लोकसभा चुनावों के मद्देनजर बिहार यूथ कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष कुमार आशीष को प्रियंका गांधी की टीम में शामिल किया गया, लेकिन 24 घंटे के अंदर ही राहुल गांधी ने उन्हें पद से हटा भी दिया. पहले तो राहुल गांधी ने कुमार आशीष पर भरोसा जताया और प्रियंका गांधी का सचिव बना दिया, लेकिन जब उन्हें पता चला कि कुमार आशीष का नाम 2005 में प्रश्न पत्र आउट करने के मामले से जुड़ा है, तो पार्टी की छवि को बचाने के लिए उन्हें पद से हटा दिया. यहां ध्यान देने की बात ये है कि जिस तरह के आरोप के चलते कुमार आशीष को हटाया गया है, कुछ वैसा ही आरोप खुद राहुल गांधी पर भी है.
कुमार आशीष ने अपनी सफाई में कहा है कि 2005 में प्रश्न पत्र आउट करने का मामला उनके खिलाफ एक राजनीतिक षड़यंत्र है, लेकिन 2019 के चुनावों के मद्देनजर राहुल गांधी कोई रिस्क नहीं लेना चाहते. उन्होंने ये भी कहा कि उस मामले में तो चार्जशीट तक दायर नहीं हुई, लेकिन उनकी एक नहीं सुनी गई. वहीं दूसरी ओर, नेशनल हेराल्ड मामले में राहुल गांधी के खिलाफ चार्जशीट भी दायर हो चुकी है और उन्हें जमानत भी लेनी पड़ी है. अब सवाल ये है कि अगर कुमार आशीष पर प्रश्न पत्र आउट करने का आरोप लगने से कांग्रेस की छवि खराब हो सकती है तो खुद कांग्रेस अध्यक्ष पर लगे आरोप का क्या? क्या उससे पार्टी की छवि खराब नहीं हो रही?
पीएम तो हर सभा में उठाते हैं ये बात
अगर विरोधी पार्टियों की बात करें तो अभी तक किसी ने भी अपना विरोध नहीं जताया है, लेकिन राहुल गांधी की बात तो पीएम मोदी अपनी हर सभा में करते हैं. पीएम मोदी अक्सर ही ये कहते हैं कि नामदार (राहुल गांधी) जमानत पर हैं. कुमार आशीष तो फिर भी ये कह रहे हैं कि उन्हें फंसाने की कोशिश की गई है, चार्जशीट तक...
लोकसभा चुनावों के मद्देनजर बिहार यूथ कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष कुमार आशीष को प्रियंका गांधी की टीम में शामिल किया गया, लेकिन 24 घंटे के अंदर ही राहुल गांधी ने उन्हें पद से हटा भी दिया. पहले तो राहुल गांधी ने कुमार आशीष पर भरोसा जताया और प्रियंका गांधी का सचिव बना दिया, लेकिन जब उन्हें पता चला कि कुमार आशीष का नाम 2005 में प्रश्न पत्र आउट करने के मामले से जुड़ा है, तो पार्टी की छवि को बचाने के लिए उन्हें पद से हटा दिया. यहां ध्यान देने की बात ये है कि जिस तरह के आरोप के चलते कुमार आशीष को हटाया गया है, कुछ वैसा ही आरोप खुद राहुल गांधी पर भी है.
कुमार आशीष ने अपनी सफाई में कहा है कि 2005 में प्रश्न पत्र आउट करने का मामला उनके खिलाफ एक राजनीतिक षड़यंत्र है, लेकिन 2019 के चुनावों के मद्देनजर राहुल गांधी कोई रिस्क नहीं लेना चाहते. उन्होंने ये भी कहा कि उस मामले में तो चार्जशीट तक दायर नहीं हुई, लेकिन उनकी एक नहीं सुनी गई. वहीं दूसरी ओर, नेशनल हेराल्ड मामले में राहुल गांधी के खिलाफ चार्जशीट भी दायर हो चुकी है और उन्हें जमानत भी लेनी पड़ी है. अब सवाल ये है कि अगर कुमार आशीष पर प्रश्न पत्र आउट करने का आरोप लगने से कांग्रेस की छवि खराब हो सकती है तो खुद कांग्रेस अध्यक्ष पर लगे आरोप का क्या? क्या उससे पार्टी की छवि खराब नहीं हो रही?
