राहुल गांधी (Rahul Gandhi) ने लॉकडाउन की मियाद बढ़ाने को लेकर भी मोदी सरकार की आलोचना की थी. ये कहते हुए कि लॉकडाउन से कुछ नहीं होने वाला कोरोना वायरस (Coronavirus) से मुकाबले के लिए टेस्टिंग ही एकमात्र कारगर उपाय है. लॉकडाउन तो लागू है ही, केंद्र सरकार की तरफ से ये भी बता दिया गया है कि टेस्टिंग तेजी से हो रही है.
जब किसी से खफा होने की कोई वजह नहीं होती तो वजह खोजी जाती है. खफा होने की ऐसी वजह खोजे जाने की भी कोई और वजह होती है - और राहुल गांधी के नये सिरे से प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (Narendra Modi) से खफा होने की वजह थोड़ी अलग है. थोड़ी अलग क्या, थोड़ी अजीब भी है.
अब तक गरीब और मजदूरों को कोरोना संकट के समय जरूरी सुविधा न मिलने से खफा राहुल गांधी, इस बार केंद्रीय कर्मचारियों का महंगाई भत्ता न बढ़ाये जाने से खफा हो गये हैं. आलम ये है कि वैश्विक महामारी के बीच न तो राहुल गांधी राजनीति करने से बाज आ रहे हैं और न ही प्रधानमंत्री नरेंद्र कांग्रेस नेतृत्व को लेकर चुटकी लेने से.
राजनीति के आगे सब फेल है
राहुल गांधी ने पंचायती राज दिवस के मौके पर अपने पिता और पूर्व प्रधानमंत्री राजीव गांधी को याद करते हुए ट्वीट किया है. राहुल गांधी का ट्वीट भी तकरीबन उसी के आस पास का है जब प्रधानमंत्री मोदी देश भर के चुने हुए सरपंचों के साथ वीडियो कांफ्रेंसिंग कर रहे थे.
सरपंचों को सोशल डिस्टैंसिंग के लिए 'दो गज की दूरी' का मंत्र देते हुए प्रधानमंत्री मोदी ने यूपी के बस्ती की एक सरपंच से एक ऐसी बात पूछ डाली जिसका प्रसंग राजीव गांधी से जा टकराता है. वैसे तो जब बिहार के मुखिया से बात कर रहे थे तो बाहर के लोगों के लौटने को लेकर नीतीश कुमार पर भी चुटकी ही ली थी. दरअसल, नीतीश कुमार बिहार के लोगों को बाहर से बुलाने की वापसी की व्यवस्था में कोई रूचि नहीं ले रहे हैं, जबकि यूपी के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ कोटा से छात्रों को बुलाने के बाद अब मजदूरों के लिए तैयारी कर रहे हैं.
बस्ती जिले की नकटी देई बुजुर्ग ग्राम...
राहुल गांधी (Rahul Gandhi) ने लॉकडाउन की मियाद बढ़ाने को लेकर भी मोदी सरकार की आलोचना की थी. ये कहते हुए कि लॉकडाउन से कुछ नहीं होने वाला कोरोना वायरस (Coronavirus) से मुकाबले के लिए टेस्टिंग ही एकमात्र कारगर उपाय है. लॉकडाउन तो लागू है ही, केंद्र सरकार की तरफ से ये भी बता दिया गया है कि टेस्टिंग तेजी से हो रही है.
जब किसी से खफा होने की कोई वजह नहीं होती तो वजह खोजी जाती है. खफा होने की ऐसी वजह खोजे जाने की भी कोई और वजह होती है - और राहुल गांधी के नये सिरे से प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (Narendra Modi) से खफा होने की वजह थोड़ी अलग है. थोड़ी अलग क्या, थोड़ी अजीब भी है.
अब तक गरीब और मजदूरों को कोरोना संकट के समय जरूरी सुविधा न मिलने से खफा राहुल गांधी, इस बार केंद्रीय कर्मचारियों का महंगाई भत्ता न बढ़ाये जाने से खफा हो गये हैं. आलम ये है कि वैश्विक महामारी के बीच न तो राहुल गांधी राजनीति करने से बाज आ रहे हैं और न ही प्रधानमंत्री नरेंद्र कांग्रेस नेतृत्व को लेकर चुटकी लेने से.
राजनीति के आगे सब फेल है
राहुल गांधी ने पंचायती राज दिवस के मौके पर अपने पिता और पूर्व प्रधानमंत्री राजीव गांधी को याद करते हुए ट्वीट किया है. राहुल गांधी का ट्वीट भी तकरीबन उसी के आस पास का है जब प्रधानमंत्री मोदी देश भर के चुने हुए सरपंचों के साथ वीडियो कांफ्रेंसिंग कर रहे थे.
