मोदी सरकार ने आने के बाद देश से वीआईपी कल्चर (VIP Culture) को खत्म किया. उससे पहले हर सड़क पर कुछ लालबत्ती वाली गाड़ियां दौड़ती नजर आ जाती थीं. वैसे इस बात को नकारा नहीं जा सकता कि लाल बत्ती का रौब कितना होता था, लेकिन अब वो रौब नहीं रहा. खैर, अभी भी आप सड़कों पर देखेंगे तो पता चलेगा कि कई छुटभैय्ये नेता भी अपने गाड़ी के आगे-पीछे एक-दो गाड़ियां लेकर चलते हैं. भले ही वह उनकी जरूरत ना हो, लेकिन कम से कम उनका रौब तो बनाए रखने में मदद करते ही हैं. अब सोचिए जरा, अगर किसी से कहा जाए कि ये सब छोड़कर सामान्य व्यक्ति की तरह रहो... बेशक ऐसा मुमकिन नहीं लगता, क्योंकि जिस वीआईपी कल्चर की आदत हो चुकी हो, उससे बाहर निकलना आसान नहीं होता. आज भी भारत में ऐसे बहुत से रजवाड़े हैं, जो अपने नाम में कुंवर लगाना पसंद करते हैं, राजाओं वाला फील जो आता है. आजादी के बाद जब रजवाड़ों का विलय हो रहा था, तो इसका विरोध भी खूब हुआ था, लेकिन ऐसे लोगों के लिए प्रिंस हैरी और उनकी पत्नी मेघन ने एक नया उदाहरण स्थापित किया है. हैरी (Prince Harry) और मेघन (Meghan Markle) ने फैसला किया है कि वह रॉयल फैमिली (Royal Family) की सदस्यता छोड़ रहे हैं. शनिवार को ब्रिटेन के बकिंघम पैसेस ने इस बारे में जानकारी दी. इस फैसले पर वह यूं ही नहीं पहुंचे, बल्कि इसके लिए महारानी के साथ उन्होंने करीब हफ्ते भर तक चर्चा की है. यानी अब उन्हें हिज रॉयल हाइनेस और हर रॉयल हाइनेस कहकर नहीं बुलाया जाएगा, बल्कि अब वह भी सामान्य लोग होंगे. यह सभी बदलाव इस साल फरवरी-मार्च से लागू होंगे. अब एक बड़ा सवाल ये उठता है कि आखिर इससे कितना फर्क पड़ता है?
समझिए रॉयल फैमिली का सदस्य होने का मतलब
प्रिंस...
मोदी सरकार ने आने के बाद देश से वीआईपी कल्चर (VIP Culture) को खत्म किया. उससे पहले हर सड़क पर कुछ लालबत्ती वाली गाड़ियां दौड़ती नजर आ जाती थीं. वैसे इस बात को नकारा नहीं जा सकता कि लाल बत्ती का रौब कितना होता था, लेकिन अब वो रौब नहीं रहा. खैर, अभी भी आप सड़कों पर देखेंगे तो पता चलेगा कि कई छुटभैय्ये नेता भी अपने गाड़ी के आगे-पीछे एक-दो गाड़ियां लेकर चलते हैं. भले ही वह उनकी जरूरत ना हो, लेकिन कम से कम उनका रौब तो बनाए रखने में मदद करते ही हैं. अब सोचिए जरा, अगर किसी से कहा जाए कि ये सब छोड़कर सामान्य व्यक्ति की तरह रहो... बेशक ऐसा मुमकिन नहीं लगता, क्योंकि जिस वीआईपी कल्चर की आदत हो चुकी हो, उससे बाहर निकलना आसान नहीं होता. आज भी भारत में ऐसे बहुत से रजवाड़े हैं, जो अपने नाम में कुंवर लगाना पसंद करते हैं, राजाओं वाला फील जो आता है. आजादी के बाद जब रजवाड़ों का विलय हो रहा था, तो इसका विरोध भी खूब हुआ था, लेकिन ऐसे लोगों के लिए प्रिंस हैरी और उनकी पत्नी मेघन ने एक नया उदाहरण स्थापित किया है. हैरी (Prince Harry) और मेघन (Meghan Markle) ने फैसला किया है कि वह रॉयल फैमिली (Royal Family) की सदस्यता छोड़ रहे हैं. शनिवार को ब्रिटेन के बकिंघम पैसेस ने इस बारे में जानकारी दी. इस फैसले पर वह यूं ही नहीं पहुंचे, बल्कि इसके लिए महारानी के साथ उन्होंने करीब हफ्ते भर तक चर्चा की है. यानी अब उन्हें हिज रॉयल हाइनेस और हर रॉयल हाइनेस कहकर नहीं बुलाया जाएगा, बल्कि अब वह भी सामान्य लोग होंगे. यह सभी बदलाव इस साल फरवरी-मार्च से लागू होंगे. अब एक बड़ा सवाल ये उठता है कि आखिर इससे कितना फर्क पड़ता है?
