कांग्रेस ने राहुल गांधी (Rahul Gandhi) का ट्विटर अकाउंट लॉक किये जाने का मामला प्रतिष्ठा से जोड़ दिया है - और राहुल गांधी अपने स्टैंड को सही साबित करने के लिए इंसाफ की लड़ाई (Justice for Rape Victim) लड़े जाने जैसी दलील दे रहे हैं.
ट्विटर ने राहुल गांधी के बाद कांग्रेस के आधिकारिक हैंडल के साथ साथ कई और भी नेताओं के ट्विटर अकाउंट लॉक कर दिया है, लिहाजा राहुल गांधी अपनी बात कहने के लिए इंस्टाग्राम को जरिया बनाया है. फेसबुक पर तो ट्विटर पर डाली जाने वाली चीजें पोस्ट हो ही रही हैं.
जब तक राहुल गांधी चुप थे, तब तक बात और थी, लेकिन अब ये तो कोई शक शुबहे वाली बात रही नहीं कि राहुल गांधी को रेप पीड़ित की पहचान सार्वजनिक किये जाने का कोई अफसोस भी है. मतलब, ये हुआ कि राहुल गांधी रेप पीड़ित की पहचान को लेकर अपने स्टैंड को सही ठहराने की भी कोशिश कर रहे हैं.
राहुल गांधी के सपोर्ट में कांग्रेस नेताओं ने गांधीगिरी भी शुरू कर दी है - और केंद्र की मोदी सरकार के इशारे पर काम करने का इल्जाम भी लगा डाला है. कांग्रेस नेता शशि थरूर (Shashi Tharoor) तो ट्विटर को अपनी पॉलिसी बदलने की ही सलाह दे रहे हैं - आपको याद होगा, निर्भया केस में पहचान को लेकर भी शशि थरूर के बयान पर काफी विवाद हुआ था.
रेप पीड़ित की पहचान को लेकर सुप्रीम कोर्ट के आदेश को एक पल के लिए अलग रख कर देखें, तो भी एक बात समझना मुश्किल हो रहा है - राहुल गांधी आखिर किसी रेप पीड़ित बच्ची की निजता की नुमाइश कर इंसाफ दिलाने का रास्ता क्यों अख्तियार किये हुए हैं?
ट्विटर के खिलाफ कांग्रेस का आंदोलन
कांग्रेस ने राहुल गांधी (Rahul Gandhi) का ट्विटर अकाउंट लॉक किये जाने का मामला प्रतिष्ठा से जोड़ दिया है - और राहुल गांधी अपने स्टैंड को सही साबित करने के लिए इंसाफ की लड़ाई (Justice for Rape Victim) लड़े जाने जैसी दलील दे रहे हैं.
ट्विटर ने राहुल गांधी के बाद कांग्रेस के आधिकारिक हैंडल के साथ साथ कई और भी नेताओं के ट्विटर अकाउंट लॉक कर दिया है, लिहाजा राहुल गांधी अपनी बात कहने के लिए इंस्टाग्राम को जरिया बनाया है. फेसबुक पर तो ट्विटर पर डाली जाने वाली चीजें पोस्ट हो ही रही हैं.
जब तक राहुल गांधी चुप थे, तब तक बात और थी, लेकिन अब ये तो कोई शक शुबहे वाली बात रही नहीं कि राहुल गांधी को रेप पीड़ित की पहचान सार्वजनिक किये जाने का कोई अफसोस भी है. मतलब, ये हुआ कि राहुल गांधी रेप पीड़ित की पहचान को लेकर अपने स्टैंड को सही ठहराने की भी कोशिश कर रहे हैं.
राहुल गांधी के सपोर्ट में कांग्रेस नेताओं ने गांधीगिरी भी शुरू कर दी है - और केंद्र की मोदी सरकार के इशारे पर काम करने का इल्जाम भी लगा डाला है. कांग्रेस नेता शशि थरूर (Shashi Tharoor) तो ट्विटर को अपनी पॉलिसी बदलने की ही सलाह दे रहे हैं - आपको याद होगा, निर्भया केस में पहचान को लेकर भी शशि थरूर के बयान पर काफी विवाद हुआ था.