सरपंचों को सोशल डिस्टैंसिंग के लिए 'दो गज की दूरी' का मंत्र देते हुए प्रधानमंत्री मोदी ने यूपी के बस्ती की एक सरपंच से एक ऐसी बात पूछ डाली जिसका प्रसंग राजीव गांधी से जा टकराता है. वैसे तो जब बिहार के मुखिया से बात कर रहे थे तो बाहर के लोगों के लौटने को लेकर नीतीश कुमार पर भी चुटकी ही ली थी. दरअसल, नीतीश कुमार बिहार के लोगों को बाहर से बुलाने की वापसी की व्यवस्था में कोई रूचि नहीं ले रहे हैं, जबकि यूपी के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ कोटा से छात्रों को बुलाने के बाद अब मजदूरों के लिए तैयारी कर रहे हैं.
बस्ती जिले की नकटी देई बुजुर्ग ग्राम पंचायत की प्रधान वर्षा सिंह से प्रधानमंत्री मोदी का सवाल था - 'ये बताइए पहले लोग कहते थे कि दिल्ली से 1 रुपया चलता है तो केवल 15 पैसा ही गांव तक पहुंचता है. आज 1 रुपया निकलता है तो 100 के 100 पैसे लाभार्थी के खाते में जमा हो जाता है.' दरअसल, ये बात राजीव गांधी की ही कही हुई है जिसे लेकर बीजेपी जब तब कांग्रेस को घेरने की कोशिश करती रहती है.
सोनिया गांधी के बीजेपी पर हमले के बाद अब राहुल गांधी ने मोर्चा संभाला है. सोनिया गांधी ने CWC की बैठक में बीजेपी पर सांप्रदायिकता और नफरत की राजनीति करने का आरोप लगाया था. कांग्रेस नेतृत्व को कई बार कई सीनियर नेता प्रधानमंत्री मोदी पर बिलावजह हमले करने से बचने की सलाह देते रहे हैं, लेकिन अब तक स्टैंड में कभी कोई एकरूपता नहीं दिखी है. कभी राहुल गांधी किसी कांग्रेस नेता से मोदी पर टिप्पणी के लिए माफी मंगवाते हैं तो खुद कभी उससे भी गंदे तरीके से टिप्पणी कर बैठते हैं.
राहुल गांधी का ताजा आरोप है कि कोरोना संकट से निबटने में मोदी सरकार का रवैया 'असंवेदनशील और अमानवीय' है. राहुल गांधी की ये नाराजगी केंद्रीय कर्मचारियों के महंगाई भत्ता (DA) से जुड़े केंद्र सरकार के फैसले को लेकर है. असल में, केंद्र सरकार ने कोरोना संकट के दौर में बढ़ते वित्तीय बोझ के चलते सरकारी कर्मचारियों और पेंशनधारियों के महंगाई भत्ते में जुलाई, 2021 तक किसी तरह की बढ़ोतरी नहीं करने का निर्णय लिया है. हालांकि, जनवरी, 2020 में केंद्रीय कैबिनेट ने सरकारी कर्मचारियों और पेंशनभोगियों का महंगाई भत्ता चार फीसदी बढ़ाकर 21 फीसदी करने का फैसला किया था, लेकिन अब इस पर रोक लगा दी गयी है.
राहुल गांधी ने इसे अन्यायपूर्ण कटौती बताते हुए दावा किया है कि इससे सैनिकों, कर्मचारियों और पेंशनधारियों की तनख्वाह से सालाना 37,530 करोड़ रुपये की कटौती होगी. कांग्रेस प्रवक्ता रणदीप सुरजेवाला का कहना है - 'दुर्भाग्यपूर्ण बात यह है कि मोदी सरकार ने महंगाई भत्ते की कटौती कर जख्म देने की इस कवायद ने देश की रक्षा करने वाले तीनों सेनाओं के हमारे सैनिकों तक को नहीं बख्शा है.'
अब अगर राहुल गांधी की इस नाराजगी की वजह की तलाश में कुछ कड़ियों को जोड़ें तो कांग्रेस कार्यकारिणी में सोनिया गांधी की बातों से थोड़े बहुत संकेत मिलते जरूर हैं. वैसे अब तक सोनिया गांधी, राहुल गांधी और प्रियंका गांधी वाड्रा की तरफ से मोदी सरकार को काफी सुझाव दिये जा चुके हैं.
