2016 में कांग्रेस के एक नेता का कहना था कि राहुल गांधी बतौर अध्यक्ष ही काम कर रहे हैं और अब महज औपचारिकताएं ही बाकी हैं. साल भर बीत तो गये लेकिन अब वो औपचारिकताएं भी शुरू हो चुकी हैं. राहुल गांधी को अध्यक्ष बनाने का प्रस्ताव पास करने के मामले में दिल्ली प्रदेश कांग्रेस कमेटी ने बाजी मार ली है. ऐसा करके दिल्ली कांग्रेस अध्यक्ष अजय माकन ने दो निशाने साधे हैं. पहला, राहुल गांधी के गुड बुक में जगह मजबूत कर लिये हैं और दूसरा, अपने विरोधियों को सख्त संदेश दे दिया है. अजय माकन के विरोधियों में दिल्ली की पूर्व मुख्यमंत्री शीला दीक्षित भी शामिल हैं. दिल्ली में कांग्रेस की हार पर शीला की टिप्पणियां अक्सर ही सुनने को मिल जाती हैं जो हरदम अजय माकन के खिलाफ होती हैं. जहां तक शीला दीक्षित की बात है तो वो सोनिया के अध्यक्ष बने रहने की पक्षधर रही हैं. इससे पहले जब राहुल गांधी की ताजपोशी की चर्चा जोरों पर रही तब भी शीला ने सोनिया के पक्ष में बोला था. ये तो साफ है अजय माकन के अच्छे दिन आने वाले हैं - हां, शीला दीक्षित को जरूर सोचना होगा.
देर से मिलेगा दिवाली गिफ्ट
कांग्रेस के नेता पक्का मान कर चल रहे हैं कि दिवाली पर तोहफे में उन्हें राहुल गांधी को अध्यक्ष की कुर्सी मिलने वाली है, लेकिन इसकी डिलीवरी दिवाली बाद ही हो पाएगी.
दिल्ली कांग्रेस के चुने हुए 288 डेलिगेट्स ने राहुल गांधी को राष्ट्रीय अध्यक्ष बनाने का प्रस्ताव तो पास कर दिया, लेकिन ये विवादों से नहीं बच सका. विवाद हुआ एक ही मंच पर पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह और सीनियर कांग्रेस नेता सज्जन कुमार के मंच शेयर करने को लेकर. दरअसल, मनमोहन सिंह को प्रधानमंत्री बनाये जाने के पीछे एक वजह उनका सिख होना भी रहा. एक तरह से ये 1984...
2016 में कांग्रेस के एक नेता का कहना था कि राहुल गांधी बतौर अध्यक्ष ही काम कर रहे हैं और अब महज औपचारिकताएं ही बाकी हैं. साल भर बीत तो गये लेकिन अब वो औपचारिकताएं भी शुरू हो चुकी हैं. राहुल गांधी को अध्यक्ष बनाने का प्रस्ताव पास करने के मामले में दिल्ली प्रदेश कांग्रेस कमेटी ने बाजी मार ली है. ऐसा करके दिल्ली कांग्रेस अध्यक्ष अजय माकन ने दो निशाने साधे हैं. पहला, राहुल गांधी के गुड बुक में जगह मजबूत कर लिये हैं और दूसरा, अपने विरोधियों को सख्त संदेश दे दिया है. अजय माकन के विरोधियों में दिल्ली की पूर्व मुख्यमंत्री शीला दीक्षित भी शामिल हैं. दिल्ली में कांग्रेस की हार पर शीला की टिप्पणियां अक्सर ही सुनने को मिल जाती हैं जो हरदम अजय माकन के खिलाफ होती हैं. जहां तक शीला दीक्षित की बात है तो वो सोनिया के अध्यक्ष बने रहने की पक्षधर रही हैं. इससे पहले जब राहुल गांधी की ताजपोशी की चर्चा जोरों पर रही तब भी शीला ने सोनिया के पक्ष में बोला था. ये तो साफ है अजय माकन के अच्छे दिन आने वाले हैं - हां, शीला दीक्षित को जरूर सोचना होगा.
देर से मिलेगा दिवाली गिफ्ट
कांग्रेस के नेता पक्का मान कर चल रहे हैं कि दिवाली पर तोहफे में उन्हें राहुल गांधी को अध्यक्ष की कुर्सी मिलने वाली है, लेकिन इसकी डिलीवरी दिवाली बाद ही हो पाएगी.
