16 दिसंबर को औपचारिक रूप से कांग्रेस अध्यक्ष बनने के बाद राहुल गांधी ने पार्टी के कार्यकर्ताओं को संबोधित किया. अपने पहले ही भाषण में राहुल ने चिर-परिचित अंदाज़ में भाजपा और नरेंद्र मोदी को कोसना शुरू कर दिया. हालांकि देश के मुख्य विपक्षी दल होने के नाते कांग्रेस का यह कर्तव्य बनता है कि वह सरकार के काम की समीक्षा करे. लेकिन आज के दिन राहुल को भाजपा की समीक्षा करने के बजाए, कांग्रेस की नीतियों और लक्ष्य के बारे में बात करनी चाहिए थी.
वर्तमान स्थिति में कांग्रेस पार्टी की हालत बहुत खराब है. देश के राज्यों से कांग्रेस का सफ़ाया हो चुका है. भाजपा 'कांग्रेस मुक्त भारत' के अभियान में सफल होती जा रही है. ऐसे समय में नए अध्यक्ष को पार्टी कार्यकर्ताओं के समक्ष कांग्रेस को फिर से खड़ा करने की रणनीति प्रस्तुत करनी चाहिए थी. कांग्रेस के विस्तार के लिए राहुल ने क्या योजना बनाई है, उसकी रूप-रेखा को देश के सामने रखने का यह सुनहरा मौका था. लेकिन इसके विपरीत राहुल गांधी ने आसान काम करने का फ़ैसला किया. राहुल ने कांग्रेस अध्यक्ष पद ग्रहण करते ही भाजपा और नरेंद्र मोदी को देश के लिए ख़तरा घोषित कर दिया और उनकी नीतियों को दमनकारी बताया.
भारत की जनता ने राहुल गांधी को नरेंद्र मोदी को कोसते हुए अनेकों बार देखा है. लेकिन देश के लिए राहुल की योजनाओं से जनता अनभिज्ञ है. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी अपने भाषणों में 'न्यू इंडिया' का ज़िक्र करते हैं. वो 2022 तक की अपनी विभिन्न योजनाओं की जानकारी जनता से साझा करते हैं. इसके उलट राहुल गांधी के पास कोई दूर-गामी योजना अथवा लक्ष्य नज़र नहीं आता है.
राजनीति में सफलता के लिए राजनीतिक दलों और नेताओं को सकारात्मक सोच रखनी चाहिए. केवल दूसरों की...
16 दिसंबर को औपचारिक रूप से कांग्रेस अध्यक्ष बनने के बाद राहुल गांधी ने पार्टी के कार्यकर्ताओं को संबोधित किया. अपने पहले ही भाषण में राहुल ने चिर-परिचित अंदाज़ में भाजपा और नरेंद्र मोदी को कोसना शुरू कर दिया. हालांकि देश के मुख्य विपक्षी दल होने के नाते कांग्रेस का यह कर्तव्य बनता है कि वह सरकार के काम की समीक्षा करे. लेकिन आज के दिन राहुल को भाजपा की समीक्षा करने के बजाए, कांग्रेस की नीतियों और लक्ष्य के बारे में बात करनी चाहिए थी.
वर्तमान स्थिति में कांग्रेस पार्टी की हालत बहुत खराब है. देश के राज्यों से कांग्रेस का सफ़ाया हो चुका है. भाजपा 'कांग्रेस मुक्त भारत' के अभियान में सफल होती जा रही है. ऐसे समय में नए अध्यक्ष को पार्टी कार्यकर्ताओं के समक्ष कांग्रेस को फिर से खड़ा करने की रणनीति प्रस्तुत करनी चाहिए थी. कांग्रेस के विस्तार के लिए राहुल ने क्या योजना बनाई है, उसकी रूप-रेखा को देश के सामने रखने का यह सुनहरा मौका था. लेकिन इसके विपरीत राहुल गांधी ने आसान काम करने का फ़ैसला किया. राहुल ने कांग्रेस अध्यक्ष पद ग्रहण करते ही भाजपा और नरेंद्र मोदी को देश के लिए ख़तरा घोषित कर दिया और उनकी नीतियों को दमनकारी बताया.
भारत की जनता ने राहुल गांधी को नरेंद्र मोदी को कोसते हुए अनेकों बार देखा है. लेकिन देश के लिए राहुल की योजनाओं से जनता अनभिज्ञ है. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी अपने भाषणों में 'न्यू इंडिया' का ज़िक्र करते हैं. वो 2022 तक की अपनी विभिन्न योजनाओं की जानकारी जनता से साझा करते हैं. इसके उलट राहुल गांधी के पास कोई दूर-गामी योजना अथवा लक्ष्य नज़र नहीं आता है.
राजनीति में सफलता के लिए राजनीतिक दलों और नेताओं को सकारात्मक सोच रखनी चाहिए. केवल दूसरों की कथित ग़लतियों का बखान करके राजनीतिक सफलता मिलना काफ़ी कठिन है. राहुल गांधी को भी अब अपनी रणनीति बदलनी चाहिए और सकारात्मक राजनीति पर काम करना चाहिए.
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