लोकसभा चुनाव के आखिरी दौर का प्रचार खत्म होने के बाद जब प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और अमित शाह जैसे ही प्रेस कान्फ्रेंस करने पहुंचे, वैसे ही कांग्रेस कार्यालय पर राहुल गांधी ने अपनी प्रेस कान्फ्रेंस शुरू कर दी. शुरुआत में चुनाव में शामिल हुई जनता का आभार मानते हुए राहुल गांधी ने पत्रकारों से सीधे प्रश्न आमंत्रित किए. ऐसा लग रहा था कि चुनाव प्रचार की कड़वाहट इस प्रेस कान्फ्रेंस में खत्म होगी, लेकिन राहुल गांधी के मन में कुछ और ही बात थी.
पहला सवाल ही उनसे पूछा गया कि PM Modi Press Conference कर रहे हैं. राहुल गांधी इस पर बहुत देर तक 'वेरी इम्प्रेसिव-वेरी इम्प्रेसिव' बोलते रहे. फिर कहा कि मैंने तो रणदीप सुरजेवाला से कहा कि वहां कुछ अपने पत्रकार भेज दो, ताकि वो हमारी ओर से कुछ सवाल पूछ लें. राहुल ने अपनी पूरी भड़ास निकालते हुए कहा कि चुनाव नतीजे आने से सप्ताहभर पहले मोदी अपनी पहली प्रेस कान्फ्रेंस कर रहे हैं. वह भी अमित शाह को साथ लेकर.
17 मई को कांग्रेस और भाजपा ने एक ही समय पर प्रेस कॉन्फ्रेंस करके लोगों को फिर से दोनों में से एक को चुनने का मौका दिया. हालांकि प्रेस कॉन्फ्रेंस में दोनों ही पार्टियों ने इन चुनावों में अपनी की गई मेहनत का बखान किया. एक तरफ अमित शाह बोल रहे थे तो दूसरी तरफ राहुल गांधी.
राहुल गांधी प्रेस कॉन्फ्रेंस में बहुत आत्म विश्वास के साथ बैठे नजर आए. उनका विश्वास उनके बोलने के लहजे में साफ दिखाई दे रहा था. प्रधानमंत्री मोदी की प्रेस कान्फ्रेंस पर राहुल गांधी ने तंज करते हुए कहा कि मोदी भारत के प्रधानमंत्री आज पहली बार एक प्रेस कॉन्फ्रेंस कर रहे हैं. जिसमें मेरा सवाल भी होना चाहिए कि 'मोदी जी आपने मुझसे राफेल पर बहस क्यों नहीं की. आपने अनिल अंबानी को देश के 30 हजार करोड़ रुपए क्यों दिए?
राहुल गांधी ने प्रेस कान्फ्रेंस में अपनी उपलब्धियां गिनवाईं
प्रज्ञा ठाकुर ने नाथूराम गोडसे को देशभक्त कहे जाने पर मोदी ने कहा था कि वो गांधी के अपमान के लिए प्रज्ञा को कभी मांप नहीं करेंगे. इसपर राहुल गांधी ने कहा कि- 'मोदी की फिलॉसफी हिंसा की रही है, वो गांधी की फिलॉसफी नहीं है.'
लोकसभा चुनाव 2019 में किसकी सरकार
राहुल ने बहुत ही सधे हुए शब्दों में कहा कि इसका निर्णय जनता ने ले लिया है फैसला 23 को आएगा. जो निर्णय जनता लेगी हम उसी के हिसाब से काम करेंगे. उससे पहल मैं जनता के निर्णय के बारे में नहीं बोलूंगा. मैं जनता के निर्णय का आदर करता हूं.
चुनाव आयोग पक्षपाती रहा
राहुल गांधी ने चुनाव आयोग पर निशाना साधते हुए कहा कि- मुझे ये कहना अच्छा नहीं लग रहा लेकिन इन चुनावों में चुनाव आयोग की भूमिका पक्षपाती रही है. प्रधानमंत्री जो चाहे बेलना चाहें बोल सकते हैं लेकिन उसके लिए दूसरे को टोक दिया जाता है. पक्षपात है, साफ दिख रहा है. पूरा चुनाव शिड्यूल मोदी जी की कैंपेनिंग के लिए बनाया गया है. लेकिन हम सिर्फ आयोग पर भरोसा कर सकते हैं.
