क्या राहुल गांधी भी युवाओं से कनेक्ट होने के लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की राह चलने लगे हैं. 24 घंटे के भीतर दोनों ही नेता युवाओं को संबोधित करने का कार्यक्रम रखा गया है.
ये महज इत्तेफाक हो सकता है कि दोनों ही नेताओं के कार्यक्रम पहले ही विवादों का हिस्सा बन चुके हैं. मोदी के कार्यक्रम के साथ विवाद पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी का विरोध है, तो राहुल के साथ सोशल मीडिया पर उनके भाषण के टॉपिक का मजाक उड़ चुका है.
कनेक्टिंग यंग इंडिया...
देश भर की यूनिवर्सिटी और कॉलेजों को यूजीसी यानी यूनिवर्सिटी ग्रांट कमीशन की ओर से भेजे गये सर्कुलर में कहा गया है कि कार्यक्रम की जानकारी पहले से ही नोटिस बोर्ड पर लगा दी जाए. निर्देश ये भी है कि एक वेन्यू, ऑडियो-विजुअल रूम और ऑडिटोरियम तैयार किया जाये. साथ ही कहा गया है कि टीवी या प्रोजेक्टर की सुविधा सुनिश्चित की जाये ताकि प्रधानमंत्री का भाषण ज्यादा से ज्यादा लोग देख सकें.
बीजेपी और मोदी सरकार की कट्टर विरोधी पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी को ये बेहद नागवार गुजरा है. सेना की मॉक ड्रिल पर पूरी रात राइटर्स बिल्डिंग में गुजार देने वाली ममता बनर्जी भला कहां चुप रहने वाली. सरकार ने राज्य के शिक्षण संस्थाओं से कहा है कि प्रधानमंत्री के भाषण को लाइव दिखाये जाने की कोई जरूरत नहीं है.
पश्चिम बंगाल के शिक्षा मंत्री पार्थ चटर्जी का इस बारे में कहना रहा, "ये स्वीकार नहीं है, ये शिक्षा को भगवा करने की एक कोशिश है." शिक्षा मंत्री ने कहा कि शिक्षण संस्थाओं को साफ कर दिया गया है कि यूजीसी के निर्देशों को पालन करने की कोई बाध्यता नहीं है.
राहुल की स्पीच को लेकर पहले बताया गया था कि टॉपिक...
क्या राहुल गांधी भी युवाओं से कनेक्ट होने के लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की राह चलने लगे हैं. 24 घंटे के भीतर दोनों ही नेता युवाओं को संबोधित करने का कार्यक्रम रखा गया है.
ये महज इत्तेफाक हो सकता है कि दोनों ही नेताओं के कार्यक्रम पहले ही विवादों का हिस्सा बन चुके हैं. मोदी के कार्यक्रम के साथ विवाद पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी का विरोध है, तो राहुल के साथ सोशल मीडिया पर उनके भाषण के टॉपिक का मजाक उड़ चुका है.
कनेक्टिंग यंग इंडिया...
देश भर की यूनिवर्सिटी और कॉलेजों को यूजीसी यानी यूनिवर्सिटी ग्रांट कमीशन की ओर से भेजे गये सर्कुलर में कहा गया है कि कार्यक्रम की जानकारी पहले से ही नोटिस बोर्ड पर लगा दी जाए. निर्देश ये भी है कि एक वेन्यू, ऑडियो-विजुअल रूम और ऑडिटोरियम तैयार किया जाये. साथ ही कहा गया है कि टीवी या प्रोजेक्टर की सुविधा सुनिश्चित की जाये ताकि प्रधानमंत्री का भाषण ज्यादा से ज्यादा लोग देख सकें.
बीजेपी और मोदी सरकार की कट्टर विरोधी पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी को ये बेहद नागवार गुजरा है. सेना की मॉक ड्रिल पर पूरी रात राइटर्स बिल्डिंग में गुजार देने वाली ममता बनर्जी भला कहां चुप रहने वाली. सरकार ने राज्य के शिक्षण संस्थाओं से कहा है कि प्रधानमंत्री के भाषण को लाइव दिखाये जाने की कोई जरूरत नहीं है.
पश्चिम बंगाल के शिक्षा मंत्री पार्थ चटर्जी का इस बारे में कहना रहा, "ये स्वीकार नहीं है, ये शिक्षा को भगवा करने की एक कोशिश है." शिक्षा मंत्री ने कहा कि शिक्षण संस्थाओं को साफ कर दिया गया है कि यूजीसी के निर्देशों को पालन करने की कोई बाध्यता नहीं है.
राहुल की स्पीच को लेकर पहले बताया गया था कि टॉपिक आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस होगा और इसको लेकर सोशल मीडिया पर लोगों ने मजाक भी उड़ाया. तस्वीर तब साफ हुई जब पूर्व प्रधानमंत्री राजीव गांधी के सहयोगी रहे सैम पित्रोदा ने ट्वीट कर बताया कि राहुल गांधी के भाषण का विषय होगा - 'इंडिया एट 70'.
पांच खास बातें
1. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी स्वामी विवेकानंद के शिकागो भाषण के 125 साल होने के मौके पर बोलने वाले हैं, जबकि राहुल गांधी देश की आजादी के 70 साल पूरे होने पर.
2. प्रधानमंत्री मोदी देश भर के शिक्षण संस्थाओं के युवाओं को संबोधित करने वाले हैं तो राहुल गांधी एनआरआई युवाओं से संवाद स्थापित करने वाले हैं.
3. मोदी का भाषण देश भर के शिक्षण संस्थाओं में लाइव प्रसारित किया जाएगा तो राहुल गांधी कैलिफॉर्निया यूनिवर्सिटी में सीधे युवाओं से मुखातिब होंगे.
4. मोदी 11 सितंबर को पूर्वाह्न 10:30 बजे युवाओं को संबोधित करेंगे, तो राहुल गांधी 12 सितंबर को सुबह सात बजे.
5. मोदी के भाषण का विषय है - 'यंग इंडिया, न्यू इंडिया - अ रिसर्जेंट नेशन फ्रॉम संकल्प टू सिद्धि' राहुल गांधी की स्पीच का टॉपिक है - 'इंडिया एट 70'
कैलिफॉर्निया यूनिवर्सिटी में होने जा रहा राहुल गांधी का ये भाषण कई मायनों में काफी अहम माना जा रहा है. कांग्रेस का कहना है कि देश के पहले प्रधानमंत्री जवाहर लाल नेहरू ने 1949 में देश के बारे में अपना विजन पेश किया था. यानी राहुल के भाषण में भी वैसी ही बातें होंगी, ऐसा फिलहाल मान कर चलना चाहिये.
खास बात ये है कि इस इवेंट के आयोजन के पीछे सैम पित्रोदा बताये जा रहे हैं और इसकी तुलना कुछ हद तक 2014 में प्रधानमंत्री मोदी के मैडिसन स्कवायर वाले कार्यक्रम से भी की जाने लगी है. तो क्या समझा जाये कि मोदी के मुकाबले ब्रांड राहुल को 2019 में खड़ा करने में कांग्रेस जुट गयी है? या ये अभी सिर्फ ताजपोशी की तैयारी भर है?
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