राज ठाकरे (Raj Thackeray) और उद्धव ठाकरे का राजनीतिक और निजी रिश्ता अलग अलग महसूस किया जाता है - और माना जाता है कि राजनीतिक तौर पर दोनों भले ही एक दूसरे के कट्टर विरोधी क्यों न हों, निजी तौर पर दोनों के बीच सीधे टकराव की नौबत नहीं आ सकती.
हनुमान चालीसा को लेकर मुहिम राज ठाकरे ने ही शुरू की थी. निहायत ही राजनीतिक तरीके से. बेशक राज ठाकरे के निशाने पर उद्धव ठाकरे के नेतृत्व में चल रही गठबंधन सरकार रही, लेकिन ये मुहिम मुस्लिम समुदाय के खिलाफ शुरू की गयी. ये मुहिम बीजेपी के इंटरेस्ट को भी सपोर्ट और सूट भी कर रही है.
नवनीत राणा ने तो जैसे फिल्मी स्टाइल में हाईजैक ही कर लिया. फिल्मी दुनिया से आने वाली नवनीत राणा को मौका शानदार लगा. राज ठाकरे ने तो मस्जिदों से लाउडस्पीकर उतरवाने के लिए लंबी डेडलाइन भी दी थी, लेकिन नवनीत राणा तो 'चट मंगनी, पट ब्याह' स्टाइल में फटाफट कूद पड़ीं. ऐलान कर दिया कि वो मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे (ddhav Thackeray) के घर मातोश्री के सामने हनुमान चालीसा का जाप करेंगी.
वास्तव में ये कोई बड़ी बात नहीं थी, लेकिन उद्धव ठाकरे को ये उनकी ताकत, जिसके पास अभी सत्ता भी है, को चैलेंज करने वाला लगा. ज्यादा गुस्सा इसलिए भी क्योंकि नवनीत राणा की जबान से वो बीजेपी के शब्द सुन रहे थे. कंगना रनौत के मामले में तो जैसे खून का घूंट पीकर रह गये थे - 'राणा की पुतली फिरी नहीं...' तब तक मुंबई पुलिस ने आव न देखा ताव घर में घुस कर नवनीत राणा और उनके पति रवि राणा को उठा लिया - और आरोपों में देशद्रोह की धारा जोड़ कर जेल भेज दिया.
राणा दंपत्ति को जमानत मिलने की उम्मीद जगी ही थी कि राज ठाकरे की मस्जिदों से लाउडस्पीकर उतारने की डेडलाइन भी खत्म होने को आ गयी. 4 मई होते होते खत्म भी हो गयी, लेकिन तब तक राज ठाकरे ने पैंतरा बदल दिया - कहने लगे, ये अभियान चलता रहेगा.
पहले राज ठाकरे की घोषणा से लग रहा था, अगर 3 मई तक मस्जिदों से लाउडस्पीकर नहीं उतारे गये तो महाराष्ट्र नवनिर्माण सेना के कार्यकर्ता सड़कों पर उतर आएंगे. हो...
राज ठाकरे (Raj Thackeray) और उद्धव ठाकरे का राजनीतिक और निजी रिश्ता अलग अलग महसूस किया जाता है - और माना जाता है कि राजनीतिक तौर पर दोनों भले ही एक दूसरे के कट्टर विरोधी क्यों न हों, निजी तौर पर दोनों के बीच सीधे टकराव की नौबत नहीं आ सकती.
हनुमान चालीसा को लेकर मुहिम राज ठाकरे ने ही शुरू की थी. निहायत ही राजनीतिक तरीके से. बेशक राज ठाकरे के निशाने पर उद्धव ठाकरे के नेतृत्व में चल रही गठबंधन सरकार रही, लेकिन ये मुहिम मुस्लिम समुदाय के खिलाफ शुरू की गयी. ये मुहिम बीजेपी के इंटरेस्ट को भी सपोर्ट और सूट भी कर रही है.
नवनीत राणा ने तो जैसे फिल्मी स्टाइल में हाईजैक ही कर लिया. फिल्मी दुनिया से आने वाली नवनीत राणा को मौका शानदार लगा. राज ठाकरे ने तो मस्जिदों से लाउडस्पीकर उतरवाने के लिए लंबी डेडलाइन भी दी थी, लेकिन नवनीत राणा तो 'चट मंगनी, पट ब्याह' स्टाइल में फटाफट कूद पड़ीं. ऐलान कर दिया कि वो मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे (ddhav Thackeray) के घर मातोश्री के सामने हनुमान चालीसा का जाप करेंगी.
वास्तव में ये कोई बड़ी बात नहीं थी, लेकिन उद्धव ठाकरे को ये उनकी ताकत, जिसके पास अभी सत्ता भी है, को चैलेंज करने वाला लगा. ज्यादा गुस्सा इसलिए भी क्योंकि नवनीत राणा की जबान से वो बीजेपी के शब्द सुन रहे थे. कंगना रनौत के मामले में तो जैसे खून का घूंट पीकर रह गये थे - 'राणा की पुतली फिरी नहीं...' तब तक मुंबई पुलिस ने आव न देखा ताव घर में घुस कर नवनीत राणा और उनके पति रवि राणा को उठा लिया - और आरोपों में देशद्रोह की धारा जोड़ कर जेल भेज दिया.
