यूपी में 2022 के विधानसभा चुनाव होने हैं. चुनावों के मद्देनजर भाजपा की तैयारी पूरी है. चाहे वो सूबे के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ हों या फिर स्वयं राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ सब जानते हैं कि यूपी में किसे मुद्दा बनाना है और चुनाव लड़ जीत हासिल करनी है. बात विपक्ष की हो तो सूबे के दो प्रमुख दलों में से एक बसपा बिल्कुल खामोश है. आगामी विधानसभा चुनावों को लेकर जैसी तैयारी बसपा की है महसूस हो रहा है कि कहीं पार्टी सुप्रीमो मायावती ने संन्यास तो नहीं ले लिया? वहीं जिक्र अखिलेश का हो तो पूर्व में इनएक्टिव अखिलेश और समाजवादी पार्टी थोड़ा बहुत एक्टिव हुई है. होने को तो वर्तमान राजनीतिक परिदृश्य में कांग्रेस का कोई नामलेवा नहीं है लेकिन जिस तरह प्रियंका गांधी ने यूपी का किला फतेह करने के लिए एड़ी से लेकर चोटी तक का जोर लगाया है राजनीतिक पंडितों की एक बड़ी आबादी है जो इस बात पर एलमत है कि भले ही यूपी में कांग्रेस कुछ बड़ा न कर पाए लेकिन प्रियंका के बलबूते कांग्रेस की परफॉरमेंस में इजाफा जरूर होगा. किसी और की क्या कहें खुद प्रियंका भी इस बात को समझती है और यही वो कारण है जिसके चलते वो सत्ताधारी दल भाजपा पर बड़े हमले कर रही हैं.
प्रसिद्ध कविता चोरी कर भाजपा पर हमला करने वाली प्रियंका गांधी वाड्रा ने अपनी किरकिरी खुद कराई है
बीते दिन प्रियंका गांधी वाड्रा चित्रकूट में थीं जहां उन्होंने महिला कार्ड खेलते हुए 'उठो द्रौपदी शस्त्र संभालो' पंक्ति का उद्घोष किया. प्रोग्राम अच्छा हुआ. प्रियंका को प्रोग्राम के जरिये वो पब्लिसिटी हासिल हुई जिसकी वो तलबगार थीं. लेकिन प्रियंका का एक कविता के जरिये भाजपा पर यूं इस तरह हमला करना कविता लिखने वाले कवि को रास नहीं आया है और उन्होंने आपत्ति दर्ज की है.
प्रियंका द्वारा पंक्तियों के उपयोग पर इन कविता को लिखने वाले कवि पुष्यमित्र उपाध्याय ने घोर आपत्ति जताई है. मामले पर उपाध्याय ने कहा है कि उनकी यह कविता एक गंभीर सामाजिक विषय को उठाने को लेकर रची गई थी. इसका राजनीतिक उपयोग इसकी भावनाओं को सीमित करने वाला है. वही उपाध्याय ने इस बात पर भी बल दिया कि अगर प्रियंका गांधी ने उनकी पंक्तियों का राजनीतिक उद्देश्य के लिए उपयोग न किया होता तो अच्छा होता.
एक युवा कवि के रूप में पुष्यमित्र उपाध्याय को ये कविता क्यों लिखनी पड़ी वजह कोई छोटी मोटी नहीं है. दरअसल 2012 में हुए निर्भया गैंगरेप ने पुष्यमित्र को सकते में डाल दिया था तभी आहत होकर उन्होंने इन पंक्तियों को लिखा था. पंक्तियां जंगल की आग की तरह सोशल मीडिया पर वायरल हुई थीं. क्या स्त्री क्या पुरुष सभी ने इसे शेयर किया था और एक कवि के रूप में पुष्यमित्र की तारीफ़ की थी.
बताते चलें कि पंक्तियों को लिखते वक्त पुष्यमित्र ने कहा था कि इन पंक्तियों के माध्यम से वे समाज के सभी वर्गों की महिलाओं का दर्द उभारना चाहते थे. बात पुष्यमित्र की इन पंक्तियों की हो तो इन्हें नई हिंदी की उत्कृष्ट रचनाओं में शुमार किया गया है. एक कवि के रूप में पुष्यमित्र कई जगह सम्मानित हुए हैं और साथ ही उत्तर प्रदेश हिंदी संस्थान ने भी इन्हें प्रकाशित कर पुष्यमित्र को सम्मान दिया है.
ये कोई पहली बार नहीं है कि किसी नेता ने पंक्तियों को सार्वजनिक मंच से साझा किया और विरोध में पुष्यमित्र सामने आए हैं. प्रियंका से पहले कांग्रेस पार्टी के वरिष्ठ नेताओं में शुमार दिग्विजय सिंह इन पंक्तियों को सार्वजनिक मंच से कह चुके हैं और तब भी पुष्यमित्र ने दिग्विजय सिंह द्वारा की गयी इस हरकत की कड़े शब्दों में निंदा की थी और अपना विरोध जाहिर किया था.
बहरहाल एबीएन जबकि पंक्तियों के कारण प्रियंका गांधी वाड्रा आलोचकों के निशाने पर आ गयी हैं तो सबसे पहले तो हम यही कहेंगे कि अगर उन्हें सार्वजानिक मंच से कविता पाठ करना ही था तो कम से कम एक बार उन्हें उस व्यक्ति से बात कर लेनी चाहिए थी जिसने ये कविता लिखी थी. इस तरह किसी की लिखी पंक्तियों का इस्तेमाल अपने निजी फायदे के लिए करना प्रियंका को शोभा नहीं देता.
जैसा कि हम पहले ही इस बात से अवगत करा चुके हैं कि मौजूदा वक़्त में उत्तर प्रदेश में विपक्ष के नाम पर प्रियंका गांधी वाड्रा और कांग्रेस हैं तो उन्हें कुछ भी करने से पहले कम से कम दो बार सोचना चाहिए. न सिर्फ उत्तर प्रदेश बल्कि पूरे देश की नजर उनपर है. वो जो कर रही हैं एक एक चीज मॉनिटर हो रही है. बाकी बात कविता के चलते इसके रचयिता के आहत होने की हुई है तो उन्होंने कविता चोरी होने के बाद आहत होकर प्रियंका गांधी के चुनावी स्वार्थ को फेल किया है और बहुत बुरी तरह किया है.
ये भी पढ़ें -
Gurumurthy समझें कि 'अराजक' Social Media बैन कर दिया तो संघ का एजेंडा कैसे बढ़ेेगा?
स्मृति ईरानी के टारगेट पर प्रियंका गांधी के बजाय राहुल हैं, क्योंकि...
मोदी की रैली में आई भीड़ के बारे में प्रियंका गांधी का खुलासा हर पार्टी का सच है!
इस लेख में लेखक ने अपने निजी विचार व्यक्त किए हैं. ये जरूरी नहीं कि आईचौक.इन या इंडिया टुडे ग्रुप उनसे सहमत हो. इस लेख से जुड़े सभी दावे या आपत्ति के लिए सिर्फ लेखक ही जिम्मेदार है.