कन्याकुमारी से कश्मीर तक की कांग्रेस की बहुप्रतीक्षित 'भारत जोड़ो यात्रा' की शुरुआत राहुल गांधी ने कर दी है. कांग्रेस की ओर से बताया गया है कि 150 दिन में 3570 किलोमीटर की 'भारत जोड़ो यात्रा' के दौरान राहुल गांधी किसी होटल में नहीं रुकेंगे. बल्कि, एक ट्रक पर रखे कंटेनर में रुकेंगे. यानी राहुल गांधी अब 150 दिनों तक इसी कंटेनर को ही अपना आशियाना बनाएंगे. बताया जा रहा है कि कांग्रेस की 'भारत जोड़ो यात्रा' में शामिल होने वाले 300 लोगों के लिए 60 कंटेनरों का इंतजाम किया गया है. आसान शब्दों में कहें, तो 'भारत जोड़ो यात्रा' में राहुल गांधी के साथ एक छोटा सा गांव उनके साथ चलेगा. वैसे, ये भारत में पहली बार होगा कि किसी राजनीतिक यात्रा में इतनी बड़ी संख्या में कंटेनरों का इस्तेमाल किया जाएगा. इन कंटेनरों को देखकर किसी के भी मन में सवाल उठना लाजिमी है कि इससे पहले राजनीतिक यात्राओं में इस तरह का प्रयोग कहां हुआ था?
कंटेनर पॉलिटिक्स की पाकिस्तानी कथा
आमतौर पर कंटेनर का इस्तेमाल चीजों को लाने और ले जाने के लिए जहाजों से लेकर ट्रकों तक में किया जाता है. लेकिन, पाकिस्तान में इन कंटेनर का लंबे समय से राजनीतिक इस्तेमाल किया जा रहा है. कंटेनर पॉलिटिक्स का शब्द पाकिस्तान के ही सियासी गलियारों का शब्द है. दरअसल, पाकिस्तान में विरोध-प्रदर्शन के दौरान इन कंटेनर का इस्तेमाल लंबे समय से किया जा रहा है. 1996 में पहली बार पाकिस्तान की पूर्व प्रधानमंत्री बेनजीर भुट्टो ने प्रदर्शनकारियों को इस्लामाबाद में घुसने से रोकने के लिए कंटेनर का इस्तेमाल किया था. 2014 में पाकिस्तान के पूर्व पीएम इमरान खान ने भी पाकिस्तानी कंटेनर पॉलिटिक्स का इस्तेमाल अपने सियासी रुतबे को बढ़ाने के लिए किया था. मीडिया रिपोर्ट्स में दावा किया गया था कि जिस कंटेनर में इमरान खान रह रहे थे, उसकी कीमत 12 मिलियन पाकिस्तानी रुपये थी. सत्ता में आने से पहले इमरान खान ने इसी...
कन्याकुमारी से कश्मीर तक की कांग्रेस की बहुप्रतीक्षित 'भारत जोड़ो यात्रा' की शुरुआत राहुल गांधी ने कर दी है. कांग्रेस की ओर से बताया गया है कि 150 दिन में 3570 किलोमीटर की 'भारत जोड़ो यात्रा' के दौरान राहुल गांधी किसी होटल में नहीं रुकेंगे. बल्कि, एक ट्रक पर रखे कंटेनर में रुकेंगे. यानी राहुल गांधी अब 150 दिनों तक इसी कंटेनर को ही अपना आशियाना बनाएंगे. बताया जा रहा है कि कांग्रेस की 'भारत जोड़ो यात्रा' में शामिल होने वाले 300 लोगों के लिए 60 कंटेनरों का इंतजाम किया गया है. आसान शब्दों में कहें, तो 'भारत जोड़ो यात्रा' में राहुल गांधी के साथ एक छोटा सा गांव उनके साथ चलेगा. वैसे, ये भारत में पहली बार होगा कि किसी राजनीतिक यात्रा में इतनी बड़ी संख्या में कंटेनरों का इस्तेमाल किया जाएगा. इन कंटेनरों को देखकर किसी के भी मन में सवाल उठना लाजिमी है कि इससे पहले राजनीतिक यात्राओं में इस तरह का प्रयोग कहां हुआ था?