मोदी सरकार को दी गयी कांग्रेस की सलाहियतें
कांग्रेस कार्यकारिणी में सोनिया गांधी ने PPE किट की खराब क्वालिटी पर चिंता जताते हुए कहा था कि सबसे गंभीर बात ये है कि देश में कोरोना वायरस की टेस्टिंग अब भी काफी कम हो रही है. अपनी प्रेस कांफ्रेंस में राहुल गांधी ने भी यही बात कही थी और बोला था कि लॉकडाउन खत्म होते ही वायरस का संक्रमण तेजी से बढ़ेगा.
सोनिया गांधी ने ज्यादा अफसोस इस बात पर जाहिर किया कि काफी सुझाव देने के बावजूद सरकार उसे अमल में लाने में कोई सक्रियता दिखा ही नहीं रही है. आइए अब ये भी जान लेते हैं कि अब तक कांग्रेस की तरफ से कौन कौन सी महत्वपूर्ण सलाह दी गयी है.
1. न्याय योजना लागू हो: आम चुनाव में कांग्रेस पार्टी के मैनिफेस्टो में 'न्यूनतम आय गारंटी योजना' (NYAY) लागू करने का वादा किया गया था. बदकिस्मती से कांग्रेस को ये मौका हासिल नहीं हो पाया, लिहाजा अब कांग्रेस की अंतरिम अध्यक्ष सोनिया गांधी प्रधानमंत्री मोदी को पत्र लिख कर सुझाव दे रही हैं कि न्याय योजना लागू की जाये - और गरीब और मजदूरों के खातों में डाले जायें.
न्याय योजना के तहत कांग्रेस ने ₹72,000 सालाना गरीबों के खाते में डाने का वादा किया था. अब कांग्रेस नेतृत्व चाह रहा है कि ये काम मोदी सरकार कर दे.
2. ₹ 7500 खाते में डाला जाये: CWC की लेटेस्ट बैठक में सोनिया गांधी ने गरीबों-मजूदरों-किसानों के खाते में फौरन 7500 रुपये ट्रांसफर किए जाने का सुझाव दिया. सोनिया गांधी की ये भी मांग है कि मजदूरों को खाद सुरक्षा मुहैया कराने के लिए तुरंत कदम उठाए जायें.
3. मीडिया को विज्ञापन बंद हो: कांग्रेस की बचत योजना से एक सलाह ये भी दी गयी है कि टेलीविजन, प्रिंट और ऑनलाइन मीडिया को दिये जाने वाले सभी सरकारी विज्ञापनों पर रोक लगा दी जाये. दलील ये है कि ऐसा करने से 1250 करोड़ रुपये सालाना बचत होगी जिसका इस्तेमाल कोरोना से जंग में किया जाना चाहिये.
4. सेंट्रल विस्टा परियोजना रद्द की जाये: सरकारी बिल्डिंग में कंस्ट्रक्शन के लिए जो 20 हजार करोड़ सेंट्रल विस्टा परियोजना को आवंटित किये गये हैं, रोक दिया जाये. तर्क है कि संसद की मौजूदा बिल्डिंग से भी काम किया जा सकता है और बचत राशि से PPE की खरीदारी और अस्पताल में सुधार जैसी सुविधाएं बढ़ायी जा सकती हैं.
5. आर्थिक मदद दी जाये: सांसदों की पेंशन और सैलरी में की गयी 30 फीसदी की कटौती से बची रकम का इस्तेमाल मजदूरों, किसानों, छोटे कारोबारियों को आर्थिक मदद देकर किया जा सकता है.
6. विदेश यात्राओं पर रोक लगा दी जाये: कांग्रेस नेतृत्व की सलाह है कि राष्ट्रपति, प्रधानमंत्री, केंद्रीय मंत्री, मुख्यमंत्री, राज्य के मंत्रियों सहित सभी अफसरों की विदेश यात्रा पर रोक लगानी चाहिये - बचत की रकम को कोरोना से लड़ाई में इस्तेमाल किया जा सकता है.
7. PM Cares फंड की राशि ट्रांसफर की जाये: सोनिया गांधी ने मोदी को लिखे पत्र में सलाह दी थी कि प्रधानमंत्री केअर्स में आयी पूरी रकम प्रधानमंत्री राहत कोष में ट्रांसफर कर देना चाहिए क्योंकि इससे पारदर्शिता आएगी. दोनों फंड की राशि को मिलाकर एक साथ इस्तेमाल किया जा सकता है.
ऐसा लगता है, जितनी एडवायजरी मोदी सरकार ने कोरोना वायरस को लेकर नहीं की होगी उससे ज्यादा सलाहियतें उसे कांग्रेस की तरफ से धीरे धीरे करके मिल चुकी हैं - मोदी है तो ये मुमकिन है क्या?
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