राणा दंपत्ति को जमानत मिलने की उम्मीद जगी ही थी कि राज ठाकरे की मस्जिदों से लाउडस्पीकर उतारने की डेडलाइन भी खत्म होने को आ गयी. 4 मई होते होते खत्म भी हो गयी, लेकिन तब तक राज ठाकरे ने पैंतरा बदल दिया - कहने लगे, ये अभियान चलता रहेगा.
पहले राज ठाकरे की घोषणा से लग रहा था, अगर 3 मई तक मस्जिदों से लाउडस्पीकर नहीं उतारे गये तो महाराष्ट्र नवनिर्माण सेना के कार्यकर्ता सड़कों पर उतर आएंगे. हो सकता है एक अदालत से वारंट जारी होने या फिर औरंगाबाद रैली के बाद राज ठाकरे के खिलाफ पुलिस के केस दर्ज करने का असर हो, तेवर नरम तो पड़ ही गये हैं.
ये भी हो सकता है, राज ठाकरे अपनी तरफ से ऐसा माहौल बनने देने से बचने की कोशिश कर रहे हों कि उद्धव ठाकरे सरकार को कहीं नवनीत राणा जैसे कदम उठाने को मजबूर न होना पड़े. वैसे औरंगाबाद से AIMIM सांसद इम्तियाज जलील ये इल्जाम तो लगा ही चुके हैं कि नवनीत राणा के मुकाबले राज ठाकरे के खिलाफ कार्रवाई में भेदभाव किया गया है. इम्तियाज जलील ने राज ठाकरे के खिलाफ हल्की धाराओं में केस दर्ज किये जाने पर सवाल उठाया है, जबकि राणा दंपत्ति को देशद्रोह के लिए जेल जाना पड़ा है.
उद्धव ठाकरे को लेकर राज ठाकरे भले ही संयम बरत रहे हों, लेकिन शरद पवार (Sharad Pawar) को लेकर जो कुछ भी कहे जा रहे हैं वो बैकफायर कर सकता है. ये संकेत महाराष्ट्र के गृह मंत्री दिलीप वलसे पाटिल के बयान से लग रहा है. साथ ही, बॉम्बे हाईकोर्ट में एक याचिका दायर कर राज ठाकरे के खिलाफ राजद्रोह का मुकदमा दायर करने की गुजारिश की गयी है.
राज ठाकरे के खिलाफ एक्शन की मांग
पुणे के सामाजिक कार्यकर्ता हेमंत पाटिल की तरफ से बॉम्बे हाई कोर्ट में एक याचिका दाखिल की गयी है. याचिका के जरिये अदालत से महाराष्ट्र नवनिर्माण सेना नेता राज ठाकरे के खिलाफ राजद्रोह का मुकदमा चलाये जाने का अनुरोध किया गया है. याचिकाकर्ता ने मामले में तत्काल सुनवाई किये जाने की अपील की है.
राज ठाकरे के खिलाफ हाई कोर्ट में याचिका: एक रिपोर्ट के मुताबिक, हेमंत पाटिल ने अपनी याचिका में कहा है, ‘राज ठाकरे ने 1 मई को औरंगाबाद में रैली का आयोजन किया था... रैली में उन्होंने राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी प्रमुख शरद पवार के खिलाफ भड़काऊ बातें की थीं... राज ठाकरे की बातों से एनसीपी कार्यकर्ताओं में अशांति फैल सकती है, जिससे राज्य में शांति भंग हो सकती है... लिहाजा, उनके खिलाफ राजद्रोह का मामला दर्ज करने का निर्देश दिया जाये.’
केस की सुनवाई के बाद हाई कोर्ट का क्या रुख होता है, इसके लिए अभी इंतजार करना होगा, लेकिन अदालत का याचिकार्ता की दलीलों को मंजूर कर लेना राज ठाकरे की मुश्किल बढ़ाने वाला हो सकता है.
पवार पर राज ठाकरे के आरोप महीना भर पहले राज ठाकरे ने शिवाजी पार्क में आयोजित एक रैली में एनसीपी नेता शरद पवार पर जातीय कार्ड खेलने और समाज को बांटने का आरोप लगाया था. राज ठाकरे के आरोपों पर शरद पवार ने तो प्रतिक्रिया दी ही थी, आरपीआई नेता रामदास आठवले ने लातूर में एक प्रेस कांफ्रेंस कर आरोपों को खारिज कर दिया था. रामदास आठवले का कहना रहा, 'शरद पवार ऐसे नेता हैं जो दलितों और आदिवासियों को साथ लेकर चलते हैं... वो राजनीति में अपनी धर्मनिरपेक्ष छवि के लिए पहचाने जाते हैं... राज ठाकरे का ये कहना बिलकुल गलत है कि शरद पवार जातिवादी राजनीति करते हैं - मुझे लगता है कि राज ठाकरे अपना मानसिक संतुलन खो रहे हैं.'
