अमेरिका ने अपने एक बड़े दुश्मन ईरान के ताकतवर जनरल कासिम सुलेमानी (Genral Qasem Soleimani) को ड्रोन हमले में मार गिराया है. अमेरिका-ईरान के बीच अब तनाव बढ़ता जा रहा है. जहां एक ओर ईरान (Iran) ने बदला लेने और परमाणु हमला करने तक की धमकी दे दी है, वहीं अमेरिका (America) ने भी कह दिया है कि अब ऐसा हमला होगा जो पहले कभी नहीं हुआ. हालांकि, इस हमले की कहीं आलोचना हो रही है, तो कहीं लोग इसे अपना समर्थन दे रहे हैं. इस हमले के बाद ईरान तो इसकी निंदा कर ही रहा है, पाकिस्तान (Pakistan) से भी विरोध से सुर बुलंद होते दिख रहे हैं. वॉशिंगटन डीसी, न्यूयॉर्क और लंदन की सड़कों पर भी इस ड्रोन हमले का विरोध करने वाले खूब दिख रहे हैं. देखा जाए तो दुनियाभर से इस हमले को लेकर अलग-अलग तरह की प्रतिक्रियाएं सामने आ रही हैं. हालांकि, ईरान के ताकतवर जनरल कासिम सुलेमानी को ड्रोन हमले में मार गिराने के बाद पाकिस्तान घड़ियाली आंसू और झूठा गुस्सा दिखा रहा है. वहां के मुसलमान भले अमेरिका-इजराइल मुर्दाबाद के नारे (Protest) लगा रहे हों, लेकिन पाक फौज इस अमेरिकी कार्रवाई से खुश है.
पाकिस्तान में सड़कों पर उतरे लोग !
पाकिस्तान के कुछ शहरों में अमेरिका के झंडे जलते हुए दिखे थे. ये लोग इस बात का विरोध कर रहे थे कि अमेरिका ने ईरान के जनरल कासिम सुलेमानी को क्यों मारा. इस प्रदर्शन की एक खास बात ये थी कि इसमें सिर्फ शिया मुस्लिम शामिल थे. यहां तक कि एक शिया मौलाना नासिर अब्बास जाफरी ने तो एक विरोध प्रदर्शन के दौरान ये भी कहा कि यह एक कायरतापूर्ण हमला था, और दुनिया जानती है कि अमेरिका एक आतंकवादी देश है.
पूरा पाकिस्तान विरोध में नहीं, सरकार चुप...
अमेरिका ने अपने एक बड़े दुश्मन ईरान के ताकतवर जनरल कासिम सुलेमानी (Genral Qasem Soleimani) को ड्रोन हमले में मार गिराया है. अमेरिका-ईरान के बीच अब तनाव बढ़ता जा रहा है. जहां एक ओर ईरान (Iran) ने बदला लेने और परमाणु हमला करने तक की धमकी दे दी है, वहीं अमेरिका (America) ने भी कह दिया है कि अब ऐसा हमला होगा जो पहले कभी नहीं हुआ. हालांकि, इस हमले की कहीं आलोचना हो रही है, तो कहीं लोग इसे अपना समर्थन दे रहे हैं. इस हमले के बाद ईरान तो इसकी निंदा कर ही रहा है, पाकिस्तान (Pakistan) से भी विरोध से सुर बुलंद होते दिख रहे हैं. वॉशिंगटन डीसी, न्यूयॉर्क और लंदन की सड़कों पर भी इस ड्रोन हमले का विरोध करने वाले खूब दिख रहे हैं. देखा जाए तो दुनियाभर से इस हमले को लेकर अलग-अलग तरह की प्रतिक्रियाएं सामने आ रही हैं. हालांकि, ईरान के ताकतवर जनरल कासिम सुलेमानी को ड्रोन हमले में मार गिराने के बाद पाकिस्तान घड़ियाली आंसू और झूठा गुस्सा दिखा रहा है. वहां के मुसलमान भले अमेरिका-इजराइल मुर्दाबाद के नारे (Protest) लगा रहे हों, लेकिन पाक फौज इस अमेरिकी कार्रवाई से खुश है.