बीजेपी के पास हमसे कहीं ज्यादा पैसा है. 1:20 का रेशियो है. अनलिमिटेड पैसा, अनलिमिटेड मार्केटिंग है, हमारे पास सिर्फ सच्चाई है. और सच्चाई जीतेगी.
पांच सालों की मेहनत
राहुल ने अपने कार्यों का बखान करते हुए कहा कि- हमारी रणनीति रही है कि हमने जनता के मुद्दे उठाए. जिन मुद्दों पर ये चुनाव लड़ा गया था वो थे- बेरोजगारी, किसानों की हालत, राफेल भ्रष्टाचार, इकोनोमी की हालत, नोटबंदी, जीएसटी. लेकिन उन्होंने आज तक इसके बारे में कोई बात नहीं की. लेकिन मुझे खुशी है कि उन्होंने पहली बार कोई प्रेस कन्फ्रेंस की है. उन्होंने ये पहला कदम उठाया है.
मीडिया से शिकायत
प्रेस कान्फ्रेंस में मीडिया से शिकायत करते हुए राहुल बोले कि आप लोग मुझसे कठिन सवाल पूछते हों कि न्याय योजना के लिए पैसा कहां से लाओगे, लेकिन प्रधानमंत्री से ऐसे सवाल पूछते हैं कि आम कैसे खाते हैं. राहुल प्रधानमंत्री के बालाकोट और राडार वाले बयान पर भी चुटकी लेने से नहीं चूके.
विपक्ष पर गर्व
राहुल गांधी ने कहा कि हमने चुनाव बहुत अच्छे से लड़ा. विपक्ष का रोल हमने बहुत अच्छी तरह से निभाया. मैं गर्व से कहता हूं कि हमने विपक्ष का रोल A grade में निभाया है. हमने मोदी को घेर दिया. हमने मोदी से बहस के लिए चुनौती दी, लेकिन मोदी ने कभी उसे मंजूर नहीं किया. हमने किसानों का मुद्दा उठाया, हमने न्याय योजना के बारे सोचा. हमने लोगों को नरेंद्र मोदी के 15 लाख का झूठ पकड़ा और बताया कि 15 नहीं 3 लाख 60 हजार पांच साल में किया जा सकता है. हमेन अपना काम बखूबी किया.
विपक्ष के रूप में हमने अच्छा काम किया - राहुल गांधी
मोदी ने निराश किया
राहुल ने मोदी पर निशाना साधते हुए कहा कि- वो ऐसे प्रधानमंत्री को देखना चाहते थे जो इस देश को आगे लेकर जाता. राहुल ने कहा कि विपक्ष के तौर पर वो प्रधानमंत्री मोदी से ये चाहते थे कि वो देश की बेरोजगारी की समस्या को दूर करते, वो इसे चुनौती की तरह लेते, वो किसानों की समस्या पर काम करते, इकोनॉमी पर कुछ काम करते. लेकिन उन्होंने कोई काम नहीं किया और वो अब मुद्दों से लोगों का ध्यान हटा रहे हैं.
कांग्रेस की रणनीति
अपनी रणनीति साफ करते हुए राहुल ने कहा कि हमने ये साफ कर दिया कि हमारी पहली प्राथमिकता बीजेपी को हराना था. दूसरी प्राथमिकता कांग्रेस की आइडियोलोजी को लोगों तक पहुंचाना था. और तीसरी प्राथमिकता अगला विधानसभा चुनाव जीतना था.
दो साल पहले की हमारी रणनीति थी मोदी के लिए खोला गया हर दरवाजा बंद करना था. और हमें गर्व है कि हमने उनके 90 प्रतिशत दरवाजे बंद किए और 10 प्रतिशत उन्होंने खुद ही बंद कर दिए और हमारी मदद की. उन लोगों के लिए गलत बोलकर जिन्होंने पहले उनके साथ काम किया था जैसे कि नायडू.
ये हमारा कर्तव्य था कि हम मोदी, बीजेपी और आरएसएस से देश के संस्थाओं को बचाना. और हमें खुशी है कि हमने देश के सभी संस्थाओं जैसे सुप्रीम कोर्ट, RBI, SBI को बचाया है.
मोदी से बहुत कुछ सीखा
आखिर में राहुल ने प्रदानमंत्री मोदी को धन्यवाद देते हुए कहा कि आपके साथ काम करके अच्छा लगा. आपकी वजह से मुझमें बदलाव आया है, मैंने बहुत कुछ सीखा है. आज मैं आत्म विश्वास के साथ प्रेस कान्फ्रेंस करना सीख गया हूं.
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