मोदी से थे अच्छे संबंध
2002 में नरेंद्र मोदी के गुजरात का मुख्यमंत्री बनने से पहले भारतीय जनता पार्टी और प्रवीण तोगड़िया के बीच रिश्ते काफी अच्छे थे. लेकिन उसके बाद धीरे-धीरे प्रवीण तोगड़िया की भाजपा के शीर्ष नेतृत्व के साथ अनबन हो गई. बताया जाता है कि जब वीएचपी के कार्यकारी प्रमुख का चुनाव हुआ तो भी संघ और भाजपा का एक गुट चाहता था कि वह चुनाव न लड़ें. लेकिन भुवनेश्वर में हुई बैठक में प्रवीण तोगड़िया ने दिखा दिया कि वीएचपी के करीब 70 फीसदी लोग उनके साथ हैं. इसके बाद तोगड़िया को 3 साल के लिए कार्यकारी अध्यक्ष बना दिया गया. जनवरी की शुरुआत में ही यह बात सामने आई की हाल ही में वीएचपी के कार्यकारी अध्यक्ष के लिए होने वाले चुनावों को टाल दिया गया है, क्योंकि किसी एक नाम पर सहमति नहीं बन सकी है.
आईबी पर लगाया आरोप
तोगड़िया ने आरोप लगाया है कि गुजरात सरकार उनके खिलाफ एक बड़ी साजिश कर रही है. उन्होंने सीधे तौर पर आईबी का नाम लिया. तोगड़िया के खिलाफ ज्यादातर राज्यों में भड़काऊ भाषण देने या सरकारी आदेशों का उल्लंघन करने के मुकदमे दर्ज हैं. लेकिन पिछले कुछ दिनों से सरकार के लिए परेशानी बन रहे तोगड़िया को लगाम लगाने के लिए उनके खिलाफ मुकदमों पर कार्रवाई तेज कर दी गई हैं. दरअसल, मोदी सरकार जब गोरक्षकों की हिंसा से परेशान हो रही थी तो ये माना गया कि इन विवादों के पीछे विश्व हिंदू परिषद का हाथ है. और तोगड़िया समर्थक ही ऐसी हिंसाओं में लिप्त हैं. संघ की ओर से तोगड़िया को कहलवाया गया कि वे संगठन पर काबू रखें लेकिन ऐसा नजर नहीं आया.
कौन हैं तोगड़िया?
प्रवीण तोगड़िया 1983 में सिर्फ 22 साल की उम्र में वीएचपी से जुड़े थे. तोगड़िया पेशे से कैंसर सर्जन हैं. राम मंदिर आंदोलन में उनकी भूमिका को देखते हुए पहले उन्हें वीएचपी का महासचिव बनाया गया और फिर अशोक सिंघल के बाद 2011 में अंतरराष्ट्रीय अध्यक्ष बना दिया गया. उन्होंने अपनी किताब ‘सैफरान रिफ्लेक्शन: फेसेज ऐंड मास्क’ में भाजपा और पीएम मोदी पर कई सवाल उठाए हैं, जो उनकी नाराजगी को साफ दिखाता है. इतना ही नहीं, वह कई मौकों पर सार्वजनिक रूप से भी मोदी सरकार के काम-काज के तरीकों पर निशाना साध चुके हैं. यही कारण है कि अब जो कुछ तोगड़िया के साथ हो रहा है, उसे भाजपा के शीर्ष नेतृत्व से हुई अनबन के साथ भी जोड़कर देखा जा रहा है.
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