रेप पीड़ित की पहचान को लेकर सुप्रीम कोर्ट के आदेश को एक पल के लिए अलग रख कर देखें, तो भी एक बात समझना मुश्किल हो रहा है - राहुल गांधी आखिर किसी रेप पीड़ित बच्ची की निजता की नुमाइश कर इंसाफ दिलाने का रास्ता क्यों अख्तियार किये हुए हैं?
ट्विटर के खिलाफ कांग्रेस का आंदोलन
क्या कांग्रेस वास्तव में ये लड़ाई ट्विटर के खिलाफ ही लड़ रही है?
या इस लड़ाई के बहाने बीजेपी को विवादों में घसीटने के मौका मिल रहा है
फिर कैसे समझा जाये कि ट्विटर के खिलाफ कांग्रेस की लड़ाई रेप की शिकार किसी बच्ची को इंसाफ दिलाने की ही है, न कि एक घिनौने अपराध पर राजनीतिक रोटी सेंकने के?
ट्विटर अकाउंट लॉक होने पर राहुल गांधी ने इंस्टाग्राम पर लिखा है, 'अगर किसी के प्रति दया या सहानुभूति दिखाना अपराध है, तो मैं अपराधी हूं! अगर रेप-मर्डर पीड़ित के लिए न्याय मांगना गलत है तो मैं दोषी हूं.'
राहुल गांधी कहते हैं, 'वो हमें एक प्लेटफॉर्म पर लॉक कर सकते हैं, लेकिन लोगों के लिए उठने वाली हमारी आवाज बंद नहीं कर सकते... दया, प्यार, न्याय का संदेश वैश्विक है - 1.3 अरब भारतीयों को खामोश नहीं किया जा सकता.'
सवाल ये है कि क्या रेप पीड़ित की पहचान बता कर ही इंसाफ की लड़ाई लड़ी जा सकती है?
राहुल गांधी इंसाफ की दुहाई दे रहे हैं लेकिन उनको इस बात का कोई अफसोस नहीं है कि वो अपनी बच्ची गंवा चुके परिवार की असह्य पीड़ा का सरेआम प्रदर्शन कर रहे हैं.
दिसंबर, 2012 के निर्भया केस में पूरे देश में एक बड़ी लड़ाई लड़ी गयी थी - और पीड़ित लड़की की पहचान सिर्फ उन लोगों तक ही सीमित रही जिनका किसी न किसी रूप में केस से वास्ता रहा - निर्भया के नाम का खुलासा किसी और ने नहीं बल्कि अरसा बाद उसकी मां ने ही किया था.
निर्भया केस में राहुल गांधी ने जिस तरीके से पीड़ित परिवार की मदद की. निर्भया के भाई की पढ़ाई लिखाई का बंदोबस्त किया और पायलट बनने के उसके सपने को पूरा करने में मददगार बने वो तारीफ के काबिल है. तारीफ के काबिल इसलिए भी क्योंकि खुद राहुल गांधी ने उस वाकये का कभी ढिंढोरा नहीं पीटा, बल्कि निर्भया की मां ने ही मीडिया से बातचीत में वे बातें बता दी थी.
लेकिन राहुल गांधी, प्रियंका गांधी वाड्रा या कांग्रेस के दूसरे नेता किसी की पीड़ा को अपनी बंदूक चलाने के लिए कंधा बनाने की कोशिश कर रहे हैं क्या वे नैतिक तौर पर ठीक कर रहे हैं?
