प्रियंका गांधी वाड्रा (Priyanka Gandhi Vadra) ने हिमाचल प्रदेश में कांग्रेस के चुनाव कैंपेन की कमान संभाल ली है. और खास बात ये है कि वो बिलकुल यूपी चुनाव वाले अंदाज में ही नजर आ रही हैं - तेवर भी बिलकुल वैसे ही लग रहे हैं. प्रियंका गांधी ने कांग्रेस की सरकार बनने पर लोगों को पहली खेम में ही एक लाख नौकरियां और पेंशन बहाली (Job and Pension Promises) का भरोसा दिलाया है.
ये कयास लगाये जा रहे थे कि हिमाचल प्रदेश (Himachal Pradesh Election) और गुजरात में चुनाव प्रचार की कमान राहुल गांधी की जगह कांग्रेस महासचिव प्रियंका गांधी संभाल सकती हैं - और सोलन में प्रियंका गांधी की रैली के साथ ही साफ हो गया है कि हिमाचल प्रदेश का जिम्मा तो एक तरह से उनको थमा ही दिया गया है.
प्रियंका गांधी का ये कार्यक्रम पहले 10 अक्टूबर को होने वाला था, लेकिन टाल दिया गया - और अब ये भी संयोग ही है कि जिस दिन वो कांग्रेस के चुनाव प्रचार का बिगुल बजाने पहुंची है, चुनाव आयोग ने भी तारीखों की घोषणा कर दी है.
चुनाव आयोग के मुताबिक, हिमाचल प्रदेश में 12 नवंबर को वोटिंग होगी और ये एक ही बार में पूरी हो जाएगी. यानी को चुनाव का कोई दूसरा चरण नहीं होगा. वैसे भी हिमाचल प्रदेश में विधानसभा की 68 सीटों पर वोटिंग के लिए एक दिन से ज्यादा की जरूरत नहीं है. विशेष परिस्थियों या सुरक्षा वजहों की बात और होती है.
2017 में भी चुनाव आयोग ने ऐसे ही पहले हिमाचल प्रदेश विधानसभा चुनाव की ही घोषणा की थी. अभी की तरह तब भी कयास लगाये जा रहे थे कि गुजरात और हिमाचल प्रदेश के चुनाव एक साथ कराये जाएंगे. ये पूछे जाने पर चुनाव आयोग ने विधानसभा के कार्यकाल में गैप का हवाल दिया है - और हिमाचल प्रदेश में वोटों की गिनती 8 दिसंबर को होगी, ऐसी जानकारी दी है. समझा जाता है कि पिछली बार की ही तरह...
प्रियंका गांधी वाड्रा (Priyanka Gandhi Vadra) ने हिमाचल प्रदेश में कांग्रेस के चुनाव कैंपेन की कमान संभाल ली है. और खास बात ये है कि वो बिलकुल यूपी चुनाव वाले अंदाज में ही नजर आ रही हैं - तेवर भी बिलकुल वैसे ही लग रहे हैं. प्रियंका गांधी ने कांग्रेस की सरकार बनने पर लोगों को पहली खेम में ही एक लाख नौकरियां और पेंशन बहाली (Job and Pension Promises) का भरोसा दिलाया है.
ये कयास लगाये जा रहे थे कि हिमाचल प्रदेश (Himachal Pradesh Election) और गुजरात में चुनाव प्रचार की कमान राहुल गांधी की जगह कांग्रेस महासचिव प्रियंका गांधी संभाल सकती हैं - और सोलन में प्रियंका गांधी की रैली के साथ ही साफ हो गया है कि हिमाचल प्रदेश का जिम्मा तो एक तरह से उनको थमा ही दिया गया है.
प्रियंका गांधी का ये कार्यक्रम पहले 10 अक्टूबर को होने वाला था, लेकिन टाल दिया गया - और अब ये भी संयोग ही है कि जिस दिन वो कांग्रेस के चुनाव प्रचार का बिगुल बजाने पहुंची है, चुनाव आयोग ने भी तारीखों की घोषणा कर दी है.
चुनाव आयोग के मुताबिक, हिमाचल प्रदेश में 12 नवंबर को वोटिंग होगी और ये एक ही बार में पूरी हो जाएगी. यानी को चुनाव का कोई दूसरा चरण नहीं होगा. वैसे भी हिमाचल प्रदेश में विधानसभा की 68 सीटों पर वोटिंग के लिए एक दिन से ज्यादा की जरूरत नहीं है. विशेष परिस्थियों या सुरक्षा वजहों की बात और होती है.
