पुलवामा हमले के बाद पागलपन का जो दौर शुरू हुआ वो थमने का नाम नहीं ले रहा. बिना सोचे समझे लोग पाकिस्तान से युद्ध की बात कर रहे हैं. हम आपको बताते हैं कि भारत पाकिस्तान का युद्ध हुआ तो क्या होगा. शुरुआत न्यूयॉर्क टाइम्स के अनुमान से करते हैं. न्यूयॉर्क टाइम्स के अनुसार यदि भारत-पाकिस्तान के बीच परमाणु युद्ध होता है तो 1.5 करोड़ लोग तत्काल अपनी जान गंवा देंगे और अगले 20 वर्षों तक इसके जानलेवा परिणाम करोड़ों अन्य जानें लेंगे.
इन लोगों की मौत के साथ-साथ बीसियों करोड़ लोग घिसट-घिसट कर अपनी ज़िंदगी बिताने की हालत में पहुंच जाएंगे. इसका मतलब है कि ऑस्ट्रेलिया की आबादी जितने लोग या तो मारे जाएंगे या घिसट-घिसट कर जिएंगे. इसके अलावा, एक और आशंका है कि भारत-पाक में परमाणु युद्ध हुआ तो हो सकता है कि धरती पर मानव जाति ही नष्ट हो जाए.
इस अनुमान के लिए बाकायदा शोध हुआ है. 2007 में 3 यूएस यूनिवर्सिटी के रिसर्चर्स ने ये अनुमान पेश किया था.
सिर्फ इतना ही नहीं है. द्वितीय विश्वयुद्ध में मारे गए लोगों के आधे यानी करीब 2 करोड़ लोग एक हफ्ते में खत्म हो जाएंगे. पिछले 9 साल में जितने लोग भारत में आतंकवाद से मरे हैं, उससे 2221% ज्यादा संख्या में लोगों की जान इस न्यूक्लियर युद्ध में चली जाएगी. लोगों के अलावा धरती का जो नुकसान होगा वो अगले 1000 साल में भी पूरा नहीं किया जा सकता. न्यूक्लियर हथियारों के इस्तेमाल से पर्यावरण काफी प्रभावित होगा, जिसकी वजह से 200 करोड़ लोगों को भुखमरी का सामना करना पड़ेगा. 2015 तक के आकंड़ों के मुताबिक पाकिस्तान के पास करीब 110 से 130 न्यूक्लियर हथियार हैं जबकि भारत के पास 110 से 120 न्यूक्लियर हथियार हैं. ताज़ा आंकड़े अभी जुटाए जा रहे हैं.
पुलवामा हमले के बाद पागलपन का जो दौर शुरू हुआ वो थमने का नाम नहीं ले रहा. बिना सोचे समझे लोग पाकिस्तान से युद्ध की बात कर रहे हैं. हम आपको बताते हैं कि भारत पाकिस्तान का युद्ध हुआ तो क्या होगा. शुरुआत न्यूयॉर्क टाइम्स के अनुमान से करते हैं. न्यूयॉर्क टाइम्स के अनुसार यदि भारत-पाकिस्तान के बीच परमाणु युद्ध होता है तो 1.5 करोड़ लोग तत्काल अपनी जान गंवा देंगे और अगले 20 वर्षों तक इसके जानलेवा परिणाम करोड़ों अन्य जानें लेंगे.
इन लोगों की मौत के साथ-साथ बीसियों करोड़ लोग घिसट-घिसट कर अपनी ज़िंदगी बिताने की हालत में पहुंच जाएंगे. इसका मतलब है कि ऑस्ट्रेलिया की आबादी जितने लोग या तो मारे जाएंगे या घिसट-घिसट कर जिएंगे. इसके अलावा, एक और आशंका है कि भारत-पाक में परमाणु युद्ध हुआ तो हो सकता है कि धरती पर मानव जाति ही नष्ट हो जाए.
इस अनुमान के लिए बाकायदा शोध हुआ है. 2007 में 3 यूएस यूनिवर्सिटी के रिसर्चर्स ने ये अनुमान पेश किया था.
सिर्फ इतना ही नहीं है. द्वितीय विश्वयुद्ध में मारे गए लोगों के आधे यानी करीब 2 करोड़ लोग एक हफ्ते में खत्म हो जाएंगे. पिछले 9 साल में जितने लोग भारत में आतंकवाद से मरे हैं, उससे 2221% ज्यादा संख्या में लोगों की जान इस न्यूक्लियर युद्ध में चली जाएगी. लोगों के अलावा धरती का जो नुकसान होगा वो अगले 1000 साल में भी पूरा नहीं किया जा सकता. न्यूक्लियर हथियारों के इस्तेमाल से पर्यावरण काफी प्रभावित होगा, जिसकी वजह से 200 करोड़ लोगों को भुखमरी का सामना करना पड़ेगा. 2015 तक के आकंड़ों के मुताबिक पाकिस्तान के पास करीब 110 से 130 न्यूक्लियर हथियार हैं जबकि भारत के पास 110 से 120 न्यूक्लियर हथियार हैं. ताज़ा आंकड़े अभी जुटाए जा रहे हैं.