कंटेनर पॉलिटिक्स की पाकिस्तानी कथा
आमतौर पर कंटेनर का इस्तेमाल चीजों को लाने और ले जाने के लिए जहाजों से लेकर ट्रकों तक में किया जाता है. लेकिन, पाकिस्तान में इन कंटेनर का लंबे समय से राजनीतिक इस्तेमाल किया जा रहा है. कंटेनर पॉलिटिक्स का शब्द पाकिस्तान के ही सियासी गलियारों का शब्द है. दरअसल, पाकिस्तान में विरोध-प्रदर्शन के दौरान इन कंटेनर का इस्तेमाल लंबे समय से किया जा रहा है. 1996 में पहली बार पाकिस्तान की पूर्व प्रधानमंत्री बेनजीर भुट्टो ने प्रदर्शनकारियों को इस्लामाबाद में घुसने से रोकने के लिए कंटेनर का इस्तेमाल किया था. 2014 में पाकिस्तान के पूर्व पीएम इमरान खान ने भी पाकिस्तानी कंटेनर पॉलिटिक्स का इस्तेमाल अपने सियासी रुतबे को बढ़ाने के लिए किया था. मीडिया रिपोर्ट्स में दावा किया गया था कि जिस कंटेनर में इमरान खान रह रहे थे, उसकी कीमत 12 मिलियन पाकिस्तानी रुपये थी. सत्ता में आने से पहले इमरान खान ने इसी कंटेनर पॉलिटिक्स के जरिये खुद को लोगों के बीच मशहूर किया था.
राहुल गांधी क्यों कर रहे हैं कंटेनर पॉलिटिक्स?
कांग्रेस अपनी 'भारत जोड़ो यात्रा' के जरिये राहुल गांधी को 2024 के लोकसभा चुनाव से पहले पीएम पद के उम्मीदवार के तौर पर लॉन्च करने की कोशिश कर रही है. राहुल गांधी हमेशा से ही अपनी विदेश यात्राओं को लेकर भाजपा के निशाने पर रहते हैं. पिछली बार राहुल गांधी को अपनी नेपाल यात्रा के दौरान एक पब में देखा गया था. जिस तरह से राहुल गांधी पर वंशवाद के आरोप लगते हैं. उसी तरह वो अपनी जीवन शैली को लेकर भी लोगों के निशाने पर रहते हैं. दरअसल, माना जाता है कि राहुल गांधी का आम जनता से कोई जुड़ाव नहीं है. और, कांग्रेस 150 दिनों की इस भारत जोड़ो यात्रा के जरिये जनता और राहुल गांधी के बीच यही जुड़ाव पैदा करना चाहती है. दावा किया जा रहा है कि 150 दिनों तक एक 'मामूली' से कंटेनर में रहकर राहुल गांधी को जनता का साथ जरूर मिलेगा.
कंटेनर पॉलिटिक्स के फायदे क्या हैं?
- सियासी गलियारों में चर्चा है कि कंटेनर में राहुल गांधी के रहने से लोगों के बीच संदेश जाएगा कि वो भी आम लोगों की तरह ही एक छोटे से कंटेनर में रह रहे हैं. और, ये त्याग उन्होंने देश की जनता के लिए किया है. आसान शब्दों में कहें, तो एक ऐसा नेता, जिसके बारे में कहा जाता है कि वो चांदी का चम्मच लेकर पैदा हुए हैं, वो अब एक मामूली से कंटेनर में रह रहे हैं.
- भारत जोड़ो यात्रा से कांग्रेस के कमजोर पड़ चुके संगठन में फिर से एक नई ऊर्जा भरी जा सकती है. और, इसके सहारे यूपीए के घटक दलों से राहुल गांधी की पीएम पद की उम्मीदवारी पर भी मुहर लगवाई जाएगी. जिससे हर गुजरते राज्य में राहुल गांधी अपने पीछे जन समर्थन के सैलाब का ऐलान कर सकते हैं.
मामूली से कंटेनर में आखिर है क्या?
- भले ही ये कंटेनर बाहर से मामूली सा दिख रहा हो. लेकिन, कंटेनर में सोने के लिए बेड, टॉयलेट और एसी भी लगाया गया है. यानी इसमें ऐशोआराम का वो सभी सामान मौजूद है, जो एक आम इंसान की चाहत होती है.
- पाकिस्तान की तरह ही इन कंटेनरों में भी बड़े-बड़े स्पीकर लगे होंगे. जो कहीं भी और किसी भी समय एक छोटी-मोटी जनसभा का माहौल बनाने के लिए पर्याप्त होंगे.
- ये कंटेनर एक तरह से मंच का भी काम कर सकता है. अगर किसी जगह बहुत सारी भीड़ इकट्ठा हो जाती है. तो, राहुल गांधी कंटेनर की छत पर चढ़ कर भीड़ को संबोधित कर सकते हैं.
- इन कंटेनर का इस्तेमाल ट्रकों पर किया जा रहे है. तो, लिखी सी बात है कि सड़कों पर ही दौड़ेंगे. अगर भारत जोड़ो यात्रा के दौरान ही देश में फिर से किसान या सीएए विरोधी जैसा कोई आंदोलन खड़ा किया जाता है. तो, ये कंटेनर वहां इस्तेमाल किए जा सकते हैं. किसान आंदोलन और सीएए विरोधी आंदोलन में जिस तरह से सड़क पर जबरन कब्जा कर लिया गया था. उसी तरह ही इन कंटेनर का इस्तेमाल कर एक बड़े क्षेत्र को आसानी से घेरा जा सकता है.
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