पाकिस्तान में सड़कों पर उतरे लोग !
पाकिस्तान के कुछ शहरों में अमेरिका के झंडे जलते हुए दिखे थे. ये लोग इस बात का विरोध कर रहे थे कि अमेरिका ने ईरान के जनरल कासिम सुलेमानी को क्यों मारा. इस प्रदर्शन की एक खास बात ये थी कि इसमें सिर्फ शिया मुस्लिम शामिल थे. यहां तक कि एक शिया मौलाना नासिर अब्बास जाफरी ने तो एक विरोध प्रदर्शन के दौरान ये भी कहा कि यह एक कायरतापूर्ण हमला था, और दुनिया जानती है कि अमेरिका एक आतंकवादी देश है.
पूरा पाकिस्तान विरोध में नहीं, सरकार चुप !
सुलेमानी की मौत पर पूरा पाकिस्तान विरोध नहीं कर रहा है, बल्कि सिर्फ शिया मुस्लिम लोगों के कुछ समूह इसका विरोध कर रहे हैं. सुन्नी मुस्लिम तो जैसे इसे अपना समर्थन ही दे रहे हों. इसके अलावा पाकिस्तान पीपल्स पार्टी के सीनेटर रजा रब्बानी ने कहा कि अमेरिका-ईरान के बीच विदेश मंत्री शाह महमूद कुरैशी को नीतिगत बयान देने के लिए सामने आना चाहिए और पाकिस्तान सरकार का रुख स्पष्ट करना चाहिए. रजा रब्बानी के अलावा पाकिस्तान मुस्लिम लीग-नवाज के वरिष्ट नेता और सदन में विपक्ष के नेता राजा जफरूप हक ने भी कहा है कि कुरैशी को सांसदों को भरोसा दिलाना चाहिए. इसी बीच कुरैशी की अनुपस्थिति में सदन के नेता फराज ने कहा है कि सरकार हालात पर नजर रखे हुए है और इस घटना पर दुनियाभर की प्रतिक्रिया का भी जायजा लिया जा रहा है.
हमले से खुश है पाकिस्तानी सेना
जहां एक ओर पाकिस्तान में शिया मुस्लिम और विपक्षी राजनीतिक पार्टियां ईरान के जनरल कासिल सुलेमानी की मौत का विरोध कर रहे हैं, वहीं इस हमले को पाकिस्तानी सेना ने अपना समर्थन दिया है. दक्षिण मध्य एशियाई मामलों की प्रमुख उप सहायक मंत्री और दक्षिण एशिया की शीर्ष अमेरिकी राजनयिक एलिस वेल्स ने ट्वीट कर के पाकिस्तान-अमेरिका सैन्य प्रशिक्षण कार्यक्रम की बात की है. उन्होंने कहा है कि डोनाल्ड ट्रंप ने पाकिस्तान के लिए सैन्य प्रशिक्षण कार्यक्रम को फिर से शुरू करने के लिए साझा प्राथमिकताओं पर सहयोग को मजबूत करने और अमेरिकी राष्ट्रीय सुरक्षा को आगे बढ़ाने के लिए कोशिशें की हैं. साथ ही कहा है कि दोनों देशों के बीच सैन्य सहयोग मजबूत होगा. पाकिस्तानी सेना खुश है कि अब अमेरिका के साथ सैन्य प्रशिक्षण और शैक्षणिक कार्यक्रम दोबारा से शुरू हो सकेंगे, जो 2 सालों से बंद पड़े हैं.
बता दें कि पाकिस्तानी सेना के खुश होने की एक वजह ये भी है कि बलोच चरमपंथियों की तरफ से पाकिस्तानी सेना के करीब 14 जवान मारे जा चुके हैं. ये बलोच चरमपंथी ईरान के थे और ये हमला कासिम सुलेमानी द्वारा प्रायजोति बताया जा रहा है. पाकिस्तानी सेना इसलिए खुश है कि अमेरिका ने उसके एक दुश्मन का खात्मा कर दिया है.
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