यूपीए के दूसरे कार्यकाल में रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया के गवर्नर और पीएम मोदी और उनकी आर्थिक नीतियों के आलोचक रहे रघुराम राजन का मामला भी कुछ कुछ ऐसा ही है. पीएम मोदी की आलोचना में रघुराम राजन जिस मुखरता से ट्विटर पर ट्वीट करते और सवाल उठाते थे महसूस यही होता था कि इनके दिल में एक छिपा हुआ कांग्रेसी है जिसे जब भी मौका मिलेगा बहार आ जाएगा. इंतजार की घड़ियां खत्मं हो गयी हैं. वो मौका आ गया है. भारत जोड़ो यात्रा के नाम राहुल गांधी का काफिला कन्याकुमारी होते हुए राजस्थान पहुंचा है. जहां राहुल गांधी की इस यात्रा को एन रघुराम राजन ने भी ज्वाइन किया. बताया जा रहा है कि राहुल गांधी ने राजन के साथ लंबी चर्चा की है. करीब 30 मिनट चली इस चर्चा के बाद दोनों ने एक डॉक्यूमेंट्री के लिए आर्थिक मुद्दों पर अपनी राय भी रखी.
रघुराम राजन का भारत जोड़ो यात्रा से जुड़ना और राजस्थान में राहुल गांधी के साथ चलना भर था. भाजपा के खेमे में बेचैनी बढ़ गयी है और ऐसे तमाम मुंह जो अब तक चुप थे उन्हें आवाजें मिल गयी हैं. हो सकता है कि राहुल गांधी की मुहीम में राजन को देखकर कुछ लोग विचलित हो जाएं लेकिन ईमनदारी से इसका अवलोकन किया जाए तो इस पूरे प्रकरण में ऐसा कुछ नहीं है जो व्यक्ति को किसी तरह के विस्मय या आश्चर्य में डाले.
हम ऐसा यूं ही नहीं कह रहे. इस कथन के पीछे हमारे पास माकूल वजहें हैं. ये बात किसी से भी छिपी नहीं है कि सार्वजनिक रूप से खुद को तटस्थ बताने वाली ये हस्तियां हर क्षेत्र से आती हैं. रघुरतम राजन के अलावा इनकी एक बानगी हमें कांग्रेस की भारत जोड़ो यात्रा में भी दिखाई दी. आइये नजर डालते हैं उन लोगों पर जो राहुल गांधी के साथ आए और जिन्होंने भारत जोड़ो...
यूपीए के दूसरे कार्यकाल में रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया के गवर्नर और पीएम मोदी और उनकी आर्थिक नीतियों के आलोचक रहे रघुराम राजन का मामला भी कुछ कुछ ऐसा ही है. पीएम मोदी की आलोचना में रघुराम राजन जिस मुखरता से ट्विटर पर ट्वीट करते और सवाल उठाते थे महसूस यही होता था कि इनके दिल में एक छिपा हुआ कांग्रेसी है जिसे जब भी मौका मिलेगा बहार आ जाएगा. इंतजार की घड़ियां खत्मं हो गयी हैं. वो मौका आ गया है. भारत जोड़ो यात्रा के नाम राहुल गांधी का काफिला कन्याकुमारी होते हुए राजस्थान पहुंचा है. जहां राहुल गांधी की इस यात्रा को एन रघुराम राजन ने भी ज्वाइन किया. बताया जा रहा है कि राहुल गांधी ने राजन के साथ लंबी चर्चा की है. करीब 30 मिनट चली इस चर्चा के बाद दोनों ने एक डॉक्यूमेंट्री के लिए आर्थिक मुद्दों पर अपनी राय भी रखी.
रघुराम राजन का भारत जोड़ो यात्रा से जुड़ना और राजस्थान में राहुल गांधी के साथ चलना भर था. भाजपा के खेमे में बेचैनी बढ़ गयी है और ऐसे तमाम मुंह जो अब तक चुप थे उन्हें आवाजें मिल गयी हैं. हो सकता है कि राहुल गांधी की मुहीम में राजन को देखकर कुछ लोग विचलित हो जाएं लेकिन ईमनदारी से इसका अवलोकन किया जाए तो इस पूरे प्रकरण में ऐसा कुछ नहीं है जो व्यक्ति को किसी तरह के विस्मय या आश्चर्य में डाले.
हम ऐसा यूं ही नहीं कह रहे. इस कथन के पीछे हमारे पास माकूल वजहें हैं. ये बात किसी से भी छिपी नहीं है कि सार्वजनिक रूप से खुद को तटस्थ बताने वाली ये हस्तियां हर क्षेत्र से आती हैं. रघुरतम राजन के अलावा इनकी एक बानगी हमें कांग्रेस की भारत जोड़ो यात्रा में भी दिखाई दी. आइये नजर डालते हैं उन लोगों पर जो राहुल गांधी के साथ आए और जिन्होंने भारत जोड़ो यात्रा में अपनी उपस्थिति दर्ज कराकर चर्चाओं के बाजार को गर्म किया.
