उत्तर प्रदेश (ttar Pradesh) में मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ (Yogi Adityanath) और प्रियंका गांधी (Priyanka Gandhi) आमने सामने हैं. दोनों नेता अपनी अपनी धुरी पर खड़े होकर अपने को प्रवासी मजदूरों (Migrant Workers) और कामगारों का सच्चा हिमायती दिखाने के लिए अपनी तरफ़ से वो तमाम प्रयास कर रहे हैं जिसने यूपी की राजनीति में गर्मी बढ़ा दी है. और अब जिससे प्रभावित पूरा देश हो रहा है. प्रवासी श्रमिकों के मुद्दे को लेकर यूपी में कांग्रेस और भाजपा के बीच सियासी खींचतान तेज़ हो गई है. मामला कहां आ गया है? इसे बसों की उस लिस्ट से समझ सकते हैं जो प्रवासी मजदूरों को उनके घर भेजने के लिए कांग्रेस की तरफ से भेजी गई है. यूपी सरकार की तरफ से दावा किया जा रहा है कि प्रवासी श्रमिकों और कामगारों के लिए बसों की लिस्ट में कई नंबर मोटरसाइकिल, थ्री व्हीलर और कार के निकल रहे हैं.
बता दें कि सोशल मीडिया पर वायरल लिस्ट में शामिल आरजे 14 टीडी 1446 को 'शेवरले बीट' कार का बताया जा रहा है. ऐसे ही एक नंबर यूपी 83 टी 1106 के मालिक का नाम इरशाद और वाहन थ्री व्हीलर बता रहा है. वहीं नंबर यूपी 85 टी 65 76 प्लेटिना बाइक है जिसका मालिक जितेंद्र कुमार बताया जा रहा है. कांग्रेस की ओर से भेजी गई बसों की इस लिस्ट के वायरल होने के बाद आलोचना का दौर तेज़ हो गया है.
उत्तर प्रदेश सरकार के लघु उद्योग मंत्री व प्रदेश सरकार के प्रवक्ता सिद्धार्थनाथ सिंह ने प्रियंकागांधी द्वारा भेजी लिस्ट पर कई अहम खुलासे किए हैं.उन्होंने कहा है कि इसमें कई वाहनों के नंबर और डिटेल गलत है और बसों के बजाय और वाहनों के नंबर हैं. राजधानी लखनऊ में मीडिया से मुखातिब होते हुए...
उत्तर प्रदेश (ttar Pradesh) में मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ (Yogi Adityanath) और प्रियंका गांधी (Priyanka Gandhi) आमने सामने हैं. दोनों नेता अपनी अपनी धुरी पर खड़े होकर अपने को प्रवासी मजदूरों (Migrant Workers) और कामगारों का सच्चा हिमायती दिखाने के लिए अपनी तरफ़ से वो तमाम प्रयास कर रहे हैं जिसने यूपी की राजनीति में गर्मी बढ़ा दी है. और अब जिससे प्रभावित पूरा देश हो रहा है. प्रवासी श्रमिकों के मुद्दे को लेकर यूपी में कांग्रेस और भाजपा के बीच सियासी खींचतान तेज़ हो गई है. मामला कहां आ गया है? इसे बसों की उस लिस्ट से समझ सकते हैं जो प्रवासी मजदूरों को उनके घर भेजने के लिए कांग्रेस की तरफ से भेजी गई है. यूपी सरकार की तरफ से दावा किया जा रहा है कि प्रवासी श्रमिकों और कामगारों के लिए बसों की लिस्ट में कई नंबर मोटरसाइकिल, थ्री व्हीलर और कार के निकल रहे हैं.
बता दें कि सोशल मीडिया पर वायरल लिस्ट में शामिल आरजे 14 टीडी 1446 को 'शेवरले बीट' कार का बताया जा रहा है. ऐसे ही एक नंबर यूपी 83 टी 1106 के मालिक का नाम इरशाद और वाहन थ्री व्हीलर बता रहा है. वहीं नंबर यूपी 85 टी 65 76 प्लेटिना बाइक है जिसका मालिक जितेंद्र कुमार बताया जा रहा है. कांग्रेस की ओर से भेजी गई बसों की इस लिस्ट के वायरल होने के बाद आलोचना का दौर तेज़ हो गया है.
