मुंबई के ब्रिज जान के लिए खतरा बन चुके हैं. ये कब गिर जाएं पता ही नहीं चलता. पिछले कुछ सालों में ऐसी कई घटनाएं हो चुकी हैं और गुरुवार शाम करीब 7.30 बजे भी मुंबई के छत्रपति शिवाजी टर्मिनस (CST) रेलवे स्टेशन के पास एक फुटओवर ब्रिज गिर गया है, जिसमें करीब 2 महिलाओं समेत 4 लोगों की मौत हो गई है और करीब 34 लोग घायल हो गए हैं. बचाव और राहत की टीमें मौके पर हैं, लेकिन इस घटना ने कई सवाल खड़े कर दिए हैं.
इस ब्रिज का इस्तेमाल सबसे अधिक सीएसटी रेलवे स्टेशन पर आने-जाने वाले लोग करते हैं, लेकिन रेलवे ने ये कहते हुए अपना पल्ला झाड़ लिया है कि ये बीएसी का ब्रिज है. हैरानी तो इस बात की है कि बीएमसी का दफ्तर भी इस ब्रिज के बिल्कुल पास में ही है. उसके बावजूद बीएमसी की किसी रिपोर्ट में इसे खतरनाक नहीं कहा गया. यानी साफ है कि लापरवाही बरती गई है. यहां एक बड़ा सवाल ये खड़ा होता है कि आखिर कब तक इस तरह ब्रिज गिरेंगे? ब्रिज की जर्जर हालत पहले से क्यों नहीं देखी जाती? समय पर मेंटेनेंस क्यों नहीं करवाया जाता?
बीएमसी को शर्म आनी चाहिए
जिस इलाके में ये ब्रिज गिरा है, उसी में बीएमसी का दफ्तर भी है. वही बीएमसी, जो देश की सबसे अमीर म्युनिसिपल बॉडी है. बीएमसी का सालाना बजट करीब 37,000 करोड़ रुपए का है, जो कि कई राज्यों के बजट से अधिक है. सीएसटी का जो ब्रिज गिरा है, वह बीएमसी मुख्यालय से चंद कदमों की ही दूरी पर है. इस पुल की मरम्मत करने की जिम्मेदारी है बीएमसी की थी, जो न हुई. इतना ही नहीं, टाइम्स ऑफ इंडिया बिल्डिंग से सटे इस पुल के पास ही चीफ मेट्रोपोलिटन मजिस्ट्रेट कोर्ट भी है. यानी ये वो ब्रिज है, जिसके आस-पास अहम जगहें हैं,...
मुंबई के ब्रिज जान के लिए खतरा बन चुके हैं. ये कब गिर जाएं पता ही नहीं चलता. पिछले कुछ सालों में ऐसी कई घटनाएं हो चुकी हैं और गुरुवार शाम करीब 7.30 बजे भी मुंबई के छत्रपति शिवाजी टर्मिनस (CST) रेलवे स्टेशन के पास एक फुटओवर ब्रिज गिर गया है, जिसमें करीब 2 महिलाओं समेत 4 लोगों की मौत हो गई है और करीब 34 लोग घायल हो गए हैं. बचाव और राहत की टीमें मौके पर हैं, लेकिन इस घटना ने कई सवाल खड़े कर दिए हैं.
इस ब्रिज का इस्तेमाल सबसे अधिक सीएसटी रेलवे स्टेशन पर आने-जाने वाले लोग करते हैं, लेकिन रेलवे ने ये कहते हुए अपना पल्ला झाड़ लिया है कि ये बीएसी का ब्रिज है. हैरानी तो इस बात की है कि बीएमसी का दफ्तर भी इस ब्रिज के बिल्कुल पास में ही है. उसके बावजूद बीएमसी की किसी रिपोर्ट में इसे खतरनाक नहीं कहा गया. यानी साफ है कि लापरवाही बरती गई है. यहां एक बड़ा सवाल ये खड़ा होता है कि आखिर कब तक इस तरह ब्रिज गिरेंगे? ब्रिज की जर्जर हालत पहले से क्यों नहीं देखी जाती? समय पर मेंटेनेंस क्यों नहीं करवाया जाता?