समझिए रॉयल फैमिली का सदस्य होने का मतलब
प्रिंस हैरी और मेघन ने मार्केल के रॉयल फैमिली की सदस्यता छोड़ने के बाद उन्हें बहुत सारे अधिकार नहीं मिल पाएंगे.
- वह हिज रॉयल हाइनेस और हर रॉयल हाइनेस की उपाधि का इस्तेमाल नहीं कर पाएंगे.
- वह सार्वजनिक कोष का इस्तेमाल भी नहीं कर सकेंगे. यानी उन्हें शाही कर्तव्यों के लिए सार्वजनिक निधि नहीं मिलेगी.
- हैरी और मेगन अभी तक ड्यूक ऑफ ससेक्स हैरी और डचेस ऑफ ससेक्स मेगन के तौर पर जाने जाते थे, अब यह उपाधि नहीं रहेगी.
- दंपती के विंडसर कैसल स्थित घर की मरम्मत में करदाताओं के 24 लाख पाउंड खर्च हुए हैं, जिसे उन्हें वापस लौटाना होगा.
- अब वह किसी भी देश में महारानी एलिजाबेथ के प्रतिनिधि नहीं होंगे.
अब एक सवाल ये उठता है कि जब रॉयल फैमिला का सदस्य होने के नाते इतने सारे फायदे और रुतबा मिल रहा था तो फिर उन्होंने टाइटल छोड़ा क्यों?
तो फिर क्यों छोड़ा रॉयल टाइटल?
प्रिंस हैरी शाही परिवार का हिस्सा रहते हुए खुद को स्वतंत्र महसूस नहीं करते थे. इस बात का इशारा खुद महारानी ने ही किया है. उन्होंने एक बयान में कहा है कि प्रिंस हैरी और मेघन मार्केल के हर कदम पर पिछले दो साल से जिस तरह नजर रखी जा रही है, उसके परिणामस्वरूप उनके सामने आने वाली चुनौतियों को वह समझती हैं और एक अधिक स्वतंत्र जीवन जीने की उनकी इच्छा का समर्थन करती हैं. बता दें कि रॉयल फैमिला का होने की वजह से उनके हर कदम पर मीडिया नजर रखती थी, जिसे वह काफी डिस्टर्ब महसूस करते थे.
यहां आपको बता दें कि प्रिंस हैरी ने कुछ दिन पहले भी इंस्टाग्राम के जरिए स्वतंत्र रूप से रहने की इच्छा जताई थी. उन्होंने कहा था कि 'हमलोग शाही परिवार के वरिष्ठ सदस्य की हैसियत से हटना चाहते हैं और अपने आर्थिक रूप से आज़ाद होने के लिए काम करना चाहते हैं. लेकिन इसके साथ ही महारानी को हमारा समर्थन जारी रहेगा.'
अब आगे क्या?
हैरी ने भले ही रॉयल फैमिली की सदस्यता छोड़ दी है, लेकिन वह राजकुमार और ब्रिटिश शाही गद्दी के छठे वारिस बने रहेंगे. एक सवाल ये भी उठता है कि आगे वह अपना घर चलाने के लिए क्या करेंगे? कहां रहेंगे? बता दें कि वह ब्रिटेन में विंडसर महल में ही अपने पुराने घर में रहेंगे, जिसके रिनोवेशन में करीब 24 लाख पाउंड खर्च हुए थे, जिसे दंपति वापस भी करेगी. इसके अलावा प्रिंस हैरी आत्मनिर्भर बनने के लिए नौकरी कर सकते हैं. वे दोनों पहले से ही एक चैरिटी भी चलाते हैं. वहीं मेघन मार्केल एक्ट्रेस थीं, तो वह दोबारा से एक्टिंग शुरू कर सकती हैं.
परिवार या खानदान के नाम पर सत्ता का दावा करने वालों के लिए मायने
एक ओर प्रिंस हैरी और मेघन मार्केल हैं, जिन्होंने पलक झपकते ही अपनी रॉयल फैमिली की सदस्यता छोड़ दी और आम लोगों जैसे बन गए. वहीं दूसरी ओर भारत में कई राजनीतिक दल ऐसे हैं, जो सिर्फ इसलिए सत्ता का दावा करते हैं, क्योंकि उस पर उनके परिवार या खानदान का हक रहा है. बात भले ही कांग्रेस की हो, समाजवादी पार्टी की हो, आरजेडी की हो या अन्य कई पार्टियों की हो, सभी यही सोचती हैं कि पार्टी पर हमेशा से उनके परिवार का कब्जा रहा है तो आगे भी उन्हीं का कब्जा रहे. ऐसे लोगों के लिए हैरी और मेघन एक उदाहरण हैं, जो ये दिखाते हैं कि अगर रॉयल्टी से अलग होना चाहें, तो हुआ जा सकता है. हां अगर किसी को अपना वीआईपी दिखना या राजा-रजवाड़ों की तरह रहना पसंद हो, तो वह हैरी-मेघन जैसा अहम कदम कभी नहीं उठा सकता.
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