शरद पवार की तरफ से भी राज ठाकरे के आरोपों पर कड़ी आपत्ति जतायी गयी और राज ठाकरे को उनके दादा प्रबोधनकर ठाकरे का हवाला देकर नसीहत देने की भी कोशिश हुई. प्रबोधनकर ठाकरे, शिवसेना के संस्थापक बाल ठाकरे के पिता थे. शरद पवार ने कहा था कि उनके जीवन पर जिन लोगों का प्रभाव रहा है, प्रबोधनकर ठाकरे भी उनमें से एक हैं - और राज ठाकरे को सलाह दी कि पहले वो एनसीपी का इतिहास पढ़ लें.
शरद पवार ने राज ठाकरे को पार्ट-टाइम पॉलिटिशियन बता कर कमतर दिखाने की कोशिश तो की ही, ये भी कहा कि वो अपनी बातों पर टिके भी नहीं रहते. अब तो शरद पवार के भतीजे और महाराष्ट्र के डिप्टी सीएम अजित पवार ने राज ठाकरे को नाकाम आंदोलनकारी बता डाला है.
एनसीपी पर जातीय राजनीति के आरोपों के जवाब में शरद पवार का कहना रहा, 'वो जाति की राजनीति के बारे में बात करते हैं... असलियत ये है कि छगन भुजबल और मधुकरराव पिचड़ जैसे कई नेताओं ने सदन में एनसीपी का नेतृत्व किया है... हर कोई जानता है कि वे किस जाति से आते हैं.'
राज ठाकरे के खिलाफ एक्शन के संकेत
अदालत की प्रतिकूल टिप्पणी के बावजूद, महाराष्ट्र के गृह मंत्री दिलीप वलसे पाटिल ने अमरावती सांसद नवनीत राणा और उनके विधायक पति रवि राणा के खिलाफ देशद्रोह का केस दर्ज करने को सही ठहरा रहे हैं.
साथ ही, दिलीप वलसे पाटिल ने मनसे प्रमुख राज ठाकरे के खिलाफ भी एक्शन लिये जाने की बात कही है. दिलीप वलसे पाटिल का कहना है, 'राज ठाकरे के खिलाफ भी कार्रवाई होगी... अगर जांच के बाद लगता है तो और कड़ी धाराएं लगाई जाएंगी.
नवनीत राणा की गिरफ्तार के बाद मिलने के लिए थाने गये बीजेपी नेता किरीट सोमैया की कार पर हुए हमले को लेकर गृह मंत्री ने कहा था पुलिस को अलग से हिदायत देने की जरूरत नहीं है. मुंबई पुलिस अपने तरीके से और अच्छे से काम कर रही है. राज ठाकरे या किसी और की रैली को इजाजत देने के मामले में भी गृह मंत्री ने कहा कि इलाके की पुलिस स्थितियों को देखते हुए खुद फैसला लेगी.
लगे हाथ, दिलीप वलसे पाटिल ने ये आरोप भी लगाया कि महाराष्ट्र में कानून-व्यवस्था को गड़बड़ करने की कोशिश हो रही है. फिर तो साफ है, अगर सरकार को ऐसा लगने लगा है तो कानून-व्यवस्था कायम रखने के नाम पर सख्त से सख्त कदम उठा सकती है.
दिलीप वलसे पाटिल एनसीपी कोटे से गठबंधन सरकार में मंत्री बने हैं. पाटिल से पहले गृह मंत्री रहे अनिल देशमुख भी एनसीपी के ही नेता रहे, जिनको जेल जाना पड़ा है. कुछ दिनों पहले शिवसेना नेताओं की तरफ से दिलीप वलसे पाटिल पर शिकायतों पर एक्शन न लेने का आरोप लगाया गया था. शिवसेना प्रवक्ता संजय राउत ने भी उसे लेकर कई तीखे बयान दिये थे.
संजय राउत की शिकायत रही कि किरीट सोमैया के खिलाफ शिकायत और उनके सबूत दिये जाने के बावजूद दिलीप वलसे पाटिल की तरफ से पुलिस को जांच के आदेश नहीं दिये जा रहे हैं. मामला गंभीर होने पर दिलीप वलसे पाटिल ने मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे के साथ मीटिंग की थी - और मीडिया के सामने आकर आश्वस्त करने की कोशिश की थी कि संजय राउत की शिकायतों को ध्यान से सुना जाएगा और फिर उसी हिसाब से कदम उठाये जाएंगे.
राज ठाकरे के खिलाफ एक्शन संकेत इसलिए भी मजबूत लग रहे हैं क्योंकि ये बात दिलीप वलसे पाटिल की तरफ से कही गयी है - और राज ठाकरे कई बार एनसीपी नेता शरद पवार को टारगेट कर चुके हैं.
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