कर्नाटक में विधान सभा चुनाव अगले वर्ष अप्रेल / मई में है परंतु चुनावी पारा अभी से चढ़ने लगा है. अभी से ही भाजपा ने प्रचार के लिए उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ को कर्नाटक में उतार दिया. कुछ समय पूर्व हुबली में एक जन सभा को संबोधित करते हुए योगी आदित्यनाथ का कहना था कि कर्नाटक की जनता को 'हनुमान की पूजा करने वाले' और 'टीपू सुल्तान की पूजा करने वालों' में से किसी एक को चुनना है. भाजपा इन चुनावों में कांग्रेस को टीपू सुल्तान की समर्थक दिखाकर 'हिंदू विरोधी' के रूप में प्रस्तुत करना चाहती है. ऐसा लगता है कि भाजपा कर्नाटक विधान सभा चुनावों में हिंदुओं पर हो रहे अत्याचार, आतंकवादी संगठनों की राज्य में बढ़ती पकड़ जैसे विषयों को प्रखरता से उठाएगी.
अभी तो चुनाव 4-5 महीने दूर है और अभी से भाजपा ने जता दिया है कि वह अपनी कट्टर हिंदूवादी छवि को जनता के बीच प्रस्तुत करना चाहती है. भाजपा की इस रणनीति का मुकाबला कांग्रेस 'सॉफ्ट हिंदुत्व' से नहीं कर पाएगी. कांग्रेस टीपू सुल्तान को एक देश भक्त तो भाजपा टीपू को एक हत्यारा और जबरन धर्मांतरण कराने वाला मानती है. वर्तमान की कांग्रेस सरकार तो टीपू सुल्तान की जयंती कुछ वर्षों से राजकीय स्तर पर माना रही है, तो दूसरी ओर भाजपा इन कार्यक्रमों का विरोध करती आई है. पहली बात कांग्रेस टीपू सुल्तान के मुद्दे को छोड़ेगी नहीं, और यदि वह छोड़ना चाहे भी तो यह इतना आसान नहीं होगा. इस बात को भाजपा भली भाँति जानती है. यह विषय कांग्रेस को गुजरात की तर्ज़ पर कर्नाटक में 'सॉफ्ट हिंदुत्व' की नीति पर चलने से रोकता है.
कई राजनीतिक जानकार यह भी कह रहे हैं कि कांग्रेस के शीर्ष नेतृत्व ने राज्य कांग्रेस को विवादित इस्लामिक संगठन पॉपुलर फ्रंट ऑफ इंडिया (पीएफआई) के राजनीतिक पक्ष सोशल डेमॉक्रेटिक पार्टी ऑफ इंडिया (एसडीपीआई) के साथ चुनावी...
कर्नाटक में विधान सभा चुनाव अगले वर्ष अप्रेल / मई में है परंतु चुनावी पारा अभी से चढ़ने लगा है. अभी से ही भाजपा ने प्रचार के लिए उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ को कर्नाटक में उतार दिया. कुछ समय पूर्व हुबली में एक जन सभा को संबोधित करते हुए योगी आदित्यनाथ का कहना था कि कर्नाटक की जनता को 'हनुमान की पूजा करने वाले' और 'टीपू सुल्तान की पूजा करने वालों' में से किसी एक को चुनना है. भाजपा इन चुनावों में कांग्रेस को टीपू सुल्तान की समर्थक दिखाकर 'हिंदू विरोधी' के रूप में प्रस्तुत करना चाहती है. ऐसा लगता है कि भाजपा कर्नाटक विधान सभा चुनावों में हिंदुओं पर हो रहे अत्याचार, आतंकवादी संगठनों की राज्य में बढ़ती पकड़ जैसे विषयों को प्रखरता से उठाएगी.
अभी तो चुनाव 4-5 महीने दूर है और अभी से भाजपा ने जता दिया है कि वह अपनी कट्टर हिंदूवादी छवि को जनता के बीच प्रस्तुत करना चाहती है. भाजपा की इस रणनीति का मुकाबला कांग्रेस 'सॉफ्ट हिंदुत्व' से नहीं कर पाएगी. कांग्रेस टीपू सुल्तान को एक देश भक्त तो भाजपा टीपू को एक हत्यारा और जबरन धर्मांतरण कराने वाला मानती है. वर्तमान की कांग्रेस सरकार तो टीपू सुल्तान की जयंती कुछ वर्षों से राजकीय स्तर पर माना रही है, तो दूसरी ओर भाजपा इन कार्यक्रमों का विरोध करती आई है. पहली बात कांग्रेस टीपू सुल्तान के मुद्दे को छोड़ेगी नहीं, और यदि वह छोड़ना चाहे भी तो यह इतना आसान नहीं होगा. इस बात को भाजपा भली भाँति जानती है. यह विषय कांग्रेस को गुजरात की तर्ज़ पर कर्नाटक में 'सॉफ्ट हिंदुत्व' की नीति पर चलने से रोकता है.
कई राजनीतिक जानकार यह भी कह रहे हैं कि कांग्रेस के शीर्ष नेतृत्व ने राज्य कांग्रेस को विवादित इस्लामिक संगठन पॉपुलर फ्रंट ऑफ इंडिया (पीएफआई) के राजनीतिक पक्ष सोशल डेमॉक्रेटिक पार्टी ऑफ इंडिया (एसडीपीआई) के साथ चुनावी साँठ-गाँठ की मंज़ूरी दे दी है. हालाँकि, अधिकारिक तौर पर इस बात को राज्य कांग्रेस नकार रही है. आने वाले समय में पता चल ही जाएगा कि इस बात में कितनी सत्यता है.
गुजरात और कर्नाटक चुनाव में एक और फ़र्क यह है कि कर्नाटक में कांग्रेस की सरकार है. कांग्रेस को पाँच साल में उनके द्वारा किए गए कार्यों का हिसाब किताब भी देना होगा. गुजरात में कांग्रेस पर कोई जवाब देहि नहीं थी, जबकि कर्नाटक में कांग्रेस की ज़िम्मेवारी बनती है. यदि ऐसे में राहुल गाँधी फिर 25-30 मंदिरों में दर्शन करने चले जाते है तो यह वर्तमान राज्य सरकार की विकास की बातों को कुछ फ़ीका कर देगा.
अतः कांग्रेस को चाहिए कि वह हिंदुत्व की राजनीति छोड़ विकास के अपने कामों को चुनावों में प्रचारित - प्रसारित करे. ये भी पढ़ें-
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