बीएमसी को शर्म आनी चाहिए
जिस इलाके में ये ब्रिज गिरा है, उसी में बीएमसी का दफ्तर भी है. वही बीएमसी, जो देश की सबसे अमीर म्युनिसिपल बॉडी है. बीएमसी का सालाना बजट करीब 37,000 करोड़ रुपए का है, जो कि कई राज्यों के बजट से अधिक है. सीएसटी का जो ब्रिज गिरा है, वह बीएमसी मुख्यालय से चंद कदमों की ही दूरी पर है. इस पुल की मरम्मत करने की जिम्मेदारी है बीएमसी की थी, जो न हुई. इतना ही नहीं, टाइम्स ऑफ इंडिया बिल्डिंग से सटे इस पुल के पास ही चीफ मेट्रोपोलिटन मजिस्ट्रेट कोर्ट भी है. यानी ये वो ब्रिज है, जिसके आस-पास अहम जगहें हैं, लेकिन इस ब्रिज की मरम्मत नहीं की गई. ब्रिज का करीब 60 फीसदी हिस्सा गिर गया है. और अब आरोप-प्रत्यारोप का सिलसिला शुरू हो गया है.
सरकार ने घोषणा कर दी है कि सभी घायलों के इलाज का खर्च सरकार उठाएगी. इसी बीच महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने ट्वीट किया है- मुंबई में टाइम्स ऑफ इंडिया बिल्डिंग के पास हुए हादसे के बारे में सुनकर दुख हुआ. बीएमसी कमिश्नर और मुंबई पुलिस के अधिकारियों से बात कर के उन्हें निर्देश दिए गए हैं कि रेलवे के साथ मिलकर राहत कार्य तेजी से किया जाए.
यह ब्रिज सीएसटी के प्लेटफॉर्म नंबर-1 के उत्तरी छोर को बीटी लेन से जोड़ता है. हादसा अधिक खतरनाक इसलिए हो गया, क्योंकि ये लोगों के दफ्तर से लौटने का समय था, जिस वक्त पुल और सड़क दोनों पर ही भीड़ काफी अधिक होती है.
इन ब्रिज पर भी मंडरा रहा खतरा
इंडियन ब्रिज मैनेजमेंट सिस्टम के तहत यूनियन रोड ट्रांसपोर्ट एंड हाइवे मिनिस्ट्री ने एक एनालिसिस को तो चौंकाने वाले नतीजे सामने आए. इससे पता चला कि नेशनल हाईवे पर कुल 23 ऐसे ब्रिज और टनल हैं, जिन पर खतरा मंडरा रहा है. ये ब्रिज 100 साल से भी अधिक पुराने हैं. इनमें से 17 तो ऐसे हैं, जिन्हें बहुत अधिक मेंटेनेंस की जरूरत है या फिर यूं कहें कि इन्हें दोबारा बनाया जाना चाहिए. इसके अलावा 123 ऐसे ब्रिज हैं जिनकी ओर सरकार को तुरंत ध्यान देने की जरूरत है. वहीं 6000 ब्रिज का ढांचा ही ठीक नहीं है.
37,000 रेलवे ब्रिज 100 साल पुराने
मुंबई में 29 सितंबर 2017 को एलफिंस्टन रेलवे ब्रिज पर हुआ हादसा कोई कैसे भूल सकता है. सीढ़ियों पर लोग एक-दूसरे के नीचे दबे हुए थे, जिसकी वजह से 23 लोगों की मौत हो गई थी. रिपोर्ट में कहा गया था कि भगदड़ मचने की वजह से वह हादसा हुआ था, लेकिन 106 साल पुराने ब्रिज से ये उम्मीद कैसे की जा सकती है कि वह आज की भीड़ को भी पहले की तरह ही संभाल सकता है.
लोकसभा में रेल राज्य मंत्री राजेन गोहेन ने कहा था कि देशभर में 37,162 रेलवे ब्रिज ऐसे हैं, जो 100 साल से भी अधिक पुराने हैं. उनका कहना था कि किसी ब्रिज के पुराने होने का मतलब ये नहीं है कि वह कमजोर है. उन्होंने यह भी कहा कि साल में दो बार हर पुल का निरीक्षण होता है. एलफिंस्टन ब्रिज तो नहीं गिरा था, लेकिन ये समझना जरूरी है कि वह 106 साल पहले की भीड़ के हिसाब से बनाया गया था. ब्रिज बनाते वक्त अधिक से अधिक आने वाले 50 सालों के बारे में सोचा गया होगा. अब रेलवे के 100 साल पुराने हजारों ब्रिज खतरे की घंटी हैं, जो भले ही गिरें या ना गिरें, लेकिन किसी हादसे को न्योता जरूर दे सकते हैं.
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