राजपथ पर देश के शौर्य और शक्ति के प्रदर्शन से पहले ही राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद (President Ramnath Kovind) ने चीन को कड़ा संदेश दिया है. गणतंत्र दिवस (Republic Day) की पूर्व संध्या पर राष्ट्र के नाम संदेश में ही राष्ट्रपति ने चीन को भी उसी लहजे में संदेश दिया है जिसका चीन (China) के नेतृत्व पर सबसे तेज असर होता है - 'विस्तारवादी'. ये शब्द सुनते ही चीन के नेता तिलमिला उठते हैं.
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भी पिछले साल चीन को संदेश देने के लिए इसी विस्तारवादी शब्द का इस्तेमाल किया था - और ये सुनते ही चीन की तरफ से फौरी प्रतिक्रिया भी आ गयी थी. तब चीन के प्रवक्ता शिद्दत से सफाई पेश करने की कोशिश कर रहे थे कि चीन ऐसा नहीं है - चीन की सोच या नीति विस्तारवादी नहीं है.
भारत की तरफ से चीन को ये मैसेज ऐसे दौर में दिया गया है जब चीनी सैनिकों की घुसपैठ को नाकाम करने की जानकारी सेना की तरफ से दी गयी है. बताया गया है कि सिक्किम के नाकु ला में चीन की ग्राउंड लेवल पर छेड़छाड़ की कोशिश नाकाम कर दी गयी है - और इस झड़प में इस बार चीन को काफी नुकसान उठाना पड़ा है - चीन के 20 सैनिक झड़प में जख्मी हो गये हैं.
राष्ट्र के नाम संदेश में चीन को कड़ा मैसेज
पूर्वी लद्दाख में लाइन ऑफ एक्चुअल कंट्रोल पर तनाव पहले से ही बरकरार है, तभी सिक्किम में भारत और चीन की सेना के बीच झड़प हुई है. खबर आई है कि अभी तीन दिन पहले ही सिक्किम के नाकु ला में चीनी फौज ने सीमा की यथास्थिति को बदलने की कोशिश की थी, लेकिन पहले से ही मुस्तैद भारतीय जवानों ने चीनी फौज के इरादे भांपते हुए एक्शन लिया और चीनी सैनिकों को रोकते हुए खदेड़ डाला.
सेना की तरफ से इस बारे में जानकारी देते हुए बताया गया है, '20 जनवरी को सिक्किम के नाकु ला में दोनों देशों के सैनिक आमने-सामने हुए थे... दोनों सेना के कमांडरों ने तय प्रोटोकॉल के मुताबिक विवाद सुलझा लिया है.'
भारत और चीन के बीच सीमा पर तनाव का का माहौल पिछले साल अप्रैल से ही बना हुआ है. 15 जून, 2020 को तो...
राजपथ पर देश के शौर्य और शक्ति के प्रदर्शन से पहले ही राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद (President Ramnath Kovind) ने चीन को कड़ा संदेश दिया है. गणतंत्र दिवस (Republic Day) की पूर्व संध्या पर राष्ट्र के नाम संदेश में ही राष्ट्रपति ने चीन को भी उसी लहजे में संदेश दिया है जिसका चीन (China) के नेतृत्व पर सबसे तेज असर होता है - 'विस्तारवादी'. ये शब्द सुनते ही चीन के नेता तिलमिला उठते हैं.
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भी पिछले साल चीन को संदेश देने के लिए इसी विस्तारवादी शब्द का इस्तेमाल किया था - और ये सुनते ही चीन की तरफ से फौरी प्रतिक्रिया भी आ गयी थी. तब चीन के प्रवक्ता शिद्दत से सफाई पेश करने की कोशिश कर रहे थे कि चीन ऐसा नहीं है - चीन की सोच या नीति विस्तारवादी नहीं है.