दिल्ली कांग्रेस के चुने हुए 288 डेलिगेट्स ने राहुल गांधी को राष्ट्रीय अध्यक्ष बनाने का प्रस्ताव तो पास कर दिया, लेकिन ये विवादों से नहीं बच सका. विवाद हुआ एक ही मंच पर पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह और सीनियर कांग्रेस नेता सज्जन कुमार के मंच शेयर करने को लेकर. दरअसल, मनमोहन सिंह को प्रधानमंत्री बनाये जाने के पीछे एक वजह उनका सिख होना भी रहा. एक तरह से ये 1984 के दंगों के दाग धोने की कांग्रेस की कोशिश भी मानी जाती है. सज्जन कुमार पर दंगे भड़काने के आरोप हैं और मामला कोर्ट में चल रहा है. पहले तो कांग्रेस सज्जन कुमार को प्रचार प्रसार से भी दूर रखती रही लेकिन इस बार बवाना को लेकर उनकी सक्रियता काफी देखी गयी. मनमोहन और सज्जन दोनों को साथ मंच पर देखना किसी के लिए भी हैरानी की बात रही. हालांकि, बाद में कांग्रेस नेता डॉक्टर संजय सिंह ने सफाई दी कि अगर कोई आरोपी है तो उसे दोषी कैसे माना जा सकता है. संजय सिंह का ये भी कहना रहा कि वैसे भी ये पार्टी का अंदरूनी कार्यक्रम रहा.
दूसरा विवाद खड़ा किया एक अन्य सीनियर नेता मणिशंकर अय्यर ने. अय्यर ने कांग्रेस उपाध्यक्ष राहुल गांधी के ही अमेरिका में शुरू किये गये राजनीति में वंशवाद विमर्श को आगे बढ़ाया और घुमा के दे मारा. अमर उजाला में छपी खबर के मुताबिक अय्यर ने कहा - 'कांग्रेस में जब तक मां और बेटे की सत्ता है, तब तक किसी का भला नहीं हो सकता. चाहे जितने भी सक्रिय नेता कांग्रेस में हों, वे अध्यक्ष पद तक नहीं पहुंच सकते हैं. कांग्रेस में परिवारवाद शुरू से तय है. खबर के अनुसार अय्यर ने ये बातें कसौली में कही. उनका कहना था कि ये वंशवाद की परंपरा है, जो शायद कभी खत्म नहीं होगी.
इस बीच राहुल गांधी कुछ इस तरह एक्टिव हैं जिसे कहा जा सकता है - न थकेंगे, न थकने देंगे. राहुल ने देखा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी महीने भर में तीन बार गुजरात का दौरा कर सकते हैं तो वो क्यों पीछे रहें. ऊपर से जब अमित शाह अमेठी में धावा बोलने वाले हों.
फिर तीन दिन गुजारेंगे गुजरात में
मोदी सरकार के मंत्रियों की भारी भरकम टीम लेकर अमित शाह 10 अक्टूबर को अमेठी पर धावा बोलने वाले हैं. राहुल के गुजरात दौरे के बाद प्रधानमंत्री ने भी कार्यक्रम बना लिया, इसलिए राहुल गांधी फिर से तीन दिन गुजरात में गुजारने का फैसला किया. अब राहुल गांधी अमित शाह के अमेठी पहुंचने से एक दिन पहले और जाने के एक दिन बाद तक गुजरात में ही डेरा जमाये रखेंगे.
9 अक्टूबर से 11 के बीच राहुल गांधी गुजरात के अहमदाबाद, वडोदरा, छोटा उदयपुर, आणंद और खेड़ा जाएंगे. अपनी पिछले दौरे की तरह इस बार भी वो बस से यात्रा करेंगे और जगह जगह सड़क किनारे लोगों से मिलेंगे. साथ ही, किसानों, नौजवानों, व्यापारियों और खासतौर पर गांवों में महिलाओं के साथ मीटिंग करेंगे. इस दौरे में भी राहुल को इलाके के तमाम मंदिरों में मत्था टेकते देखा जा सकेगा.
गुजरात में कांग्रेस के सोशल मीडिया कैंपेन 'विकास पागल हो गया है' को काउंटर करने के लिए बीजेपी ने 'मैं विकास हूं...' मुहिम शुरू की है. पिछली बार राहुल गांधी ने प्रधानमंत्री मोदी पर विकास के नाम पर झूठ बोलने का इल्जाम लगाया था. फिर मोदी ने वडनगर में कहा कि कांग्रेस सरकारों को विकास से नफरत रही है. अब राहुल की बारी है.
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