फिल्म जगत से
फ़िल्में समाज का आईना जब थीं तब थीं मगर आज ऐसा नहीं है. आज दौर एजेंडे का है. विचारधारा ग्रहण करने और फैलाने का है. बात जब फिल्मीं दुनिया की हो तो समसामयिक मुद्दों पर फिल्मीं दुनिया का रुख हैरान करने वाला है. बात राजनीति की चल रही है तो जहां अनुपम खेर, परेल रावल, विवेक अग्निहोत्री, अक्षय कुमार, कंगना रनौत, किरन खेर, हेमा मालिनी को दक्षिणपंथी खेमे का मान लिया गया है तो वहीं इंडस्ट्री में वो लोग भी हैं जो दक्षिणपंथ से विपरीत विचारधारा पर इत्तेफाक रखते हैं और इन्हीं लोगों को हमने राहुल गांधी के साथ भारत जोड़ो यात्रा में कदमताल करते देखा.
अमोल पालेकर, सं, पूजा भट्ट, रिया सेन, सुशांत सिंह, , रश्मि देसाई, आकांक्षा पुरी के अलावा अभी बीते दिनों हम उज्जैन में अक्सर ही अपने विवादित बोल के लिए ट्रोल्स के निशाने पर रहने वाली स्वरा भास्कर को राहुल गांधी के साथ उनकी यात्रा में चलते देख चुके हैं.
साहित्य जगत से
बात अगर साहित्य या लेखन की हो तो समाज के अन्य तबकों की तरह इन्होने भी राहुल गांधी को मजबूत किया है. बताते चलें कि चाहे वो मोना अंबेगाओंकर हों या संध्या गोखले और आनंद पटवर्धन इन्हें भी हमने राहुल गांधी के साथ मार्च करते देखा.
आर्थिक जगत से
जैसा कि हम ऊपर ही इस बात को जाहिर कर चुके हैं कि एन रघुराम रघुराम राजन उन अर्थशास्त्रियों में है जिन्होंने हमेशा ही अपनी बातों से पीएम मोदी और उनके समर्थकों को बेचैन किया है. अब जबकि उन्होंने राजस्थान में राहुल गांधी के साथ वॉक कर ही ली है तो कहा यही जा रहा है कि जल्द ही रघुराम कांग्रेस ज्वाइन करेंगे. ये बातें सच होती हैं या अफवाह ही रहती है फैसला वक़्त करेगा लेकिन इतना तो तय है कि राजन के यात्रा में शामिल होने ने कांग्रेस को मजबूती तो दी है.
समाजसेवी / सिविल सोसायटी
ध्यान रहे ऐसा बिलकुल नहीं है कि राहुल गांधी के साथ सिर्फ वही लोग जुड़े जिन्हें हर दूसरे रोज लाइम लाइट में रहने का शौक था. कन्याकुमारी से लेकर राजस्थान तक हमने ऐसे तमाम लोग देखे जो राहुल गांधी के साथ जुड़े और उन्होंने उन्हें मजबूत किया. चाहे वो योगेंद्र यादव रहे हों या फिर मेधा पाटकर, अनिल सद्गोपाल, अंजलि भरद्वाज, अनुराधा कपूर, पत्रकार मृणाल पांडे, पूर्व सांसद धर्मवीर गांधी, पूर्व आईएएस अभिजीत सेनगुप्ता इन लोगों ने यात्रा से जुड़कर उसे कहीं न कहीं मजबूती जरूर दी है.
खेल जगत
ऐसा बिलकुल नहीं है कि सिर्फ सिनेमा, साहित्य, आर्थिक जगत और सिविल सोसाइटी से ही लोग राहुल गांधी के साथ आए. तस्वीरें वो भी वायरल हुई हैं जहां हमने तमाम छोटे बड़े खिलाड़ियों को भी राहुल गांधी की यात्रा से जुड़ते और कांग्रेस को मजबूत होते देखा.
बहरहाल क्योंकि ताजा बज भारत जोड़ो यात्रा में रघुराम राजन के जुड़ने से आया है तो हम बस ये कहकर अपनी बताओं को विराम देंगे कि कन्याकुमारी से राजस्थान पहुंची राहुल गांधी की यात्रा अभी राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली समेत कई पड़ाव पार करेगी. तमाम लोग होंगे जो इस यात्रा से जुड़ेंगे. वो कौन कौन लोग होते हैं और उनकी बदौलत कांग्रेस 2024 में कैसा परफॉर्म करेगी उसे देखना दिलचस्प रहेगा.
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