भारत की तरफ से चीन को ये मैसेज ऐसे दौर में दिया गया है जब चीनी सैनिकों की घुसपैठ को नाकाम करने की जानकारी सेना की तरफ से दी गयी है. बताया गया है कि सिक्किम के नाकु ला में चीन की ग्राउंड लेवल पर छेड़छाड़ की कोशिश नाकाम कर दी गयी है - और इस झड़प में इस बार चीन को काफी नुकसान उठाना पड़ा है - चीन के 20 सैनिक झड़प में जख्मी हो गये हैं.
राष्ट्र के नाम संदेश में चीन को कड़ा मैसेज
पूर्वी लद्दाख में लाइन ऑफ एक्चुअल कंट्रोल पर तनाव पहले से ही बरकरार है, तभी सिक्किम में भारत और चीन की सेना के बीच झड़प हुई है. खबर आई है कि अभी तीन दिन पहले ही सिक्किम के नाकु ला में चीनी फौज ने सीमा की यथास्थिति को बदलने की कोशिश की थी, लेकिन पहले से ही मुस्तैद भारतीय जवानों ने चीनी फौज के इरादे भांपते हुए एक्शन लिया और चीनी सैनिकों को रोकते हुए खदेड़ डाला.
सेना की तरफ से इस बारे में जानकारी देते हुए बताया गया है, '20 जनवरी को सिक्किम के नाकु ला में दोनों देशों के सैनिक आमने-सामने हुए थे... दोनों सेना के कमांडरों ने तय प्रोटोकॉल के मुताबिक विवाद सुलझा लिया है.'
भारत और चीन के बीच सीमा पर तनाव का का माहौल पिछले साल अप्रैल से ही बना हुआ है. 15 जून, 2020 को तो चीनी फौज के साथ हिंसक झड़प में 20 भारतीय जवान शहीद भी हो गये थे.
जहां तक गलवान घाटी में चीन को हुए नुकसान का सवाल है, खबर तो यही रही कि चीन के भी 40 से ज्यादा सैनिक मारे गये थे, हालांकि, चीन की तरफ से अब तक कभी भी ये स्वीकार नहीं किया गया. ताजा घटना में भी चीन के 20 सैनिक घायल बताये जा रहे हैं.
अभी 8 जनवरी को ही चीन के एक सैनिक को भारतीय सीमा में घुसने पर हिरासत में ले लिया गया था. चीन की तरफ से बताया गया कि सैनिक गलती से भारतीय इलाके में चला गया था. दो दिन बाद भारत ने चीन के सैनिक को उनके साथियों के हवाले कर दिया था. अक्टूबर, 2020 में भी ऐसे ही एक चीनी फौजी को हिरासत में लिया गया था, लेकिन दो दिन बाद ही चीन के सैन्य अफसरों को सौंप दिया गया.
गणतंत्र दिवस की पूर्व संध्या पर राष्ट्र के नाम संदेश में राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने सैनिकों की बहादुरी, देशप्रेम और बलिदान को लेकर देशवासियों की तरफ से गर्व का इजहार किया. राष्ट्रपति ने कहा, 'सियाचिन और गलवान घाटी में माइनस 50 से 60 डिग्री तापमान में सब कुछ जमा देने वाली सर्दी से लेकर, जैसलमर में 50 डिग्री सेंटीग्रेड से ऊपर के तापमान में, झुलसा देने वाली गर्मी में - धरती, आकाश और विशाल तटीय क्षेत्रों में हमारे सेनानी भारत की सुरक्षा का दायित्व हर पल निभाते हैं.'
जवानों की बहादुरी का जिक्र करते हुए राष्ट्रपति कोविंद ने LAC पर चीन की तरफ से होने वाली हरकतों को लेकर भी, इशारों में ही सही, कड़ा संदेश दिया है.
राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने कहा, 'भारत ने अपनी सीमाओं पर एक विस्तारवादी कदम का सामना किया - लेकिन हमारे बहादुर सैनिकों ने इसे नाकाम कर दिया.'
साथ ही साथ, राष्ट्रपति कोविंद ने ये भी कहा, 'सेना, वायु सेना और नौसेना देश की सुरक्षा को मजबूत बनाए रखने में सक्षम है.'