2017 में भी चुनाव आयोग ने ऐसे ही पहले हिमाचल प्रदेश विधानसभा चुनाव की ही घोषणा की थी. अभी की तरह तब भी कयास लगाये जा रहे थे कि गुजरात और हिमाचल प्रदेश के चुनाव एक साथ कराये जाएंगे. ये पूछे जाने पर चुनाव आयोग ने विधानसभा के कार्यकाल में गैप का हवाल दिया है - और हिमाचल प्रदेश में वोटों की गिनती 8 दिसंबर को होगी, ऐसी जानकारी दी है. समझा जाता है कि पिछली बार की ही तरह इस बार भी दोनों राज्यों के नतीजे एक ही साथ आ सकते हैं. 2017 में चुनाव अलग अलग तारीखों पर हुए थे, लेकिन नतीजे एक ही दिन आये थे.
पहली कैबिनेट बैठक में एक लाख नौकरियां
सत्ता में आने पर जॉब गारंटी चुनावी स्किम के नये पैटर्न का सिलसिला बिहार से उत्तर प्रदेश होते हुए हिमाचल प्रदेश पहुंच चुका है. 2020 के बिहार चुनाव में आरजेडी नेता और मुख्यमंत्री पद के उम्मीदवार रहे तेजस्वी यादव ने सत्ता में आने पर पहली कैबिनेट बैठक में पहली दस्तखत से 10 लाख नौकरियां देने का वादा किया था. अब जबकि तेजस्वी यादव को नीतीश कुमार ने अपनी राजनीतिक कौशल का परिचय देते हुए फिर से डिप्टी सीएम बना दिया है, लोग फिर चुनाव काल के वादे के पूरे होने की उम्मीद कर रहे हैं. चूंकि तेजस्वी यादव और नीतीश कुमार दोनों ही ने अपनी तरफ से आश्वस्त किया है, इसलिए लोगों को उनकी बातें अभी जुमला जैसी नहीं लग रही हैं.
प्रियंका गांधी ने उत्तर प्रदेश चुनाव में कांग्रेस की सरकार बनने की स्थिति में कई प्रतिज्ञाएं की थी - और उनमें से ही एक 20 लाख नौकरियां देने का रहा. सत्ता की कौन कहे, कांग्रेस तो तमाम आइडिया और प्रयोगों के बावजूद महज दो सीटों पर ही जीत पायी थी.
हिमाचल प्रदेश चुनाव के लिए बुलायी गयी कांग्रेस की रैली में प्रियंका गांधी वाड्रा ने पार्टी की तरफ से जॉब गारंटी और पेंशन बहाली योजना की घोषणा कर दी है - और आरोप लगाया है कि बीजेपी सरकार के पास युवाओं, कर्मचारियों और महिलाओं के लिए कुछ भी नहीं है.
बीजेपी की खामियों की फेहरिस्त सुनाते हुए प्रियंका गांधी ने लोगों से कहा, 'आपको अपने भविष्य के बारे में सोचना चाहिये... बीजेपी के पास पेंशन के लिए पैसे नहीं हैं लेकिन वे अपने बड़े कारोबारियों का कर्ज माफ कर सकते हैं... 5 साल से सरकारी पद खाली पड़े हैं.'
उद्योगपतियों को लेकर प्रियंका गांधी का बयान राजस्थान में गौतम अदानी और कांग्रेस के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत के बीच हुए करार के साये में थोड़ा अजीब जरूर लगता है, लेकिन नौकरियों का वादा ठीक लगता है. वैसे भी चुनावों में ऐसे वादों की तो बौछार होती रहती है. अभी तो प्रियंका गांधी ने एक रैली की है, आगे तो मैनिफेस्टो भी जारी होगा. ये भी हो सकता है कि यूपी की तरफ अलग अलग कई मैनिफेस्टो भी जारी किये जायें.
प्रियंका गांधी ने हिमाचल के लोगों से कहा है, 'मैं आज आपको गारंटी दे रही हूं कि यहां सरकार बनाने के बाद पहली कैबिनेट बैठक में दो बड़े फैसले लिए जाएंगे - पहला एक लाख सरकारी नौकरी देना और दूसरा है पुरानी पेंशन योजना को लागू करना.'
मौके की नजाकत को समझते हुए प्रियंगा गांधी वाड्रा हिमाचल प्रदेश में पुरानी पेंशन बहाल करने की मांग को लेकर धरना दे रहे कर्मचारियों से भी मिली हैं - और आश्वस्त किया है कि हिमाचल प्रदेश में कांग्रेस की सरकार बनने के 10 दिन के भीतर ही पुरानी पेंशन बहाल कर दी जाएगी.
प्रियंका की राहुल से अलग लाइन क्यों?