पीएम तो हर सभा में उठाते हैं ये बात
अगर विरोधी पार्टियों की बात करें तो अभी तक किसी ने भी अपना विरोध नहीं जताया है, लेकिन राहुल गांधी की बात तो पीएम मोदी अपनी हर सभा में करते हैं. पीएम मोदी अक्सर ही ये कहते हैं कि नामदार (राहुल गांधी) जमानत पर हैं. कुमार आशीष तो फिर भी ये कह रहे हैं कि उन्हें फंसाने की कोशिश की गई है, चार्जशीट तक दायर नहीं हुई, लेकिन नेशनल हेराल्ड मामले में तो राहुल गांधी ये भी नहीं कह सकते, क्योंकि वो जमानत पर हैं. कुमार आशीष को पद पर रखने के महज 24 घंटे में ही कांग्रेस के महासचिव केसी वेणुगोपाल के हस्ताक्षर के साथ उन्हें निकालने का नोटिस तक जारी कर दिया गया.
आरोप तो रॉबर्ट वाड्रा पर भी हैं
अगर बात सिर्फ ये है कि आरोप लगने से पार्टी की छवि खराब होती है तो आरोप तो प्रियंका गांधी के पति रॉबर्ट वाड्रा पर भी हैं. तो फिर राहुल गांधी ने प्रियंका को राजनीति में लाने का फैसला क्यों किया? भले ही राहुल हों या रॉबर्ट वाड्रा, सबका तर्क यही होता है कि उनके खिलाफ साजिश है, तो यही बात तो कुमार आशीष ने भी कही. जब आरोपों में घिरे होने के बावजूद राहुल गांधी राजनीतिक पार्टी के अध्यक्ष हो सकते हैं, मनी लॉन्डरिंग में फंसे रॉबर्ट वाड्रा की पत्नी प्रियंका गांधी को पार्टी का महासचिव बनाया जा सकता है तो कुमार आशीष पार्टी का हिस्सा क्यों नहीं हो सकते?
2005 का वो मामला भी जान लीजिए
कुमार आशीष पर 2005 में बिहार इंटरमीडिएट परीक्षा समीति के गणित का पेपर लीक करने का आरोप लगा था. आरोप के बाद तो उन्हें पुलिस ने गिरफ्तार भी किया था और उनके हाथों में हथकड़ी लगी तस्वीरें सोशल मीडिया पर खूब वायरल भी हुई थीं. हालात ऐसे हो गए थे कि कांग्रेस ने उनकी प्राथमिक सदस्यता भी छीन ली थी. हालांकि, कुछ साबित नहीं हुआ और कुछ ही दिनों बाद उन्हें न सिर्फ पार्टी में दोबारा शामिल किया गया, बल्कि एनएसयूआई का प्रदेश उपाध्यक्ष भी नियुक्त कर दिया गया. इसके बाद 2013 में वह बिहार यूथ कांग्रेस के अध्यक्ष बने और 2018 तक उस पद पर रहे. 2005 के इस केस को आज 14 साल बीत चुके हैं, लेकिन पुलिस उस मामले में न को कोई सबूत पेश कर सकी है ना ही गवाह.
यूपी को लेकर कांग्रेस का है खास प्लान
माना जा रहा है कि कुमार आशीष को लेकर पार्टी के कुछ नेता विरोध जता रहे थे और कह रहे थे कि उनकी वजह से पार्टी और प्रियंका दोनों की छवि को नुकसान पहुंचेगा. इसी वजह से राहुल ने कुमार आशीष को हटाकर उनकी जगह सचिन नायक को प्रियंका के सचिव की जिम्मेदारी दे दी. आपको बता दें कि उत्तर प्रदेश में प्रियंका गांधी और ज्योतिरादित्य सिंधिया को अहम जिम्मेदारी देने के बाद कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी ने दोनों टीमों की मदद के लिए 6 नए सचिव नियुक्त किए हैं. यानी 3 सचिव प्रियंका गांधी (यूपी ईस्ट) की मदद के लिए और बाकी के 3 ज्योतिरादित्य (यूपी वेस्ट) सिंधिया की मदद के लिए.
जैसे ही राहुल गांधी ने कुमार आशीष को प्रियंका गांधी का सचिव नियुक्त किया गया, कुछ नेताओं ने उनसे कहा कि उन पर पेपर आउट करने का आरोप है. इसकी वजह से कार्यकर्ताओं में गलत मैसेज जाएगा और प्रियंका गांधी के साथ-साथ पार्टी की छवि भी खराब होगी. राहुल ने भी कुमार आशीष को सचिव पद से हटा दिया, जबकि ये सभी जानते हैं कि जब तक आरोप साबित ना हो जाए व्यक्ति निर्दोष होता है. खुद राहुल और रॉबर्ट वाड्रा पर भी तो आरोप हैं, लेकिन वो जब तक साबित नहीं हो जाते दोनों ही निर्दोष हैं. राहुल गांधी ने कुमार आशीष को निकाल तो दिया, लेकिन अगर सिर्फ आरोप के आधार पर उन्होंने लोगों को हटाना शुरू कर दिया तो कांग्रेस में कार्यकर्ताओं की कमी पड़ जाएगी.
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