हथियारों की अगर बात करें तो पाकिस्तान ज्यादा ही लड़ाई के मूड में घूमता रहता है. हालात ये हैं कि उसने अपने हथियार मिसाइल्स में छिपाकर रखे हैं. पाकिस्तान के 66% न्यूक्लियर हथियार बैलिस्टिक मिसाइल में है इसका मतलब ये हैं कि पाकिस्तान अगर अपनी मीडियम रेंज बैलिस्टिक मिसाइल से टारगेट करके न्यूक्लियर हमला करता है तो भारत के 4 बड़े शहर नई दिल्ली, मुंबई, बैंगलुरु और चेन्नई तबाह हो जाएंगे.
पाकिस्तान की गौरी मिसाइल 1,300 किमी तक वार कर सकती है जिसके निशाने पर दिल्ली, जयपुर, अहमदाबाद, मुंबई, पुणे, नागपुर भोपाल और लखनऊ होंगे. वहीं दूसरी मिसाइल शाहीन-2 की रेंज 2,500 किमी है जो कोलकाता के ईस्ट कोस्ट तक हमला कर सकता है. भारत के 53% न्यूक्लियर हथियार पृथ्वी और अग्नी जैसी मिसाइल में हैं. इसके अलावा भारत सागारिका और आईएनएस अरिहंत जैसी सबमरीन के जरिए भी न्यूक्लियर का इस्तेमाल करना चाहेगा अगर मजबूरी हुई.
एयरक्राफ्ट की बात करें तो भारतीय एयरफोर्स के जैगुआर की क्षमता 16 न्यूक्लियर हथियार ले जाने की है, वहीं मिराज-2000 की क्षमता 32 परमाणु हथियार ले जाने की है. भारत पाकिस्तान के शहरों इस्लामाबाद, रावलपिंडी, करांची और नावशेरा में पाकिस्तानी आर्मी मुख्यालय को निशाना बना सकता है. लेकिन पाकिस्तान का क्षेत्रफल छोटा होने की वजह से एक खतरा भी है. अगर लाहौर और कराची जैसे शहरों पर हमला किया जाता है, तो इसका प्रभाव पाकिस्तान की सीमा के भीतर सीमित नहीं रहेगा बल्कि भारत और अफगानिस्तान के सीमांत इलाके भी इससे प्रभावित होंगे.
अगर आणविक अस्त्र इस्तेमाल नहीं होते तो भी स्थिति कम भयावह नही रहने वाली. पिछले दिनों पुलवामा धमाके में ही 40 से ज्यादा सीआरपीएफ जवानों शहीद हो गए थे, दूसरी जब आमने-सामने का युद्ध होगा भारत को भी बड़ी संख्या में सैनिक गंवाना पड़ेंगे. क्योंकि हम 1962, 1967 और 1971 में युद्ध की विभीषिका झेल चुके हैं.
भारत के पास 4400 से ज्यादा युद्धक टैंक हैं. 6700 से ज्यादा बख्तरबंद गाड़ियां है. इसके अलावा 300 स्वचालित तोप व 7000 से ज्यादा अन्य तोपें भी भारत के पास हैं. 29 रॉकेट प्रोजेक्टर भी दुश्मन के दांत खट्टे करने के लिए भारत के पास हैं.
आंतरिक समस्याओं से जूझ रहे बलूचिस्तान, सिंध, पीओके और खैबर पख्तून इलाके के लोग खुद को स्वतंत्र घोषित करने के लिए तैयार बैठे हैं. वर्षों से वे पाकिस्तान से आजाद होने की मांग करते आ रहे हैं. यदि युद्ध छिड़ता है तो पाकिस्तान में गृहयुद्ध भी भड़क सकता और बांग्लादेश की तरह पाकिस्तान के 3-4 टुकड़े और हो सकते हैं.
सिर्फ बेकसूर जानें ही नहीं अर्थव्यवस्था का भी हो जाएगा खात्मा-
युद्ध की स्थिति में भारत और उसकी अर्थव्यवस्था पर नकारात्मक असर होगा. युद्ध पर अरबों रुपए खर्च होंगे और भारतीय अर्थव्यवस्था करीब सौ साल पीछे चली जाएगी. भारत से बहुराष्ट्रीय कंपनियां अपना व्यापार समेटकर वापस जा सकती है जिससे यहां रोज़गार का अभूतपूर्व संकट खड़ा हो जाएगा. इन कंपनियों के भारत और पाकिस्तान से चले जाने से अमिरका जैसे देशों की अर्थ व्यवस्था पर भी बेहद बुरा असर पड़ेगा. इस युद्ध के असर से दुनिया भी अछूती नहीं रहेगी. युद्ध की स्थिति में पूरी दुनिया के व्यापार-व्यवसाय पर नकारात्मक असर होगा. कोई आश्चर्य नहीं कि दुनिया एक बार फिर आर्थिक मंदी की चपेट में आ जाए. आर्थिक मंदी का मतलब है भूख गरीबी बेरोज़गारी और तबाही का मंजर, बेरोज़गारी का परिणाम अपराधों की बढ़ोतरी के तौर पर भी सामने आ सकता है.
जो तबाही का अनुमान आपके सामने रखा गया है ये उस वास्तविक अनुमान का एक प्रतिशत भी नहीं है जिसकी हम कल्पना भी नहीं कर पा रहे. इस लेख की जानकारी आपको सिर्फ ये अहसास कराने के लिए है कि युद्ध बेहद विनाशक होता है वो किसी रैबो जैसी युद्ध फिल्म जैसा ग्लैमरस नहीं होता. शायद सबसे भयावह. किसी भी बीमारी से. किसी भी दुख से या कहें कि किसी भी कष्ट से.
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