पंजाब में सिंगर और कांग्रेस नेता सिद्धू मूसेवाला की हत्या के बाद आम आदमी पार्टी और मुख्यमंत्री भगवंत मान के खिलाफ लोगों का आक्रोश बढ़ता जा रहा है. सीएम भगवंत मान के दौरे से पहले सिद्धू मूसेवाला के परिजनों से मिलने पहुंचे आम आदमी पार्टी के विधायक गुरप्रीत सिंह बनावली को लोगों के भारी विरोध का सामना करने पर बैरंग ही वापस लौटना पड़ा. वहीं, सिद्धू मूसेवाला की सिक्योरिटी छीनकर शेखी बघारने वाले पंजाब के मुख्यमंत्री भगवंत मान मूसेवाला की हत्या के बाद पांच दिन तक उनके परिजनों से मिलने की हिम्मत नहीं जुटा पाए थे. सिद्धू मूसेवाला की हत्या ने आम आदमी पार्टी की भगवंत मान सरकार की प्रशासनिक क्षमताओं पर सवालिया निशान लगा दिया है. आसान शब्दों में कहा जाए, तो सिद्धू मूसेवाला की हत्या का 'दाग' पंजाब की आम आदमी पार्टी की सरकार आसानी से नहीं छुड़ा पाएगी.
परिजनों से पहले केजरीवाल से 'मुलाकात'
ऐसी किसी भी बड़ी घटना पर अव्वल तो राज्य के मुख्यमंत्री को सीधे परिजनों से मुलाकात करनी चाहिए थी. लेकिन, सिद्धू मूसेवाला की हत्या के बाद सीएम भगवंत मान परिजनों से मिलने न जाकर अपनी सरकारी कामों में ही व्यस्त नजर आए. और, टीवी चैनलों से लेकर सोशल मीडिया पर सिद्धू मूसेवाला की हत्या पर आम आदमी पार्टी की छवि को पहुंचने वाले संभावित नुकसान को टालने की कोशिश करते रहे. आसान शब्दों में कहा जाए, तो इस हत्याकांड पर बस लीपापोती ही की जाती रही. सीएम भगवंत मान पांच दिनों तक या यूं कहें कि सिद्धू मूसेवाला का अंतिम संस्कार होने तक का इंतजार करते रहे.
खैर, मामला अगर इतना ही होता, तो भी गले से आसानी से उतर जाता. लेकिन, अपने हर फैसले से पहले...
पंजाब में सिंगर और कांग्रेस नेता सिद्धू मूसेवाला की हत्या के बाद आम आदमी पार्टी और मुख्यमंत्री भगवंत मान के खिलाफ लोगों का आक्रोश बढ़ता जा रहा है. सीएम भगवंत मान के दौरे से पहले सिद्धू मूसेवाला के परिजनों से मिलने पहुंचे आम आदमी पार्टी के विधायक गुरप्रीत सिंह बनावली को लोगों के भारी विरोध का सामना करने पर बैरंग ही वापस लौटना पड़ा. वहीं, सिद्धू मूसेवाला की सिक्योरिटी छीनकर शेखी बघारने वाले पंजाब के मुख्यमंत्री भगवंत मान मूसेवाला की हत्या के बाद पांच दिन तक उनके परिजनों से मिलने की हिम्मत नहीं जुटा पाए थे. सिद्धू मूसेवाला की हत्या ने आम आदमी पार्टी की भगवंत मान सरकार की प्रशासनिक क्षमताओं पर सवालिया निशान लगा दिया है. आसान शब्दों में कहा जाए, तो सिद्धू मूसेवाला की हत्या का 'दाग' पंजाब की आम आदमी पार्टी की सरकार आसानी से नहीं छुड़ा पाएगी.