सूट बूट की सरकार के स्लोगन से मोदी सरकार पर शुरू हुआ कांग्रेस नेताओं का हमले का सिलसिला अचानक ही राजस्थान में थम गया सा लगा था, लेकिन प्रियंका गांधी के ताजा बयान से तस्वीर थोड़ी धुंधली लगने लगी है - क्या राहुल गांधी और प्रियंका गांधी की उद्योगपतियों के बारे में लाइन अलग अलग है.
राजस्थान में कांग्रेस के मुख्यमंत्री कहते हैं कि उनको नाम के कारण किसी उद्योगपति से कोई परहेज नहीं है, उनको तो बस इन्वेस्टमेंट से मतलब है. वो चाहे गौतम अदानी हों, मुकेश अंबानी हों या फिर कोई और ही नाम क्यों न हो - अशोक गहलोत सभी का स्वागत करने को तैयार हैं.
अशोक गहलोत और गौतम अदानी की जयपुर में मुलाकात की तस्वीर सोशल मीडिया पर वायरल होने के बाद लगा था कि राहुल गांधी का तगड़ा रिएक्शन आएगा, लेकिन वो तो सीधे सीधे सपोर्ट ही कर दिये. बिलकुल अपने अब तक के स्टैंड से सीधे यू-टर्न ले लिये. राहुल गांधी तो यहां तक कह चुके हैं कि अशोक गहलोत का क्या कोई भी मुख्यमंत्री ऐसे ऑफर ठुकराने की हिम्मत नहीं कर सकता.
लेकिन प्रियंका गांधी वाड्रा हिमाचल प्रदेश की जनता से पूछ रही हैं, 'आप अगले पांच साल में क्या चाहते हैं? हिमाचल प्रदेश के ऊपर करोड़ों रुपये का कर्ज है - आप सवाल उठाइये कि हिमाचल प्रदेश के लोगों का पैसा कहां गया?'
प्रियंका गांधी वाड्रा कह रही हैं, 'बीजेपी सरकार अपने बड़े-बड़े उद्योगपतियों का फायदा कराती है... लेकिन क्या ये एक भी रोजगार देते हैं? क्या इन बड़े उद्योगपतियों ने एक भी रोजगार दिया है? कांग्रेस ने आपका विकास किया... सच्चाई से किया है... हमारी नीयत सा थी... गलतियां हो सकती हैं लेकिन नीयत साफ होनी चाहिये.'
क्या हिमाचल में भी राहुल गांधी की दखल नहीं रहेगी?
यूपी चुनाव के दौरान देखा गया कि राहुल गांधी एक तो बहुत कम गये, गये भी तो उनका दौरा अमेठी तक सीमित रहा. तब वो पंजाब विधानसभा चुनाव में ज्यादा समय दे रहे थे - और थोड़ा बहुत गोवा में भी. खासकर तब जरूर मौजदू रहते रहे जब पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी भी गोवा में मौजूद पायी जाती रहीं.
तब ये माना जाने लगा था कि राहुल गांदी ने प्रियंका गांधी को अपने मन की करने के लिए खुली छूट दे रखी थी, और एक चर्चा ये भी रही कि प्रियंका गांधी को अपने इलाके में राहुल गांधी की भी दखल मंजूर नहीं थी. वैसे भी महिलाओं के लिए टिकट देने के मामले में रिजर्वेशन का मामला उनका अपना आइडिया बताया गया था.
फिलहाल राहुल गांधी भारत जोड़ो यात्रा में व्यस्त हैं. हिमाचल प्रदेश और गुजरात को पहले से ही यात्रा के रूट से बाहर रखा गया है. ताजा गतिविधियों से तो ऐसा लग रहा है जैसे राहुल गांधी का पूरा फोकस कर्नाटक चुनावों पर ही है - और हिमाचल प्रदेश का मामला प्रियंका गांधी के हवाले कर दिया गया है.
ऐसे में ये भी मान कर चलना चाहिये कि हिमाचल प्रदेश में कांग्रेस की हार और जीत की जिम्मेदारी भी प्रियंका गांधी पर ही आने वाली है - और अगर वास्तव में ऐसा ही है तो जाहिर है, प्रियंका गांधी अपने मनवाली तो करेंगी ही.
देखना होगा कि गुजरात चुनाव लेकर भी क्या कांग्रेस की पॉलिसी हिमाचल प्रदेश जैसी ही रहती है? राहुल गांधी के पदयात्रा में व्यस्त हो जाने के बाद तो लगता है कि गुजरात की तरफ किसी ने झांकने की भी जरूरत नहीं समझी है.
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