ये एक सवाल है जो अपनेआप उठ रहा है - और किसी न किसी मोड़ पर कांग्रेस को और राहुल गांधी को ऐसे सवालों के जवाब भी देने ही होंगे. ऐसा तो नहीं कहा जा सकता कि ये काम पहली बार हुआ है. हाथरस गैंग रेप केस में भी लोग पीड़ित परिवार से मिलने जाते रहे और तस्वीरें शेयर की जाती रहीं. कुछ ऐसे और भी मामले हुए होंगे.
दिक्कत ये भी नहीं है कि जो सब लोग कर रहे हैं वही राहुल गांधी ने कर दिया तो विवाद क्यों हो रहा है, दिक्कत ये है कि जो किया है उसे सही साबित करने की लड़ाई लड़ी जा रही है - और ये लड़ाई राजनीतिक शक्ल अख्तियार कर चुकी है, इंसाफ की बातें तो लगता है जैसे पीछे छूट चुकी हैं.
कांग्रेस महासचिव प्रियंका गांधी वाड्रा ने भाई के समर्थन में अपने प्रोफाइल में राहुल गांधी को फोटो लगा लिया है - और ट्विटर पर पूछ रही हैं, 'क्या ट्विटर कांग्रेस नेताओं के अकाउंट निलंबित करने में अपनी नीति का अनुसरण कर रहा है या फिर मोदी सरकार की नीति का? अनुसूचित जाति आयोग का ट्विटर अकाउंट बंद क्यों नहीं किया गया, जबकि वही तस्वीरें ट्वीट की गयी थीं जो हमारे किसी नेता ने की थीं.'
प्रियंका गांधी का ये भी इल्जाम है , 'कांग्रेस के नेताओं के बड़े पैमाने पर अकाउंट बंद करके ट्विटर भारत में बीजेपी सरकार का लोकतंत्र का गला घोंटने में साथ दे रहा है.'
शिड्यूल कास्ट कमीशन के अकाउंट का जो मुद्दा प्रियंका गांधी उठा रही हैं - वो तो बंद नहीं किया गया है, लेकिन ट्विटर ने वो ट्वीट हटा दिया है - और लिख दिया है, 'इस ट्वीट ने ट्विटर के नियमों का उल्लंघन किया था.'
ऐसी पॉलिसी बदलवाना क्यों चाहते हैं थरूर
बलात्कार और यौन हमलों के पीड़ितों की पहचान को सार्वजनिक करने को लेकर सुप्रीम कोर्ट ने दिसंबर, 2018 में एक गाइडलाइन जारी किया था - 'अगर किसी पीड़ित की मौत भी हो चुकी है तो भी उसकी गरिमा बनी रहती है और उसकी पहचान उजागर नहीं की जा सकती...'
सुप्रीम कोर्ट के दो जजों की बेंच का कहना था कि पीडितों की पहचान किसी कीमत पर उजागर ना हो... ऐसे मामलों में किसी भी तरीके से पीड़ित या उसके परिवार की पहचान उजागर नहीं कर सकते... मीडिया पीड़ितों का इंटरव्यू भी नहीं कर सकता, लेकिन पीड़िता चाहे तो वो इंटरव्यू दे सकती है - सोशल मीडिया या किसी भी प्लेटफार्म पर पहचान नहीं दिखा सकते... यौन मामलों और POCSO मामलों की FIR भी सार्वजनिक नहीं होगी और न ही अपलोड होगी.'
निर्भया केस में भी पीड़ित की पहचान उजाकर करने की वकालत कर चुके कांग्रेस नेता शशि थरूर, राहुल गांधी और कांग्रेस नेताओं के ट्विटर अकाउंट अपनेआप बंद किये जाने को अभिव्यक्ति की आजादी से जोड़ कर पेश किया है.
शशि थरूर लिखते हैं, 'मैं ट्विटर की स्थिति समझता हूं कि उसके पास भारत के कानून और ट्विटर पॉलिसी का उल्लंघन करने वाले अकाउंट ब्लॉक करने के अलावा कोई विकल्प नहीं होता - जो कानून है वो है, लेकिन नीति की समीक्षा की जा सकती है.'
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