ये विस्तारवादी शब्द चीन के खिलाफ इतना असरदार साबित होता है कि सुनते ही सफाई आनी शुरू हो जाती है. जब प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने लेह में जवानों से मुलाकात के दौरान चीन के खिलाफ इशारों में ही विस्तारवादी शब्द का इस्तेमाल किया था तो फौरन ही चीन की तरफ से खंडन पेश किया गया, चीन को विस्तारवादी के तौर पर देखना बेबुनियाद है. ऐसा रिएक्शन चीन ने तब दिया जब प्रधानमंत्री ने उसका नाम भी नहीं लिया था.
भारत में चीनी दूतावास के प्रवक्ता ने भी ट्विटर पर लिखा, 'चीन ने अपने 14 पड़ोसी देशों में से 12 के साथ शांतिपूर्ण वार्ता के माध्यम से सीमा का निर्धारण किया है और जमीनी सरहदों को दोस्ताना सहयोग में तब्दील कर दिया है.'
लेह यात्रा में बगैर चीन का नाम लेते हुए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा था, 'बीती शताब्दी में विस्तारवाद ने ही मानव जाति का विनाश किया... किसी पर विस्तारवाद की जिद सवार हो तो हमेशा वह विश्व शांति के सामने खतरा है."
लगे हाथ प्रधानमंत्री मोदी ने ताकीद भी की, 'विस्तारवाद का युग समाप्त हो चुका है - और अब विकासवाद का दौर है. तेजी से बदलते समय में विकासवाद ही प्रासंगिक है... विकासवाद के लिए असवर हैं ये ही विकास का आधार हैं.'
सामरिक मामलों के विशेषज्ञ ब्रहा चेलानी ने प्रधानमंत्री मोदी के लेह दौरे और वहां से दिये मैसेज को लेकर तब कहा था, 'प्रधानमंत्री मोदी ने लद्दाख के मोर्चे पर जाकर बहुत अच्छा किया. ये दौरा बता रहा है कि भारत ने चीन को ये संदेश दिया है कि वो उसे को पीछे खदेड़ने के लिए दृढ़ संकल्प है.'
चीन को सबक सिखाना भी जरूरी हो गया है
ब्रह्म चेलानी ने हाल ही में टाइम्स ऑफ इंडिया में एक लेख में मोदी सरकार को सलाह दी थी कि तिब्बत को लेकर बनाये गये अमेरिकी कानून का भारत को फिर से फायदा उठाना चाहिये, जो पहले नहीं हो पाया. चेलानी की नजर में तिब्बत चीन की दुखती रग है और अगर भारत को इसका फायदा उठाने का इरादा नहीं है तो कम से कम तिब्बत पर चीन की पॉलिसी का सपोर्ट बंद कर देना चाहिये.
ताजा झड़प के बाद ब्रह्म चेलानी ने एक बार फिर चेताया है कि तिब्बत से लगी सीमा अभी तक विवादरहित रही है, लेकिन चीन के विस्तारवादी रवैये का असर यहां भी दिखने लगा है.
ब्रह्म चेलानी के लेख को काउंटर करने के लिए चीनी अखबार ग्लोबल टाइम्स ने अपने विशेषज्ञों के हवाले से कहा था कि भारत ने अगर तिब्बत पर अपनी स्थिति में बदलाव किया तो चीन सिक्किम को भारत का हिस्सा नहीं मानेगा - और कश्मीर के मुद्दे पर भी चीन अपने तटस्थ रवैये में बदलाव करेगा. सिक्किम के नाकु ला में सैनिकों की झड़प को भी ब्रह्म चेलानी चीन के विस्तारवादी रवैये से ही जोड़ कर देख रहे हैं.
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के बाद और अब राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने भी चीन को वैसा ही कड़ा राजनीतिक मैसेज दिया है. असल में चीन को ऐसे ही एक सख्त संदेश की जरूरत रही और राष्ट्रपति ने वो संदेश दे दिया है - अगर अब भी चीन को संदेश का मतलब समझ नहीं आता तो गुमनाम मैसेज की जगह नाम लेकर बताना ही ठीक रहेगा.
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