परिजनों से पहले केजरीवाल से 'मुलाकात'
ऐसी किसी भी बड़ी घटना पर अव्वल तो राज्य के मुख्यमंत्री को सीधे परिजनों से मुलाकात करनी चाहिए थी. लेकिन, सिद्धू मूसेवाला की हत्या के बाद सीएम भगवंत मान परिजनों से मिलने न जाकर अपनी सरकारी कामों में ही व्यस्त नजर आए. और, टीवी चैनलों से लेकर सोशल मीडिया पर सिद्धू मूसेवाला की हत्या पर आम आदमी पार्टी की छवि को पहुंचने वाले संभावित नुकसान को टालने की कोशिश करते रहे. आसान शब्दों में कहा जाए, तो इस हत्याकांड पर बस लीपापोती ही की जाती रही. सीएम भगवंत मान पांच दिनों तक या यूं कहें कि सिद्धू मूसेवाला का अंतिम संस्कार होने तक का इंतजार करते रहे.
खैर, मामला अगर इतना ही होता, तो भी गले से आसानी से उतर जाता. लेकिन, अपने हर फैसले से पहले 'दिल्ली' की ओर देखने वाले भगवंत मान ने इस मामले में भी वही गलती दोहराई. मूसेवाला के परिजनों से मिलने से पहले मान ने दिल्ली में अरविंद केजरीवाल से मुलाकात की. कहना गलत नहीं होगा कि केजरीवाल से मिलने के बाद मूसेवाला के परिजनों से मिलने गए भगवंत मान ने मृतक का अपमान ही किया है. क्योंकि, सिद्धू मूसेवाला के अंतिम संस्कार में एक भी आम आदमी पार्टी का विधायक नहीं पहुंचा था.
मानसा में लगे 'गो बैक' के नारे
आम आदमी पार्टी और सीएम भगवंत मान के खिलाफ लोगों में आक्रोश का स्तर इस कदर बढ़ चुका है कि सिद्धू मूसेवाला के गांव मानसा के ग्रामीणों ने 'गो बैक' के नारे लगाए. लोगों के गुस्से का अंदाजा केवल इस बात से लगाया जा सकता है कि 'आम आदमी पार्टी ने मारा था' के नारे भी लगा दिए गए. सिद्धू मूसेवाला के गांव में सीएम भगवंत मान के दौरे का विरोध पहले से ही शुरू हो गया था. हालात ऐसे बन गए थे कि माना जा रहा था कि भगवंत मान का दौरा रद्द किया जा सकता है. क्योंकि, मूसेवाला के घर के आसपास पुलिस द्वारा की गई नाकेबंदी से लोगों का गुस्सा और भड़क गया था.
अब तक असल हत्यारों तक नहीं पहुंच पाए 'सरकार'
परिजनों की मांग है कि सिद्धू मूसेवाला के हत्यारों को जल्द से जल्द पकड़ा जाए. लेकिन, इस मामले में सीसीटीवी फुटेज से लेकर कई सबूतों के सामने आने के बाद भी पंजाब पुलिस के हाथ खाली हैं. हालांकि, शक के आधार पर पुलिस ने कुछ लोगों को गिरफ्तार भी किया है. लेकिन, असली हत्यारों को पकड़ने में पुलिस के हाथ नाकामी ही लगी है. कई मीडिया रिपोर्ट में दावा किया गया है कि मूसेवाला की हत्या के बाद शूटर्स नेपाल भाग गए हैं. वहीं, पंजाब पुलिस पर इस मामले को गैंगवार की तरह पेश करने का आरोप भी लग चुका है.
हाईकोर्ट से मिली AAP सरकार को फटकार
पंजाब में आम आदमी पार्टी की भगवंत मान सरकार ने 424 वीआईपी की सुरक्षा हटाते हुए बाकायदा उनके नामों की लिस्ट भी लीक कर दी थी. सिद्धू मूसेवाला का नाम भी इस लिस्ट में शामिल था. और, सिक्योरिटी हटाए जाने के अगले ही दिन मूसेवाला की गोलियों से भूनकर हत्या कर दी थी गई थी. इस मामले में हाईकोर्ट ने आम आदमी पार्टी की सरकार को फटकार लगाते हुए कहा था कि सभी लोगों की वापस सुरक्षा मुहैया कराई जाए. इतना ही नहीं, लिस्ट को लीक किए जाने को लेकर भी सरकार को आड़े हाथों लिया गया. कांग्रेस का आरोप है कि भगवंत मान के शपथ लेने से पहले ही आम आदमी पार्टी ने वीआईपी लोगों की सुरक्षा कम करनी शुरू कर दी थी.
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