राहुल गांधी की 'भारत जोड़ो यात्रा' कर्नाटक के मैसूर पहुंची. तो, यहां जनसभा को संबोधित करते समय अचानक बारिश होने लगी. लेकिन, राहुल गांधी ने बारिश के बीच भीगते हुए इस जनसभा को संबोधित किया. जिसके बाद तमाम कांग्रेसीजन सोशल मीडिया पर राहुल गांधी की इस मुद्रा पर लहालोट नजर आ रहे हैं. लेकिन, यहां अहम सवाल ये उठता है कि 'भारत जोड़ो यात्रा' पर निकले राहुल गांधी केवल भाषण दे रहे हैं. तो, जनता उनसे कैसे जुड़ेगी?
मैसूर में राहुल गांधी ने बारिश में भीगते हुए कहा कि 'भारत जोड़ो यात्रा को कोई नहीं रोक सकता. यह यात्रा नदी की तरह बिना रुके कन्याकुमारी से कश्मीर जाएगी. हमारा उद्देश्य भाजपा-आरएसएस की फैलाई हुई नफरत और हिंसा को रोकना है. इस यात्रा में नफरत और हिंसा का अंश नहीं सिर्फ प्यार और भाईचारा मिलेगा. महात्मा गांधी ने अंग्रेजों के खिलाफ लड़ाई छेड़ी थी. हमने आरएसएस-भाजपा की सोच के खिलाफ जंग छेड़ी है. असमानता और भेदभाव फैल रहा है. और, हमारी आजादी धीरे-धीरे खत्म हो रही है.'
जहां देश महंगाई, बेरोजगारी, गरीबी, आर्थिक से लेकर सामाजिक असमानता जैसे चीजों पर जवाब मांगना चाहता है. राहुल गांधी कह रहे हैं कि भाजपा-आरएसएस ने पूरे देश में नफरत और हिंसा फैला दी है. वहीं, राहुल गांधी उस नफरत और हिंसा की बात कर रहे हैं, जो एक बड़े वर्ग को दिखाई तक नहीं पड़ रही है. वरना उत्तर प्रदेश और उत्तराखंड जैसे राज्यों में भाजपा की सरकार की वापसी क्यों होती?
जनता को बेरोजगारी, गरीबी, असमानता...
राहुल गांधी की 'भारत जोड़ो यात्रा' कर्नाटक के मैसूर पहुंची. तो, यहां जनसभा को संबोधित करते समय अचानक बारिश होने लगी. लेकिन, राहुल गांधी ने बारिश के बीच भीगते हुए इस जनसभा को संबोधित किया. जिसके बाद तमाम कांग्रेसीजन सोशल मीडिया पर राहुल गांधी की इस मुद्रा पर लहालोट नजर आ रहे हैं. लेकिन, यहां अहम सवाल ये उठता है कि 'भारत जोड़ो यात्रा' पर निकले राहुल गांधी केवल भाषण दे रहे हैं. तो, जनता उनसे कैसे जुड़ेगी?
मैसूर में राहुल गांधी ने बारिश में भीगते हुए कहा कि 'भारत जोड़ो यात्रा को कोई नहीं रोक सकता. यह यात्रा नदी की तरह बिना रुके कन्याकुमारी से कश्मीर जाएगी. हमारा उद्देश्य भाजपा-आरएसएस की फैलाई हुई नफरत और हिंसा को रोकना है. इस यात्रा में नफरत और हिंसा का अंश नहीं सिर्फ प्यार और भाईचारा मिलेगा. महात्मा गांधी ने अंग्रेजों के खिलाफ लड़ाई छेड़ी थी. हमने आरएसएस-भाजपा की सोच के खिलाफ जंग छेड़ी है. असमानता और भेदभाव फैल रहा है. और, हमारी आजादी धीरे-धीरे खत्म हो रही है.'
जहां देश महंगाई, बेरोजगारी, गरीबी, आर्थिक से लेकर सामाजिक असमानता जैसे चीजों पर जवाब मांगना चाहता है. राहुल गांधी कह रहे हैं कि भाजपा-आरएसएस ने पूरे देश में नफरत और हिंसा फैला दी है. वहीं, राहुल गांधी उस नफरत और हिंसा की बात कर रहे हैं, जो एक बड़े वर्ग को दिखाई तक नहीं पड़ रही है. वरना उत्तर प्रदेश और उत्तराखंड जैसे राज्यों में भाजपा की सरकार की वापसी क्यों होती?
जनता को बेरोजगारी, गरीबी, असमानता से निकालने का रोडमैप लोगों के सामने रखने की बजाय राहुल गांधी भाषणों के जरिये सिर्फ भाजपा और आरएसएस पर हमलावर ही नजर आते हैं. जो लगातार दो बार केंद्र की सत्ता से कांग्रेस की दूरी को देखते हुए उनकी सियासी मजबूरी लगता है. इसके बावजूद राहुल गांधी के भाषणों में मूल मुद्दों से इतर सबकुछ मिलता है. और, न चाहते हुए भी राहुल गांधी का बारिश के बीच भीगते हुए भाषण देना एक पब्लिसिटी स्टंट भर बन जाता है. राहुल गांधी शायद भूल रहे हैं कि आरएसएस और भाजपा को कोसने से सत्ता नहीं मिलने वाली है. उसके लिए उन्हें जनता के मुद्दों को समझना होगा. वरना जनता उसे कैसे जुड़ेगी?
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