उत्तर प्रदेश सरकार के लघु उद्योग मंत्री व प्रदेश सरकार के प्रवक्ता सिद्धार्थनाथ सिंह ने प्रियंकागांधी द्वारा भेजी लिस्ट पर कई अहम खुलासे किए हैं.उन्होंने कहा है कि इसमें कई वाहनों के नंबर और डिटेल गलत है और बसों के बजाय और वाहनों के नंबर हैं. राजधानी लखनऊ में मीडिया से मुखातिब होते हुए सिद्धार्थनाथ सिंह ने कहा कि कांग्रेस इस मौके पर भी अपनी नीयत से बाज नहीं आई और दी गई लिस्ट में कार, ट्रैक्टर, एंबुलेंस और स्कूटर जैसे वाहनों के नंबर हैं.
गौरतलब है कि यूपी में राज्य सरकार और कांग्रेस के बीच प्रवासियों के लिए बस के प्रबंध को लेकर खींचतान मची है. 1000 बसों को चलाने की अनुमति देने के साथ यूपी के अपर मुख्य सचिव गृह ने प्रियंका गांधी वाड्रा को पत्र भेज लखनऊ में बसें हैंडओवर करने की बात कही. इसे अनुचित बताते हुए अब प्रियंका के निजी सचिव ने अपर मुख्य सचिव को पत्र लिखा है.
बता दें कि अपर मुख्य सचिव (गृह) अवनीश कुमार अवस्थी ने प्रियंका वाड्रा के निजी सचिव को पत्र लिखा कि सभी बसें लखनऊ स्थित वृंदावन योजना सेक्टर- 15 और 16 में पूर्वाह्न 10 बजे लाकर खड़ी करें. सभी बसों के चालकों के ड्राइविंग लाइसेंस, परिचालकों के परिचय पत्र और बसों के फिटनेस प्रमाण पत्र जिलाधिकारी लखनऊ को सौंप दें. अनुमति पत्र दे दिए जाएंगे. अवनीश अवस्थी के इस पत्र के बाद से ही यूपी की सियासत में दोनों दलों की तरफ से चिट्ठी चिट्ठी खेली जा रही है और एक दूसरे पर आरोप लगाए जा रह हैं.
बहरहाल मामले में ताजा पत्र प्रियंका वाड्रा के निजी सचिव संदीप सिंह की ओर आया है. इस पत्र का यदि अवलोकन किया जाए तो प्रियंका की ओर से कहा गया कि बसों को लाने की प्रक्रिया चल रही है. मामले में दिलचस्प बात ये है कि अब तक कुल 9 पत्र लिखे जा चुके हैं और नतीजा उसी कहावत को चरितार्थ कर रहा है जिसमें कहा गया है ढाक के तीन पात.
जिक्र अगर मौजूदा वक़्त का हो तो भले ही मजदूरों के मद्देनजर राजनीति अपने चरम पर हो मगर बात जब जमीनी हकीकत की आएगी तो मजदूरों की कोई सुध लेने वाला नहीं है. आने वाले वक़्त में उत्तर प्रदेश में चुनाव होना है इसलिए इस पूरे बस प्रकरण को और इस मामले में चल रही चिट्ठीबाजी को हम भविष्य के चुनाव से भी जोड़कर देख सकते हैं. यानी कोरोना वायरस लॉकडाउन के इस दौर में दल मजदूरों के लिए फिक्रमंद अपनी अपनी सुचिता और सुविधा के अनुसार हो रहे हैं.
प्रवासी मजदूरों और उनके घर पहुंचने के सन्दर्भ में प्रयास किसके कारगर साबित होते हैं इसका फैसला वक़्त करेगा लेकिन जो वर्तमान है उसे देखकर इतना तो साफ़ है कि कांग्रेस से लेकर भाजपा तक शायद ही कोई वाक़ई मजदूरों के लिए फिक्रमंद हो. खेल कुर्सी का है. भाजपा जहां एक तरफ अपनी कुर्सी बचाना चाहती है तो वहीं कांग्रेस के सामने चुनौती उस कुर्सी को हासिल करना है.
बहरहाल बात प्रियंका गांधी और मजदूरों के सन्दर्भ में हुई है तो जैसे हालात हैं उन्हें देखकर इतना तो साफ़ है कि फ़िलहाल ये परेशानी ख़त्म होने वाली नहीं है. बहुत राजनीति हो चुकी है और अभी बहुत राजनीति होनी बाकी है.
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